लॉजिस्टिक्स (संभार-तंत्र) : लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को हानि पहुँचाने वाली समस्यायें

प्रश्न: लॉजिस्टिक्स (संभार-तंत्र) उद्योग को अवसंरचना का दर्जा देना एक अच्छी आरम्भिक पहल है, लेकिन इस क्षेत्रक से जुड़ी अन्य कई समस्याएं है जिनसे निपटने की आवश्यकता है। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • लॉजिस्टिक्स (संभार-तंत्र) को परिभाषित कीजिए और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को अवसंरचना का दर्जा देने के लाभों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  • लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को हानि पहुँचाने वाली उन समस्याओं पर चर्चा कीजिए जिनका समाधान करने की आवश्यकता है।
  • उपर्युक्त समस्याओं का समाधान सुझाते हुए निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

लॉजिस्टिक्स ग्राहकों या निगमों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उत्पादन बिंदु और उपभोग बिंदु के मध्य वस्तुओं के प्रवाह का प्रबंधन है। इसमें सूचना प्रवाह, पदार्थों का रखरखाव, उत्पादन, पैकेजिंग, स्टॉक, परिवहन, गोदाम और सुरक्षा का एकीकरण सम्मिलित है।

सरकार ने हाल ही में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को अवसंरचना का दर्जा प्रदान किया है, जो इसे निम्नलिखित रूप से सहायता प्रदान करेगा: .

  • दीर्घावधि और उचित ब्याज दरों के साथ इस क्षेत्र के लिए क्रेडिट प्रवाह को सुविधाजनक बनाना।
  • मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स (पार्क) सुविधाओं के निर्माण के लिए अनुमोदन की प्रक्रिया का सरलीकरण।
  • नियामक प्राधिकरण के माध्यम से बाजार उत्तरदायित्व को प्रोत्साहित करना और मान्यता प्राप्त परियोजनाओं में ऋण, पेंशन निधि और अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं (ECBs) से निवेश आकर्षित करना।

यह अंतत: लॉजिस्टिक्स की लागत को कम कर विनिर्माण और व्यापार को प्रोत्साहन प्रदान करेगा जिससे पुनः इसकी लागत कम होगी और एक सुचक्र का निर्माण होगा। हालाँकि केवल ये दर्जा प्रदान करने से लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में व्याप्त अन्य समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता है। इन समस्याओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • उचित नियामकीय निरीक्षण की कमी: इसके परिणामस्वरूप लॉजिस्टिक्स क्षेत्र अत्यधिक विखंडित और असंगठित उद्योग के रूप में परिलक्षित होता है।
  • कौशल का अभाव : लॉजिस्टिक्स उद्योग बड़ी संख्या में ब्लू कॉलर श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है, लेकिन उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए कौशल-विकास अवसंरचना का अभाव है।
  • परिवहन क्षेत्र की चुनौतियां जैसे उपकरणों का निम्न रख-रखाव, ट्रकों की ओवरलोडिंग, सड़कों की निम्न गुणवत्ता, रेल माल ढुलाई का उच्च शुल्क, अत्यधिक चेक-पॉइंट्स, परिवहन कार्टेल इत्यादि।
  • निम्न संग्रहण एवं भंडारण अवसंरचना: अधिकांश भंडार-गृह (गोदाम) लघु आकार के हैं और वे सीमित निवेश क्षमता वाले लघु उद्यमियों के स्वामित्व में हैं।
  • बंदरगाह क्षेत्रक के मुद्दे : हाई टर्नअराउंड टाइम (कार्यों को सम्पादित करने में लगने वाले समय की अधिकता), बंदरगाहों की अपर्याप्त गहराई, अपर्याप्त बंदरगाह और भूमिगत अवसंरचना वृहद् पैमाने पर माल ढुलाई गतिविधियों में बाधा उत्पन्न करती है।
  • ग्रामीण बाजारः ग्रामीण क्षेत्रों (जो भारतीय बाजार का एक बड़ा हिस्सा हैं) की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लॉजिस्टिक्स उद्योग अत्यल्प विकसित है।
  • अंतर-मंत्रालयीय समन्वय का अभाव : यह भारत में सुगम मल्टीमोडल परिवहन को प्रभावित करता है।
  • उच्च लॉजिस्टिक्स लागत: भारत में लॉजिस्टिक्स लागत सर्वाधिक है। विकसित देशों की लगभग 8% की तुलना में यहाँ यह सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 14 प्रतिशत है।

सुझाए गए उपाय :

  • कौशल: लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में सम्मिलित श्रमिकों को कौशल उन्नयन पाठ्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
  • प्रौद्योगिकी स्वीकरण: रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RDIF), व्हीकल ट्रैकिंग टेक्नोलॉजीज, गोदाम प्रबंधन प्रणाली, GIS मानचित्रण आदि के उपयोग को प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • बुनियादी ढांचे के नियोजन में सरकारी एजेंसियों के मध्य समन्वय: मल्टीमोडल परिवहन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण।
  • शहरी नियोजन में सुधार हेतु शहरी क्षेत्रों में लॉजिस्टिक्स वृद्धि को शामिल किया जाना चाहिए।
  • सरकार लॉजिस्टिक ढांचे में सुधार करने के लिए पहले से ही भारतमाला (सड़क नेटवर्क) और सागरमाला (जलमार्ग नेटवर्क), DFCs (डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) और संपूर्ण भारत में GST को लागू कर रही है।

इसी प्रकार ई-वे बिल वस्तुओं के अंतर राज्यीय प्रवाह के लिए राज्य सीमाओं को प्रभावी ढंग से समाप्त कर देगा। इसके अतिरिक्त, भारत ने WTO के व्यापार सुविधा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो वस्तुओं की सुगम आवाजाही को बढ़ावा देगा। इन सुधारों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय कम्पनियां अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगी जिससे निर्यात उच्च होगा और विदेशी आय (FOREX earning) वृद्धि में सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त, बेहतर लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर रोजगारों के सृजन और सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि करने में सहायता प्रदान करेगा।

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