लोक सेवकों के मध्य नैतिक मानकों में गिरावट

प्रश्न: लोक सेवकों के मध्य नैतिक मानकों में गिरावट से उत्पन्न होने वाली समस्याएं क्या हैं? उनका समाधान करने के लिए कुछ रणनीतियों का सुझाव दीजिए।

दृष्टिकोण:

  • उत्तर के आरंभ में सरकारी कर्मचारियों के मध्य गिरते नैतिक मानकों के संबंध में एक संक्षिप्त पृष्ठभूमि लिखिए।
  • गिरते हुए नैतिक मानकों से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को सूचीबद्ध कीजिए और उनका विश्लेषण कीजिए।
  • समस्याओं के समाधान हेतु सुझाव दीजिए।
  • समुचित निष्कर्ष प्रदान कीजिए।

उत्तर:

ग्लोबल करप्शन परसेप्शन इंडेक्स, 2017 में भारत का 81वां स्थान तथा भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में सिविल सेवकों की दोषसिद्धि से संबंधित घटनाएं वस्तुतः लोक सेवकों के मध्य नैतिक मानकों में उल्लेखनीय गिरावट को प्रदर्शित करते हैं। नैतिक मानकों में यह गिरावट लोक सेवकों द्वारा किए जाने वाले व्यवहार, आचरण और निर्णयों में परिलक्षित होती है। व्यापक स्तर पर, यह समस्या सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक मुद्दों के विषय में होने वाले सामाजिक संवाद में भी परिलक्षित होती है। इसका एक स्पष्ट उदाहरण एक अनिवार्यता के रूप में भ्रष्टाचार की बढ़ती स्वीकृति है। वस्तुतः निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से समस्याओं को देखा जा सकता है: 

  • निर्णय निर्माण में तत्परता की कमी: व्यक्तिगत लाभ, नेतृत्व की कमी या रुचि के अभाव जैसे विभिन्न कारणों से लोक सेवक न तो आँकड़ों को एकत्रित करते हैं और न ही उनका समुचित उपयोग करते हैं। इससे नीति निर्माण और फीडबैक प्रक्रिया को हानि पहुँचती है।
  • सरकारी संस्थानों के प्रति नागरिकों के विश्वास में गिरावट।
  • लोक सेवकों की लापरवाही और अक्षमता के कारण सरकारी राजकोष पर बोझ।
  • रिश्वत: भ्रष्टाचार समाज का स्वीकार्य हिस्सा बन गया है। समाज इसे अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने वाली एक आवश्यक बुराई मानने लगा है।
  • लापरवाही: एक लोक सेवक या तो अपने व्यावसायिक उत्तरदायित्वों को निष्पादित नहीं करता है या उनका निष्पादन दोषपूर्ण तरीके से करता है। इससे राज्य या समुदाय को हानि होती है। उदाहरण के लिए – उचित EIA रिपोर्ट के बिना पर्यावरणीय मंजूरी प्रदान करना।
  • यह व्यक्तिगत स्तर पर निजी लाभ के लिए व्यक्तिगत प्राधिकार या पद के दुरुपयोग के रूप में प्रतिबिंबित होती है: लोक सेवक लोक-हित की आड़ में लोक सेवा में पद धारण करने के कारण प्राप्त प्राधिकार और सुविधाओं का स्वेच्छापूर्वक व्यक्तिगत हित के लिए उपभोग कर सकते हैं।

इसके समाधान की रणनीतियाँ:

  • सिविल सेवकों के लिए अपने आधिकारिक निर्णयों का कारण प्रस्तुत करना आवश्यक बनाने से सम्बंधित प्रभावी कानूनों का निर्माण।
  • सभी लोक अधिकारियों और सिविल सेवकों को भ्रष्टाचार एवं अनैतिक आचरण से सकारात्मक रूप से निपटने हेतु प्रोत्साहन प्रदान करने वाला प्रबंधन दृष्टिकोण
  • सार्वजनिक हित में अधिकारियों के गलत कार्यों के ‘उचित प्रकटीकरण’ को संरक्षण प्रदान करने हेतु ‘व्हिसल-ब्लोअर’ सुरक्षा कानून
  • सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं की सत्यनिष्ठा से संबंधित जोखिमों की पहचान करने हेतु नैतिकता संबंधी लेखा परीक्षा (Ethics audits)।
  • मानव संसाधन प्रबंधन सम्बन्धी नवीन रणनीतियां यथा पेशेवर उन्नति, योग्यता-आधारित पदोन्नति, भेदभाव विरोधी संरक्षण आदि के साथ नैतिक प्रदर्शन को समेकित करना।
  • प्रभावी बाह्य एवं आंतरिक शिकायत निवारण प्रक्रियाएं।
  • लोक सेवकों के लिए आचरण नियमों के अनुरूप नीतिपरक आचार संहिता, आचरण संहिता की विषय-वस्तु एवं औचित्य के अनुरूप प्रशिक्षण, आधिकारिक शक्ति का उचित उपयोग तथा पेशेवर उत्तरदायित्व की आवश्यकता।

एक राष्ट्र के विकास और शासन में लोक सेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए यह आवश्यक है कि वे दक्षता और नैतिकता का प्रदर्शन करें।

Read More

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.