संज्ञानात्मक विसंवादिता या विसंगति (cognitive dissonance)
प्रश्न: संज्ञानात्मक विसंवादिता या विसंगति (cognitive dissonance) से आप क्या समझते हैं? उदाहरण प्रस्तुत करते हुए, चर्चा कीजिए कि यह किसी व्यक्ति के व्यवहार एवं अभिवृत्ति को किस प्रकार प्रभावित करती है।
दृष्टिकोण
- संज्ञानात्मक विसंवादिता या विसंगति (cognitive dissonance) को परिभाषित कीजिए।
- आप व्यवहार एवं अभिवृत्ति से क्या समझते हैं? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
- चर्चा कीजिए कि किस प्रकार संज्ञानात्मक विसंवादिता या विसंगति किसी व्यक्ति के व्यवहार एवं अभिवृत्ति को प्रभावित करती है।
- अपने तर्कों के समर्थन में आवश्यकतानुसार उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर
संज्ञानात्मक विसंवादिता या विसंगति (cognitive dissonance) एक ऐसी परिघटना है जिसमें व्यक्ति विरोधाभासी विचारों या मान्यताओं के कारण मनोवैज्ञानिक व्यथा का अनुभव करता है। यह भावनाओं, मतों एवं व्यवहार (अभिवृत्ति के तीन घटकों) में असंगति की भावना है। उदाहरणार्थ- जब लोग धूम्रपान करते हैं (व्यवहार) और इस बात से भी अवगत हैं कि धूम्रपान कैंसर का कारण बनता है (संज्ञान), तो यह उनकी संज्ञानात्मक विसंगति की स्थिति में होने का द्योतक है।
अभिवृत्ति का आशय किसी व्यक्ति की अपनी धारणा, भावनाओं या नियत व्यवहार के आधार पर, किसी वस्तु या किसी व्यक्ति के प्रति अनुकूल या प्रतिकूल रूप से मूल्यांकित प्रतिक्रिया से है। व्यवहार इन भावनाओं की वास्तविक अभिव्यक्ति है। अभिवृत्ति आंतरिक अभिव्यक्ति एवं व्यवहार बाह्य अभिव्यक्ति होता है।
संज्ञानात्मक सततता (Cognitive consistency) के सिद्धांत में यह कहा गया है कि मनुष्यों में उनके भीतर व्यवहार एवं अभिवृत्ति को सामंजस्य में बनाए रखने एवं असंगति से बचाने की आंतरिक प्रेरणा कार्य करती है। इसलिए, जब भी अभिवृत्ति या व्यवहार के मध्य असंगति (विसंगति) होती है, तो ऐसे में विसंगति को समाप्त करने हेतु कुछ परिवर्तन किये जाने चाहिए।
निम्नलिखित तीन तरीकों से विसंगति में कमी लाकर व्यवहार एवं अभिवृत्ति में परिवर्तन लाया जा सकता है:
- जब व्यवहार विसंगति के तत्वों में से एक होता है, तो व्यक्ति व्यवहार में परिवर्तन कर सकता है या उसे समाप्त कर सकता है। उदाहरणार्थ: धूम्रपान छोड़ना।
- नई जानकारी को ग्रहण करना, जोकि विसंगति से सम्बंधित मान्यताओं को निरस्त कर सके। उदाहरणार्थ: नई जानकारी जैसे कि “अनुसंधान ने निश्चित रूप से इस बात को सिद्ध नहीं किया है कि धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का कारण बनता है” विसंगति में कमी कर सकती है।
- संज्ञानों (जैसे कि मान्यताओं, अभिवृत्ति) के महत्व को कम करना। उदाहरण के लिए, यदि एक व्यक्ति स्वयं को इस बात से सहमत कराने में सक्षम होता है कि “कल के लिए बचत करने” की बजाए “आज के लिए जीना” अच्छा है तो इससे विसंगत संज्ञान (अर्थात् धूम्रपान किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य हेतु खराब है) का महत्व कम हो जाता है।
यद्यपि संज्ञानात्मक विसंगति को वस्तुपरक ढंग से मापना कठिन है, यह अभिवृत्ति एवं व्यवहार को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका का निर्वहन करती है, जो विभिन्न व्यक्तियों की धारणाओं, निर्णयों तथा मूल्यांकन को प्रभावित करते हैं।
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