1. भारत सरकार को कानूनी विषयों पर कौन परामर्श देता है?
(a) अटॉर्नी जनरल
(b) उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(c) विधि आयोग के अध्यक्ष
(d) इनमें से कोई नहीं
[49th B.P.S.C. (Pre) 2000]
उत्तर- (a) अटॉर्नी जनरल
- अनुच्छेद 76(2) के अनुसार, महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) भारत सरकार को कानूनी विषयों पर परामर्श देता है।
- यह भारत सरकार का प्रथम विधि अधिकारी है, जो कि राष्ट्रपति के द्वारा नियुक्त किया जाता है और राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपना पद धारण करता है।
|
2. निम्नलिखित में से कौन राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपना पद धारण करता है?
(a) भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक
(b) मुख्य निर्वाचन आयुक्त
(c) लोक सभा अध्यक्ष
(d) भारत का महान्यायवादी
[U.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(d) भारत का महान्यायवादी
- भारत का महान्यायवादी राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपना पद धारण करता है।
|
3. भारत के महान्यायवादी को कैसे नियुक्त किया जाता है?
(a) संसद द्वारा
(b) राष्ट्रपति द्वारा
(c) संसद की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा
(d) मुख्य न्यायाधीश द्वारा
(c) लोक सभा अध्यक्ष द्वारा
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(b) राष्ट्रपति द्वारा
- भारत का महान्यायवादी राष्ट्रपति के द्वारा नियुक्त किया जाता है।
|
4. भारत के प्रथम विधि अधिकारी के रूप में कौन जाना जाता है?
(a) भारत का मुख्य न्यायाधीश
(b) भारत का महानियंत्रक
(c) भारत का महान्यायवादी
(d) विधि सचिव
[U.P.P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर-(c) भारत का महान्यायवादी
- महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) भारत सरकार का प्रथम विधि अधिकारी है।
|
5. भारत सरकार के मुख्य विधि परामर्शदाता हैं-
(a) सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया
(b) उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(c) सचिव विधि मंत्रालय
(d) अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया
[U.P.P.C.S. (Pre) 1995]
उत्तर-(d) अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया
- भारत सरकार का मुख्य विधि परामर्शदाता ‘अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया’ (भारत का महान्यायवादी) होता है।
- अनुच्छेद 76(3) के अनुसार, महान्यायवादी को अपने कर्तव्य पालन में भारत के राज्य क्षेत्र में सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार होता है।
|
6. भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के विषय में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. वह भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
2. उसमें वही योग्यताएं होनी चाहिए, जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की होती हैं।
3. उसे संसद के किसी भी एक सदन का सदस्य होना चाहिए।
4. संसद द्वारा महाभियोग लगाकर उसे हटाया जा सकता है।
निम्न कूट से उत्तर दीजिए-
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2, 3 और 4
(d) 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2000, U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2014]
उत्तर- (a) 1 और 2
- राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाने वाले महान्यायवादी में वही योग्यताएं होनी चाहिए, जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए आवश्यक हैं।
- भारत का महान्यायवादी संसद का सदस्य नहीं होता है परंतु वह किसी भी सदन में, सदनों की किसी संयुक्त बैठक में और संसद की किसी समिति में, जिसमें उसका नाम सदस्य के रूप में दिया गया है।
- बोल सकता है, भाग ले सकता है, किंतु अपना मत नहीं दे सकता (अनुच्छेद 88)।
- महान्यायवादी राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपना पद धारण करता है [अनुच्छेद 76 (4)], अतः राष्ट्रपति को उसे पदच्युत करने का अधिकार है।
- इस प्रकार कथन 1 एवं 2 सही हैं, जबकि कथन 3 एवं 4 गलत हैं।
|
7. भारत के महान्यायवादी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
1. राष्ट्रपति किसी ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति करेगा, जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए अर्ह होगा।
2. महान्यायवादी इतना पारिश्रमिक प्राप्त करेगा, जो संसद अवधारित करे।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए।
कूट :
(a) केवल 1 सही है।
(b) केवल 2 सही है।
(c) 1 और 2 दोनों सही हैं।
(d) न तो 1 न ही 2 सही है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) केवल 1 सही है।
- भारत का महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) देश का सर्वोच्च विधि अधिकारी होता है।
- संविधान के अनुच्छेद 76(1) के अनुसार, राष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए अर्हित किसी व्यक्ति को भारत का महान्यायवादी नियुक्त करेगा। अनुच्छेद 76 (4) के अनुसार, महान्यायवादी, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करेगा और ऐसा पारिश्रमिक प्राप्त करेगा, जो राष्ट्रपति अवधारित करे।
|
8. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
भारत का महान्यायवादी
1. लोक सभा की कार्यवाही में भाग ले सकता है।
2. लोक सभा की किसी समिति का सदस्य हो सकता है।
3. लोक सभा में बोल सकता है।
4. लोक सभा में मतदान कर सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 एवं 4
(c) 1,2 एवं 3
(d) 1एवं 3
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(c) 1,2 एवं 3
- संविधान के अनुच्छेद 88 में अभिकथित है कि “प्रत्येक मंत्री और भारत के महान्यायवादी को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी सदन में, सदनों की संयुक्त बैठक में और संसद की किसी समिति में, जिसमें उसका नाम सदस्य के रूप में दिया गया है, बोले और उसकी कार्यवाहियों में अन्यथा भाग ले, किंतु इस अनुच्छेद के आधार पर वह मत देने का हकदार नहीं होगा।
- इस प्रकार कथन 1.2 एवं 3 सही हैं, जबकि कथन 4 गलत है।
|
9. पार्लियामेंट (संसद) के किसी सदन के सदस्य न होने पर भी सदन की बैठक में कौन भाग ले सकता है?
(a) भारत का मुख्य न्यायाधीश
(b) भारत का अटॉर्नी जनरल (महान्यायवादी)
(c) मुख्य चुनाव आयुक्त
(d) राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर-(b) भारत का अटॉर्नी जनरल (महान्यायवादी)
- संविधान के अनुच्छेद 88 में अभिकथित है कि “प्रत्येक मंत्री और भारत के महान्यायवादी को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी सदन में, सदनों की संयुक्त बैठक में और संसद की किसी समिति में, जिसमें उसका नाम सदस्य के रूप में दिया गया है, बोले और उसकी कार्यवाहियों में अन्यथा भाग ले, किंतु इस अनुच्छेद के आधार पर वह मत देने का हकदार नहीं होगा।
|
10. भारत सरकार का कौन-सा अधिकारी सदस्य न होते हुए भी भारतीय संसद की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार रखता है?
(a) उपराष्ट्रपति
(b) अटॉर्नी जनरल
(c) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग)
(d) चुनाव आयुक्त
(e) उपरोक्त में से कोई नहीं/ उपरोक्त में से एक से अधिक
[60th to 62nd B.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(b) अटॉर्नी जनरल
- एक गैर-सदस्य के रूप में संसद की कार्यवाही में महान्यायवादी भाग ले सकता है।
- चूंकि प्रश्न के विकल्प में उपराष्ट्रपति भी है और वह भी संसद का सदस्य नहीं होता, इसलिए यहां उपराष्ट्रपति भी उत्तर हो सकता है।
- हालांकि उपराष्ट्रपति को राज्य सभा के सभापति के पद से हटाने का प्रस्ताव सदन में विचारणीय हो, तो उस समय उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति नहीं रहता।
- इस दौरान वह सदन का एक हिस्सा होता है और इस संदर्भ में वह सदन में अपनी बात रख सकता है।
- यदि संसद के दोनों सदनों में से किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग लेने की बात हो, तो वहां उत्तर महान्यायवादी ही होगा क्योंकि उपराष्ट्रपति की भागीदारी राज्य सभा में ही होती है।
- साथ ही प्रश्न में भारत सरकार का ‘अधिकारी’ (Officer) शब्द प्रयुक्त हुआ है जबकि उपराष्ट्रपति राष्ट्र का उप-प्रमुख और राज्य सभा का पदेन सभापति होता है।
- संभवतः इसी आधार पर बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा इस प्रश्न का उत्तर (b) अटॉर्नी जनरल दिया गया है।
|
11. भारत के महान्यायवादी के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
(a) वह मंत्रिमंडल का सदस्य नहीं है।
(b) उसे संसद के सदनों में बोलने का अधिकार है।
(c) उसे संसद में मत देने का अधिकार है।
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Mains) 2017]
उत्तर-(c & d) उसे संसद में मत देने का अधिकार है & उपरोक्त में से कोई नहीं
- दिए गए प्रश्न में विकल्प (c) के साथ-साथ विकल्प (d) भी सही नहीं है।
- यहां विकल्प (d) में ‘उपरोक्त सभी सही हैं रहता, तो विकल्प (c) केवल सही होता।
|
12. सॉलिसिटर जनरल निम्न में से क्या होता है?
(a) सरकारी अधिवक्ता
(b) राष्ट्रपति का कानूनी अधिकारी
(c) कानूनी सलाहकार
(d) प्रशासनिक अधिकारी
[U.P.P.C.S. (Pre) 1991]
उत्तर-(c) कानूनी सलाहकार
- अटॉर्नी जनरल के अतिरिक्त भारत सरकार के कानूनी सलाहकार के रूप में अन्य विधि अधिकारी भी होते हैं।
- इन्हें सॉलिसिटर जनरल कहा जाता है।
- ये अटॉर्नी जनरल को उसके दायित्वों के निर्वहन में सहायता प्रदान करते हैं।
|
13. कानूनी विषयों पर राज्य सरकार को कौन परामर्श देता है?
(a) महान्यायवादी
(b) एडवोकेट जनरल
(c) महान्यायाभिकर्ता
(d) उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश
[45th B.P.S.C. (Pre) 2001]
उत्तर-(b) एडवोकेट जनरल
- एडवोकेट जनरल (महाधिवक्ता) राज्य सरकार को कानूनी विषयों पर परामर्श देता है [अनुच्छेद 165 (2)]।
- प्रत्येक राज्य का राज्यपाल, उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की योग्यता धारण करने वाले किसी व्यक्ति को एडवोकेट जनरल नियुक्त करता है [अनुच्छेद 165(1)]।
- वह राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है [अनुच्छेद 165(3)]।
- यह राज्य सरकार का प्रथम विधिक सलाहकार होता है।
|
14. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. भारत में राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा संबंधित राज्य के राज्यपाल की अनुशंसा पर की जाती है।
2. सिविल प्रक्रिया संहिता के उपबंधों के अनुसार राज्य-स्तर पर उच्च न्यायालयों की मूल, अपीलीय तथा सलाहकारी अधिकारिता होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2009]
उत्तर-(d) न तो 1 और न ही 2
- संविधान के अनुच्छेद 165(1) के अनुसार, राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है न कि राष्ट्रपति द्वारा, अतः कथन 1 गलत है।
- सलाहकारी अधिकारिता अनुच्छेद 143 के तहत सर्वोच्च न्यायालय की होती है।
- उच्च न्यायालयों की अधिकारिता, मूल तथा अपीलीय होती है। अतः कथन 2 भी गलत है।
|
15. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति की जाती है-
(a) राष्ट्रपति द्वारा
(b) लोक सभा अध्यक्ष द्वारा
(c) अध्यक्ष, योजना आयोग द्वारा
(d) वित्त मंत्री द्वारा
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2001]
उत्तर- (a) राष्ट्रपति द्वारा
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148(1) के तहत भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- अनुच्छेद 151(1) के अनुसार, भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक भारत सरकार के लेखों का लेखा परीक्षण कर अपनी रिपोर्ट को राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है तथा अनुच्छेद 151(2) के अनुसार, वह राज्य सरकारों के लेखों का लेखा परीक्षण कर रिपोर्ट संबंधित राज्य के राज्यपाल को सौपता है।
|
16. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति होती है?
(a) अनुच्छेद 146
(b) अनुच्छेद 147
(c) अनुच्छेद 148
(d) अनुच्छेद 149
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2015]
उत्तर-(c) अनुच्छेद 148
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148(1) के तहत भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
|
17. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के पद पर नियुक्ति का कार्यकाल होता है –
(a) 4 वर्ष
(b) 5 वर्ष
(c) 6 वर्ष
(d) 7 वर्ष
[U.P.P.C.S. (Pre) 1993]
उत्तर-(c) 6 वर्ष
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 (3) के अनुसार, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सी.ए.जी.) के वेतन एवं सेवा शर्तों के निर्धारण का अधिकार संसद को दिया गया है।
- अतः संसद ने सी.ए.जी. के वेतन एवं सेवा शर्तों से संबंधित प्रावधानों को वर्ष 1971 में अधिनियमित किया, जिसके अनुसार, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है या वह अधिकतम 65 वर्ष की उम्र तक सेवारत रह सकता है, इनमें से जो पहले हो।
|
18. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा सही नहीं है?
(a) उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
(b) उनका वेतन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के समान होता है।
(c) सेवानिवृत्ति के पश्चात वह अन्य सरकारी सेवा के अयोग्य हो जाते हैं।
(d) उनको राष्ट्रपति पदच्युत कर सकते हैं।
[U.P.P.S.C. (R.I.) 2014]
उत्तर-(d) उनको राष्ट्रपति पदच्युत कर सकते हैं।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 (1) के अनुसार, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- कैग को राष्ट्रपति पदच्युत नहीं कर सकता है, बल्कि उसे उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर हटाया जाएगा जिस रीति से और जिन आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
- संविधान की दूसरी अनुसूची के प्रावधान 12(1) के तहत भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के बराबर वेतन दिया जाता है।
- अनुच्छेद 148 (4) के तहत सेवानिवृत्ति के पश्चात नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक भारत सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीन पद के अयोग्य हो जाते हैं।
|
19. कथन (A): नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का कर्तव्य न केवल व्यय की वैधता सुनिश्चित करना है, अपितु औचित्य भी है।
कथन (B): उसे वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में संविधान और संसद के कानूनों को बनाए रखना है।
(a) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, एवं (R), (A) की सही व्याख्या है।
(c) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(d) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, एवं (R), (A) की सही व्याख्या है।
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का कर्तव्य व्यय की वैधता और औचित्य दोनों ही सुनिश्चित करना है, क्योंकि उसे यह निर्धारित करना है कि वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में संविधान और संसद के कानूनों का अनुपालन हो रहा है अथवा नहीं।
- इस प्रकार प्रश्नगत कथन और कारण दोनों सही है, तथा कारण, कथन की सही व्याख्या है।
|
20. निम्नलिखित कर्तव्यों में से कौन से एक का भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा पालन नहीं किया जाता ?
(a) भारत की संचित निधि से होने वाले सभी व्ययों का लेखा परीक्षण करना और उनके संबंध में प्रतिवेदन प्रस्तुत करना
(b) आकस्मिकता निधि और लोक लेखाओं से होने वाले सभी व्ययों की लेखा परीक्षा करना और उनके संबंध में प्रतिवेदन प्रस्तुत करना
(c) सभी व्यापार, निर्माण, लाभ और हानि लेखाओं की लेखा परीक्षा करना और उनके संबंध में प्रतिवेदन प्रस्तुत करना
(d) सार्वजनिक धन की प्राप्ति और निर्गम का नियंत्रण करना और यह सुनिश्चित करना कि सार्वजनिक राजस्व राजकोष में जमा हो
[I.A.S. (Pre) 2001 U.P. P.C.S. (Mains) 2004]
उत्तर-(d) सार्वजनिक धन की प्राप्ति और निर्गम का नियंत्रण करना और यह सुनिश्चित करना कि सार्वजनिक राजस्व राजकोष में जमा हो
- भारत में नियंत्रक महालेखा परीक्षक सार्वजनिक धन की प्राप्ति और निर्गम पर नियंत्रण का कार्य नहीं करता है, बल्कि इसकी लेखा परीक्षा करता है।
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के निम्नलिखित कर्तव्य हैं-
(1) वह केंद्र तथा राज्य सरकारों के राजस्व से भारत के अंदर तथा बाहर किए गए व्ययों एवं लेन-देन की लेखा परीक्षा करता है।
(2) वह व्यापारिक, निर्माण संबंधी लाभ तथा हानि के लेखों की लेखा परीक्षा करता है।
(3) वह भंडारगृहों की लेखा परीक्षा करता है।
(4) राष्ट्रपति के आदेश पर वह स्थानीय निकायों की लेखा परीक्षा करता है।
(5) वह सरकारी कंपनियों एवं निगमों के लेखा परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक अपने नाम के अनुरूप भारत के वित्त पर नियंत्रक का कार्य न करके, केवल उसकी परीक्षा का कार्य करता है।
- जबकि ब्रिटेन का नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक दोनों प्रकार के अधिकार रखता है।
|
21. लोक निधि के फलोत्पादक और आशयित प्रयोग को सुरक्षित करने के साथ-साथ भारत में नियंत्रक महालेखा परीक्षक (CAG) के कार्यालय का महत्व क्या है?
1. CAG संसद की ओर से राजकोष पर नियंत्रण रखता है जब भारत का राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपात / वित्तीय आपात घोषित करता है।
2. CAG की मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित परियोजनाओं या कार्यक्रमों पर जारी किए गए प्रतिवेदनों पर लोक लेखा समिति विचार- विमर्श करती है।
3. CAG के प्रतिवेदनों से मिली जानकारियों के आधार पर जांचकर्ता एजेंसियां उन लोगों के विरुद्ध आरोप दाखिल कर सकती हैं, जिन्होंने लोक निधि प्रबंधन में कानून का उल्लंघन किया हो।
4. CAG को ऐसी निश्चित न्यायिक शक्तियां प्राप्त है कि सरकारी कंपनियों के लेखा परीक्षा और लेखा जांचते समय वह कानून का उल्लंघन करने वालों पर अभियोग लगा सके।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1, 3 और 4
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A.S (Pre) 2012]
उत्तर-(c) केवल 2 और 3
- अनुच्छेद 148(1) के तहत भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के पद का सृजन किया गया है, जिसे संघ के और राज्यों के लेखाओं के संबंध में विशेष नियंत्रक एवं अधीक्षण शक्तियां प्रदान की गई हैं।
- इसके द्वारा प्रस्तुत लेखाओं (केंद्रीय मंत्रालयों से संबंधित) पर संसद की लोक लेखा समिति में विचार-विमर्श होता है और इसके प्रतिवेदनों के आधार पर जांच एजेंसियां आरोपियों के विरुद्ध आरोप-पत्र दाखिल कर सकती हैं।
- अन्य दोनों प्रश्नगत कथन सही नहीं हैं।
|
22. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की टीका-टिप्पणी पर उचित कार्यवाही करने की अंतिम जिम्मेदारी है-
(a) भारत के राष्ट्रपति की
(b) सर्वोच्च न्यायालय की
(c) संसद की
(d) राष्ट्रीय विकास परिषद की
[U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2014]
उत्तर-(c) संसद की
- संविधान के अनुच्छेद 151(1) के तहत नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट राष्ट्रपति के द्वारा संसद के दोनों सदनों के समक्ष प्रस्तुत करवाई जाती है।
- अतः नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की टीका-टिप्पणी पर उचित कार्यवाही करने की अंतिम जिम्मेदारी संसद की है।
|
23. निम्नलिखित में से कौन संसद की लोक लेखा समिति की बैठकों में उपस्थित रहता है?
(a) भारत के महान्यायवादी
(b) भारत के महाधिवक्ता
(c) भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[U.P.P.C.S (Mains) 2011]
उत्तर-(c) भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक
- भारत का नियंत्रक-महालेखा परीक्षक संसद की लोक लेखा समिति की बैठकों में भाग ले सकता है।
- संविधान के अनुच्छेद 149 में नियंत्रक महालेखा परीक्षक के कर्तव्य एवं शक्तियां वर्णित हैं।
|
24. संविधान का कौन-सा अनुच्छेद भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के कर्तव्य को निर्धारित करता है?
(a) अनुच्छेद 146
(b) अनुच्छेद 147
(c) अनुच्छेद 148
(d) अनुच्छेद 149
[M.P.P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(d) अनुच्छेद 149
- संविधान के अनुच्छेद 149 में नियंत्रक महालेखा परीक्षक के कर्तव्य एवं शक्तियां वर्णित हैं।
|
25. नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है। अपने पद से उसे हटाया जाता है:
(a) राष्ट्रपति द्वारा
(b) संसद के दोनों सदनों के संबोधन पर
(c) सर्वोच्च न्यायालय द्वारा
(d) राष्ट्रपति की संस्तुति पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा
[U.P.P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर- (b) संसद के दोनों सदनों के संबोधन पर
- अनुच्छेद 148(1) के अनुसार, भारत का एक नियंत्रक-महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General) होगा, जिसे राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा और उसे उसके पद से केवल उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर हटाया जाएगा, जिस रीति से और जिन आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
- अनु. 124(4) के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर ऐसे हटाए जाने के लिए संसद के समावेदन पर राष्ट्रपति के आदेश द्वारा उनके पद से हटाया जा सकता है।
- उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए समावेदन प्रत्येक सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत द्वारा तथा सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा समर्थित होना चाहिए।
- ऐसा समावेदन संसद के एक ही सत्र में प्रस्तावित और स्वीकृत होना चाहिए और राष्ट्रपति के समक्ष उसी सत्र में रखा जाना चाहिए।
|
26. भारत का नियंत्रक एवं महालेखाकार निम्नलिखित का एक मित्र एवं मार्गदर्शक होता है:
(a) प्रवर समिति
(b) प्राक्कलन समिति
(c) प्रधानमंत्री
(d) लोक लेखा समिति
[U.P. P.C.S. (Mains) 2006]
उत्तर-(d) लोक लेखा समिति
- लोक लेखा समिति की कार्यवाही की मध्यस्थता नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) करते हैं।
- इस प्रकार वे इस समिति के मित्र एवं मार्गदर्शक होते हैं।
|
27. किस वर्ष में एकाउंटिंग को ऑडिटिंग (लेखा परीक्षा) से अलग किया गया तथा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का कार्य केवल सरकारी लेखा तक सीमित रह गया?
(a) 1975
(b) 1977
(c) 1976
(d) 1981
[U.P. P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(c) 1976
- सीएजी (कर्तव्य, शक्तियां और सेवा शर्तें) अधिनियम, 1971 में वर्ष 1976 में संशोधन कर केंद्र सरकार के स्तर पर एकाउंटिंग को ऑडिटिंग से पृथक किया गया तथा सीएजी का कार्य केवल केंद्र सरकार के लेखा की लेखा परीक्षा (ऑडिटिंग) तक ही सीमित रह गया।
- वर्ष 1976 से केंद्र में लेखांकन (एकाउंटिंग) का कार्य विभिन्न केंद्रीय विभागों द्वारा स्वयं भारतीय नागरिक लेखा सेवा (इंडियन सिविल एकाउंट्स सर्विस) की सहायता से किया जाता है।
- हालांकि भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक अभी भी राज्यों के स्तर पर उपर्युक्त दोनों ही दायित्वों (एकाउंटिंग और ऑडिटिंग) का निर्वहन करता है।
|
28. राज्यों के वित्तीय लेखों का परीक्षण करता है –
(a) राज्यपाल
(b) मुख्यमंत्री
(c) राज्य वित्त सचिव
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Mains) 2003]
उत्तर-(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
- केंद्र के साथ-साथ राज्यों के वित्तीय लेखों की संवीक्षा का कार्य भी भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा ही किया जाता है।
|
29. लोक निधि का अभिभावक किसे कहा जाता है?
(a) राष्ट्रपति
(b) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
(c) संसद
(d) मंत्रिपरिषद
[U.P. P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर-(b) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
- भारतीय संविधान के तहत नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक संघ एवं राज्यों की लोक निधियों से सभी व्ययों की लेखा परीक्षा करता है, अतः उसे ‘लोक निधि का अभिभावक’ कहा जाता है।
|
30. भारत के सी.ए.जी. (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) कार्य करते हैं-
(a) नागरिक स्वतंत्रता के संरक्षक के रूप में
(b) लोक-वित्त संरक्षक के रूप में
(c) सरकार के मुख्य विधिक सलाहकार के रूप में
(d) उपर्युक्त सभी के संरक्षक के रूप में
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Mains) 2007]
उत्तर-(b) लोक-वित्त संरक्षक के रूप में
- संविधान सभा में डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि “नियंत्रक महालेखा परीक्षक भारत के संविधान के अधीन सर्वाधिक महत्व का अधिकारी होगा।
- ” वह सार्वजनिक धन का संरक्षक होगा और उसका यह कर्तव्य होगा कि वह यह देखे कि भारत की या किसी राज्य की संचित निधि में से समुचित विधानमंडल के प्राधिकार के बिना एक पैसा भी खर्च नहीं किया जाए।
|
31. गिरीश चंद्र मुर्मू बने हैं भारत के-
(a) 12वें नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक
(b) 13वें नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक
(c) 14वें नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक
(d) 15वें नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(c) 14वें नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- अगस्त, 2020 में गिरीश चंद्र मुर्मू भारत के 14वें नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक बने।
- उन्होंने इस पद पर राजीव महर्षि का स्थान लिया।
- गिरीश चंद्र मुर्मू इससे पूर्व 31 अक्टूबर, 2019 को जम्मू और कश्मीर संघ राज्यक्षेत्र के पहले उप-राज्यपाल बने थे।
|
32. सूची-1 को सूची-11 के साथ सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
सूची-I (अधिकारी) |
सूची-II (संस्थान) |
A. भारत का उपराष्ट्रपति |
1. लोक लेखा समिति |
B. भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक |
2. लोक सभा की बैठक |
C. भारत का महाधिवक्ता |
3. राज्य सभा |
D. भारत का महान्यायवादी |
4. उच्चतम न्यायालय |
|
5. लोक उपक्रम समिति |
कूट :
A, B, C, D
(a) 3, 1, 4, 2
(b) 2, 3, 1, 4
(c) 4, 2, 3, 1
(d) 1, 4, 2, 3
[U.P.P.C.S. (Mains) 2005]
उत्तर- (a) 3, 1, 4, 2
- सही सुमेलन इस प्रकार है:
-
सूची-I (अधिकारी) |
सूची-II (संस्थान) |
A. भारत का उपराष्ट्रपति |
3. राज्य सभा |
B. भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक |
1. लोक लेखा समिति |
C. भारत का महाधिवक्ता (महान्यायवादी) |
4. उच्चतम न्यायालय |
D. भारत का महान्यायवादी |
2. लोक सभा की बैठक |
- नोट: प्रश्न में ‘भारत का महाधिवक्ता उल्लिखित है, जो कि गलत है।
- महाधिवक्ता (Advocate General) को राज्य स्तर पर नियुक्त किया जाता है, जबकि संघ स्तर पर महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति होती है।
|
33. निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प गलत है? लोक वित्त सरकार के वित्तीय क्रियाकलापों का अध्ययन है। इसके अंतर्गत आते हैं-
(a) सार्वजनिक खर्च का परीक्षण
(b) सार्वजनिक राजस्व
(c) वित्तीय प्रशासन
(d) व्यावसायिक बैंकों के कार्य निष्पादन
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर-(d) व्यावसायिक बैंकों के कार्य निष्पादन
- लोक वित्त (Public Finance) सरकार के वित्तीय क्रियाकलापों का अध्ययन है, इसके अंतर्गत सार्वजनिक व्यय, लोक राजस्व, सार्वजनिक ऋण, वित्तीय प्रशासन आदि आते हैं।
- लोक वित्त का संबंध व्यावसायिक बैंकों के कार्य निष्पादन से नहीं है।
|