मत्स्यन क्षेत्रों का वितरण

प्रश्न: प्रमुख मत्स्यन क्षेत्रों का वितरण उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की तुलना में उच्च अक्षांशों की ओर क्यों झुका हुआ है? विश्व स्तर पर मत्स्य उद्योग द्वारा सामना की जा रही चुनौतियां क्या हैं? इस गतिविधि को अधिक संधारणीय बनाने हेतु विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय निकायों द्वारा किए गए उपायों को सूचीबद्ध कीजिए।

दृष्टिकोण

  • उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की तुलना में उच्च अक्षांशों को मत्स्यन के लिए अधिक उपयुक्त बनाने वाले कारकों पर चर्चा कीजिए।
  • वैश्विक स्तर पर मत्स्य उद्योग द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
  • अंतर्राष्ट्रीय निकायों द्वारा किए गए उपायों का वर्णन कीजिए।

उत्तर

प्रमुख वाणिज्यिक मत्स्यन क्षेत्र उत्तरी गोलार्द्ध के मध्य और उच्च अक्षांशों के शीत जल में स्थित हैं, क्योंकि:

  • उत्तम मत्स्यन क्षेत्र महाद्वीपीय मग्नतट (महाद्वीपीय शेल्फ) के ऊपर पाए जाते हैं। इन महाद्वीपीय मग्नतटों की अधिकतम गहराई 200 मीटर होती है। यहाँ सभी प्रकार के प्लवक सर्वाधिक प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इस प्रकार के व्यापक महाद्वीपीय शेल्फ उत्तरी गोलार्द्ध में उच्च या मध्य अक्षांशों पर स्थित हैं, जैसे कि न्यूफ़ाउंडलैंड, उत्तरी सागर के तटीय भाग आदि।
  • समुद्री जीवन 20 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान वाले महासागरों में सबसे अधिक विकसित होता है। इसलिए, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के महाद्वीपीय शेल्फ अपेक्षाकृत कम प्लवक समृद्ध हैं।
  • तटरेखाएँ अत्यधिक दंतुरित हैं और आश्रययुक्त मुहानों और ज्वारनदमुखीय तटों जैसे मज़बूत उच्चावचों से युक्त हैं। यह मत्स्यन पत्तनों और गाँवों के लिए आदर्श स्थल का निर्माण करते हैं।
  • यहाँ ठंडी और गर्म धाराओं का मिश्रण होता है, जिससे प्लवकों में वृद्धि और परिणामस्वरूप मछलियों का विकास होता है।
  • पछुआ पवनों के परिणामस्वरूप महासागरीय धाराओं का परिसंचरण होता है। यह भी मत्स्य आबादी की वृद्धि के लिए अनुकूल दशाएँ प्रदान करने में सहायता करता है।
  • उच्च अक्षांशों पर मत्स्यन अधिक मितव्ययी है क्योंकि उष्णकटिबंधीय सागरों में मछलियाँ अनेक प्रजातियों के मिश्रण के रूप में पायी जाती हैं जो बड़े पैमाने पर व्यावसायिक दोहन के लिए उपयुक्त नहीं है।
  • उच्च अक्षांशों की मछलियों में पोषक तत्वों की मात्रा उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की तुलना में अधिक होती हैं। साथ ही, उष्णकटिबंधीय जलवायु में मछलियों की सेल्फ लाइफ (भंडारण से उपयोग तक की अवधि) कम होती है और यहाँ की मछलियों में तैलीय सामग्री की मात्रा उच्च होती है। इससे उनका स्वाद और वाणिज्यिक मूल्य प्रभावित होता है।
  • वाणिज्यिक मत्स्यन उद्योग के लिए उच्च पूँजी निवेश की आवश्यकता होती है, इसलिए यह विकसित देशों में सुस्थापित है। ये देश अधिकांशतः उच्च अक्षांशों पर ही स्थित हैं।

मत्स्यन उद्योग द्वारा सामना की जा रही चुनौतियाँ:

  • जल नियंत्रण संरचना के प्रसार, समुद्री डकैती, प्राकृतिक आवास की क्षति और अंधाधुंध मत्स्यन के कारण अंतर्देशीय मछली उत्पादन में गिरावट आयी है।
  • ह्रासमान संसाधनों, ऊर्जा संकट और इसके परिणामस्वरूप मत्स्यन की उच्च लागत के कारण समुद्री मत्स्यन में गिरावट आयी है। निकटवर्ती तटीय क्षेत्रों से आगे के क्षेत्रों का दोहन अविवेकपूर्ण रहा है, क्योंकि इनका उपयोग निकटवर्ती तट और अपतट दोनों क्षेत्रों में संसाधनों में वृद्धि और पुनःपूर्ति के लिए बफर जोन के रूप में किया जाना चाहिए था।
  • प्रतिकूल जलवायु परिवर्तन के कारण इस क्षेत्र की जैव विविधता को भी हानि हुई है।
  • तकनीकी सुधारों का प्रसार मामूली स्तर पर होना और साथ ही असंगठित क्षेत्र का प्रभुत्व जो पारंपरिक तरीकों पर ही काम करता आ रहा है। राष्ट्र अब तक गहरे-सागरीय मत्स्यन की क्षमता का सही अनुमान नहीं लगा पाए हैं।
  • निम्न स्तरीय अवसंरचना, विशेष रूप से समुद्री मत्स्यन से जुड़ी अवसंरचना, के परिणामस्वरूप मत्स्यन के पश्चात (post-harvest) काफी क्षति होती है।
  • मछलियों के आहार की खराब गुणवत्ता।
  • मछुआरों की सुरक्षा, विशेषकर सागरीय सीमाओं के निकटवर्ती क्षेत्रों में।

इस गतिविधि को अधिक संधारणीय बनाने हेतु विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय निकायों द्वारा अपनाए गए उपाय:

  • यू. एन. एग्रीमेंट ऑन स्ट्रैडलिंग एंड हाइली माइग्रेटरी फिश स्टॉक्स (इसे सामान्य रूप से यू.एन. फिश स्टॉक एग्रीमेंट कहा जाता है) खुले सागरीय क्षेत्रों के अनेक अनन्य आर्थिक क्षेत्रों में पायी जाने वाली (स्ट्रैडलिंग) तथा विस्तृत स्तर पर प्रवास करने वाली (हाइली माइग्रेटरी) मछलियों के संरक्षण और प्रबंधन का ढाँचा प्रदान करता है।
  • खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने उत्तरदायित्व पूर्ण मत्स्य ग्रहण के लिए आचार संहिता के साथ ही शार्कों के प्रबंधन, समुद्री पक्षियों के अवांछित रूप से जाल में फँस जाने, गैर-कानूनी मत्स्यन आदि के लिए विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय कार्ययोजनाओं का निर्माण किया है।
  • संधारणीय विकास का लक्ष्य 14 अत्यधिक मत्स्यन जैसे खतरों पर विशेष बल के साथ महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण और संधारणीय उपयोग पर केंद्रित है।
  • एक्वाकल्चर स्टीवर्डशिप काउंसिल (ASC) जैसे अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन अपने प्रमाणन कार्यक्रम के माध्यम से उत्तरदायित्व पूर्ण मत्स्य पालन पद्धतियों को बढ़ावा देते हैं और IUCN समुद्री जैव विविधता के संरक्षण और प्रबंधन का समन्वय करता है।

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