ब्लैक होल तथा इसकी विशेषताओं की संक्षिप्त विवेचना
प्रश्न: ब्लैक होल क्या हैं? ब्लैक होल के चित्रण (इमेजिंग) में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालिए। इवेंट होराइज़न टेलीस्कोप प्रोजेक्ट द्वारा इन चुनौतियों को कैसे दूर किया गया?
दृष्टिकोण
- ब्लैक होल तथा इसकी विशेषताओं की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- ब्लैक होल के चित्रण के लिए आरम्भ की गयी इवेंट होराइज़न टेलिस्कोप परियोजना पर प्रकाश डालिए।
- किसी ब्लैक होल के चित्रण में आने वाली चुनौतियों तथा उनके समाधान हेतु प्रयुक्त रणनीति की चर्चा कीजिए।
उत्तर
ब्लैक होल इतने सशक्त गुरुत्वीय त्वरण को प्रदर्शित करने वाला स्पेस-टाइम क्षेत्र है जिसमें प्रवेश करने के बाद प्रकाश जैसा विद्युत् चुम्बकीय विकिरण या अन्य कोई कण बाहर नहीं आ सकता है। वह क्षेत्र जहाँ ब्लैक होल का गुरुत्वीय प्रभाव इतना अधिक होता है कि प्रकाश भी अवशोषित हो जाता है, इवेंट होराइज़न कहलाता है। एक छोटे स्थान पर पदार्थ को संकुचित कर देने के कारण गुरुत्व अत्यधिक प्रबल होता है। ऐसा तब घटित होता है जब सूर्य से भी अत्यधिक भारी किसी तारे का जीवनकाल समाप्त हो रहा हो।
किसी ब्लैक होल का चित्रण :
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के द्वारा पृथ्वी पर स्थित आठ रेडियो दूरबीनों की ग्रहीय स्तर की श्रृंखला से निर्मित इवेंट होराइज़न टेलिस्कोप (EHT) ने M87 आकाशगंगा के केंद्र में एक अत्यंत विशाल द्रव्यमान वाले ब्लैक होल तथा इसकी छाया का चित्र लिया। यह टेलिस्कोप हमारे ग्रह के आकार का है।
किसी ब्लैक होल के चित्रण में आने वाली चुनौतियां तथा उन्हें दूर करने हेतु प्रयुक्त रणनीतियाँ:
- चूँकि ब्लैक होल से प्रकाश भी अवशोषित हो जाता है एवं इस प्रकार प्रत्यक्ष रूप से इसका अवलोकन नहीं किया जा सकता है। तथापि ब्लैक होल में इवेंट होराइज़न के बाहर ब्लैक होल में गिर रहे गैस तथा धूलकण इसके चारों ओर घूर्णन करते हैं जिससे एक संचयन चक्रिका (accretion disc) का निर्माण होता है। इस संचयन चक्रिका में, गैस गर्म होकर विकिरण उत्पन्न करती है। यह विकिरण ब्लैक होल से बाहर आ सकता है और इसलिए इसका पता लगाया जा सकता है तथा इसके माध्यम से ब्लैक होल का चित्रण संभव हो जाता है। ऐसा ही एक चित्र EHT द्वारा लिया गया था।
- सबसे बड़ी चुनौती किसी दूरस्थ ब्लैक होल से पर्याप्त मात्रा में प्रकाश प्राप्त करना तथा प्राप्त ब्यौरों को चित्र में परिवर्तित करने के लिए पर्याप्त आवर्द्धन क्षमता प्राप्त करना था। इन दोनों ही समस्याओं का समाधान सम्पूर्ण विश्व में स्थित अनेक विशाल रेडियो दूरबीनों का प्रयोग करके किया गया। उनके अवलोकनों को संयोजित कर खगोलविदों ने प्रभावी ढंग से इस ग्रह के समान आकार के लेंस युक्त एकल दूरबीन का निर्माण कर लिया।
- भिन्न-भिन्न विशेषताओं से युक्त इन सभी दूरबीनों से प्राप्त आंकड़ों को एकत्रित करना बड़ी समस्या थी। EHT ने वेरी लॉग बेसलाइन इंटरफेरोमीटरी (VLBI) नामक एक तकनीक का प्रयोग किया जिससे पूरे विश्व के दूरबीनों के प्रेक्षण क्षमता तथा उनके आंकड़ों को मिलाकर एक विशाल आभासी दूरबीन का निर्माण करना संभव हो पाया।
- EHT से अवलोकन के दौरान, कई प्रकार के व्यवधानों तथा त्रुटियों से दूरबीन के निष्पादन कार्य में बाधा उत्पन्न हुई। उदाहरण के लिए, पृथ्वी का वायुमंडल कुछ विशेष सीमा तक की तरंगदैर्ध्य को रोक देता है। वायुमंडलीय अवशोषण के प्रभाव को कम करने हेतु इन रेडियों दूरबीनों का निर्माण ऊंचे तथा शुष्क स्थानों पर किया गया।
EHT जैसी परियोजनाएं अंतःविषयक विशेषज्ञता के कारण सफल हो पाती हैं, जिससे लोग लाभान्वित होते हैं। यह प्रयोग समन्वय तथा सहयोग की विविधता का भी उतना ही समर्थन करता है जितना विज्ञान तथा तर्कशक्ति की क्षमता में विश्वास तथा अत्यधिक धैर्य का।
Read More
- हिंदुकुश-हिमालय क्षेत्र के भौगोलिक एवं आर्थिक महत्व
- ध्रुवीय भंवर (पोलर वोर्टेक्स) : उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होने वाले शून्य से भी कम तापमान की परिघटना
- मांट्रियल प्रोटोकॉल एवम इसकी उपलब्धियों
- महासागरों के बढ़ते तापमान का जैवमंडल पर प्रभाव
- पृथ्वी की आंतरिक संरचना: प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्रोतों का विवरण