1. भारत की आत्मनिर्भर समाज व्यवस्था का वर्णन करते हुए किसने कहा कि ‘भारत की ग्राम व्यवस्था छोटे-छोटे गणतंत्र हैं’?
(a) चार्ल्स मैटकाफ
(b) बर्क
(c) मिल
(d) कनिंघम
[M.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) चार्ल्स मैटकाफ
- भारत की आत्मनिर्भर समाज व्यवस्था का वर्णन करते हुए चार्ल्स मैटकाफ ने 1830 ई. में कहा था कि “भारत की ग्राम व्यवस्था छोटे-छोटे गणतंत्र हैं, जिनमें उनकी आवश्यकता का लगभग सब कुछ उपलब्ध है और वे काफी हद तक किसी भी वैदेशिक संबंधों से स्वतंत्र हैं।”
|
2. भारतीय संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेदों में से कौन-सा अनुच्छेद राज्य की सरकारों को ग्राम पंचायतों को संगठित करने का निर्देश देता है?
(a) अनुच्छेद 32
(b) अनुच्छेद 40
(c) अनुच्छेद 48
(d) अनुच्छेद 51
[39th B.P.S.C. (Pre) 1994]
उत्तर- (b) अनुच्छेद 40
- संविधान का अनुच्छेद 40 राज्य को ग्राम पंचायतों को संगठित करने का निर्देश देता है।
- यह राज्य के नीति निदेशक तत्वों में शामिल है।
- अनुच्छेद 40 में उपबंधित है कि राज्य ग्राम पंचायतों का संगठन करने के लिए कदम उठाएगा और उनको ऐसी शक्तियां और प्राधिकार प्रदान करेगा, जो उन्हें स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने योग्य बनाने के लिए आवश्यक हो।
|
3. पंचायती राज को ………………… के अंतर्गत स्वशासन की इकाई के रूप में संगठित किया गया –
(a) भारतीय संविधान के मूल अधिकारों से
(b) भारतीय संविधान की प्रस्तावना से
(c) राज्य के नीति निदेशक तत्वों से
(d) भारतीय संविधान के 73 वें संशोधन से
[43rd B.P.S.C. (Pre) 1999]
उत्तर- (d) भारतीय संविधान के 73 वें संशोधन से
- यद्यपि संविधान के अनु. 40 में राज्य नीति के निदेशक तत्वों के तहत राज्य द्वारा ग्राम पंचायतों के संगठन की बात कही गई है तथापि 73वें संविधान संशोधन, 1992 द्वारा ही पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान कर उन्हें स्वशासन की इकाई के रूप में संगठित किया गया है।
|
4. भारतीय संघात्मक व्यवस्था में तृतीय तल कब जोड़ा गया?
(a) 1990
(b) 1991
(c) 1992
(d) 1993
[U.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (d) 1993
- भारतीय संघात्मक व्यवस्था में तृतीय तल वर्ष 1992 के 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन के माध्यम से वर्ष 1993 में जोड़ा गया।
- 73वां संवैधानिक संशोधन ग्रामीण स्थानीय सरकार से संबंधित है, जिन्हें पंचायती राज संस्थानों के रूप में भी जाना जाता है।
- 74वां संविधान संशोधन शहरी स्थानीय सरकार से संबंधित है, जिन्हें नगरपालिका भी कहा जाता है।
- 73वां संविधान संशोधन 24 अप्रैल, 1993 से तथा 74वां संविधान संशोधन 1 जून, 1993 से प्रभावी हुआ था।
|
5. पंचायतों एवं नगरपालिकाओं के संबंध में भारतीय संविधान में किस वर्ष प्रावधान किया गया?
(a) 1991
(b) 1995
(c) 2000
(d) 1993
[U.P.P.C.S. (Pre) 2010]
उत्तर- (d) 1993
- पंचायतों एवं नगरपालिकाओं के संबंध में भारतीय संविधान में प्रावधान क्रमशः 73वें एवं 74वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा किए गए।
- ये दोनों अधिनियम वर्ष 1993 में लागू हुए।
|
6. 73वें संविधान संशोधन कानून की वैधानिक शुरुआत किस संविधान संशोधन बिल से हुई?
(a) 61वां संविधान संशोधन बिल
(b) 62वां संविधान संशोधन बिल
(c) 63वां संविधान संशोधन बिल
(d) 64वां संविधान संशोधन बिल
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
[66th B.P.S.C. (Pre) 2020]
उत्तर- (d) 64वां संविधान संशोधन बिल
- पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाले 73वें संविधान संशोधन अधिनियम की वैधानिक शुरुआत मूलतः 64वें संविधान संशोधन विधेयक (बिल) द्वारा हुई थी। इस बिल को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मई, 1989 में लोक सभा में प्रस्तुत किया था।
- हालांकि यह विधेयक राज्य सभा में पारित न होने के कारण व्यपगत हो गया था।
- तत्पश्चात 72वां संविधान संशोधन विधेयक, 1991 संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित होकर 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के रूप में अधिनियमित हुआ था।
|
7. किस संवैधानिक संशोधन के द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक स्तर प्राप्त हुआ?
(a) 73 वां संशोधन
(b) 71 वां संशोधन
(c) 74 वां संशोधन
(d) इनमें से कोई नहीं
[M.P.P.C.S. (Pre) 1998 44th B.P.S.C. (Pre) 2000]
उत्तर- (a) 73 वां संशोधन
- 73 वें संवैधानिक संशोधन, 1992 (24 अप्रैल, 1993 से प्रभावी) द्वारा संविधान में भाग IX एवं 11 वीं अनुसूची जोड़कर पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक स्तर प्रदान किया गया।
- 73 वें संविधान संशोधन 1992. के समय प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हाराव थे।
|
8. भारत के संविधान में पंचायतों तथा नगरपालिकाओं से संबंद्ध 73 वें और 74वें संवैधानिक संशोधन जब हुए उस समय भारत के प्रधानमंत्री कौन थे?
(a) इंदिरा गांधी
(b) राजीव गांधी
(c) पी.वी. नरसिम्हाराव
(d) वी.पी. सिंह
[M.P.P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर- (c) पी.वी. नरसिम्हाराव
- 73वें और 74वें संविधान संशोधन, 1992 के समय भारत के प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हाराव थे, जिनका कार्यकाल 1991-96 के मध्य था।
- 73वां और 74वां संविधान संशोधन क्रमशः राज्य की पंचायतों एवं नगरपालिकाओं से संबंधित था।
- इस प्रकार अभीष्ट उत्तर विकल्प (c) होगा।
|
9. पंचायती राज संस्थाओं को 29 कार्यों की सूची किस अनुच्छेद के तहत दी गई है?
(a) अनुच्छेद 243 -H
(b) अनुच्छेद 243-E
(c) अनुच्छेद 243 -F
(d) अनुच्छेद 243-G
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
[66th B.P.S.C. (Pre) 2020]
उत्तर- (d) अनुच्छेद 243-G
- पंचायती राज संस्थाओं को 29 कार्यों की सूची अनुच्छेद 243G के अंतर्गत दी गई है।
- अनुच्छेद 243G (243 छ) के अनुसार पंचायतों को आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं तैयार करने तथा आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की ऐसी योजनाओं को, जो उन्हें सौंपी जाएं, जिनके अंतर्गत वे योजनाएं भी हैं, जो 11वीं अनुसूची में सूचीबद्ध विषयों के संबंध में हैं, कार्यान्वित करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है।
- 11वीं अनुसूची को 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संविधान में जोड़ा गया है।
- इसमें पंचायत से संबंधित 29 कार्यों की सूची वर्णित है।
|
10. संविधान के 73वें संशोधन ने प्रावधान किया है-
- पंचायतों के नियमित चुनाव कराने के लिए;
- महिलाओं के लिए सभी स्तरों पर सीटों के आरक्षण के लिए;
- राज्य वित्त आयोग की संस्तुति के अनुसार पंचायतों को फंड्स का अनिवार्य रूप से हस्तांतरण; एवं
- 11वीं अनुसूची में दिए विषयों के संबंध में पंचायतों को शक्ति का अनिवार्य रूप से हस्तांतरण।
नीचे दिए कूट में से सही उत्तर का चयन कीजिए-
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 2, 3 और 4
(d) सभी चारों
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2002]
उत्तर- (d) सभी चारों
- संविधान के 73 वें संशोधन ने पंचायतों को संवैधानिक स्तर प्रदान किया है।
- इस संशोधन के द्वारा संविधान में शामिल उपबंधों के तहत पंचायतों के नियमित चुनाव होंगे।
- सभी स्तरों पर महिलाओं के लिए एक-तिहाई स्थान आरक्षित होंगे।
- उनकी वित्तीय स्थिति सुदृढ़ करने हेतु राज्य वित्त आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है।
- यह राज्यपाल द्वारा गठित किया जाएगा।
- पंचायतों को 11वीं अनुसूची में दिए गए विषयों पर कार्य की पूर्ण शक्ति होगी।
- इस अनुसूची में कुल 29 विषयों का वर्णन है।
|
11. निम्नलिखित में से कौन पंचायतों की संरचना के बाबत उपबंध करने को अधिकृत है?
(a) राज्य का राज्यपाल
(b) राज्य का विधानमंडल
(c) भारत की संसद
(d) भारत का राष्ट्रपति
[U.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (b) राज्य का विधानमंडल
- संविधान के अनुच्छेद 243 ग (1) के अनुसार, राज्य का विधानमंडल पंचायतों की संरचना के बाबत उपबंध करने को अधिकृत है।
|
12. पंचायत की संरचना में निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही नहीं है?
(a) किसी राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा पंचायत की संरचना के लिए उपबंध कर सकेगा।
(b) ग्राम सभा गांव स्तर पर अपनी शक्तियों का प्रयोग करेगी।
(c) प्रत्येक राज्य ग्राम, मध्य और जिला स्तर पर पंचायत का गठन करेगा।
(d) ऐसे राज्य जिनकी जनसंख्या बीस लाख से अधिक नहीं है वे मध्य स्तर पर पंचायत का गठन नहीं कर सकेंगे।
[U.P. Lower Sub. (Mains) 2013]
उत्तर- (c) प्रत्येक राज्य ग्राम, मध्य और जिला स्तर पर पंचायत का गठन करेगा।
- संविधान में 73वें संशोधन, 1992 के द्वारा शामिल भाग-9 के उपबंधों के तहत किसी राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा पंचायत की संरचना के लिए उपबंध कर सकेगा (अनु. 243 ग) तथा ग्राम सभा, ग्राम स्तर पर ऐसी शक्तियों का प्रयोग और ऐसे कृत्यों का पालन कर सकेगी, जो किसी राज्य के विधानमंडल द्वारा, विधि द्वारा, उपबंधित किए जाएं (अनु. 243 क)। प्रत्येक राज्य ग्राम, मध्यवर्ती और जिला स्तर पर पंचायत का गठन करेगा [अनु. 243ख (1)], लेकिन जहां, ऐसे राज्य जिनकी जनसंख्या बीस लाख से अधिक नहीं है, वे मध्य स्तर पर पंचायत का गठन नहीं कर सकेंगे [अनु. 243ख (2)], अतः वहां विकल्प (c) लागू नहीं होगा।
- अतः विकल्प (c) सही नहीं है।
|
13. पंचायती राज व्यवस्था में शासन प्रणाली की संरचना क्या है?
(a) ग्राम स्तर पर स्थानीय स्वशासन की एक-स्तरीय संरचना
(b) ग्राम और खंड स्तर पर स्थानीय स्वशासन की द्वि-स्तरीय संरचना
(c) ग्राम, खंड और जिला स्तर पर स्थानीय स्वशासन की त्रि-स्तरीय संरचना
(d) ग्राम, खंड, जिला और राज्य स्तर पर स्थानीय स्वशासन की चतुःस्तरीय संरचना
[I.A.S. (Pre) 1996]
उत्तर- (c) ग्राम, खंड और जिला स्तर पर स्थानीय स्वशासन की त्रि-स्तरीय संरचना
- संविधान के अनुच्छेद 243B (243ख) के अनुसार पंचायती राज व्यवस्था में स्थानीय स्वशासन त्रि-स्तरीय है-ग्राम स्तर, मध्यवर्ती (खंड) स्तर एवं जिला स्तर पर, किंतु मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत का उस राज्य में गठन नहीं किया जा सकेगा, जिसकी जनसंख्या 20 लाख से अधिक नहीं है।
|
14. वह न्यूनतम जनसंख्या कितनी है जिसके नीचे (73वें संशोधन) अधिनियम के उपबंध के अनुसार, मध्यवर्ती स्तर पर पंचायतें गठित नहीं की जा सकती?
(a) 25 लाख
(b) 20 लाख
(c) 35 लाख
(d) 30 लाख
[U.P.P.C.S. (Mains) 2017]
उत्तर- (b) 20 लाख
- मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत का उस राज्य में गठन नहीं किया जा सकेगा, जिसकी जनसंख्या 20 लाख से अधिक नहीं है।
|
15. भारत में प्रत्येक पंचायत का कार्यकाल किस दिनांक से पांच वर्ष का होता है?
(a) अपने प्रथम अधिवेशन के लिए निर्धारित तिथि से
(b) चुनाव की अधिघोषणा की तिथि से
(c) चुनाव परिणामों की घोषणा की तिथि से
(d) सदस्यों द्वारा शपथ ग्रहण की तिथि से
[U.P. Lower Sub. (Mains) 2013]
उत्तर- (a) अपने प्रथम अधिवेशन के लिए निर्धारित तिथि से
- अनुच्छेद 243E (243 ङ) के अनुसार, भारत में प्रत्येक पंचायत अपने प्रथम अधिवेशन की तारीख से पांच वर्षों की अवधि तक कार्य करेगी।
- विधि द्वारा विहित प्रक्रिया के अनुसार, उसे इसके पहले विघटित किया जा सकेगा।
- यदि पंचायत पहले विघटित कर दी गई हो, तो विघटन की तारीख से 6 मास के भीतर निर्वाचन हो जाना चाहिए।
- समय पूर्व (अर्थात 5 वर्ष की पूरी अवधि की समाप्ति के पहले) विघटित पंचायत जब पुनर्गठित की जाती है, तो वह अवशिष्ट अवधि के लिए ही होगी, किंतु यदि बची हुई अवधि 6 मास से कम है तो निर्वाचन कराना आवश्यक नहीं होगा।
|
16. यदि पंचायत भंग होती है, तो किस अवधि के अंदर निर्वाचन होंगे?
(a) 1 माह
(b) 3 माह
(c) 6 माह
(d) 1 वर्ष
[I.A.S. (Pre) 2009, U.P. Lower Sub. (Mains) 2015]
उत्तर- (c) 6 माह
- 73वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा संविधान में भाग 9 जोड़ा गया है।
- इसके द्वारा भाग 9 के तहत 16 नए अनुच्छेद और एक नई अनुसूची-ग्यारहवीं अनुसूची शामिल की गई है।
- इस भाग में पंचायतों के गठन, उनके निर्वाचन, शक्तियों इत्यादि का वर्णन किया गया है।
- अनुच्छेद 243 E (3) (b) के तहत पंचायत भंग होने पर 6 माह के अंदर निर्वाचन होना आवश्यक है।
|
17. ग्राम पंचायत के विषय में क्या सही नहीं है?
i. ग्राम पंचायत में अधिकतम 20 पंच हो सकते हैं।
ii. ग्राम पंचायत में यदि 15 पंच निर्वाचित हैं, तो 5 पंच मनोनीत किए जाते हैं।
iii. जनपद पंचायत अध्यक्ष पांच पंचों को नामित करता है।
iv. ग्राम पंचायत में 10 पंच भी हो सकते हैं।
v. पंचों के निर्वाचन में समान मत आने पर लाटरी द्वारा निर्णय होता है।
vi. मनोनीत सदस्य बैठक में भाग लेते और मतदान कर सकते हैं।
(a) i, iv, vi
(b) iii, v, vi
(c) ii, iii, vi
(d) iv, v, vi
(e) इनमें से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (c) ii, iii, vi
- ग्राम पंचायत ग्रामीण स्तर पर स्थानीय स्वशासन की सबसे छोटी इकाई होती है।
- छत्तीसगढ़ के पंचायत राज अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत क्षेत्र को कम-से-कम 10 और अधिक से अधिक 20 वार्डों में बांटा जाता है और प्रत्येक वार्ड से एक पंच चुना जाता है।
- प्रत्येक ग्राम पंचायत में निर्वाचित पंच और एक सरपंच होता है, जो कि ग्राम पंचायत का मुखिया होता है।
- अतः स्पष्ट है कि कथन (ii), (iii) तथा (vi) असत्य हैं, क्योंकि तीनों कथनों में मनोनीत सदस्यों की बात की गई है, जबकि सभी सदस्य निर्वाचित होते हैं।
- उत्तर प्रदेश में पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, यहां ग्राम पंचायत में प्रधान के अतिरिक्त 9 (पंचायत क्षेत्र की जनसंख्या 1000 तक होने पर), 11 (जनसंख्या 1001 से 2000 तक होने पर), 13 (जनसंख्या 2001 से 3000 तक होने पर) या 15 (जनसंख्या 3000 से अधिक होने पर) सदस्य होते हैं, जिनका निर्वाचन होता है।
|
18. निम्नलिखित कार्यों में से कौन-सा कार्य स्थानीय स्वशासन से संबंधित नहीं है?
(a) जन-स्वास्थ्य
(b) स्वच्छता का प्रबंध
(c) जन-उपयोगी सेवाएं
(d) लोक-व्यवस्था का अनुरक्षण
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (d) लोक-व्यवस्था का अनुरक्षण
- लोक-व्यवस्था का अनुरक्षण स्थानीय स्वशासन से संबंधित नहीं है।
- लोक-व्यवस्था का अनुरक्षण राज्य सरकार से संबंधित है, जबकि जन-स्वास्थ्य, स्वच्छता का प्रबंधन, सड़कें और पुल, आर्थिक एवं सामाजिक विकास योजना, अग्निशमन आदि स्थानीय स्वशासन से संबंधित हैं।
- अनुच्छेद 243-छ पंचायतों की शक्तियों, प्राधिकारों और उत्तरदायित्वों से तथा अनुच्छेद 243-ब नगरपालिकाओं आदि की शक्तियों, प्राधिकारों और उत्तरदायित्वों से संबंधित है।
|
19. भारत में इनमें से कौन-सा विषय पंचायती राज संस्थाओं की शक्तियों के अंतर्गत नहीं आता है?
(a) भूमि-सुधारों का क्रियान्वयन
(b) न्यायिक पुनर्वीक्षण (Judicial Review)
(c) निर्धनता निवारण कार्यक्रमों का क्रियान्वयन
(d) इनमें से कोई नहीं
[40th B.P.S.C. (Pre) 2000]
उत्तर- (b) न्यायिक पुनर्वीक्षण (Judicial Review)
- न्यायिक पुनर्वीक्षण पंचायती राज संस्थाओं की शक्तियों के अंतर्गत नहीं आता है।
- यह न्यायपालिका की शक्ति है।
|
20. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- भारत के संविधान के भाग IX में पंचायतों से संबंधित उपबंध हैं और उसे संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम, 1992 द्वारा अंतःस्थापित किया गया है।
- भारत के संविधान के भाग IX-A में नगरपालिकाओं से संबद्ध उपबंध हैं तथा अनुच्छेद 243-Q के अनुसार, प्रत्येक राज्य के लिए दो प्रकार की नगरपालिकाएं हो सकती हैं- नगरपालिका परिषद और नगर निगम।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) दोनों 1 और 2
(d) न ही 1 और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2005]
उत्तर- (a) केवल 1
- कथन-1 सत्य है, जबकि भारतीय संविधान के भाग IX-A में नगरपालिकाओं से संबद्ध उपबंध हैं, कथन-2 का यह भाग तो सत्य है, पर अनुच्छेद 243-Q (243-थ) के अनुसार, प्रत्येक राज्य में तीन प्रकार (नगर पंचायत, नगरपालिका परिषद तथा नगर निगम) की नगरपालिकाएं होती हैं।
- अतः कथन-2 गलत है।
- इस प्रकार सही उत्तर विकल्प (a) होगा।
|
21. भारतीय संविधान के 73वें संशोधन के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है/हैं?
1. इसमें पंचायतों को स्वशासन की संस्था स्वीकार किया गया।
2. इसमें शहरी स्थानीय सरकार को स्वशासन की संस्था स्वीकार किया गया।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-
(a) 1 तथा 2 दोनों
(b) केवल 2
(c) केवल 1
(d) न तो । और न ही 2
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2017]
उत्तर- (c) केवल 1
- 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संविधान के भाग 9 के तहत पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।
- इसमें पंचायतों को स्वशासन की संस्था स्वीकार किया गया है।
- वहीं 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के द्वारा शहरी स्थानीय सरकार को स्वशासन की संस्था स्वीकार किया गया है।
- इस संशोधन द्वारा संविधान में भाग 9 क के तहत शहरी निकायों को संवैधानिक दर्जा – प्रदान किया गया।
- अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
|
22. पंचायत के चुनाव कराने हेतु निर्णय किसके द्वारा लिया जाता है?
(a) केंद्र सरकार
(b) राज्य सरकार
(c) जिला न्यायाधीश
(d) चुनाव आयोग
[47th B.P.S.C. (Pre) 2005]
उत्तर- (b) राज्य सरकार
- पंचायतों (स्थानीय स्वशासन) को संविधान की 7वीं अनुसूची में राज्य सूची की प्रविष्टि 5 का विषय माना गया है।
- इस प्रकार पंचायत राज्य सरकार का विषय है।
- संविधान के अनुच्छेद 243-ग के अनुसार, किसी राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा, पंचायतों की संरचना हेतु उपबंध कर सकेगा।
- साथ ही अनुच्छेद 243-ट (4) के अनुसार, किसी राज्य का विधानमंडल, विधि द्वारा, पंचायतों के निर्वाचनों से संबंधित सभी विषयों के संबंध में उपबंध कर सकेगा।
- तदनुसार, राज्यों द्वारा अपने पंचायती राज अधिनियम बनाए गए हैं, जिनके तहत पंचायतों के चुनाव कराने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग के परामर्श से लिया जाता है।
|
23. पंचायती राज प्रणाली किस सूची में है?
(a) संघ सूची
(b) राज्य सूची
(c) समवर्ती सूची
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
(e) उपर्युक्त में से एक से अधिक
[63rd B.P.S.C. (Pre) 2017]
उत्तर- (b) राज्य सूची
- पंचायतों (स्थानीय स्वशासन) को संविधान की 7वीं अनुसूची में राज्य सूची की प्रविष्टि 5 का विषय माना गया है।
|
24. पंचायत चुनाव होते हैं-
(a) प्रत्येक चार वर्षों में
(b) प्रत्येक पांच वर्षों में
(c) प्रत्येक छः वर्षों में
(d) सरकार की इच्छानुसार
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2001]
उत्तर- (b) प्रत्येक पांच वर्षों में
- संविधान के अनु. 243-ङ के अनुसार, पंचायतों की अवधि उनके प्रथम अधिवेशन से पांच वर्ष तक होती है तथा इस अवधि से पूर्व नए चुनाव आवश्यक हैं।
- यदि राज्य विधानमंडल द्वारा पंचायत का समय पूर्व विघटन कर दिया जाता है, तो विघटन की तारीख के छः माह से पूर्व नए चुनाव कराए जाने आवश्यक हैं।
|
25. निम्नांकित में से कौन एक पंचायतों से संबंधित नहीं है?
(a) राज्य निर्वाचन आयोग पंचायतों का चुनाव संपादित करेगा।
(b) संविधान (74वां) संशोधन अधिनियम।
(c) सभी पंचायतों का कार्यकाल पांच वर्ष निर्धारित होगा।
(d) एक पंचायत के भंग होने के छः माह के अंदर नया चुनाव कराया जाएगा।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2010]
उत्तर- (b) संविधान (74वां) संशोधन अधिनियम।
- संविधान का 74वां संशोधन अधिनियम पंचायतों से नहीं वरन नगरपालिकाओं से संबंधित है।
- अन्य तीनों कथन पंचायतों से संबंधित प्रावधान है, जो 73वें संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान में जोड़े गए हैं।
|
26. 73वें संविधान संशोधन का अभिपालन करने वाला पहला राज्य है-
(a) मध्य प्रदेश
(b) पंजाब
(c) आंध्र प्रदेश
(d) राजस्थान
[M.P.P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (a) मध्य प्रदेश
- 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992, 24 अप्रैल, 1993 को लागू हुआ।
- इसका अभिपालन करने वाला पहला राज्य मध्य प्रदेश था।
- इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के बाद वहां के विधानमंडल द्वारा मध्य प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1993 अधिनियमित किया गया, जिसके तहत वर्ष 1994 में मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव आयोजित किए गए।
|
27. भारत में राष्ट्रीय पंचायत दिवस मनाया जाता है-
(a) 26 जनवरी को
(b) 2 अक्टूबर को
(c) 21 अप्रैल को
(d) 24 अप्रैल को
[Jharkhand P.C.S. (Mains) 2016, U.P. P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(d) 24 अप्रैल को
- 73वां संविधान संशोधन अधिनियम (1992) 24 अप्रैल, 1993 से लागू हुआ।
- इसीलिए 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायत दिवस के रूप में मनाया जाता है।
|
28. 1992 में अधिनियमित नए पंचायती राज बिल में पहले से हटकर अनेक नए प्रावधान हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा एक ऐसा प्रावधान नहीं है?
(a) अन्य क्षेत्र के साथ-साथ कृषि, ग्रामीण विकास, प्राथमिक शिक्षा और सामाजिक वानिकी के क्षेत्र में अनेक सम्मिलित दायित्व
(b) सभी पदों के लिए, उनके रिक्त होने पर निर्वाचनों का आज्ञापरक किया जाना
(c) पंचायतों में, एक-तिहाई पदों तक, महिलाओं का सांविधिक प्रतिनिधित्व
(d) पंचायतों के सदस्यों के लिए नियमित पारिश्रमिक, ताकि उनकी समय-पाबंदी और जवाबदेही सुनिश्चित हो
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (d) पंचायतों के सदस्यों के लिए नियमित पारिश्रमिक, ताकि उनकी समय-पाबंदी और जवाबदेही सुनिश्चित हो
- पंचायतों के सदस्यों के लिए नियमित पारिश्रमिक का प्रावधान 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 में नहीं है।
- अन्य प्रश्नगत प्रावधान इसके द्वारा संविधान में शामिल किए गए हैं।
|
29. कथन (A): पंचायतों के प्रधान, प्रमुख तथा अध्यक्ष के पदों में महिलाओं के लिए जिनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़ी जाति की महिलाएं सम्मिलित हैं, आरक्षण से उनके क्रिया-कलाप में एक सुस्पष्ट परिवर्तन आया है।
कारण (R) : ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं इस आरक्षण की मांग लंबे समय से कर रही थीं।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर अपना उत्तर चुनिए-
कूट :
(a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं परंतु (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
(b) (A) तथा (R) दोनों सही है परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2002, U.P. P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर- (c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
- 73वें संविधान संशोधन, 1992 के द्वारा पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।
- इसमें अनुच्छेद 243-घ के तहत पंचायतों में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है, जिनमें से कम-से-कम 1/3 स्थान संबंधित जातियों/जनजातियों की महिलाओं के लिए आरक्षित होते हैं।
- साथ ही प्रत्येक पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन से भरे जाने वाले कुल स्थानों में से 1/3 स्थान (जिनके अंतर्गत अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन जातियों की महिलाओं के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या शामिल है) महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं।
- इस आरक्षण से स्थानीय स्वशासन के स्तर पर महिलाओं में काफी जागरूकता आई है।
- इस प्रकार प्रश्नगत कथन सही है जबकि कारण सही नहीं है, क्योंकि भारत में ग्रामीण स्वशासन संस्थाओं में महिला आरक्षण की मांग, महिलाओं द्वारा किसी आंदोलन से नहीं हुई।
|
30. पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित स्थानों (सीटों) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है/हैं?
- इसका प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 243 D (3) में किया गया है।
- यह आरक्षण अनुच्छेद 334 में विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति पर प्रभावी नहीं रहेगा।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-
कूट :
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो । और न ही 2
[U.P. R.O./A.R.O. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) केवल 1
- भारतीय संविधान के भाग 9 के तहत अनुच्छेद 243D (3) अर्थात 243 घ (3) के अंतर्गत पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए स्थान आरक्षित किए गए हैं।
- इसके तहत प्रत्येक पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाने वाले स्थानों की कुल संख्या के कम-से-कम एक तिहाई स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे।
- इस प्रावधान पर अनुच्छेद 334 में विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति का कोई प्रभाव नहीं होगा।
- अनुच्छेद 334 के अंतर्गत लोक सभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण तथा आंग्ल-भारतीय समुदाय के मनोनयन से संबंधित अवधि का प्रावधान है।
- इस अवधि को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है।
- नोट 104वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के अधीन अब आंग्ल-भारतीय सदस्यों के नामांकन का प्रावधान निष्प्रभावी हो गया है।
|
31. संविधान के 73 वें संशोधन में पंचायती राज के क्षेत्र में निम्नलिखित में से कौन-सा एक प्रस्तावित नहीं किया गया था?
(a) सभी निर्वाचित ग्रामीण स्थानीय निकायों में सभी स्तरों पर, एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित रखी जाएंगी।
(b) पंचायती राज संस्थाओं के लिए संसाधनों के नियतन के लिए राज्य अपने-अपने वित्त आयोगों का गठन करेंगे।
(c) पंचायती राज निर्वाचित कार्यकर्ता अपने पद पर कार्य करने के लिए अयोग्य ठहराए जाएंगे, यदि उनकी दो से अधिक संतानें हैं।
(d) यदि पंचायती राज निकायों का राज्य सरकार द्वारा अधिक्रमण या विघटन कर दिया जाता है, तो छः महीने की अवधि में चुनाव कराए जाएंगे।
[I.A.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (c) पंचायती राज निर्वाचित कार्यकर्ता अपने पद पर कार्य करने के लिए अयोग्य ठहराए जाएंगे, यदि उनकी दो से अधिक संतानें हैं।
32. महिलाओं को पंचायतों में आरक्षण भारतीय संविधान (Indian Constitution) में संशोधन करके दिया गया है, वह है-
(a) 1992 का 70वां संशोधन
(b) 1992 का 73वां संशोधन
(c) 1992 का 74वां संशोधन
(d) 1994 का 77वां संशोधन
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (b) 1992 का 73वां संशोधन
- महिलाओं को पंचायतों में आरक्षण भारतीय संविधान में 73वां संशोधन करके दिया गया है।
- अनु. 243 घ के खंड (3) के तहत पंचायतों में सभी स्तरों पर महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण प्रदान किया गया है।
|
33. निम्नलिखित अनुच्छेदों में से कौन-सा अनुच्छेद पंचायतों में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण प्रदान करता है?
(a) 243D
(b) 243C
(c) 243B
(d) 243A
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (a) 243D
- अनुच्छेद 243D के खंड (1) में उपबंधित है कि प्रत्येक पंचायत में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थान उस पंचायत क्षेत्र में उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षित रहेंगे।
- साथ ही इस अनुच्छेद के खंड (2) के अनुसार इस प्रकार आरक्षित स्थानों में से कम-से-कम एक तिहाई स्थान, यथास्थिति, अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों की महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे।
|
34. उत्तर प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या कितनी है?
(a) कुल स्थानों का एक-तिहाई
(b) महिलाओं की आबादी के अनुपात में
(c) कुल स्थानों का एक-चौथाई
(d) परिस्थितियों की आवश्यकतानुसार
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (a) कुल स्थानों का एक-तिहाई
- 73वें संविधान संशोधन के अनुक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश पंचायत विधि (संशोधन) विधेयक, 1994 पारित किया गया जो 22 अप्रैल, 1994 से प्रदेश में प्रवृत्त हुआ।
- इसके तहत प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं में प्रत्येक स्तर पर महिलाओं के लिए कुल स्थानों के एक-तिहाई स्थान आरक्षित किए गए हैं।
|
35. पंचायत चुनावों में अनुसूचित जातियों के लिए पदों का आरक्षण किस राज्य में लागू नहीं होगा?
(a) उत्तर प्रदेश
(b) असम
(c) अरुणाचल प्रदेश
(d) हरियाणा
[U.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (c) अरुणाचल प्रदेश
- संविधान के अनुच्छेद 243 घ (1) के अनुसार, प्रत्येक पंचायत में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थान आरक्षित रहेंगे और इस प्रकार आरक्षित स्थानों की संख्या का अनुपात, उस पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाने वाले स्थानों की कुल संख्या से यथाशक्य वही होगा, जो उस पंचायत क्षेत्र में अनुसूचित जातियों की अथवा उस पंचायत क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों की संख्या का अनुपात उस क्षेत्र की कुल जनसंख्या से है और ऐसे स्थान किसी पंचायत में भिन्न-भिन्न निर्वाचन क्षेत्रों को चक्रानुक्रम से आवंटित किए जा सकेंगे।
- जनगणना 2011 के अनुसार, दिए गए विकल्पों में से अरुणाचल प्रदेश में कोई भी अनुसूचित जाति नहीं है।
- अतः पंचायत चुनावों में अनुसूचित जातियों के लिए पदों का आरक्षण अरुणाचल प्रदेश में लागू नहीं होगा।
|
36. राज्यों के निम्नांकित में से किस समूह पर पेसा [पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम], 1996 प्रवर्तनीय नहीं है?
(a) राजस्थान-तेलंगाना महाराष्ट्र
(b) आंध्र प्रदेश-झारखंड-ओडिशा
(c) असम-मेघालय-तमिलनाडु
(d) हिमाचल प्रदेश-गुजरात-छत्तीसगढ़
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (c) असम-मेघालय-तमिलनाडु
- पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 के प्रावधान वर्तमान में 10 राज्यों-आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड और राजस्थान के विभिन्न जिलों में लागू है।
- असम, मेघालय व तमिलनाडु में यह प्रवर्तन में नहीं है।
|
37. पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 के अंतर्गत समाविष्ट क्षेत्रों में ग्राम सभा की क्या भूमिका/शक्ति है?
- ग्राम सभा के पास अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि का हस्तांतरण रोकने की शक्ति होती है।
- ग्राम सभा के पास लघु वनोपज का स्वामित्व होता है।
- अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी खनिज के लिए खनन का पट्टा अथवा पूर्वेक्षण लाइसेंस प्रदान करने हेतु ग्राम सभा की अनुशंसा आवश्यक है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (b) केवल 1 और 2
- पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 के अंतर्गत समाविष्ट क्षेत्रों में ग्राम सभा के पास लघु वन उपजों के स्वामित्व के साथ-साथ अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि के हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाने की शक्ति होती है।
- अनुसूचित क्षेत्रों में लघु खनिजों (Minor Minerals) के लिए खनन का पट्टा अथवा लाइसेंस प्रदान करने के लिए ग्राम सभा की अनुमति आवश्यक होती है, परंतु अन्य खनिजों के खनन के संदर्भ में ग्राम सभा की अनुशंसा आवश्यक नहीं है।
|
38. अनुसूचित क्षेत्रों में जिला पंचायत की शक्तियों के विषय में क्या सही है?
(a) लघु जलाशयों की योजना बनाना
(b) समस्त सामाजिक सेक्टरों पर नियंत्रण रखना
(c) जनजातीय उपयोजनाओं पर नियंत्रण रखना
(d) राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त कार्य
(e) उपर्युक्त सभी
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (e) उपर्युक्त सभी
- छत्तीसगढ़ के पंचायत राज अधिनियम, 1993 के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्रों में जिला पंचायत की निम्न शक्तियां दी गई हैं:
(i) लघु जलाशयों की योजना बनाना,
(ii) समस्त सामाजिक सेक्टरों पर नियंत्रण रखना,
(iii) जनजातीय उपयोजनाओं पर नियंत्रण रखना,
(iv) राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त कार्य करना।
|
39. ‘ग्राम-सभा’ का अभिप्राय है –
(a) एक पंचायत क्षेत्र के लोग
(b) जिला अधिकारी से अभिसूचित विशिष्ट लोग
(c) ग्राम स्तर के पंचायत क्षेत्र के निर्वाचक नामावली में पंजीकृत लोग
(d) पंचायतों के सदस्य
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2015]
उत्तर- (c) ग्राम स्तर के पंचायत क्षेत्र के निर्वाचक नामावली में पंजीकृत लोग
- 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 पंचायती राज के तहत ‘ग्राम-सभा’ का प्रावधान करता है।
- अनुच्छेद 243 (ख) के अनुसार, ‘ग्राम सभा’ में ग्राम स्तर पर पंचायत क्षेत्र के भीतर समाविष्ट किसी ग्राम से संबंधित निर्वाचक सूची में पंजीकृत व्यक्ति होते हैं।
- अतः यह पंचायत क्षेत्र में पंजीकृत मतदाताओं की एक ग्राम स्तरीय सभा है।
|
40. ग्राम सभा के विषय में क्या सही नहीं है?
i. ग्राम सभा की बैठक में 1/10 गणपूर्ति आवश्यक है।
ii. ग्राम सभा की बैठक में 1/3 महिलाओं की उपस्थिति आवश्यक है।
iii. गणपूर्ति के लिए सरपंच और पंच उत्तरदायी हैं।
iv. गणपूर्ति न होने पर ग्राम सभा की बैठक स्थगित की जा सकती है।
v. स्थगित सम्मिलन में भी गणपूर्ति आवश्यक है।
vi. स्थगित सम्मिलन में गणपूर्ति न होने पर भी बजट पारित किया जा सकता है।
vii. स्थगित सम्मिलन में गणपूर्ति न होने पर भी लेखा संपरीक्षा प्रतिवेदन पारित किया जा सकता है।
viii. यदि ग्राम सभा की लगातार पांच बैठकों में गणपूर्ति न हो, तो सरपंच को पदच्युत किया जा सकता है।
(a) i, ii, v
(b) iii, vi, vii
(c) iv, vii, viii
(d) v, vi, vii
(e) vi, vii, viii
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (d) v, vi, vii
- छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 (यथासंशोधित) के अनुसार, ग्राम सभा की बैठक में 1/10 गणपूर्ति तथा 1/3 महिलाओं की उपस्थिति आवश्यक है।
- अतः कथन (i) और (ii) सही हैं। छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम के अनुसार, गणपूर्ति के लिए पंच एवं सरपंच उत्तरदायी हैं और यदि ग्राम सभा की लगातार पांच बैठकों में गणपूर्ति न हो, तो पंच/ सरपंच को पदच्युत किया जा सकता है।
- अतः कथन (iii) और (viii) सही है।
- छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम के अनुसार, गणपूर्ति न होने पर ग्राम सभा की बैठक स्थगित की जा सकती है।
- अतः कथन (iv) भी सही है।
- उक्त अधिनियम के अनुसार, स्थगित सम्मिलन (बैठक) में गणपूर्ति आवश्यक नहीं है।
- अतः कथन (v) गलत है।
- इस अधिनियम के अनुसार, बजट पारित करने और लेखा संपरीक्षा प्रतिवेदन पारित करने के लिए ग्राम सभा की बैठक में गणपूर्ति अनिवार्य है।
- अतः कथन (vi) और (vii) गलत हैं।
|
41. राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 की किस धारा को संशोधित कर ‘ग्राम सेवक’ के स्थान पर ‘ग्राम विकास अधिकारी’ अभिव्यक्ति को प्रतिस्थापित किया गया है?
(a) 88
(b) 89
(c) 91
(d) 90
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (b) 89
- राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 89 (Section 89) में वर्ष 2021 में संशोधन कर ‘ग्राम सेवक’ के स्थान पर ‘ग्राम विकास अधिकारी’ अभिव्यक्ति को प्रतिस्थापित किया गया है।
|
42. अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा के सम्मिलन की अध्यक्षता कौन करता है?
(a) सरपंच
(b) उपसरपंच
(c) सरपंच या उपसरपंच
(d) उपस्थित अनुसूचित जनजाति सदस्य जो ग्राम सभा द्वारा चुना जाए
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (d) उपस्थित अनुसूचित जनजाति सदस्य जो ग्राम सभा द्वारा चुना जाए
- अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा के सम्मिलन (बैठक) की अध्यक्षता उपस्थित अनुसूचित जनजाति सदस्य, जो कि ग्राम सभा द्वारा चुना जाए, द्वारा की जाती है।
- पेसा (PESA) नियमों के अनुसार, यह सदस्य एक वर्ष के लिए आम सहमति से अध्यक्ष चुना जाता है।
- उपस्थित सदस्यों में यदि आम सहमति नहीं बन पाती है, तो अनुसूचित जनजाति की सबसे उम्रदराज महिला सदस्य को अध्यक्ष बनाया जाता है।
|
43. 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 निर्दिष्ट करता है-
(a) ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगार एवं अल्परोजगार वाले पुरुषों एवं महिलाओं के लिए अर्जक रोजगार का सृजन
(b) मंद कृषि मौसम की अवधि में सहायतार्थ तथा कार्य हेतु इच्छुक समर्थ वयस्कों के लिए रोजगार का सृजन
(c) देश में मजबूत एवं जीवंत पंचायती राज संस्थाओं की बुनियाद रखना
(d) जीवन के अधिकार, व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं सुरक्षा, विधि के समक्ष समता एवं बिना भेदभाव के सुरक्षा की गारंटी
[I.A.S. (Pre) 2000]
उत्तर- (c) देश में मजबूत एवं जीवंत पंचायती राज संस्थाओं की बुनियाद रखना
- 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 देश में मजबूत एवं जीवंत पंचायती राज संस्थाओं की बुनियाद रखता है।
- इसके द्वारा संविधान के भाग 9 के अनु. 243 से 243-ण तक में पंचायती राज व्यवस्था संबंधी उपबंध किए गए हैं तथा 11वीं अनुसूची के तहत पंचायतों को सौंपे जाने वाले विषयों का उल्लेख है।
|
44. 73वां संविधान संशोधन 24 अप्रैल, 1993 से देश में प्रभावी हुआ है, यह राजस्थान में प्रोत्साहित करेगा-
(a) नई एकीकृत राज व्यवस्था
(b) ग्राम स्वराज्य बुनियाद
(c) स्वशासन व्यवस्था
(d) शासन सत्ता का केंद्रीकरण
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1993]
उत्तर- (c) स्वशासन व्यवस्था
- 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 24 अप्रैल, 1993 से देश में प्रभावी हुआ।
- यह राजस्थान सहित देश के विभिन्न राज्यों में पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना से संबंधित है, जो शासन सत्ता के विकेंद्रीकरण एवं स्वशासन व्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया है।
|
45. निम्नलिखित में से कौन ‘तृण मूल लोकतंत्र’ से संबंधित है?
(a) लोकपाल
(b) पंचायती राज पद्धति
(c) अंतर-राज्य परिषद
(d) क्षेत्रीय राजनीति
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर- (b) पंचायती राज पद्धति
- ‘तृण मूल लोकतंत्र’ (Grass Root Democracy) अर्थात ‘जमीनी स्तर पर लोकतंत्र’ का संबंध लोकतंत्र के विकेंद्रीकरण से है। भारत में स्वतंत्रता के पश्चात 2 अक्टूबर, 1959 को जवाहरलाल नेहरू ने राजस्थान के नागौर जिले में लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की योजना का श्रीगणेश किया और इसी दिन उसे संपूर्ण राजस्थान में लागू कर दिया गया।
- इस लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण को ही ‘पंचायती राज’ कहा जाता है।
- स्पष्ट है कि राजस्थान ही सबसे पहला राज्य है, जिसमें संपूर्ण राज्य में सर्वप्रथम पंचायती राज की स्थापना की गई।
- संविधान में 73वां संवैधानिक संशोधन करके पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई है।
|
46. पंचायती राज एक व्यवस्था है-
- स्थानीय स्तर पर स्वशासन की।
- जैव-संबंधों के साथ त्रि-स्तरीय अभिशासन की।
- लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की।
- पदसोपानिक संरचना की।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट :
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 2, 3 और 4
[U.P. Lower Sub. (Pre) 1998]
उत्तर- (c) 1, 2 और 3
- पंचायती राज स्थानीय स्तर पर स्वशासन की एक व्यवस्था है।
- बलवंत राय मेहता ने इसे लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की व्यवस्था कहा है।
- यह एक प्रकार से त्रि-स्तरीय जैविकीय संबंधों की अभिशासन संरचना है।
|
47. पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य क्या सुनिश्चित करना है?
- विकास में जन-भागीदारी
- राजनीतिक जवाबदेही
- लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण
- वित्तीय संग्रहण (फ़ाइनेंशियल मोबिलाइज़ेशन)
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (c) केवल 1 और 3
- पंचायती राज व्यवस्था का शुभारंभ 2 अक्टूबर, 1959 को नागौर (राजस्थान) में हुआ था।
- 73वें संविधान संशोधन, 1992 के द्वारा पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।
- इसका प्रमुख उद्देश्य स्थानीय जनता की विकास में भागीदारी (जन-भागीदारी) एवं लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण को सुनिश्चित करना है।
|
48. स्थानीय शासन की निम्नलिखित में से कौन-सी एक विशेषता नहीं है?
(a) वैधानिक स्थिति
(b) स्थानीय समुदाय की भागीदारी
(c) केंद्रीय नियंत्रण
(d) कर आरोपित कर वित्त प्राप्त करने की शक्ति
[U.P. P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]
उत्तर- (c) केंद्रीय नियंत्रण
- वैधानिक स्थिति, स्थानीय समुदाय की भागीदारी तथा कतिपय कर आरोपित कर वित्त प्राप्त करने की शक्ति तो स्थानीय शासन की विशेषताएं हैं, परंतु केंद्रीय नियंत्रण स्थापित करने से तो इनका उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है।
- इस प्रकार सही उत्तर विकल्प (c) होगा।
|
49. पंचायती राज का प्रधान लक्ष्य है –
(a) ग्रामवासियों के बीच प्रतिद्वंद्विता को बढ़ाना।
(b) चुनाव में लड़ने के लिए ग्रामवासियों को प्रशिक्षण देना।
(c) ग्रामवासियों में शक्ति का विकेंद्रीकरण।
(d) इनमें से कोई नहीं।
[43th B.P.S.C. (Pre) 1999]
उत्तर- (c) ग्रामवासियों में शक्ति का विकेंद्रीकरण।
- पंचायती राज का प्रधान लक्ष्य ग्रामवासियों में शक्ति एवं सत्ता का विकेंद्रीकरण है, जिससे वे अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप नीतियां बना सकें एवं लागू कर सकें।
|
50. सरकार की पंचायती राज प्रणाली की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
(a) इनमें सरकार की तीन श्रेणियां होती हैं।
(b) इसका लक्ष्य गांवों को सामाजिक एवं आर्थिक न्याय प्रदान करना है।
(c) जिला परिषद में इसके सदस्य के रूप में कुछ सांसद होते हैं।
(d) इनमें से सभी सही हैं।
[38th B.P.S.C. (Pre) 1992]
उत्तर- (d) इनमें से सभी सही हैं।
- पंचायती राज प्रणाली के तहत स्थानीय स्तर पर त्रि-स्तरीय शासन की व्यवस्था की गई है- ग्राम स्तर पर, ब्लॉक स्तर पर एवं जिला स्तर पर।
- पंचायती राज का उद्देश्य स्थानीय ग्रामीण समुदाय को सामाजिक-आर्थिक न्याय प्रदान करना है।
- संविधान के अनु. 243-ग के तहत राज्य विधान मंडलों द्वारा विधि के माध्यम से जिला स्तर की परिषदों में वहां के सांसदों के सदस्य होने का प्रावधान किया गया है।
|
51. पंचायती राज से संबंधित निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है?
(a) पंचायत व्यवस्था भारतीय ग्रामीण जीवन का युगों से एक अभिन्न अंग रहा है।
(b) 73वां संशोधन 15 अगस्त 1993 से प्रभावी हुआ।
(c) यह एक त्रि-स्तरीय जैविकीय रूप में जुड़ी संरचना है।
(d) भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243 जी उसके महत्व को बढ़ाता है।
[U.P. P.C.S. (Mains) 2012]
उत्तर- (b) 73वां संशोधन 15 अगस्त 1993 से प्रभावी हुआ।
- भारत में पंचायत व्यवस्था ग्रामीण जीवन का युगों से एक अभिन्न अंग रही है तथा 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 (जो कि 24 अप्रैल, 1993 से प्रभावी हुआ) द्वारा इसे संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।
- 73वें संशोधन के द्वारा त्रि-स्तरीय पंचायत व्यवस्था अपनाई गई है, जो कि जैविकीय रूप से जुड़ी संरचना मानी जा सकती है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 छ (243G) में पंचायतों की शक्तियां, प्राधिकार एवं उत्तरदायित्व संबंधी प्रावधान हैं, जो पंचायतों के महत्व को बढ़ाते हैं।
|
52. पंचायती राज का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) कृषि उत्पादन को बढ़ाना
(b) रोजगार बढ़ाना
(c) लोगों की राजनीतिक जागरूकता को बढ़ाना
(d) लोगों को विकासमूलक प्रशासन में भागीदारी के योग्य बनाना
[U.P. P.C.S. (Mains) 2004]
उत्तर- (d) लोगों को विकासमूलक प्रशासन में भागीदारी के योग्य बनाना
- पंचायती राज व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य आम जनता को विकासमूलक प्रशासन में भागीदारी के योग्य बनाना है।
- सत्ता के विकेंद्रीकरण का यह मुख्य उपकरण है।
- 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा पंचायतों को तथा 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।
|
53. सफलतापूर्वक कार्य हेतु पंचायती राज को पूरे सहयोग की जरूरत पड़ती है-
(a) स्थानीय जनता की
(b) केंद्रीय सरकार की
(c) नौकरशाही की
(d) राजनेताओं की
[42th B.P.S.C. (Pre) 1997]
उत्तर- (a) स्थानीय जनता की
- पंचायती राज को सफलतापूर्वक कार्य करने के लिए स्थानीय जनता के पूर्ण सहयोग की आवश्यकता होती है।
- बिना जन-भागीदारी के पंचायती राज का स्वप्न साकार नहीं हो सकता है।
|
54. भारत में पंचायती राज प्रतिनिधित्व करता है-
(a) शक्तियों का विकेंद्रीकरण
(b) लोगों की हिस्सेदारी
(c) सामुदायिक विकास
(d) ये सभी
[44th B.P.S.C. (Pre) 2000]
उत्तर- (d) ये सभी
- भारत में पंचायती राज की स्थापना ग्रामीण जनता के सर्वांगीण विकास के लिए की गई है।
- यह शक्तियों के विकेंद्रीकरण, लोगों की भागीदारी एवं सामुदायिक विकास इन तीनों का प्रतिनिधित्व करता है।
|
55. निम्न में से कौन-सा विकेंद्रीकरण का वैशिष्ट्य नहीं
(a) स्वायत्तता
(b) लोक-सहभागिता
(c) स्थानीय समुदायों में आत्मविश्वास को नहीं जगाना
(d) स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
[66th B.P.S.C. (Pre) 2020]
उत्तर- (c) स्थानीय समुदायों में आत्मविश्वास को नहीं जगाना
- दिए गए विकल्पों में स्थानीय समुदायों में आत्मविश्वास को नहीं जगाना विकेंद्रीकरण का वैशिष्ट्य या विशेषता नहीं है।
- स्वायत्तता, लोक सहभागिता एवं स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना विकेंद्रीकरण की विशेषताएं हैं।
|
56. निम्न कथनों पर विचार कीजिए-
कथन (A): स्थानीय स्तर पर ग्रामीण मामलों के प्रबंध में राजनीति का अंतःखेल कम हो गया है।
कारण (R): संविधान के 73 वें संशोधन के द्वारा ग्रामीण स्थानीय शासन संस्थाओं का पुनरुत्थान हो गया है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर अपना उत्तर चुनिए :
कूट :
(a) दोनों (A) और (R) सही हैं और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) दोनों (A) और (R) सही हैं परंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P. Lower Sub. (Pre) 1998]
उत्तर- (a) दोनों (A) और (R) सही हैं और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
- 73वें संविधान संशोधन ने ग्रामीण स्थानीय शासन संस्थाओं का पुनरुत्थान किया है इसलिए स्थानीय स्तर पर ग्रामीण मामलों के प्रबंधन में राजनीति का अंतः खेल कम हो गया है।
- अतः प्रश्नगत कथन और कारण दोनों सही हैं और कारण, कथन का सही स्पष्टीकरण है।
|
57. निम्नलिखित क्षेत्रों में से किस एक में राज्य सरकार का स्थानीय इकाइयों (Local Bodies) पर नियंत्रण नहीं होता?
(a) नागरिकों की शिकायतें
(b) आर्थिक मामले
(c) विधि-निर्माण
(d) कार्मिकों के मामले
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर- (a) नागरिकों की शिकायतें
- स्थानीय निकायों पर नागरिकों की शिकायतों के मामलों में राज्य सरकार का नियंत्रण नहीं होता है जबकि आर्थिक मामलों, कार्मिकों तथा विधि-निर्माण के संदर्भ में राज्य सरकार का स्थानीय निकायों पर नियंत्रण होता है।
|
58. ग्रामीण स्थानीय शासन का ‘पंचायती राज’ नामांकन किस भारतीय नेता के सुझाव का परिणाम था?
(a) जवाहरलाल नेहरू
(b) डॉ. राजेंद्र प्रसाद
(c) सरदार पटेल
(d) एम.के. गांधी
[U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2017]
उत्तर- (d) एम.के. गांधी
- ग्रामीण स्थानीय शासन का पंचायती राज नामांकन महात्मा गांधी के सुझाव का परिणाम था।
- महात्मा गांधी ने महसूस किया था कि गांव को न केवल आर्थिक रूप से बल्कि राजनीतिक एवं प्रशासनिक रूप से भी आत्मनिर्भर होना चाहिए।
- उन्होंने सुझाव दिया था कि एक गांव के सभी मामले, वयस्क मताधिकार के आधार पर निर्वाचित एक पंचायत द्वारा प्रशासित किए जाने चाहिए।
|
59. CDP एवं NES के पुनर्गठन के लिए 1957 में NDC द्वारा स्थापित समिति का नाम बताएं, जिसने ग्रामीण स्थानीय सरकार की त्रि- स्तरीय प्रणाली का सुझाव दिया था।
(a) बलवंत राय मेहता समिति
(b) अशोक मेहता समिति
(c) प्रजातांत्रिक विकेंद्रीकरण पर महाराष्ट्र समिति
(d) ग्राम नगर संबंध समिति
[53rd to 55th B.P.S.C. (Pre) 2011]
उत्तर- (a) बलवंत राय मेहता समिति
- 1952 में प्रारंभ सामुदायिक विकास कार्यक्रम (CDP) और 1953 में प्रारंभ राष्ट्रीय विस्तार योजना (NES) के पुनर्गठन के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा बलवंत राय मेहता समिति का गठन 1957 में किया गया था।
- इस समिति ने लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण और ग्रामीण स्थानीय सरकार की त्रि-स्तरीय पंचायत प्रणाली की अनुशंसा की थी।
|
60. भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राजव्यवस्था की सिफारिश की थी-
(a) अशोक मेहता समिति ने
(b) बलवंत राय मेहता समिति ने
(c) जी.वी.के. राव समिति ने
(d) एल.एम. सिंघवी समिति ने
[I.A.S. (Pre) 2005, M.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर- (b) बलवंत राय मेहता समिति ने
- भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राजव्यवस्था की स्थापना की सिफारिश बलवंत राय मेहता समिति (1957) ने की थी।
- समिति की सिफारिशों के आधार पर ही राजस्थान की विधानसभा ने 2 सितंबर, 1959 को पंचायती राज अधिनियम पारित किया।
- अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप पं. जवाहरलाल नेहरू ने 2 अक्टूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में पंचायती राज का उद्घाटन किया।
- इसके अतिरिक्त पंचायतों में सुधार के लिए 1977 में अशोक मेहता समिति, 1985 में जी.वी.के. राव समिति तथा 1986 में डॉ. एल.एम. सिंघवी समिति का भी गठन किया गया।
|
61. निम्नलिखित राज्यों में से किसमें बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशों के अनुसार, पंचायती राज व्यवस्था सर्वप्रथम स्थापित की गई?
(a) उत्तर प्रदेश
(b) आंध्र प्रदेश
(c) राजस्थान
(d) तेलंगाना
[U.P.P.C.S. (Mains) 2015]
उत्तर- (c) राजस्थान
- अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप पं. जवाहरलाल नेहरू ने 2 अक्टूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में पंचायती राज का उद्घाटन किया।
|
62. सूची-1 को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
सूची-1 (समितियां) |
सूची-II (सुझाव) |
A. बलवंत राय मेहता |
1. द्वि-स्तरीय पद्धति |
B. अशोक मेहता |
2. त्रि-स्तरीय पद्धति |
C. एल.एम. सिंघवी |
3. प्रतिनिधित्व के तरीके में सुधार |
D. जी.वी.के. राव |
4. स्थानीय स्वशासन पद्धति |
कूट :
A, B, C, D
(a) 1, 2, 3, 4
(b) 4, 3, 2, 1
(c) 2, 1, 4, 3
(d) 3, 4, 1, 2
[U.P. Lower Sub. (Mains) 2013]
उत्तर- (c) 2, 1, 4, 3
- सूची-I का सूची-II से सुमेलन निम्नवत है-
-
सूची-I |
सूची-II |
A. बलवंत राय मेहता |
2. त्रि-स्तरीय पद्धति |
B. अशोक मेहता |
1. द्वि-स्तरीय पद्धति |
C. एल.एम. सिंघवी |
4. स्थानीय स्वशासन पद्धति |
D. जी.वी.के. राव |
3. प्रतिनिधित्व के तरीके में सुधार |
|
63. भारत में ‘पंचायती राज व्यवस्था का वास्तुकार/शिल्पी’ किसे कहा जाता है?
(a) आचार्य नरेंद्र देव
(b) जी.वी.के. राव
(c) बी.आर. मेहता
(d) एल.एम. सिंघवी
[U.P.P.C.S. (Pre) 2016, U.P. Lower Sub. (Pre) 2015]
उत्तर- (c) बी.आर. मेहता
- भारत के ‘पंचायती राज व्यवस्था का वास्तुकार या शिल्पी’ बलवंत राय मेहता को कहा जाता है।
- वर्ष 1957 में भारत सरकार ने सामुदायिक विकास कार्यक्रम (1952) तथा राष्ट्रीय विस्तार सेवा (1953) द्वारा किए गए कार्यों की जांच और उनके बेहतर ढंग से कार्य करने के लिए उपाय सुझाने के लिए बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी।
- इस समिति ने नवंबर, 1957 में अपनी रिपोर्ट सौंपी।
- इस रिपोर्ट में ‘लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण’ और त्रि-स्तरीय पंचायत प्रणाली (ग्राम स्तर, ब्लॉक स्तर एवं जिला स्तर पर) की सिफारिश की गई थी, जो कि आगे चलकर भारत में पंचायती राज व्यवस्था का आधार बनी।
|
64. बलवंत राय मेहता समिति की प्रजातांत्रिक विकेंद्रीकरण की सिफारिश के अनुसार :
(a) जिला, ब्लॉक एवं ग्राम स्तरों पर त्रि-स्तरीय प्रजातांत्रिक पंचायती राज संस्थाओं का गठन होना था।
(b) केवल जिला एवं मंडल स्तर पर द्वि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का गठन होना था।
(c) केवल जिला स्तर पर जिला परिषद का गठन प्रस्तावित किया गया था।
(d) इनमें से कोई भी नहीं।
[M.P.P.C.S. (Pre) 1994]
उत्तर- (a) जिला, ब्लॉक एवं ग्राम स्तरों पर त्रि-स्तरीय प्रजातांत्रिक पंचायती राज संस्थाओं का गठन होना था।
- रिपोर्ट में ‘लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण’ और त्रि-स्तरीय पंचायत प्रणाली (ग्राम स्तर, ब्लॉक स्तर एवं जिला स्तर पर) की सिफारिश की गई थी, जो कि आगे चलकर भारत में पंचायती राज व्यवस्था का आधार बनी।
|
65. भारत में पंचायती राज व्यवस्था सर्वप्रथम राजस्थान और…….. में प्रारंभ की गई थी।
(a) हरियाणा
(b) गुजरात
(c) उत्तर प्रदेश
(d) आंध्र प्रदेश
[47th B.P.S.C. (Pre) 2005]
उत्तर- (d) आंध्र प्रदेश
- संविधान के अनुच्छेद 40 में राज्य को पंचायतों के गठन का निर्देश दिया गया है।
- 1957 में बलवंत राय मेहता समिति ने त्रि-स्तरीय पंचायतों के गठन की सिफारिश की।
- इनकी सिफारिश के आधार पर पं. जवाहरलाल नेहरु ने 2 अक्टूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में पंचायती राज का उद्घाटन किया। तत्पश्चात आंध्र प्रदेश भी इस व्यवस्था को अपने यहां लागू कर पंचायती राज प्रणाली लागू करने वाला दूसरा राज्य बन गया।
|
66. भारत में पंचायती राज प्रणाली का शुभारंभ कब और कहां हुआ?
(a) 5 जुलाई 1957, फैजाबाद (उ.प्र.)
(b) 2 अक्टूबर 1959, नागौर (राजस्थान)
(c) 14 नवंबर 1959, अहमदाबाद (गुजरात)
(d) 3 दिसंबर, 1960, भोपाल (म.प्र.)
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर- (b) 2 अक्टूबर 1959, नागौर (राजस्थान)
- पं. जवाहरलाल नेहरु ने 2 अक्टूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में पंचायती राज का उद्घाटन किया।
|
67. निम्नलिखित में से कौन-सी एक समिति पंचायती राज संस्था से संबंधित नहीं है?
(a) पी.वी.एन. राव समिति
(b) एल.एम. सिंघवी समिति
(c) अशोक मेहता समिति
(d) बलवंत राय मेहता समिति
[U.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर- (a) पी.वी.एन. राव समिति
- पी.वी. नरसिम्हा राव समिति का पंचायती राज संस्था से संबंध नहीं है।
- शेष अन्य समितियां पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित हैं।
- पंचायती राज से संबंधित प्रमुख समितियां हैं-
बलवंत राय मेहता समिति (1957), संथानम समिति (1963 एवं 1964), अशोक मेहता समिति (1977-78), जी.वी.के. राव समिति (1985), एल.एम. सिंघवी समिति (1986), हनुमंता राव समिति (1984), पी. के. धुंगन समिति (1988) आदि।
|
68. सूची-1 के साथ सूची-II को मिलाइए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए-
सूची-1 (पंचायती राज समितियां) |
सूची-11 (वर्ष) |
A. सी.एच. हनुमंता राव |
1. 1985 |
B. जी.वी.के. राव |
2. 1986 |
C. अशोक मेहता |
3. 1984 |
D. एल.एम. सिंघवी |
4. 1957 |
E. बलवंत राय मेहता |
5. 1978 |
कूटः
A, B, C, D, E
(a) 4, 5, 1, 3, 2
(b) 2, 4, 1, 3, 5
(c) 5, 3, 2, 4, 1
(d) 3, 1, 5, 2, 4
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
[66th B.P.S.C. (Pre) (Re-Exam) 2020]
उत्तर- (d) 3, 1, 5, 2, 4
- हनुमंता राव समिति – (1984)
जी.वी.के. राव समिति – (1985)
अशोक मेहता समिति – (1977-78)
एल.एम. सिंघवी समिति – (1986)
बलवंत राय मेहता समिति – (1957)
|
69. पंचायती राज व्यवस्था से निम्न में से कौन-सी समिति संबद्ध नहीं है?
(a) अशोक मेहता समिति
(b) वी.के.आर.वी. राव समिति
(c) संथानम समिति
(d) बी.आर. मेहता समिति
[U.P. P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]
उत्तर- (b) वी.के.आर.वी. राव समिति
- वी.के.आर.वी. राव एक प्रमुख भारतीय अर्थशास्त्री थे, जो आर्थिक विकास पर संयुक्त राष्ट्र आयोग के अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय आय समिति में सदस्य रहे थे।
- ये पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित किसी समिति के अध्यक्ष नहीं रहे थे।
- अन्य तीनों समितियां पंचायती राज व्यवस्था के संबंध में सुझाव देने हेतु गठित की गई थीं।
|
70. निम्न में से कौन-सी एक समिति भारत में पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित नहीं है?
(a) दिनेश गोस्वामी समिति
(b) एल.एम. सिंघवी समिति
(c) सादिक अली समिति
(d) अशोक मेहता समिति
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (a) दिनेश गोस्वामी समिति
- दिनेश गोस्वामी समिति पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित नहीं है।
- यह समिति चुनाव सुधारों से संबंधित है, जबकि एल.एम. सिंघवी समिति (1986), सादिक अली समिति (1964) और अशोक मेहता समिति (1977) पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित हैं।
|
71. अशोक मेहता समिति ने ‘पंचायती राज’ के लिए किस प्रतिमान की संस्तुति की थी?
(a) एक-स्तरीय
(b) द्वि-स्तरीय
(c) त्रि-स्तरीय
(d) चार-स्तरीय
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2009]
उत्तर- (b) द्वि-स्तरीय
- 1977 में गठित अशोक मेहता समिति ने अगस्त, 1978 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें पंचायती राज के लिए त्रि-स्तरीय प्रतिमान के स्थान पर द्वि-स्तरीय प्रतिमान की संस्तुति की गई थी।
- इसमें जनपद स्तर पर जिला परिषद तथा 15000 से 20000 जनसंख्या (गांवों के समूह) पर मंडल पंचायत के गठन का सुझाव था।
|
72. निम्नलिखित में से किस समिति/आयोग ने न्याय पंचायतों के गठन की सिफारिश की है?
(a) बलवंत राय मेहता समिति
(b) अशोक मेहता समिति
(c) जी.वी.के. राव समिति
(d) सरकारिया आयोग
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (b) अशोक मेहता समिति
- अशोक मेहता समिति ने न्याय पंचायतों के गठन की सिफारिश की थी।
- वर्ष 1977 में पंचायती राज व्यवस्था पर सुझाव देने के लिए गठित अशोक मेहता समिति ने वर्ष 1978 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें पंचायती राज के लिए त्रि-स्तरीय प्रणाली के स्थान पर द्वि-स्तरीय प्रणाली को संस्तुत किया गया।
- इस समिति ने न्याय पंचायतों को विकास पंचायतों से पृथक निकाय के रूप में गठित किए जाने की अनुशंसा की थी।
|
73. पंचायती राज को संवैधानिक स्थिति प्रदान करने की संस्तुति निम्न में से किस कमेटी द्वारा की गई थी?
(a) एल.एम. सिंघवी कमेटी
(b) बलवंत राय मेहता कमेटी
(c) राव कमेटी
(d) अशोक मेहता कमेटी
[U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर- (a) एल.एम. सिंघवी कमेटी
- पंचायती राज को संवैधानिक स्थिति प्रदान करने की संस्तुति एल.एम. सिंघवी समिति (1986) द्वारा की गई थी।
- साथ ही सिंघवी समिति ने पंचायत चुनावों को गैर-दलीय आधार पर कराने की भी अनुशंसा की थी।
|
74. हमारे संविधान के किस भाग में तीन सोपानों में पंचायतें बनाने की परिकल्पना की गई है?
(a) भाग 9
(b) भाग 10
(c) भाग 11
(d) भाग 12
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2013, R.A.S./R.T.S. (Pre) (Re-Exam) 2013, U.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (a) भाग 9
- हमारे संविधान के भाग 9 में तीन सोपानों में पंचायतें बनाने की परिकल्पना की गई है।
- भाग 9 के अनु. 243 ख के अंतर्गत, प्रत्येक राज्य में ग्राम, मध्यवर्ती और जिला स्तर पर पंचायतों के गठन का प्रावधान है।
|
75. पंचायती राज की त्रि-स्तरीय प्रणाली में आते हैं-
(a) ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, ब्लॉक समिति
(b) ग्राम पंचायत, ब्लॉक समिति, जिला परिषद
(c) ब्लॉक समिति, जिला परिषद, पंचायत समिति
(d) ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत समिति, जिला परिषद
[45th B.P.S.C. (Pre) 2001]
उत्तर- (d) ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत समिति, जिला परिषद
- पंचायती राज की त्रि-स्तरीय प्रणाली में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत समिति एवं जिला परिषद आते हैं।
|
76. निम्नलिखित में से कौन संविधान के 73वें संशोधन में सम्मिलित हैं?
- जिला पंचायत
- क्षेत्र पंचायत
- ग्राम पंचाय
- नगर पंचायत
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट :
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) सभी चारों
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2013, U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2010]
उत्तर- (b) केवल 1, 2 और 3
- 73वें संविधान संशोधन (1992) द्वारा त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था अपनाई गई है जिसमें ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत सम्मिलित हैं, जबकि 74वें संविधान संशोधन द्वारा नगर पंचायत, नगरपालिका परिषद तथा नगर निगम के गठन का प्रावधान किया गया है।
|
77. एक क्षेत्र पंचायत का क्षेत्र निर्धारित किया जाता है-
(a) राज्य चुनाव आयोग द्वारा
(b) राज्य सरकार द्वारा
(c) मंडल के आयुक्त द्वारा
(d) जनपद के जिलाधिकारी द्वारा
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2003]
उत्तर- (b) राज्य सरकार द्वारा
- एक क्षेत्र पंचायत का क्षेत्र अनुच्छेद 243-ग के प्रावधानों के तहत राज्य विधान मंडल द्वारा बनाई गई विधि के अनुसार राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है।
- अनुच्छेद 243-ग (2) के अनुसार, किसी पंचायत के सभी स्थान, पंचायत क्षेत्र में प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने गए व्यक्तियों से भरे जाएंगे और इस प्रयोजन के लिए, प्रत्येक पंचायत क्षेत्र को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेन्त्रों में ऐसी रीति से विभाजित किया जाएगा कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की जनसंख्या का उसको आवंटित स्थानों की संख्या से अनुपात समस्त पंचायत क्षेत्र में यथासाध्य एक ही हो।
|
78. खंड और जिला पंचायतों की सीमा में परिवर्तन की अधिसूचना कौन जारी करता है?
(a) राज्यपाल
(b) राज्य चुनाव आयोग
(c) संभागीय आयुक्त
(d) कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (a) राज्यपाल
- छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 की धारा-127 में खंड एवं जिला पंचायतों की सीमा में परिवर्तन के विषय में वर्णन किया गया है, जिसके अनुसार राज्यपाल खंड एवं जिला पंचायतों की सीमा में परिवर्तन की अधिसूचना जारी करता है।
|
79. सूची-1 को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
सूची-1 (स्थानीय निकाय) |
सूची-11 (राज्य, 1999 की स्थिति के अनुसार) |
A. उप-प्रभाग स्तर पर जिला परिषद |
1. आंध्र प्रदेश |
B. मंडल प्रजा परिषद |
2. असम |
C. जनजातीय परिषद |
3. मिजोरम |
D. ग्राम पंचायतों का अभाव |
4. मेघालय |
कूट :
(a) A-2, B-1, C-4, D-3
(b) A-1, B-2, C-4, D-3
(c) A-3, B-2, C-1, D-4
(d) A-2, B-1, C-3, D-4
[I.A.S. (Pre) 2000]
उत्तर-(d) A-2, B-1, C-3, D-4
-
सूची-1 (स्थानीय निकाय) |
सूची-11 (राज्य, 1999 की स्थिति के अनुसार) |
A. उप-प्रभाग स्तर पर जिला परिषद |
2. असम |
B. मंडल प्रजा परिषद |
1. आंध्र प्रदेश (एवं तेलंगाना) |
C. जनजातीय परिषद |
3. मिजोरम |
D. ग्राम पंचायतों का अभाव |
4. मेघालय |
- नोट: वर्तमान में मेघालय और मिजोरम दोनों ही राज्यों में जनजातीय परिषदों तथा ग्राम परिषदों का अस्तित्व है।
|
80. निम्नलिखित राज्यों में से किसमें पंचायती राज संस्था नहीं है?
(a) असम
(b) केरल
(c) नगालैंड
(d) त्रिपुरा
[U.P.P.C.S. (Mains) 2005, 2011]
उत्तर- (c) नगालैंड
- भारत में 73वें संविधान संशोधन, 1992 के तहत वर्तमान में मिजोरम, मेघालय एवं नगालैंड राज्यों में पंचायती राज संस्था नहीं है।
- उल्लेखनीय है कि संविधान के भाग 9 के पंचायती राज संस्थाओं संबंधी प्रावधान अनुच्छेद 243M के तहत नगालैंड, मेघालय और मिजोरम राज्य पर नहीं लागू होते हैं।
- हालांकि इन तीनों राज्यों में जनजातीय परिषदों तथा ग्राम परिषदों का अस्तित्व है।
|
81. सूची-1 को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सही उत्तर का चयन सूचियों के नीचे दिए गए कूट से कीजिए-
सूची-1 (पंचायत समितियों के नाम) |
सूची-II (भारत के संबंधित प्रांतों के नाम) |
A. जनपद पंचायत |
1. पश्चिम बंगाल |
B. क्षेत्र पंचायत |
2. गुजरात |
C. तालुका परिषद |
3. मध्य प्रदेश |
D. आंचलिक परिषद |
4. उत्तर प्रदेश |
कूट :
A, B, C, D
(a) 2, 1, 3, 4
(b) 4, 3, 1, 2
(c) 3, 4, 2, 1
(d) 1, 2 ,4, 3
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (c) 3, 4, 2, 1
- सही सुमेलन इस प्रकार है-
-
सूची-1 (पंचायत समितियों के नाम) |
सूची-II (भारत के संबंधित प्रांतों के नाम) |
A. जनपद पंचायत |
3. मध्य प्रदेश |
B. क्षेत्र पंचायत |
4. उत्तर प्रदेश |
C. तालुका परिषद (पंचायत) |
2. गुजरात |
D. आंचलिक परिषद |
1. पश्चिम बंगाल |
|
82. पंचायत समिति के सदस्य-
(a) जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं।
(b) पंचायत के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।
(c) जिलाधिकारी द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
(d) खुली प्रतियोगिता के आधार पर भर्ती किए जाते हैं।
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (a) जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं।
- पंचायत समिति त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली का मध्यवर्ती स्तर है, जिसके सदस्य संविधान के अनु. 243 ग (2) के उपबंधों के तहत प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित किए जाते हैं।
- झारखंड में ‘पंचायत समिति’ का गठन प्रत्येक ब्लॉक के लिए झारखंड पंचायत राज अधिनियम, 2001 की धारा 32 के तहत किया जाता है।
- इस अधिनियम की धारा 33 के अनुसार, इसके निर्वाचित सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं तथा उस क्षेत्र के लोक सभा और विधान सभा के सदस्य, उस क्षेत्र की मतदाता सूची में नाम वाले राज्य सभा सदस्य और उस क्षेत्र के ग्रामों के मुखिया (चक्रानुक्रम आधार पर कुल मुखियों के 1/5 भाग-1 वर्ष के लिए) इसके पदेन सदस्य होते हैं, जबकि उस क्षेत्र के एक प्रख्यात व्यक्ति को राज्य सरकार द्वारा पंचायत समिति में नामित किया जाता है।
|
83. ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति है-
(a) परामर्शदात्री निकाय
(b) प्रशासनिक प्राधिकरण
(c) परामर्शीय समिति
(d) पर्यवेक्षकीय प्राधिकरण
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2011, 48th to 52nd B.P.S.C. (Pre) 2008]
उत्तर- (b) प्रशासनिक प्राधिकरण
- ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति एक प्रशासनिक प्राधिकरण या प्रशासनिक प्राधिकारी के रूप में कार्य करती है।
- यह ग्राम पंचायत और जिला प्रशासन के मध्य संपर्क स्थापित करती है।
|
84. उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत का अध्यक्ष निर्वाचित होता है :
- प्रत्यक्ष रूप से उन व्यक्तियों द्वारा जिनके नाम क्षेत्र पंचायतों की निर्वाचन सूचियों में सम्मिलित हैं।
- जिला पंचायत के सदस्यों द्वारा अपनों में से ही।
- जिला पंचायत के अ.सू. जाति/अ.सू. जनजाति सदस्यों द्वारा अपनों में से ही, यदि उनके लिए सुरक्षित है।
- जिला पंचायत के पिछड़ी जाति के सदस्यों द्वारा अपनों में से ही, यदि उनके लिए सुरक्षित है।
नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर का चयन कीजिए।
कूट :
(a) 1 केवल
(b) 2 केवल
(c) 1, 3 और 4
(d) 2, 3 और 4
[U.P.P.C.S. (Mains) 2010]
उत्तर- (b) 2 केवल
- उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम, 1961 (यथासंशोधित) की धारा 19 के अंतर्गत प्रत्येक जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्यों द्वारा अपने में से ही एक अध्यक्ष को चुना जाता है।
- हालांकि धारा 19(क) के अनुसार, राज्य में जिला पंचायतों के अध्यक्षों के पद अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों के लिए चक्रानुक्रम में आरक्षित रहेंगे, परंतु इनके चयन में सभी निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।
|
85. यदि जिला पंचायत का अध्यक्ष निलंबित हो जाए तो क्या होगा ?
(a) जिला पंचायत का उपाध्यक्ष कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा।
(b) जिला पंचायत का उपाध्यक्ष, अध्यक्ष बन जाएगा
(c) अध्यक्ष का पद रिक्त रहेगा
(d) सदस्यगण स्थानापन्न अध्यक्ष का निर्वाचन करेंगे
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (d) सदस्यगण स्थानापन्न अध्यक्ष का निर्वाचन करेंगे
- छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 की धारा 39 में प्रावधान है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के निलंबन पर जिला पंचायत का सचिव या मुख्य कार्यकारी अधिकारी पंद्रह दिनों के अंदर एक विशेष सत्र आहूत करेगा और संबंधित जिला पंचायत के सदस्यों में से एक को सदस्यों द्वारा स्थानापन्न अध्यक्ष के रूप में चुना जाएगा, जो निलंबित अध्यक्ष के निलंबन तक उसके समस्त दायित्वों का निर्वहन करेगा।
|
86. भारतीय संविधान का 73वां संशोधन प्रावधान करता है-
(a) पहली बार पंचायती राज का
(b) पंचायतों पर प्रशासकीय नियंत्रण हटाने का
(c) पंचायत चुनावों की विधि में परिवर्तनों का
(d) पंचायत चुनावों को आदेशात्मक तथा लोक सभा एवं विधानसभा चुनावों के समकक्ष बनाने का
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर- (d) पंचायत चुनावों को आदेशात्मक तथा लोक सभा एवं विधानसभा चुनावों के समकक्ष बनाने का
- भारतीय संविधान का 73 वां संशोधन निष्पक्ष पंचायत चुनावों को आदेशात्मक रूप में संपन्न कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग के गठन का प्रावधान करता है।
- इसका उल्लेख अनु. 243-ट में किया गया है। इस प्रकार पंचायत चुनावों को लोक सभा एवं विधानसभा के समकक्ष निष्पक्ष बनाने का प्रयास किया गया है।
- 73वें संविधान संशोधन के तहत पंचायतों के पदों के रिक्त होने पर उनका निर्वाचन आज्ञापरक किया गया है।
|
87. भारत में स्थानीय शासन के विषय में निम्नलिखित में से कौन-सा सही नहीं है?
(a) भारतीय संविधान के अनुसार, परिसंघीय प्रणाली में स्थानीय शासन जैसी कोई स्वतंत्र कोटि नहीं है।
(b) स्थानीय निकायों के एक-तिहाई स्थान स्त्रियों के लिए आरक्षित हैं।
(c) स्थानीय शासन के लिए वित्त का उपबंध एक आयोग करता है।
(d) स्थानीय निकायों के लिए निर्वाचन का निर्धारण एक आयोग करता है।
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर- (a) भारतीय संविधान के अनुसार, परिसंघीय प्रणाली में स्थानीय शासन जैसी कोई स्वतंत्र कोटि नहीं है।
- भारतीय संविधान के अनुसार, स्थानीय शासन (पंचायतों/नगरपालिकाओं) के लिए उपबंध अनुच्छेद 40 एवं भाग 9 तथा भाग 9-क में किए गए हैं।
- साथ ही राज्य सूची में भी स्थानीय शासन का उल्लेख है।
- अतः स्थानीय शासन भारतीय संविधान के तहत परिसंघीय प्रणाली में एक स्वतंत्र कोटि के रूप में शामिल है।
- अन्य प्रश्नगत कथन सही हैं।
|
88. राज्य निर्वाचन आयोग के निम्न कार्यों पर विचार कीजिए एवं नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर का चयन कीजिए:
1. राज्य के पंचायतों एवं नगरपालिकाओं के चुनावों के लिए मतदाता सूचियों को तैयार करता है।
2. राज्य की पंचायतों एवं नगरपालिकाओं के लिए निर्वाचन करवाता है।
3. राज्यपाल के निर्देशनों के अनुरूप पंचायतों एवं नगरपालिकाओं के अतिरिक्त अन्य निकायों के लिए निर्वाचन करवाता है।
4. भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा सौंपे गए मतदाता सूचियों को तैयार करने एवं निर्वाचन करवाने का कार्य करता है।
कूट :
(a) 1 और 2
(b) 3 और 4
(c) 1, 2 और 4
(d) केवल 4
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (a) 1 और 2
- अनुच्छेद 243 ट (1) के अनुसार पंचायतों एवं अनुच्छेद 243 यक (1) के अनुसार नगरपालिकाओं के चुनावों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार कराने का और इनके निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण राज्य निर्वाचन आयोग में निहित होगा।
|
89. पंचायत निर्वाचन हेतु राज्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया जाएगा-
(a) भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा
(b) भारत के राष्ट्रपति द्वारा
(c) राज्य के राज्यपाल द्वारा
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[U.P. Lower Sub. (Mains) 2013]
उत्तर- (c) राज्य के राज्यपाल द्वारा
- पंचायतों के निर्वाचन के लिए एक ‘राज्य निर्वाचन आयोग’ के गठन का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 243K (243 ट) के तहत किया गया है।
- राज्यपाल द्वारा राज्य निर्वाचन आयुक्त को नियुक्त किया जाता है।
- अनु. 243 यक (243ZA) के प्रावधानों के तहत राज्य के नगरीय निकायों का निर्वाचन भी राज्य निर्वाचन आयोग ही करवाता है।
|
90. राज्य निर्वाचन आयोग नगरीय निकायों के निर्वाचन का संचालन किस अनुच्छेद के तहत करते हैं?
(a) 243 के
(b) 243 एल
(c) 243 एम
(d)243 एन
[M.P.P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (a) 243 के
- अनुच्छेद 243 यक (अनुच्छेद 243 ZA) में नगरीय निकायों के लिए निर्वाचन का उपबंध है।
- अनु. 243 यक के अनुसार, नगरपालिकाओं के लिए कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार कराने का और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण अनुच्छेद 243 ट (अनु. 243 K) में निर्दिष्ट राज्य निर्वाचन आयोग में निहित होगा।
|
91. राज्य निर्वाचन आयोग, राजस्थान से संबंधित निम्नांकित कथनों पर विचार कीजिए:
- राज्य निर्वाचन आयोग, राजस्थान का गठन दिसंबर, 1994 में हुआ।
- इसका एक सचिव होता है, जो राज्य का मुख्य निर्वाचन अधिकारी भी होता है।
कूट :
(a) केवल 1 सही है।
(b) केवल 2 सही है।
(c) 1 और 2 दोनों सही हैं।
(d) न तो 1 और न ही 2 सही है।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (b) केवल 2 सही है।
- राज्य निर्वाचन आयोग, राजस्थान का गठन संविधान के अनुच्छेद 243K के तहत जुलाई, 1994 में किया गया था।
- यह एक सदस्यीय आयोग है, जिसका प्रमुख राज्य निर्वाचन आयुक्त होता है।
- इस आयोग का एक सचिव होता है, जो कि राज्य का मुख्य निर्वाचन अधिकारी (Chief Electoral Officer) भी होता है।
|
92. मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग का गठन किया गया :
(a) 1 फरवरी, 1994
(b) 1 मार्च, 1994
(c) 1 अप्रैल, 1994
(d) 1 मई, 1994
[M.P.P.C.S. (Pre)2020]
उत्तर- (a) 1 फरवरी, 1994
- संविधान के अनुच्छेद 243-ट (243-K) और 243-य क (243-ZA) के प्रावधानों के अनुसरण में मध्य प्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग की अधिसूचना दिनांक 1 फरवरी, 1994 द्वारा मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग का गठन किया गया।
- यह 15 फरवरी, 1994 को पहले राज्य चुनाव आयुक्त द्वारा पदभार ग्रहण करने के साथ अस्तित्व में आया।
|
93. यदि पंचायत चुनाव में, मतदान के पूर्व किसी अभ्यर्थी की मृत्यु हो जाए तो क्या होगा?
i. मतदान स्थगित हो जाएगा।
ii. मतदान स्थगित नहीं होगा।
iii. यदि केवल एक अभ्यर्थी शेष रहे तो मतदान स्थगित हो जाएगा।
iv. यदि एक से अधिक अभ्यर्थी शेष रहें, तो मतदान स्थगित नहीं होगा।
(a) i, ii
(b) ii, iii
(c) iii, iv
(d) ii, iv
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (c) iii, iv
- छत्तीसगढ़ पंचायत निर्वाचन नियम, 1995 की धारा 46 के अनुसार, मतदान शुरू होने से पहले चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार की मृत्यु हो जाने पर यदि एक से अधिक अभ्यर्थी शेष रहें तो मतदान स्थगित नहीं किया जाएगा।
- परंतु किसी भी सीट के लिए चुनाव लड़ने वाला एक ही उम्मीदवार शेष रह जाने पर उस सीट के लिए मतदान स्थगित कर दिया जाएगा।
- इसी के साथ उस सीट पर चुनाव के लिए नए सिरे से कार्यवाही शुरू की जाएगी।
|
94. पंचायत चुनाव के विषय में सही क्या है?
i. एक जिला निर्वाचन अधिकारी होता है।
ii. एक या अधिक रिटर्निंग अधिकारी होते हैं।
iii. रिटर्निंग अधिकारी की नियुक्ति राज्य निर्वाचन आयोग करता है।
iv. रिटर्निंग अधिकारी की नियुक्ति आयोग की सहमति से जिला निर्वाचन अधिकारी कर सकता है।
v. नायब तहसीलदार जनपद पंचायत के लिए रिटर्निंग अधिकारी हो सकता है।
vi. नायब तहसीलदार ग्राम पंचायत के लिए रिटर्निंग अधिकारी हो सकता है।
vii. नायब तहसीलदार जिला पंचायत के लिए रिटर्निंग अधिकारी हो सकता है।
viii. जिला निर्वाचन अधिकारी ही एकमात्र रिटर्निंग अधिकारी होता है।
(a) i, ii, iii, iv, v, vi
(b) ii, iii, iv, v, vi, vii
(c) iii, iv, v, vi, vii, viii
(d) i, iii, iv, v, vii, viii
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) i, ii, iii, iv, v, vi
- छत्तीसगढ़ पंचायत निर्वाचन नियम, 1995 के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनावों के संचालन हेतु राज्य सरकार के परामर्श से प्रत्येक जिले के लिए एक जिला निर्वाचन अधिकारी और आवश्यकतानुसार एक या एक से अधिक उप-जिला निर्वाचन अधिकारियों को नियुक्त करेगा।
- जिला निर्वाचन अधिकारी जिला पंचायत चुनाव के लिए पदेन रिटर्निंग अधिकारी भी होगा।
- राज्य निर्वाचन आयोग या उसके प्राधिकार से जिला निर्वाचन अधिकारी राज्य सरकार के एक अधिकारी को रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त करेगा, जो नायब तहसीलदार के पद से नीचे का नहीं होगा और जो जिला पंचायत चुनाव के अतिरिक्त अन्य पंचायतों की खाली सीटों को भरने के लिए चुनावों हेतु रिटर्निंग अधिकारी होगा।
- साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग या उसके प्राधिकार से जिला निर्वाचन अधिकारी, रिटर्निंग अधिकारी की उसके कार्यों के निष्पादन में सहायता हेतु एक या अधिक व्यक्तियों को सहायक रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त कर सकता है।
|
95. एक व्यक्ति पंचायत का चुनाव लड़ सकता है यदि उसने पूर्ण कर ली है-
(a) 25 वर्ष की आयु
(b) 30 वर्ष की आयु
(c) 21 वर्ष की आयु
(d) 18 वर्ष की आयु
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (c) 21 वर्ष की आयु
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 च (1) के अनुसार, कोई व्यक्ति पंचायत चुनाव लड़ सकता है यदि उसने 21 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली है।
|
96. निम्नलिखित पर विचार कीजिए-
- किसी भी व्यक्ति के लिए पंचायत का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम निर्धारित आयु 25 वर्ष है।
- पंचायत के समय पूर्व भंग होने के पश्चात पुनर्गठित पंचायत केवल अवशिष्ट समय के लिए ही जारी रहती है।
उपर्युक्त कथनों से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (b) केवल 2
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243च के अनुसार, किसी व्यक्ति के लिए पंचायत सदस्य बनने की न्यूनतम आयु 21 वर्ष है।
- वहीं अनुच्छेद 243ङ के खंड (4) के अनुसार, “किसी पंचायत की अवधि की समाप्ति के पूर्व उस पंचायत के विघटन पर गठित की गई कोई पंचायत उस अवधि के केवल शेष भाग के लिए बनी रहेगी, जिसके लिए विघटित पंचायत बनी रहती यदि वह विघटित नहीं की जाती।”
|
97. वह कॉलेज का विद्यार्थी अपने नगर की नगर परिषद (Municipal Council) में चुने जाने का इच्छुक है। उसके नामांकन की वैधता अन्य शर्तों के साथ-साथ इस महत्वपूर्ण शर्त पर निर्भर होगी कि-
(a) वह अपने कॉलेज के प्राचार्य से अनुमति प्राप्त कर ले
(b) वह किसी राजनीतिक दल का सदस्य हो
(c) उसका नाम मतदाता सूची में सम्मिलित हो
(d) वह भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा की घोषणा दाखिल करे
[I.A.S. (Pre) 2000]
उत्तर- (c) उसका नाम मतदाता सूची में सम्मिलित हो
- नगर परिषद में चुने जाने के लिए वह तभी योग्य होगा, जब उसका नाम मतदाता सूची में सम्मिलित हो।
|
98. निम्नलिखित में से कौन पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पुनर्विलोकन करने के लिए ‘वित्त आयोग’ का गठन करता है?
(a) संबंधित राज्य का मुख्यमंत्री
(b) संबंधित राज्य का वित्त मंत्री
(c) संबंधित राज्य का राज्यपाल
(d) संबंधित राज्य का पंचायती राज मंत्री
[U.P.P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (c) संबंधित राज्य का राज्यपाल
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243-1 (243-झ) के अनुसार, राज्य का राज्यपाल, 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के प्रारंभ से एक वर्ष के भीतर यथाशीघ्र और तत्पश्चात, प्रत्येक पांच वर्ष की समाप्ति पर, वित्त आयोग का गठन करेगा, जो पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पुनर्विलोकन करेगा।
- अनुच्छेद 243-Y (243-म) के तहत यही वित्त आयोग नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति का भी पुनर्विलोकन करता है।
|
99. निम्नलिखित में से कौन राज्य सरकार तथा स्थानीय शासन के बीच राजस्व बंटवारे के लिए उत्तरदायी है?
(a) मुख्यमंत्री
(b) राज्यपाल
(c) राज्य वित्त आयोग
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[U.P. P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (c) राज्य वित्त आयोग
- संविधान के अनुच्छेद 243-झ (243-I) के तहत राज्यपाल द्वारा गठित राज्य वित्त आयोग राज्य सरकार तथा स्थानीय शासन के बीच राजस्व बंटवारे के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत सुझाने हेतु उत्तरदायी है।
- यह वित्त आयोग अनुच्छेद 243-झ के तहत पंचायतों और अनुच्छेद 243-म के तहत नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति का पुनर्विलोकन कर, राज्य सरकार और इनके बीच राजस्व के बंटवारे हेतु अपनी अनुशंसाएं राज्यपाल को प्रस्तुत करता है।
- साथ ही यह राज्य द्वारा पंचायतों और नगरपालिकाओं को समनुदिष्ट (assigned) किए जाने वाले या उनके द्वारा विनियोजित (appropriated) हो सकने वाले करों, शुल्कों, पथकरों और फीसों के निर्धारण के संदर्भ में भी अपनी संस्तुतियां राज्यपाल को देता है। इसका गठन राज्यपाल द्वारा प्रत्येक 5 वर्ष पर किया जाता है।
|
100. राज्य वित्त आयोग का गठन भारतीय संविधान के अंतर्गत किया जाता है-
(a) अनुच्छेद 243-एच के अनुसार
(b) अनुच्छेद 243 आई के अनुसार
(c) अनुच्छेद 243-जे के अनुसार
(d) अनुच्छेद 243 के के अनुसार
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2003]
उत्तर- (b) अनुच्छेद 243 आई के अनुसार
- संविधान के अनुच्छेद 243-झ (243-I) के तहत राज्यपाल द्वारा गठित राज्य वित्त आयोग राज्य सरकार तथा स्थानीय शासन के बीच राजस्व बंटवारे के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत सुझाने हेतु उत्तरदायी है।
|
101. निम्न पर विचार कीजिए और नीचे दिए कूट से सही उत्तर का चुनाव कीजिए :
कथन (A): स्थानीय निकायों को वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु उपायों पर विचार करने के संबंध में संघीय वित्त आयोग की कोई भूमिका नहीं है।
कारण (R): संविधान के 73वें तथा 74वें संशोधन के बावजूद, स्थानीय शासन संविधान के सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य विषय ही बना हुआ है।
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं, तथा (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2011]
उत्तर- (d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
- संविधान के अनु. 280 के अधीन गठित संघीय वित्त आयोग केंद्र और राज्यों के मध्य वितरित होने वाले करों एवं संदायों के संदर्भ में अनुशंसा प्रदान करने के साथ-साथ राज्यों के स्थानीय निकायों के संसाधनों को अनुपूरित करने के लिए राज्यों की संचित निधियों के संवर्धन हेतु आवश्यक उपायों पर भी विचार करता है।
- इस प्रकार कथन (A) गलत है, जबकि कारण (R) सही है।
- अतः अभीष्ट उत्तर विकल्प (d) होगा।
|
102. निम्नलिखित वक्तव्यों पर विचार कीजिए और नीचे दिए कूट से सही उत्तर चुनिए-
कथन (A): राज्य निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक प्राधिकरण है।
कारण (R): ग्रामीण स्थानीय निकायों के निर्वाचन पर भारत के निर्वाचन आयोग का निरीक्षण रहता है।
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) गलत है, किंतु (R) सही है।
(d) (A) सही है, किंतु (R) गलत है।
[U.P.P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015]
उत्तर- (d) (A) सही है, किंतु (R) गलत है।
- राज्य निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक प्राधिकरण है।
- संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम, 1992 के तहत इसकी व्यवस्था की गई है।
- राज्यों में पंचायतों तथा शहरी निकायों के चुनावों में भारत के निर्वाचन आयोग की कोई भूमिका नहीं होती है।
|
103. निम्नलिखित में से कौन संवैधानिक प्राधिकरण हैं?
- राज्य निर्वाचन आयोग
- राज्य वित्त आयो
- जिला पंचायत
- राज्य निर्वाचन अधिकारी
नीचे दिए कूट से ही उत्तर चुनिएः
कूट :
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012, U.P. P.C.S. (Mains) 2012]
उत्तर- (b) केवल 1, 2 और 3
- राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयुक्त संविधान के अनु. 243 -ट के तहत, राज्य वित्त आयोग अनु. 243-झ के तहत तथा जिला पंचायत अनु. 243-ख के तहत संवैधानिक प्राधिकरण हैं, जबकि राज्य निर्वाचन अधिकारी (State Electoral Officer) या मुख्य निर्वाचन अधिकारी पदनाम संवैधानिक प्राधिकरण नहीं है।
|
104. निम्नलिखित में से संविधान का कौन-सा भाग नगरपालिकाओं से संबंधित है?
(a) भाग VI
(b) भाग VII
(c) भाग VIII
(d) भाग IX A
[U.P. Lower Sub. (Mains) 2015]
उत्तर- (d) भाग IX A
- भारतीय संविधान का भाग 9क (IXA) नगरपालिकाओं से संबंधित है।
- संविधान (74वां संशोधन) अधिनियम, 1992 द्वारा संविधान में जोड़ा गया।
- इस अधिनियम पर 20 अप्रैल, 1993 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई एवं 1 जून, 1993 को यह लागू हुआ।
|
105. भारतीय संविधान के 74वें संशोधन के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं?
- यह संविधान में एक नई अनुसूची जोड़ने का उपबंध करता है।
- यह नगरपालिकाओं की कार्यप्रणाली की पुनर्संरचना करता है
- यह नगरपालिकाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण का उपबंध करता है।
- यह केवल कुछ निर्दिष्ट राज्यों में ही प्रयोज्य है।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट :
(a) 1, 2 और 3 सही है।
(b) 1, 2 और 4 सही हैं
(c) 1, 3 और 4 सही हैं
(d) 2, 3 और 4 सही हैं
[U.P. B.E.O. (Pre) 2019]
उत्तर- (a) 1, 2 और 3 सही है।
- 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 से नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।
- इस अधिनियम द्वारा संविधान में एक नया भाग-9क तथा 243त से 243 यछ तक 18 नए अनुच्छेद एवं एक नई अनुसूची (12वीं) जोड़कर नगरों में स्थानीय शासन के विषय में विस्तृत प्रावधान किए गए हैं।
- यह अधिनियम 1 जून, 1993 से प्रभावी हुआ।
- 74वें संविधान संशोधन की कुछ विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
1. तीन प्रकार की नगरपालिकाओं का प्रावधान नगर निगम, नगरपालिका परिषद तथा नगर पंचायतें।
2. कार्यकाल-5 वर्ष (हालांकि इन्हें पहले भी भंग किया जा सकता है)।
3. अनुच्छेद 243न अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को उनकी जनसंख्या और कुल नगरपालिका क्षेत्र की जनसंख्या के अनुपात में प्रत्येक नगरपालिका में आरक्षण प्रदान करता है तथा महिलाओं को कुल सीटों के न्यूनतम एक-तिहाई (इसमें SC & ST महिलाओं से संबंधित आरक्षित सीटें भी हैं) सीटों पर आरक्षण प्रदान करता है।
4. यह सभी राज्यों में प्रयोज्य है।
अतः स्पष्ट है कि कथन 1,2 तथा 3 सत्य हैं, जबकि कथन 4 असत्य है।
|
106. निम्नलिखित में से किस संविधान संशोधन अधिनियम से नगरपालिकाओं को संवैधानिक प्रस्थिति की गई है?
(a) संविधान (तिहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, 1992
(b) संविधान (चौहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, 1992
(c) संविधान (पचहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, 1993
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[U.P. Lower Sub. (Mains) 2013]
उत्तर- (b) संविधान (चौहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, 1992
- 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 से नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।
- इस अधिनियम के द्वारा संविधान में एक नया भाग-9 क तथा 243 त से 243 यछ तक 18 नए अनुच्छेद एवं एक नई अनुसूची (बारहवीं अनुसूची) जोड़कर नगरीय निकायों के विषय में विस्तृत प्रावधान किए गए हैं।
|
107. मध्य प्रदेश में नगरपालिकाओं में अनुसूचित जनजातियों हेतु स्थानों के आरक्षण का प्रावधान भारत के संविधान के निम्नांकित में से किस अनुच्छेद के अंतर्गत किया गया है?
(a) 243 न (1)
(b) 243 ध (1)
(c) 243 द (1)
(d) 243 प (1)
[M.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) 243 न (1)
- संविधान के अनुच्छेद 243 न (1) के तहत प्रत्येक नगरपालिका में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
- इस प्रकार आरक्षित स्थानों की संख्या का अनुपात, उस नगरपालिका में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाने वाले स्थानों की कुल संख्या से यथाशक्य वही होगा, जो उस नगरपालिका क्षेत्र में अनुसूचित जातियों की अथवा अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या का अनुपात उस क्षेत्र की कुल जनसंख्या से है।
|
108. मेयर का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है?
(a) 1 वर्ष
(b) 2 वर्ष
(c) 3 वर्ष
(d) 5 वर्ष
[U.P.P.C.S. (Pre) 1992]
उत्तर- (d) 5 वर्ष
- 74 वें संविधान संशोधन, 1992 के अनुसार, अनुच्छेद 243-प में नगर पालिकाओं (नगर पंचायत, नगरपालिका परिषद एवं नगर निगम) की अवधि 5 वर्ष नियत की गई है।
- अतः मेयर का कार्यकाल 5 वर्ष होता है।
|
109. नगर क्षेत्र को निर्धारित करने हेतु निम्नांकित निष्कर्षों में से कौन-सा भारत की जनगणना के अनुसार सही नहीं है?
वे सभी स्थान –
(a) जो नगरपालिका अथवा नगर निगम अथवा छावनी बोर्ड अथवा अधिसूचित एरिया कमेटी के अंतर्गत हो।
(b) जिसकी जनसंख्या कम-से-कम 5000 हो।
(c) जिसकी कम-से-कम 60% पुरुष जनसंख्या अकृषीय कार्यों में लगी हो।
(d) जहां जनसंख्या का घनत्व कम-से-कम 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हो।
[U.P. P.S.C. (GIC) 2010]
उत्तर- (c) जिसकी कम-से-कम 60% पुरुष जनसंख्या अकृषीय कार्यों में लगी हो।
- भारत की जनगणना के अनुसार, ऐसे सभी स्थान जहां नगरपालिका (Municipality), नगर निगम (Corporation), छावनी बोर्ड (Can- tonment Board) या अधिसूचित नगर क्षेत्र समिति (Notified Town Area Committee) आदि शामिल हों, ‘नगरीय क्षेत्र’ के अंतर्गत आते हैं, जो निम्नलिखित सभी तीन शर्तें एक साथ पूरी करते हों-
(1) न्यूनतम जनसंख्या 5,000 हो।
(2) कार्यशील पुरुषों का न्यूनतम 75% गैर-कृषि (Non-Agricultural) कार्यों में संलग्न हो।
(3) ‘जनसंख्या घनत्व’ कम से कम 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. हो।
|
110. यदि पंचायत और छावनी बोर्ड के मध्य विवाद हो, तो अंतिम निर्णय कौन लेगा?
(a) कलेक्टर, संभागीय आयुक्त के अनुमोदन अधीन
(b) संभागीय आयुक्त, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अनुमोदन के अधीन
(c) पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, राज्य सरकार के अनुमोदन के अधीन
(d) राज्य सरकार, केंद्र सरकार के अनुमोदन के अधीन
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (d) राज्य सरकार, केंद्र सरकार के अनुमोदन के अधीन
- छत्तीसगढ़ नगरपालिका परिषद अधिनियम, 1961 की धारा 79 (2) के अंतर्गत पंचायत और छावनी बोर्ड के मध्य विवाद की स्थिति में अंतिम निर्णय के संबंध में वर्णन किया गया है।
- जिसके अनुसार, यदि पंचायत और छावनी बोर्ड के मध्य विवाद हो, तो अंतिम निर्णय राज्य सरकार, केंद्र सरकार के अनुमोदन के अधीन करेगी।
|
111. किसी राज्य में नगरपालिका का सीमा क्षेत्र अधिसूचित करने के लिए निम्नलिखित में से कौन सक्षम है?
(a) भारत का राष्ट्रपति
(b) संबंधित राज्य का राज्यपाल
(c) संबंधित राज्य का मुख्यमंत्री
(d) राज्य विधानमंडल
[U.P. Lower Sub. (Mains) 2015]
उत्तर- (b) संबंधित राज्य का राज्यपाल
- भारतीय संविधान के भाग 9-क के अनुच्छेद 243 त (घ) के तहत, किसी राज्य में नगरपालिका का सीमा क्षेत्र संबंधित राज्य के राज्यपाल द्वारा अधिसूचित किया जाता है।
|
112. राजस्थान नगरपालिका अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा नगर परिषद में अधिकतम कितने व्यक्ति नाम निर्दिष्ट किए जा सकते हैं?
(a) 10
(b) 12
(c) 8
(d) 6
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (c) 8
- राजस्थान नगरपालिका अधिनियम, 2009 की धारा 6 में वर्ष 2021 में हुए नवीनतम संशोधन के पश्चात वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा नगरपालिका प्रशासन का विशेष ज्ञान या अनुभव रखने वाले अधिकतम 8 व्यक्तियों को नगर परिषद में, अधिकतम 6 व्यक्तियों को नगरपालिका बोर्ड में तथा अधिकतम 12 व्यक्तियों को नगर निगम में नाम निर्दिष्ट किया जा सकता है।
|
113. नगरपालिका का सदस्य चुने जाने के लिए कोई व्यक्ति निरर्हित नहीं
(a) 20 वर्ष की आयु सीमा पर
(b) 21 वर्ष की आयु सीमा पर
(c) 19 वर्ष की आयु सीमा पर
(d) 18 वर्ष की आयु सीमा पर
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (b) 21 वर्ष की आयु सीमा पर
- संविधान के अनुच्छेद 243-फ (243-V) के खंड (1) (क) के परंतुक के अनुसार, नगरपालिका का सदस्य चुने जाने के लिए कोई व्यक्ति निरर्हित नहीं होगा, यदि उसने 21 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है।
|
114. नगरपालिका परिषद का चुनाव लड़ने के लिए अर्हता क्या है?
(i) अध्यक्ष पद हेतु उसकी आयु 25 वर्ष से कम नहीं
(ii) पार्षद हेतु उसकी आयु 21 वर्ष से कम नहीं
(iii) जिसका नाम मतदाता सूची में है, चुनाव लड़ सकता है।
(iv) कोई भी व्यक्ति दो वार्ड से पार्षद का चुनाव एक साथ लड़ सकता है।
(v) कोई भी व्यक्ति अध्यक्ष और पार्षद का चुनाव एक साथ लड़ सकता है।
(a) i, ii, iii
(b) i, ii, v
(c) ii, iv, v
(d) iii, iv, v
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (b) i, ii, v
- छत्तीसगढ़ नगरपालिका अधिनियम, 1961 (यथासंशोधित) की धारा 34 के अंतर्गत नगरपालिका परिषद के चुनाव के लिए अर्हता दी गई है, जिसके अनुसार-
(1) जिस व्यक्ति का नाम नगरपालिका मतदाता सूची में है, वह चुनाव
लड़ने की अर्हता रखता है [34(1)]।
(2) अध्यक्ष पद हेतु उसकी आयु 25 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए [34(1) (a)] |
(3) पार्षद हेतु आयु 21 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए [34 (1) (b)]।
(4) कोई व्यक्ति दो वार्ड से पार्षद का चुनाव एक साथ नहीं लड़ सकता है [34(2)]।
(5) कोई भी व्यक्ति यदि अध्यक्ष और पार्षद चुना जाता है, तो ऐसी स्थिति में 7 दिनों के अंदर एक पद से इस्तीफा देना होगा [34(4)]।
- अतः स्पष्ट है कि कथन (i), (ii) एवं (v) सही हैं, जबकि कथन (iii) एवं (iv) गलत हैं। धारा 34 (1) (a) के तहत नगरपालिका परिषद का चुनाव लड़ने के लिए नाम नगरपालिका मतदाता सूची में दर्ज होना चाहिए न कि किसी भी मतदाता सूची में।
|
115. नगरपालिका की अवधि के विषय में सही क्या है?
i. नगरपालिका की अवधि की गणना निर्वाचन परिणाम की घोषणा की तिथि से की जाती है।
ii. नगरपालिका की अवधि की गणना प्रथम सम्मिलन की तिथि से की जाती है।
iii. नगरपालिका की अवधि 5 वर्ष होती है।
iv. यदि नगरपालिका 2 वर्ष में विघटित कर दी गई तो नई नगरपालिका 3 वर्ष की अवधि के लिए गठित की जाएगी।
v. यदि नगरपालिका 2 वर्ष में विघटित कर दी गई तो नई नगरपालिका 5 वर्ष की अवधि के लिए गठित की जाएगी।
(a) i, iii, v
(b) ii, iii, iv
(c) i, iii, iv
(d) ii, iii, v
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (b) ii, iii, iv
- संविधान के अनुच्छेद 243प (243U) तथा छत्तीसगढ़ नगरपालिका परिषद अधिनियम, 1961 (यथासंशोधित) की धारा 36 के अनुसार, नगरपालिका की अवधि की गणना प्रथम सम्मिलन (बैठक) की तिथि से की जाती है।
- तथा नगरपालिका की अवधि 5 वर्ष की होती है और किसी नगरपालिका की अवधि की समाप्ति के पूर्व उस नगरपालिका के विघटन पर गठित की गई कोई नगरपालिका उस अवधि के केवल शेष भाग के लिए ही गठित की जाती है।
- इस प्रकार, यदि नगरपालिका 2 वर्ष में विघटित कर दी गई, तो नई नगरपालिका 3 वर्ष के लिए गठित की जाएगी।
|
116. नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष के प्रत्यावर्तन के विषय में सही क्या है?
i. परिषद के 3/4 सदस्यों के हस्ताक्षरित प्रस्ताव के द्वारा प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया प्रारंभ की जा सकती है।
ii. परिषद के 3/4 निर्वाचित सदस्यों के हस्ताक्षरित प्रस्ताव के द्वारा प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया प्रारंभ की जा सकती है।
iii. यदि परिषद बहुमत से प्रत्यावर्तन का प्रस्ताव पारित करती है, तो कलेक्टर कार्यवाही करेगा।
iv. सामान्य मतदाताओं द्वारा बहुमत से पारित होने पर अध्यक्ष को प्रत्यावर्तित किया जा सकता है।
v. सामान्य मतदाताओं द्वारा 2/3 बहुमत से पारित होने पर अध्यक्ष को प्रत्यावर्तित किया जा सकता है।
vi. पूरे कार्यकाल में केवल एक बार प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया प्रारंभ की जा सकती है।
vii. पूरे कार्यकाल में दो बार प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया प्रारंभ की जा सकती है।
(a) i, iii, v
(b) ii, iv, vi
(c) i, v, vii
(d) ii, iv, vii
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (b) ii, iv, vi
- छत्तीसगढ़ नगरपालिका अधिनियम, 1961 की धारा 47 के अंतर्गत नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष के प्रत्यावर्तन के विषय में वर्णन किया गया है।
- इसके अनुसार-
(1) सामान्य मतदाताओं द्वारा जिन्होंने प्रत्यावर्तन प्रस्ताव पर मतदान में भाग लिया है, उनकी आधी से अधिक की संख्या ने यदि प्रत्यावर्तन के पक्ष में मत दिया है तो अध्यक्ष को प्रत्यावर्तित किया जा सकता है।
(2) परिषद के 3/4 निर्वाचित सदस्यों के हस्ताक्षरित प्रस्ताव के द्वारा ही प्रत्यावर्तन की कार्यवाही प्रारंभ की जा सकेगी।
(3) अध्यक्ष के निर्वाचित होने के दो वर्ष बाद (मध्यावधि चुनाव में निर्वाचित अध्यक्ष के कार्यकाल के आधे समय के पश्चात) ही प्रत्यावर्तन की कार्यवाही प्रारंभ की जा सकती है तथापि उसके पूरे कार्यकाल में केवल एक बार ही प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया प्रारंभ की सकती है।
- इस प्रकार स्पष्ट है कि कथन (ii), (iv) एवं (vi) सत्य है, जबकि कथन (i) और (v) सही नहीं हैं।
|
117. नगर पंचायत की वार्ड समिति के विषय में सही क्या है?
i. नगर पंचायत के कुछ वार्डों को मिलाकर वार्ड समिति बनाई जाती है।
ii. इसमें वार्ड से निर्वाचित पार्षद सदस्य होते हैं।
iii. वार्ड में रहने वाले दो व्यक्ति समिति में मनोनीत किए जाते हैं।
iv. वार्ड समिति का अध्यक्ष नगर पंचायत अध्यक्ष के द्वारा नामित किया जाता है।
(a) i
(b) i, ii
(c) i, ii, iii
(d) i, ii, iii, iv
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (c) i, ii, iii
- संविधान के अनुच्छेद 243-घ (243-S) में यह प्रावधान है कि ऐसी प्रत्येक नगरपालिका परिषद या नगर पंचायत में जिसकी जनसंख्या 3 लाख या उससे अधिक है, वार्ड समितियों का गठन किया जाएगा, जो एक या अधिक वार्डों से मिलकर बनेंगी।
- छत्तीसगढ़ नगरपालिका अधिनियम, 1961 की धारा 72A के अनुसार, प्रत्येक वार्ड समिति में, उसमें शामिल वार्डों से निर्वाचित पार्षद इसके सदस्य होते हैं।
- साथ ही वार्ड समिति में निर्वाचित पार्षदों के अतिरिक्त वार्ड समिति के प्रादेशिक क्षेत्र में रहने वाले ऐसे दो व्यक्तियों को वार्ड समिति के अध्यक्ष की अनुशंसा पर महापौर द्वारा नामांकित किया जाता है, जिन्हें नगरपालिका प्रशासन का विशेष ज्ञान या अनुभव हो तथा पार्षद चुने जाने की योग्यता धारण करते हों।
- वार्ड समिति अपनी पहली बैठक में एक निर्वाचित पार्षद को अपना अध्यक्ष चुनती है।
|
118. यदि एक पार्षद विधि व्यवसायी होते हुए किसी अन्य व्यक्ति की ओर से नगरपालिका परिषद के विरुद्ध कार्य करता है, तो क्या होगा ?
(a) कलेक्टर उसे पद से हटा देगा
(b) पार्षद एक विधि व्यवसायी के रूप में कार्य कर सकता है
(c) पार्षद अपने पद पर बना रहेगा
(d) यह पार्षद का विशेषाधिकार है
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) कलेक्टर उसे पद से हटा देगा
- छत्तीसगढ़ नगरपालिका अधिनियम, 1961 (यथासंशोधित) की धारा 41 की उपधारा (2) के खंड (ब) के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति पार्षद चुना गया है और नगरपालिका परिषद के विरुद्ध विधि व्यवसायी के रूप में किसी अन्य व्यक्ति की ओर से कार्य करता है, तो जिलाधिकारी (कलेक्टर) उसे पद से हटा देगा।
|
119. उत्तर प्रदेश में किसी नगरपालिका के अध्यक्ष का निर्वाचन किया जाता है:
- अपने नगर क्षेत्र में निर्वाचित सभी वयस्कों द्वारा।
- अपने नगर क्षेत्र की निर्वाचन सूची में सम्मिलित सभी निर्वाचकों द्वारा।
- नगर निकाय के निर्वाचित सदस्यों द्वारा।
- अपने नगर क्षेत्र के वार्डों के निर्वाचकों में से।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए:
कूट :
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 4
(d) केवल 3 और 4
[U.P.P.S.C. (GIC) 2010]
उत्तर- (c) केवल 2 और 4
- उत्तर प्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1916 (यथासंशोधित) के प्रावधानों के तहत वर्तमान में उत्तर प्रदेश में किसी नगरपालिका के अध्यक्ष का निर्वाचन अपने नगर क्षेत्र की निर्वाचन सूची में सम्मिलित सभी निर्वाचकों द्वारा (जो कि उस नगर क्षेत्र के वार्डों के निर्वाचक भी होते हैं) किया जाता है।
|
120. निम्न युग्मों से कौन-सा एक सुमेलित नहीं है?
(नगर/कस्बा) (स्थानीय निकाय)
(a) लखनऊ – छावनी परिषद
(b) कानपुर – नगर निगम
(c) गाजियाबाद – नगर पालिका परिषद
(d) काकोरी – नगर पंचायत
[U.P.P.S.C. (GIC) 2010]
उत्तर- (c) गाजियाबाद – नगर पालिका परिषद
- गाजियाबाद में नगर पालिका परिषद नहीं बल्कि नगर निगम है।
- अन्य विकल्प सही सुमेलित हैं (लखनऊ में नगर निगम के साथ-साथ छावनी परिषद भी है)।
|
121. संविधान के 73वें और 74वें संशोधन निम्न में से किनके सृजन के लिए उत्तरदायी हैं?
- राज्य निर्वाचन आयोग
- जिला नियोजन समिति
- राज्य वित्त आयो
- राज्य सम्पत्ति कर मूल्य निर्धारण बोर्ड
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए:
कूट :
(a) 1 एवं 2 केवल
(b) 1, 2 एवं 3 केवल
(c) 2, 3 एवं 4 केवल
(d) सभी चारों
[U.P. U.D.A/L.D.A. (Mains) 2010]
उत्तर- (b) 1, 2 एवं 3 केवल
- पंचायतों के लिए संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा निम्न के प्रावधान हैं- राज्य निर्वाचन आयोग अनु. 243 K एवं राज्य वित्त आयोग- अनु. 2431, जबकि नगरपालिकाओं के लिए 74वें संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा निम्न के प्रावधान किए गए हैं- राज्य निर्वाचन आयोग अनु. 243 ZA, राज्य वित्त आयोग अनु. 243 Y एवं जिला नियोजन समिति अनु. 243 ZD ।
|
122. जिला आयोजन समिति में निर्वाचित व पदेन सदस्य कितने होते हैं?
(a) 20 और 3
(b) 20 और 10
(c) 20 और 5
(d) 20 और 2
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (c) 20 और 5
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243यघ (243 ZD) के अनुसार, प्रत्येक राज्य में जिला स्तर पर एक जिला योजना समिति का गठन किया जाता है।
- इसमें उपबंधित है कि प्रत्येक राज्य में जिला स्तर पर, जिले में पंचायतों और नगरपालिकाओं द्वारा तैयार की गई योजनाओं का समेकन और संपूर्ण जिले के लिए एक विकास योजना प्रारूप तैयार करने के लिए एक जिला योजना समिति का गठन किया जाएगा।
- इस समिति की सदस्य संख्या अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है, जैसे राजस्थान में 25, बिहार में 34, उत्तर प्रदेश में अधिकतम 40, छत्तीसगढ़ में 20 आदि।
- चूंकि प्रश्न राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा पूछा गया है इसलिए विकल्प (c) सही होगा।
- राजस्थान में जिला योजना समिति में 25 सदस्य होते हैं, जिसमें से 20 निर्वाचित तथा 5 पदेन मनोनीत सदस्य होते हैं।
|
123. निम्नलिखित पंचायतों में से किसे किन्हें उत्तर प्रदेश में जिला योजना में सम्मिलित किया जाता है?
1. नगर पंचायत
II. ग्राम पंचायत
III. क्षेत्र पंचायत
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए:
कूट :
(a) केवल I
(b) केवल I और III
(c) केवल II और III
(d) केवल I, II और III सभी
[U.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (d) केवल I, II और III सभी
- उत्तर प्रदेश जिला योजना समिति अधिनियम, 1999 के अनुसार, जिला योजना के अंतर्गत ऐसे विषय समाविष्ट होंगे जो यथास्थिति, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए संयुक्त प्रांत पंचायती राज अधिनियम, 1947 और उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम, 1961 और नगरीय क्षेत्र के लिए उत्तर प्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1916 या उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 में प्रमाणित किए गए हों। इस प्रकार स्पष्ट है कि उपर्युक्त तीनों विकल्प सही हैं।
|
124. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
भारत में महानगर योजना समिति
- भारतीय संविधान के प्रावधानों के अंतर्गत गठित होती है
- उस महानगरीय क्षेत्र के लिए विकास योजना प्रारूप तैयार करती है
- उस महानगरीय क्षेत्र में सरकार की प्रायोजित योजनाओं को लागू करने का पूर्ण दायित्व पूरा करती है।
उपर्युक्त में से कौन-सा / कौन-से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (a) केवल 1 और 2
- भारतीय संविधान के अनु. 243-ZE के तहत देश के प्रत्येक महानगर क्षेत्र के लिए विकास योजना का प्रारूप तैयार करने के लिए एक महानगर योजना समिति के गठन का प्रावधान किया गया है। तथापि इसका कार्य विकास योजना का प्रारूप तैयार कर संबंधित सरकार को भेजने तक सीमित है।
|
125. निम्नलिखित में से कौन “महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम’ के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने का पात्र है?
(a) केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति परिवारों के वयस्क सदस्य
(b) गरीबी रेखा से नीचे के (BPL) परिवारों के वयस्क सदस्य
(c) सभी पिछड़े समुदायों के परिवारों के वयस्क सदस्य
(d) किसी भी परिवार के वयस्क सदस्य
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (d) किसी भी परिवार के वयस्क सदस्य
- ‘राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम’ (NREGA) अगस्त, 2005 में संसद द्वारा पारित हुआ था तथा इसे 5 सितंबर, 2005 को राष्ट्रपति की स्वीकृति के पश्चात अधिसूचित किया गया था।
- इसे 2 फरवरी, 2006 से लागू कर आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में इस योजना का प्रारंभ किया गया था।
- 2 अक्टूबर, 2009 से इसका नामकरण ‘महात्मा गांधी नरेगा’ (MGNREGA) कर दिया गया था।
- इस योजना का उद्देश्य प्रत्येक वित्त वर्ष के दौरान प्रत्येक ग्रामीण परिवार (जिसके वयस्क सदस्य कार्य करने के इच्छुक हैं) को कम-से-कम 100 दिन के अकुशल (Unskilled Manual Work) रोजगार की गारंटी उपलब्ध कराकर ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है।
|
126. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में आयोजना बनाने, सम्पादन करने व क्रियान्वयन की जिम्मेदारी निम्न में से किसकी है?
(a) ग्राम सभा
(b) ग्राम पंचायत
(c) राज्य सरकार
(d) जिला ग्रामीण विकास अभिकरण
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (b) ग्राम पंचायत
- ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत, ग्राम सभा की सिफारिशों पर विचार करने के पश्चात एक विकास योजना तैयार करती है तथा मांग के अनुसार, कार्यों के क्रियान्वयन एवं निष्पादन के लिए स्वयं उत्तरदायी होती है।
|
127. निम्नलिखित में से कौन-सा एक सामुदायिक विकास का पहला स्थापित कार्यक्रम है?
(a) राष्ट्रीय प्रसार सेवा
(b) समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम
(c) सहकारिता आंदोलन
(d) सामान्य सहायता अनुदान कार्यक्रम
[U.P. Lower Sub. (Mains) 2013]
उत्तर- (a) राष्ट्रीय प्रसार सेवा
- सामुदायिक विकास कार्यक्रम (CDP) देश में पर्याप्त वृद्धि प्रदान करने के लिए वर्ष 1952 में पायलट आधार पर शुरू किया गया था।
- सामुदायिक विकास का पहला स्थापित कार्यक्रम ‘राष्ट्रीय प्रसार सेवा’ (NES) था, जो वर्ष 1953 में शुरू किया गया था।
- भारत सरकार ने सामुदायिक विकास कार्यक्रम (1952) और राष्ट्रीय प्रसार सेवा (1953) के कामकाज की जांच के लिए बलवंत राय मेहता समिति का गठन 1957 में किया था।
|