1. निम्नलिखित अवतरण में, “हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को, सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में, व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज ‘X’ को एतद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”
(a) 26 जनवरी, 1950
(b) 26 नवंबर, 1949
(c) 26 जनवरी, 1949
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[I.A.S. (Pre) 1997]
उत्तर-(b) 26 नवंबर, 1949
- यह भारतीय संविधान की उद्देशिका है, जिसमें भारतीय राजव्यवस्था के स्वरूप, उद्देश्य एवं आदर्श का उल्लेख किया गया है।
- इसमें उस तिथि का उल्लेख भी किया गया है, जिस दिन भारतीय संविधान को स्वीकार किया गया।
- प्रश्न में X की जगह तिथि 26 नवंबर, 1949 अंकित की जाएगी।
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2. भारतीय गणतंत्र की 26-1-1950 को सही संवैधानिक वस्तुस्थिति क्या थी, जब संविधान लागू किया गया था?
(a) लोकतंत्रात्मक गणतंत्र
(b) संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य
(c) संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य
(d) संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य
[U.P.P.C.S. (Mains) 2009, U.P Lower Sub (Pre) 2008]
उत्तर-(c) संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य
- 26-1-1950 को भारतीय गणतंत्र की संवैधानिक वस्तुस्थिति भारतीय संविधान की तत्कालीन उद्देशिका के अनुसार, ‘संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ की थी।
- समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंडता शब्द इसमें 42वें संविधान संशोधन अधिनियम (1976) की धारा 2 द्वारा जोड़े गए थे।
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3. भारत के संविधान के निर्माताओं का मत निम्नलिखित में से किसमें प्रतिबिंबित होता है?
(a) उद्देशिका
(b) मूल अधिकार
(c) राज्य की नीति के निदेशक तत्व
(d) मूल कर्तव्य
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) उद्देशिका
- भारत के संविधान के निर्माताओं का मत उद्देशिका (The Preamble) में प्रतिबिंबित होता है।
- यह संविधान निर्माताओं की मनःस्थिति को समझने की एक कुंजी है।
- यह संविधान निर्माताओं के सिद्धांतों एवं आदर्शों को प्रदर्शित करता है।
- संविधान की प्रस्तावना ने देश की नियति को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
- 13 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा के समक्ष जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव को 22 जनवरी, 1947 को पारित किया गया।
- इसे ही परिवर्तित करके संविधान की प्रस्तावना के रूप में स्वीकार कर लिया गया।
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4. भारत के संविधान की प्रस्तावना में कितने प्रकार के न्याय, स्वतंत्रता, समानता एवं आतृत्व का उसी क्रम में उल्लेख किया गया है?
(a) 3, 5, 2, 1
(b) 1, 3, 5, 2
(c) 2, 5, 3, 1
(d) 5, 2, 1, 3
[U.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (a) 3, 5, 2, 1
- भारत के संविधान की प्रस्तावना में 3 प्रकार के न्याय, 5 प्रकार की स्वतंत्रता, 2 प्रकार की समानता एवं 1 प्रकार के भ्रातृत्व का उल्लेख किया गया है।
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5. भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को किस रूप में घोषित किया गया है?
(a) एक सार्वभौम, प्रजातांत्रिक, गणतंत्र
(b) एक समाजवादी, प्रजातांत्रिक, गणतंत्र
(c) एक सार्वभौम, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, प्रजातांत्रिक गणतंत्र
(d) इनमें से कोई नहीं
[42th B.P.S.C. (Pre) 1997]
उत्तर-(c) एक सार्वभौम, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, प्रजातांत्रिक गणतंत्र
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक सार्वभौम (संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न), समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य के रूप में घोषित किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि भारतीय संविधान में ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘लोकतंत्रात्मक’ शब्द का उल्लेख किया गया है न कि धर्मनिरपेक्ष और प्रजातांत्रिका।
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6. भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द किस संशोधन के तहत जोड़ा गया?
(a) 42वां संशोधन
(b) 44वां संशोधन
(c) 46वां संशोधन
(d) 74वां संशोधन
(e) उपरोक्त में से कोई नहीं/ उपरोक्त में से एक से अधिक
[60th-62nd B.P.S.C. (Pre) 2016]
उत्तर- (a) 42वां संशोधन
- 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंडता शब्द जोड़े गए।
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7. निम्नलिखित में से कौन भारत को धर्मनिरपेक्ष राज्य वर्णित करता है?
(a) मौलिक अधिकार
(b) संविधान की प्रस्तावना
(c) 9वीं अनुसूची
(d) राज्य के नीति निदेशक तत्व
[U.P.P.C.S. (Mains) 2005]
उत्तर-(b) संविधान की प्रस्तावना
- संविधान की प्रस्तावना के तहत भारत को ‘पंथनिरपेक्ष’ राज्य वर्णित किया गया है।
- यह शब्द संविधान में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम (1976) से जोड़ा गया।
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8. निम्नलिखित शब्दों में से कौन-सा शब्द सन् 1975 में भारतीय संविधान की प्रस्तावना में सम्मिलित नहीं था?
(a) बंधुत्व
(b) संप्रभु
(c) समानता
(d) अखंडता
[U.P.P.C.S. (Mains) 2006]
उत्तर-(d) अखंडता
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संशोधन, 1976 द्वारा जोड़े गए थे।
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9. संविधान की उद्देशिका के संबंध में निम्न कथनों पर विचार करिए और दिए गए कूट की सहायता से बताइए कि इनमें से कौन सही है?
1. पंडित नेहरू द्वारा प्रस्तुत “ऑब्जेक्टिव प्रस्ताव” अंततोगत्वा उद्देशिका बना।
2. इसकी प्रकृति न्याययोग्य (Justiciable) नहीं
3. इसका संशोधन नहीं
4. संविधान के विशिष्ट प्रावधानों को यह रद्द (Override) नहीं कर सकता।
कूट :
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 1,2 और 3
(d) केवल 2, 3 और 4
[U.P.P.C.S. (Pre) 2009]
उत्तर-(b) केवल 1, 2 और 4
- पंडित नेहरू द्वारा 13 दिसंबर, 1946 को प्रस्तुत तथा संविधान सभा द्वारा 22 जनवरी, 1947 को स्वीकृत ऑब्जेक्टिव (उद्देश्य) प्रस्ताव ही अंततोगत्वा भारतीय संविधान की उद्देशिका बना था।
- प्रस्तावना का विधिक स्वरूप यह है कि इसे लागू नहीं किया जा सकता।
- इसकी प्रकृति न्याययोग्य (Justiciable) नहीं है।
- यद्यपि संविधान के विशिष्ट प्रावधानों को यह रद्द (override) नहीं कर सकती तथापि केशवानंद भारती मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार, संविधान की उद्देशिका का उपयोग संविधान के अस्पष्ट क्षेत्रों की व्याख्या करने में किया जा सकता है।
- उद्देशिका में संशोधन संभव है तथा 42वें संविधान संशोधन (1976) द्वारा इसमें ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ एवं ‘अखंडता’ शब्द जोड़े गए थे।
- उद्देशिका संविधान के स्पष्ट प्रावधानों को रद्द नहीं कर सकती है।
- इसका उपयोग भ्रम को दूर करने में किया जाता है।
- उद्देशिका का उपयोग इस निष्कर्ष के समर्थन में किया जाता है कि संविधान के मूल ढांचे में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
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10. ‘समाजवादी’ शब्द उद्देशिका में जोड़ा गया-
(a) 42वें संशोधन द्वारा
(b) 44वें संशोधन द्वारा
(c) 52वें संशोधन द्वारा
(d) उपर्युक्त में से किसी के द्वारा नहीं
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007]
उत्तर- (a) 42वें संशोधन द्वारा
- उद्देशिका में संशोधन संभव है तथा 42वें संविधान संशोधन (1976) द्वारा इसमें ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ एवं ‘अखंडता’ शब्द जोड़े गए थे।
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11. भारत के संविधान के आमुख का लक्ष्य उसके सभी नागरिकों के लिए सुनिश्चित करना है-
1. सामाजिक तथा आर्थिक न्याय
2. विचार तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
3. अवसर की समानता
4. व्यक्ति की प्रतिष्ठा
अधोलिखित कूटों में से सही उत्तर चुनिए।
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 2, 3 और 4
(d) सभी चारों
[U.P. Lower Sub. (Pre) 1998]
उत्तर-(d) सभी चारों
- भारत के संविधान के आमुख (प्रस्तावना) का लक्ष्य उसके सभी नागरिकों को- (1) सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, (2) विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, (3) प्रतिष्ठा (status) और अवसर की समानता तथा (4) व्यक्ति की गरिमा (dignity) सुनिश्चित करना है।
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12. नीचे दो कथन दिए गए हैं जिनमें से एक को कथन (A) तथा दूसरे को कारण (R) कहा गया है।
कथन (A): भारत एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य है।
कारण (R): इसे 42वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा ‘संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ के स्थान पर प्रतिस्थापित किया गया।
नीचे दिए गए कूटों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
कूट :
(a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या है।
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अनुसार, भारत एक संपूर्ण प्रभुत्व- संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य है।
- 42वें संविधान संशोधन द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंडता शब्द जोड़े गए।
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13. भारत में लौकिक सार्वभौमिकता है, क्योंकि संविधान की प्रस्तावना आरंभ होती है-
(a) प्रजातांत्रिक भारत शब्दों से
(b) जनता के जनतंत्र शब्दों से
(c) जनता के लोकतंत्र शब्दों से
(d) हम भारत के लोग शब्दों से
[39th B.P.S.C. (Pre) 1994]
उत्तर-(d) हम भारत के लोग शब्दों से
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना “हम, भारत के लोग” (We, The People of India) शब्दों से शुरू होती है, अतः भारत में लौकिक सार्वभौमिकता है। इसका अर्थ है-जनता सर्वशक्तिमान है और किसी बाह्य सत्ता के अधीन नहीं है।
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14. “सभी व्यक्ति पूर्णतः और समान रूप से मानव हैं”, यह सिद्धांत जाना जाता है-
(a) सार्वभौमिकता
(b) समष्टिवाद
(c) समाजवाद
(d) अंतःक्रियावाद
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (a) सार्वभौमिकता
- “सभी व्यक्ति पूर्णतः और समान रूप से मानव हैं, यह सिद्धांत सार्वभौमिकतावाद के नाम से जाना जाता है।
- इस सिद्धांत के अनुसार, सभी व्यक्तियों को उनके मानव अधिकार समान रूप से बिना किसी विभेद के उपलब्ध होने चाहिए।
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15. भारत के संदर्भ में निम्न में से कौन ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द का सही भाव व्यक्त करता है?
(a) भारत में अनेक धर्म हैं।
(b) भारतीयों को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है।
(c) धर्मानुपालन व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर है।
(d) भारत में राज्य का कोई धर्म नहीं है।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2005]
उत्तर-(d) भारत में राज्य का कोई धर्म नहीं है।
- भारत के पंथनिरपेक्ष/धर्मनिरपेक्ष राज्य होने का सही भाव यह है कि भारत में राज्य का कोई धर्म नहीं है, तद्नुसार सभी धर्मों को राज्य द्वारा समान प्रश्रय अपेक्षित है।
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16. निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लेखित नहीं
(a) संप्रभुता
(b) लोकतंत्रात्मक
(c) पंथनिरपेक्ष
(d) संघीय
[U.P. P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(d) संघीय
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना में शामिल महत्वपूर्ण शब्द- संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य, न्याय, स्वतंत्रता, समता तथा बंधुता हैं, परंतु संघीय (Federal) शब्द भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित नहीं है।
- संविधान के अनुच्छेद 1 में संघ (Union) शब्द का प्रयोग किया गया है।
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17. निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द भारत के संविधान की उद्देशिका में नहीं है?
(a) समाजवादी
(b) पंथनिरपेक्ष
(c) प्रभुतासंपन्न
(d) लोक कल्याण
[M.P.P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर-(d) लोक कल्याण
- भारतीय संविधान की उद्देशिका / प्रस्तावना में लोक कल्याण शब्द का उल्लेख नहीं है।
- प्रस्तावना में प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य शब्द हैं।
- इस प्रकार विकल्प (d) सही उत्तर होगा।
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18. भारतीय संविधान की प्रस्तावना में निम्नलिखित में से किस स्वतंत्रता का वर्णन नहीं है?
(a) विचार की स्वतंत्रता
(b) विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता
(c) विश्वास की स्वतंत्रता
(d) आर्थिक स्वतंत्रता
[I.A.S. (Pre) 2017, U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर-(d) आर्थिक स्वतंत्रता
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय; विचार, अभिव्यक्ति (विचार प्रकट करने), विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता तथा प्रतिष्ठा और अवसर की समानता का वर्णन तो है, परंतु आर्थिक स्वतंत्रता का इसमें उल्लेख नहीं है।
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19. संविधान की प्रस्तावना के बारे में कौन-सा कथन सही है?
(a) ‘समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष’ शब्द 1950 में लागू संविधान के अंग नहीं थे।
(b) उक्त शब्द 1977 के संशोधन द्वारा जोड़े गए।
(c) उक्त शब्द 1985 के संशोधन द्वारा जोड़े गए।
(d) उक्त शब्द संविधान की प्रस्तावना के अंग नहीं हैं।
[M.P.P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर- (a) ‘समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष’ शब्द 1950 में लागू संविधान के अंग नहीं थे।
- ‘समाजवादी’ एवं ‘धर्मनिरपेक्ष’ (पंथनिरपेक्ष) शब्द वर्ष 1950 में लागू मूल संविधान के अंग नहीं थे।
- ये शब्द वर्ष 1976 के 42वें संविधान संशोधन अधिनियम की धारा 2 द्वारा (3-1-1977 से) जोड़े गए।
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20. भारतीय संविधान का कौन-सा भाग संविधान की आत्मा कहलाता है?
(a) मूल अधिकार
(b) राज्य की नीति के निदेशक तत्व
(c) उद्देशिका
(d) सांविधानिक उपचारों का अधिकार
[U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2006, U.P. P.C.S. (Pre) 2008, U.P. P.S.C. (GIC) 2008, Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012, U.P.P.C.S. (Mains) 2013, 2015]
उत्तर-(c) उद्देशिका
- भारतीय संविधान की उद्देशिका को संविधान की आत्मा कहा जाता है।
- के.एम. मुंशी ने इसे ‘राजनीतिक जन्मपत्री’ (Political Horoscope) कहा है।
- सुभाष कश्यप ने कहा है कि, “संविधान शरीर है, तो प्रस्तावना उसकी आत्मा; प्रस्तावना आधारशिला है, तो संविधान उस पर खड़ी अट्टालिका।
- ” नोट-लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश ने भी इस प्रश्न का उत्तर उद्देशिका (Preamble) को माना है।
- ज्ञातव्य है कि डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने ‘सांविधानिक उपचारों के अधिकार’ को संविधान की आत्मा और हृदय कहा है।
- अतः यदि अम्बेडकर के संदर्भ में यह प्रश्न आए तो इसका उत्तर विकल्प (d) होगा।
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21. निम्नलिखित में से किसने भारतीय संविधान की प्रस्तावना को “हमारे संप्रभु, प्रजातांत्रिक गणतंत्र की जन्मकुंडली” कहा ?
(a) जवाहरलाल नेहरू
(b) वल्लभभाई पटेल
(c) बी.आर. अम्बेडकर
(d) के.एम. मुंशी
(e) महात्मा गांधी
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(d) के.एम. मुंशी
- के.एम. मुंशी ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना को “हमारे संप्रभु, प्रजातांत्रिक गणतंत्र की जन्मकुंडली” कहा।
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22. संविधान को एक पवित्र दस्तावेज किसने कहा है?
(a) बी.आर. अम्बेडकर
(b) महात्मा गांधी
(c) दीनदयाल उपाध्याय
(d) मोहम्मद अली जिन्ना
[M.P. P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (a) बी.आर. अम्बेडकर
- बी.आर. अम्बेडकर ने भारतीय संविधान को एक पवित्र दस्तावेज कहा है।
- 29 अगस्त, 1947 को संविधान सभा ने बी. आर. अम्बेडकर की अध्यक्षता में 7-सदस्यीय प्रारूप समिति का गठन किया था।
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23. किस वाद के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वप्रथम घोषित किया कि उद्देशिका संविधान का हिस्सा नहीं है?
(a) बेरुबारी
(b) सज्जन सिंह
(c) गोलकनाथ
(d) केशवानंद भारती
[U.P.P.C.S. (Mains) 2017]
उत्तर- (a) बेरुबारी
- ‘बेरुबारी यूनियन’ के वाद (1960) में सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वप्रथम घोषित किया कि उद्देशिका (प्रस्तावना) संविधान का अंग नहीं है।
- ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ के वाद (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने उपर्युक्त निर्णय को पलटते हुए उद्देशिका (प्रस्तावना) को संविधान का भाग मान लिया।
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24. निम्नलिखित में से किस वाद में उच्चतम न्यायालय ने धारणा प्रस्तुत की कि ‘उद्देशिका संविधान का भाग है’?
(a) यूनियन ऑफ इंडिया बनाम डॉ. कोहली
(b) बनारसी दास बनाम स्टेट ऑफ यू.पी.
(c) बोम्मई बनाम यूनियन ऑफ इंडिया
(d) मलक सिंह बनाम स्टेट ऑफ पंजाब
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(c) बोम्मई बनाम यूनियन ऑफ इंडिया
- प्रश्नगत वादों में से बोम्मई बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उद्देशिका संविधान का भाग है तथा पंथनिरपेक्षता संविधान का मूल लक्षण है।
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में भी बहुमत से दिए गए निर्णय में उद्देशिका को संविधान का भाग माना गया था।
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25. निम्नलिखित विवादों में से किसमें सर्वोच्च न्यायालय ने प्रस्तावना को भारतीय संविधान की मौलिक संरचना का भाग स्वीकार किया?
(a) बेरुबारी विवाद
(b) ए.के. गोपालन विवाद
(c) प्रिवी पर्स विवाद
(d) केशवानंद भारती विवाद
[U.P.P.S.C. (R.I.) 2014]
उत्तर-(d) केशवानंद भारती विवाद
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रस्तावना (उद्देशिका) को भारतीय संविधान की मौलिक संरचना का भाग स्वीकार किया।
- सर्वोच्च न्यायालय के शब्दों में “हमारे संविधान का प्रासाद उद्देशिका में वर्णित बुनियादी तत्वों पर खड़ा है।
- यदि इनमें से किसी भी तत्व को हटा दिया जाए, तो सारा ढांचा ही ढह जाएगा अर्थात संविधान वही नहीं रह जाएगा अर्थात अपना व्यक्तित्व व पहचान खो देगा।”
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26. भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जिन आदर्शों एवं उद्देश्यों की रूपरेखा दी गई है, उनकी व्याख्या की गई है-
(a) मूल अधिकारों के अध्याय में
(b) राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के अध्याय में
(c) मूल अधिकारों, राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों एवं मौलिक कर्तव्यों के अध्याय में
(d) संविधान के पाठ में कहीं नहीं
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2002 U.P. P.C.S. (Mains) 2004]
उत्तर-(c) मूल अधिकारों, राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों एवं मौलिक कर्तव्यों के अध्याय में
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना, संविधान के उद्देश्यों को प्रतिबिंबित करती है।
- संविधान का मुख्य उद्देश्य भारतीय जनता को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय तथा विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता एवं प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त कराना है।
- व्यक्ति का उत्कर्ष कहीं संपूर्ण राष्ट्र के उत्कर्ष में बाधक न बन जाए, इसलिए संविधान में बंधुत्व की भावना पर भी बल दिया गया है।
- इस प्रकार प्रस्तावना में जिन आदर्शों एवं उद्देश्यों की रूपरेखा दी गई है।
- उनकी व्याख्या संविधान में आगे मूल अधिकारों, राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों तथा मौलिक कर्तव्यों के अध्यायों में की गई है।
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27. भारत के संविधान की उद्देशिका में कितने प्रकार के न्याय की व्यवस्था की गई है?
(a) दो
(b) तीन
(c) एक
(d) चार
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर-(b) तीन
- भारत के संविधान की उद्देशिका में तीन प्रकार के न्याय की व्यवस्था की गई है।
- वे हैं- सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय। सामाजिक न्याय से तात्पर्य है कि प्रत्येक नागरिक के साथ जाति, रंग, धर्म, लिंग के आधार पर बिना कोई भेदभाव किए समान व्यवहार।
- आर्थिक न्याय से तात्पर्य है कि आर्थिक आधार पर किसी के साथ भेदभाव न होना तथा राजनीतिक न्याय का अर्थ है कि प्रत्येक नागरिक को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होंगे।
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28. भारत के संविधान के उद्देश्यों में से एक के रूप में ‘आर्थिक न्याय’ का किसमें उपबंध किया गया है?
(a) उद्देशिका और मूल अधिकार
(b) उद्देशिका और राज्य की नीति के निदेशक तत्व
(c) मूल अधिकार और राज्य की नीति के निदेशक तत्व
(d) उपर्युक्त में से किसी में नहीं
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(b) उद्देशिका और राज्य की नीति के निदेशक तत्व
- भारतीय संविधान की उद्देशिका और राज्य की नीति के निदेशक तत्व ‘आर्थिक न्याय’ की परिकल्पना एवं उद्देश्य का उपबंध करते हैं।
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29. भारत के संविधान की उद्देशिका –
(a) संविधान का भाग है, किंतु कोई विधिक प्रभाव नहीं रखती
(b) संविधान का भाग नहीं है और कोई विधिक प्रभाव भी नहीं रखती
(c) संविधान का भाग है और वैसा ही विधिक प्रभाव रखती है, जैसा कि उसका कोई अन्य भाग
(d) संविधान का भाग है, किंतु उसके अन्य भागों से स्वतंत्र होकर उसका कोई विधिक प्रभाव नहीं है।
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(d) संविधान का भाग है, किंतु उसके अन्य भागों से स्वतंत्र होकर उसका कोई विधिक प्रभाव नहीं है।
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य वाद (1973) में सर्वोच्च न्यायालय की बृहद संविधान पीठ ने यह निर्णय दिया कि उद्देशिका संविधान का भाग है।
- ऐसा सर्वोच्च न्यायालय ने इन री बेरूबारी यूनियन, 1960 के प्रकरण में दिए गए निर्णय अर्थात उद्देशिका, भारत के संविधान का भाग नहीं है, को उलटते हुए दिया था।
- इस प्रकार, यद्यपि उद्देशिका संविधान का भाग है तथा संविधान के अन्य भागों के निर्वचन में इसकी सहायता ली जा सकती है, किंतु संविधान के अन्य भागों से स्वतंत्र होकर उद्देशिका का कोई विधिक प्रभाव नहीं है।
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30. संविधान में दिया गया उद्देशिका-
1. न्यायालय में लागू नहीं
2. महत्वपूर्ण है और उसकी उपयोगिता है।
3. शासन करने के उद्देश्यों को उल्लिखित करता है।
4. संविधान के कानूनी अर्थ निर्णय में सहायता करता है।
नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
कूट :
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1,2 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
[U.P. Lower Sub (Pre) 2004]
उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी
- भारतीय संविधान के ‘आमुख’ को ही ‘उद्देशिका’ (Preamble) कहा गया है।
- प्रश्न में, उद्देशिका संबंधी सभी चारों कथन सत्य हैं। परंतु, किसी भी विकल्प में सभी कथन सम्मिलित नहीं हैं।
- यह भी ध्यातव्य है कि कोई भी विकल्प अनन्य नहीं है।
- अर्थात, किसी भी विकल्प में, ‘केवल’ (Only) विशेषण, स्रोत पर नहीं लगा है।
- इसीलिए, हम उस विकल्प का चयन कर सकते हैं जिसमें अधिकतम (Maximum) कथन शामिल किए गए हों।
- इस दृष्टि से, विकल्प (c) तथा (d) समान रूप से चयन किए जाने योग्य हैं।
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31. निम्न में से कौन सही है?
(a) सामाजिक समानता संविधान में प्रत्याभूत नहीं है
(b) देश में सामाजिक समानता पहले से ही विद्यमान थी
(c) सामाजिक समानता संविधान में प्रत्याभूत है
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर-(c) सामाजिक समानता संविधान में प्रत्याभूत है
- संविधान के अनु. 14-18 के तहत प्रदत्त समता के अधिकार के विभिन्न प्रावधानों के तहत सामाजिक समानता प्रत्याभूत की गई है।
- संविधान की प्रस्तावना में भी सामाजिक न्याय प्राप्त कराने की बात कही गई है।
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