महासागरीय धाराएं : मत्स्यन क्षेत्रों के निर्माण में भुमिका
प्रश्न:यथोचित उदाहरणों के साथ, व्याख्या कीजिए कि किस प्रकार महासागरीय धाराएं विश्व भर में मत्स्यन क्षेत्रों के निर्माण को प्रभावित करती हैं।
दृष्टिकोण:
- जलीय जीवन हेतु पादपप्लवकों के महत्व को वर्णित कीजिए।
- व्याख्या कीजिए कि महासागरीय धाराओं का सम्मिश्रण किस प्रकार इनके (मत्स्यन क्षेत्रों के) विकास में महासागरीय धाराओं का सम्मिश्रण किस प्रकार सहायता करता है।
- विश्व मानचित्र पर महासागरीय धाराओं के साथ प्रमुख मत्स्यन क्षेत्रों को चिन्हित कीजिए।
उत्तर:
किसी भी समद्री पारिस्थितिक तंत्र में जलीय वनस्पतियों की प्रचुरता पादपप्लवकों की उपलब्धता पर निर्भर करती है। इसका कारण यह है कि ये समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में प्राथमिक उत्पादक होते हैं और महासागरों में अधिकांश जैवभार इन्हीं से प्राप्त होता है।
पादपप्लवकों को प्रकाश संश्लेषण हेतु सूर्य के प्रकाश और पोषक तत्वों, दोनों की आवश्यकता होती है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में जलीय भाग को पर्याप्त मात्रा में सूर्य का प्रकाश प्राप्त होता है किन्तु पोषक तत्वों का तीव्रता से उपयोग किए जाने से ये क्षेत्र अनुत्पादक हो जाते हैं। इसलिए नियमित रूप से महासागरीय धाराओं के परस्पर मिलने से पोषक तत्वों से परिपूर्ण गहराई का जल ऊपर की ओर सूर्य के प्रकाश वाले क्षेत्र में आ जाता है। यह प्रक्रिया पादपप्लवकों के विकास के लिए आवश्यक होती है।
उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के ऊपरी जलीय भाग में गर्म और ठंडी महासागरीय धाराओं का अभिसरण क्षेत्र पादपप्लवकों की वृद्धि में सहायक होता है। ठंडे, सघन जल के नीचे की ओर जाने (नियमित रूप से सम्मिश्रण) के कारण मछलियों हेतु प्राथमिक खाद्य पदार्थ अर्थात् पादपप्लवकों के विकास हेतु ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की पुनःपूर्ति होती है। यह इन क्षेत्रों को मत्स्यन विकास के अधिक उत्पादक क्षेत्र के रूप में परिवर्तित करता है।
विश्व में सर्वाधिक उत्पादक मत्स्यन क्षेत्र उच्च अक्षांशों में पाए जाते हैं, जहां गर्म और ठंडी जलधाराएं मिलती हैं। इनके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- उत्तर-पश्चिमी अटलांटिक महासागर में ग्रैंड बैंक और जॉर्जेज बैंक, जहां उत्तरी अटलांटिक महासागर क्षेत्र (चित्र देखें) में लैब्राडोर (ठंडी धारा) और गल्फ स्ट्रीम (गर्म धारा) के मिलने से एक प्रमुख मत्स्यन क्षेत्र का निर्माण होता है।
- उत्तरी-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में जापान का तट, जहां ऊपरी प्रशांत महासागर क्षेत्र में ओयाशियो (ठंडी) और क्यूरोशियो (गर्म) धाराएं मिलती हैं।
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