विशेष प्रयोजन वाहन (स्पेशल पर्पस व्हीकल:SPVs) की अवधारणा

प्रश्न: विशेष प्रयोजन वाहन (स्पेशल पर्पस व्हीकल:SPVs) तेजी से अवसंरचना क्षेत्रक में परियोजनाओं हेतु निधियों (फंड्स) को दिशा प्रदान करने वाले महत्वपूर्ण मार्ग बनते जा रहे हैं। SPVs की अवधारणा की व्याख्या करते हुए उनसे संबंधित कुछ लाभों को एवं जोखिमों पर प्रकाश डालिए। साथ ही, चिन्हित जोखिमों को प्रबंधित करने हेतु उपाय सुझाइए।

दृष्टिकोण

  • विशेष प्रयोजन वाहन (SPVs) की अवधारणा को उदाहरण सहित समझाइए।
  • SPVs से संबंधित कुछ लाभों और जोखिमों का उल्लेख कीजिए।
  • इन जोखिमों से निपटने हेतु कुछ उपाय सुझाइए।

उत्तर

विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) एक वैधानिक इकाई है जिसे एकल, सुपरिभाषित वैध उद्देश्यों के लिए गठित किया जाता है। यह सरकार द्वारा नियंत्रित निकाय के साथ निजी क्षेत्र की कार्य कुशलता का एक हाइब्रिड है। तकनीकी रूप से SPV एक लिमिटेड कंपनी है, यह कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के तहत स्थापित की जाती है। इसका स्वामित्व सार्वजनिक, निजी या संयुक्त हो सकता है। सामान्यतः SPV की एक प्रायोजक कंपनी होती है जो प्रारंभिक पूंजी और संपत्ति प्रदान करती है तथा धन जुटाने में SPV की सहायता करती है। अधिकांशतः SPVs का गठन धन जुटाने और प्रत्यक्ष रूप से पात्र परियोजनाओं को ऋण (विशेष रूप से लंबी परिपक्वता अवधि वाली ऋण राशियां) देने के लिए किया जाता है। ये ऋण बैंकों और वित्तीय संस्थानों के ऋणों के पूरक के रूप में होते हैं। उदाहरण के लिए, मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड बुलेट ट्रेन की परियोजना के क्रियान्वयन हेतु नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड नामक SPV का गठन किया गया है।

लाभ:

  • व्यावसायिक प्रबंधन- SPV विकास परियोजनाओं का आयोजन, मूल्यांकन, अनुमोदन, वित्तीयन, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन, निगरानी और परीक्षण करता है। उदाहरणस्वरुप: सभी स्मार्ट शहरों के लिए SPV का गठन।
  • न्यूनतम लाल फीताशाही – उदाहरण के लिए, इन्वेस्ट इंडिया का कार्य क्षेत्र शेयरधारकों के लिए धन का सृजन करना ही नहीं, अपितु भारत में निवेश को सुगम बनाना और नौकरशाही से संबंधित अड़चनों से निवेशकों का बचाव करना भी है।
  • वित्तीय लोचशीलता में वृद्धि – इससे जोखिम को दूर करने और पूँजी को सुरक्षित रखने में सहायता मिलती है। परिणामतः SPV और प्रायोजक कंपनी संचालन कार्यवाहियों के दौरान उत्पन्न जोखिमों जैसे दिवालियापन आदि से सुरक्षित रहती हैं।
  • व्यापक संचालन स्वतंत्रता- अवसरंचना परियोजनाओं को सुव्यवस्थित किया जाता है क्योंकि वे अकादमिक संस्थानों और संगठनों के इंटर-लिंकेज से लाभ प्राप्त करती हैं।
  • परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण – SPVs प्रबंधकीय संबंधों को बाधा पहुँचाए बिना प्रतिभूतिकरण की अनुमति देते हैं। इस व्यवस्था के अंतर्गत, सुरक्षित परिसंपत्तियों द्वारा सृजित हो सकने वाले अनुमानित आय के किसी भी स्रोत का प्रतिभूतिकरण किया जा सकता है।

संबंधित जोखिम

  • निम्नस्तरीय जोखिम प्रबंधन और SPV के उपयोग से संबंधित जोखिम के सम्बन्ध में गलत समझ अनेक उच्च स्तरीय (हाई प्रोफाइल) विफलताओं का कारण रही है। पारदर्शिता की कमी के कारण किसी SPV में वित्तीयन फर्म के लिए प्रतिष्ठा का जोखिम बना रहता है और साथ-साथ निवेशकों के लिए भी जोखिम बना रहता है।
  • इसके अतिरिक्त, SPV का निम्नस्तरीय निष्पादन प्रायोजक फर्म की पूंजी बाजारों तक पहुँच को प्रभावित कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि एक SPV राजमार्ग परियोजना का क्रियान्वयन करने में विफल रहता है, तो यह बाजार से धन जुटाने के लिए निजी भागीदारों के साथ-साथ सरकार की क्षमता को भी बाधित कर सकता है।
  • इन्हें स्व-संधारणीय बनाने के लिए समर्पित और सतत राजस्व स्रोत का सृजन अभी भी एक प्रश्न बना हुआ है।
  • मौजूदा कंपनियों और संस्थानों के अधिकारिता संबंधी क्षेत्रों का अतिव्यापन हो जाने का भी जोखिम रहता है।

जोखिमों का प्रबंधन

  • प्रणालीगत कमजोरी के रूप में सामने आने वाली घटनाओं की पहचान करने के लिए SPV गतिविधियों के उपयोग की नियमित जाँच और निगरानी की जानी चाहिए।
  • SPV के उपयोग के लिए खाता संबंधी आवश्यकताओं का समेकन और रिपोर्टिंग संबंधी आवश्यकताओं को कठोर बनाया जाना चाहिए।
  • बहु-स्तरीय प्रतिभूतिकरण के विविध स्तरों को समाप्त करके SPV की अभिशासन संबंधी संरचनाओं का सरलीकरण किया जाना चाहिए।
  • पर्याप्त जागरूकता के प्रसार के माध्यम से, बाजार प्रतिभागियों को लेन-देन की क्षमता बढ़ाने वाले कारकों के आकलन और जोखिम प्रबंधन में सक्षम बनाया जाना चाहिए।

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