1. भारत का संविधान निम्नलिखित अनुच्छेदों में से किस एक के अंतर्गत एक निर्वाचन आयोग का प्रावधान करता है?
(a) अनुच्छेद 321 के अंतर्गत
(b) अनुच्छेद 322 के अंतर्गत
(c) अनुच्छेद 323 के अंतर्गत
(d) अनुच्छेद 324 के अंतर्गत
[U.P.P.C.S. (Mains) 2010, M.P.P.C.S. (Pre) 2014, U.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (d) अनुच्छेद 324 के अंतर्गत
- भारतीय संविधान के अनु. 324 के तहत संसद एवं राज्य विधानमंडलों तथा राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति पदों के निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार कराने तथा इन निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण करने के लिए निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है।
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2. भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को नियुक्त किया जाता है-
(a) लोक सभा द्वारा
(b) प्रधानमंत्री द्वारा
(c) राष्ट्रपति द्वारा
(d) मुख्य न्यायाधीश द्वारा
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007, Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2010]
उत्तर- (c) राष्ट्रपति द्वारा
- भारतीय संविधान के अनु. 324 (2) के अनुसार, भारत के निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त तथा अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संसद द्वारा बनाई गई विधि के अधीन राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
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3. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों को समान अधिकार प्राप्त हैं, परंतु मिलने वाले वेतन में असमानता है।
- मुख्य चुनाव आयुक्त वही वेतन पाने का हकदार है, जितना उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को दिया जाता है।
- मुख्य चुनाव आयुक्त को उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश को हटाने के तरीके और कारणों के अतिरिक्त किसी अन्य तरीके और कारण से उनके पद से नहीं हटाया जा सकता।
- चुनाव आयुक्त का कार्यकाल उनके पदभार संभालने की तारीख से पांच वर्ष अथवा उनके 62 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के दिन तक जो भी पहले हो, होता है।
इनमें से कौन-कौन से कथन सही हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 4
(d) 2 और 4
[I.A.S. (Pre) 2002]
उत्तर- (b) 2 और 3
- मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों के अधिकार, वेतन, भत्ते आदि समान हैं और उन्हें वही वेतन मिलता है, जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को प्राप्त होता है।
- मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अपने पद पर 6 वर्ष तक या अधिकतम 65 वर्ष तक बने रहते हैं (जो भी पहले हो) तथा मुख्य चुनाव आयुक्त को उसी रीति से हटाया जा सकता है, जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए वर्णित है।
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4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
I. भारत के निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के वेतन के बराबर वेतन का संदाय किया जाता है।
II. भारत के निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तारीख से 6 वर्ष की अवधि या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले आता है, तक होगा।
III. एक चुनाव आयुक्त, किसी भी समय मुख्य चुनाव आयुक्त को संबोधित स्वहस्ताक्षरित लेख द्वारा, अपना पद त्याग दे सकते हैं।
सही कथन का चयन कीजिए।
(a) I तथा II
(c) I तथा III
(b) II तथा III
(d) केवल III
[M.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) I तथा II
- वर्तमान में भारत के निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो अन्य निर्वाचन आयुक्त होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों का दर्जा भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का होता है तथा उन्हें उनके समतुल्य ही वेतन और अनुलाभ मिलते हैं।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल पदग्रहण करने की तारीख से 6 वर्ष की अवधि या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक होता है।
- इस प्रकार कथन I और II सही हैं।
- कथन III सही नहीं है, क्योंकि एक निर्वाचन आयुक्त किसी भी समय राष्ट्रपति (न कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त) को संबोधित स्वहस्ताक्षरित लेख द्वारा अपना पद त्याग दे सकते हैं।
- दूसरे शब्दों में, निर्वाचन आयुक्त अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को संबोधित एवं प्रस्तुत करते हैं, क्योंकि राष्ट्रपति ही उनका नियुक्ति प्राधिकारी होता है।
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5. भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त की पदावधि क्या है?
(a) पांच वर्ष
(b) राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत
(c) 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक जो भी पहले हो
(d) पांच वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012, Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(c) 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक जो भी पहले हो
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल पदग्रहण करने की तारीख से 6 वर्ष की अवधि या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक होता है।
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6. भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पद समकक्ष होता है-
(a) सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के
(b) किसी राज्य के राज्यपाल के
(c) लोक सभा अध्यक्ष के
(d) राज्य विधानसभा अध्यक्ष के
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर- (a) सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य निर्वाचन आयुक्त (सेवा की शर्तें) नियम, 1992 के तहत मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य दो निर्वाचन आयुक्तों को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान वेतन एवं भत्ते प्रदान किए जाते हैं तथा संविधान के अनु. 324(5) के परंतुक के तहत मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर पद से हटाया जा सकता है, जिस रीति से और जिन आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है।
- वरीयता क्रम की दृष्टि से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का स्थान नौवां है तथा मुख्य निर्वाचन आयुक्त 9A पर आते हैं।
- इसके अतिरिक्त सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और लोक सभा अध्यक्ष का वरीयता क्रम में स्थान छठां है।
- राज्यों के राज्यपाल (अपने राज्य में) चौथे स्थान पर तथा राज्य विधानसभा अध्यक्ष 14वें स्थान पर आते हैं।
- इस प्रकार स्पष्ट है कि दिए गए विकल्पों में से कोई भी सत्य नहीं है।
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7. मुख्य चुनाव आयुक्त को पदच्युत किया जा सकता है –
(a) मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट द्वारा
(b) राष्ट्रपति द्वारा
(c) मंत्रिमंडल के प्रस्ताव से
(d) संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रमाणित कदाचार के आधार पर
[U.P.P.C.S. (Pre) 1991]
उत्तर- (b) & (d) राष्ट्रपति द्वारा & संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रमाणित कदाचार के आधार पर
- मुख्य चुनाव आयुक्त को उन्हीं तरीकों से पद से हटाया जा सकता है, जो अनु. 124 (4) में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने के लिए वर्णित हैं।
- तदनुसार, उन्हें साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर हटाए जाने के लिए संसद के प्रत्येक सदन द्वारा अपनी कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के कम-से-कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा समर्थित समावेदन, उसी सत्र में राष्ट्रपति के समक्ष रखे जाने पर राष्ट्रपति के आदेश द्वारा ही पद से हटाया जा सकता है।
- जबकि अन्य निर्वाचन आयुक्तों को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के परामर्श पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
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8. नीचे दो वक्तव्य दिए हैं:
कथन (A): संसद तथा राज्य विधानमंडलों के स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव कराने की शक्तियां एक स्वतंत्र इकाई अर्थात निर्वाचन आयोग को दी गई हैं।
कारण (R): निर्वाचन आयुक्तों को पद से हटाने का अधिकार कार्यपालिका के पास है।
उपर्युक्त के संदर्भ में निम्न में से कौन एक सही है?
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R) सही स्पष्टीकरण है (A) का
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R) सही स्पष्टीकरण नहीं है (A) का
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है
[U.P.P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर- (b) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R) सही स्पष्टीकरण नहीं है (A) का
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत संसद तथा विधानमंडलों के निर्वाचन तथा निष्पक्ष चुनाव हेतु एक स्वतंत्र चुनाव आयोग का गठन किया गया है, अतः कथन (A) सत्य है।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से संसद उसी रीति से हटा सकती है, जिस रीति से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है अर्थात मुख्य निर्वाचन आयुक्त को हटाने का अधिकार विधायिका को है।
- लेकिन निर्वाचन आयुक्तों (मुख्य निर्वाचन आयुक्त को छोड़कर) को हटाने के लिए इस प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है।
- इन्हें मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर राष्ट्रपति अपनी कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग कर हटा सकता है।
- स्पष्ट है कि कारण (R) भी सत्य है। इस आधार पर कारण कथन की व्याख्या नहीं करता है।
- वस्तुतः प्रश्न में भाषा तथा विश्लेषण के कारण भ्रम भी है।
(1) निर्वाचन आयुक्तों में मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्तों सभी को शामिल किया जाए तब कारण (R) गलत होगा।
(2) अन्य निर्वाचन आयुक्तों को हटाने का अधिकार मुख्य निर्वाचन आयुक्त में निहित है और मुख्य निर्वाचन आयुक्त को हटाने का अधिकार संसद में निहित है अर्थात अन्य निर्वाचन आयुक्तों को हटाने का अधिकार भी अप्रत्यक्षतः मुख्य निर्वाचन आयुक्त के माध्यम से संसद या विधायिका में ही निहित है। इस विश्लेषण के आधार पर भी कारण (R) गलत होगा।
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9. भारत के निर्वाचन आयोग के कार्य हैं-
1. संसद एवं राज्य विधानमंडलों के सभी चुनाव करवाना।
II. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पदों के लिए चुनाव करवाना।
III. किसी राज्य में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए अनुकूल दशा न होने पर राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की संस्तुति करना।
IV. निर्वाचन सूचियां तैयार कराने के कार्य का निरीक्षण, निर्देशन एवं नियंत्रण।
नीचे दिए गए कूटों से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट :
(a) I, II, III
(b) I, II, IV
(c) I, III, IV
(d) सभी चारों
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2001]
उत्तर- (b) I, II, IV
- संविधान के अनुच्छेद 324 के खंड (1) के अनुसार, इस संविधान के अधीन संसद और प्रत्येक राज्य के विधानमंडल के लिए कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचनों हेतु निर्वाचक नामावली तैयार कराने और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण एक आयोग में निहित होगा, जिसे इस संविधान में निर्वाचन आयोग कहा गया है।
- विधानमंडलों के चुनाव के लिए उचित उपबंध करने की शक्ति अनुच्छेद 327 के तहत संसद में निहित है।
- किसी राज्य में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए अनुकूल दशा न होने पर राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की संस्तुति निर्वाचन आयोग नहीं करता।
- हालांकि अनुच्छेद 356 (3) के तहत किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि । वर्ष से आगे तभी बढ़ाई जा सकती है, जब संपूर्ण भारत में अथवा संपूर्ण राज्य या उसके किसी भाग में राष्ट्रीय आपात प्रवर्तन में हो और निर्वाचन आयोग यह प्रमाणित करे कि उस अवधि के दौरान राज्य में विधान सभा के आम निर्वाचन में समस्याओं के कारण राष्ट्रपति शासन आवश्यक है।
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10. राष्ट्रपति का चुनाव निम्न में से किसके द्वारा संचालित किया जाता है?
(a) लोक सभा के स्पीकर द्वारा
(b) प्रधानमंत्री के कार्यालय द्वारा
(c) संसदीय कार्य के मंत्री द्वारा
(d) भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा
[U.P.P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर- (d) भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा
- संविधान के अनुच्छेद 324 के खंड (1) के अनुसार, इस संविधान के अधीन संसद और प्रत्येक राज्य के विधानमंडल के लिए कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचनों हेतु निर्वाचक नामावली तैयार कराने और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण एक आयोग में निहित होगा, जिसे इस संविधान में निर्वाचन आयोग कहा गया है।
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11. निम्न में से कौन-सा चुनाव निर्वाचन आयोग द्वारा संपादित नहीं किया जाता ?
(a) लोक सभा का
(b) राज्य सभा का
(c) राष्ट्रपति का
(d) स्थानीय निकायों का
[Uttarakhand U.D.A.L..D.A. (Mains) 2006, Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Mains) 2007]
उत्तर- (d) स्थानीय निकायों का
- संसद, राज्य विधानमंडलों तथा राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति का चुनाव संविधान के अनु. 324 के तहत निर्वाचन आयोग द्वारा संपादित किया जाता है, जबकि अनु. 243 K एवं 243 ZA के तहत क्रमशः पंचायतों एवं नगरपालिकाओं (अर्थात स्थानीय निकायों) का चुनाव संबंधित राज्य के राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कराया जाता है।
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12. भारत के निर्वाचन आयोग के निम्नलिखित में से कौन-से कृत्य हैं?
- लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष तथा राज्य समा के सभापति के पदों के लिए निर्वाचन करवाना।
- नगरपालिकाओं और नगर निगमों के लिए निर्वाचन करवाना।
- निर्वाचनों से उत्पन्न सभी संदेहों और विवादों का निर्णयन।
नीचे दिए हुए कूटों से सही उत्तर का चयन कीजिए-
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) कोई नहीं
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर- (d) कोई नहीं
- उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है, जबकि लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष तथा राज्य सभा के उप-सभापति का निर्वाचन संबंधित सदन के सदस्य करते हैं।
- निर्वाचन से उत्पन्न विवादों का निर्णयन न्यायपालिका करती है।
- नगरपालिकाओं एवं नगर निगमों के निर्वाचन राज्य निर्वाचन आयोग करवाता है।
- इस प्रकार दिए गए कथनों में से कोई भी सही नहीं है।
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13. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. भारत का निर्वाचन आयोग पांच सदस्यीय निकाय है।
2. संघ का गृह मंत्रालय, आम चुनाव और उप-चुनावों दोनों के लिए चुनाव कार्यक्रम तय करता है।
3. निर्वाचन आयोग मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन/ विलय से संबंधित विवाद निपटाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 3
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (d) केवल 3
- भारत का निर्वाचन आयोग एक तीन-सदस्यीय निकाय है, जिसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा दो निर्वाचन आयुक्त होते हैं।
- राष्ट्रपति, उप- राष्ट्रपति, संसद तथा राज्य विधायिका के चुनावों के अधीक्षण, निदेशन तथा नियंत्रण की शक्ति निर्वाचन आयोग में निहित है।
- इस प्रकार आम चुनाव और उप-चुनावों के लिए चुनाव कार्यक्रम निर्वाचन आयोग तय करता है, न कि गृह मंत्रालय।
- निर्वाचन आयोग निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के तहत मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन् विलय से संबंधित विवाद भी निपटाता है।
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14. निम्न में किसका संबंध चुनाव आयोग से नहीं है?
(a) चुनाव की अधिसूचना जारी करना
(b) चुनाव चिह्न का बंटवारा करना
(c) चुनाव की वैधता का निपटारा करना
(d) चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराना
[U.P.P.C.S. (Pre) 1992]
उत्तर- (a) चुनाव की अधिसूचना जारी करना
- निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर चुनाव की अधिसूचना लोक सभा एवं राज्य सभा के लिए राष्ट्रपति तथा विधानसभा और विधान परिषद के लिए संबंधित राज्य संघ राज्यक्षेत्र का राज्यपाल / प्रशासक जारी करता है। इसके बाद समय, निर्वाचन तिथि आदि की विस्तृत अधिसूचनाएं निर्वाचन आयोग द्वारा जारी की जाती हैं। अन्य प्रश्नगत कार्य निर्वाचन आयोग से संबंधित हैं।
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15. भारत में विविध निर्वाचनों के लिए निम्नलिखित में से कौन-कौन सी निर्वाचन प्रणालियां स्वीकृत की गई हैं?
- वयस्क मताधिकार के आधार पर प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली।
- एकल संक्रमणीय मत के द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली।
- आनुपातिक प्रतिनिधित्व की सूची प्रणाली।
- अप्रत्यक्ष निर्वाचन की संचयी मतदान प्रणाली।
नीचे दिए हुए कूटों से सही उत्तर का चयन कीजिए-
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर- (a) 1 और 2
- भारत में निर्वाचन की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही निर्वाचन प्रणालियां अपनाई गई हैं। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्य सभा एवं विधान परिषदों हेतु निर्वाचन एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से संपन्न होता है, जबकि लोक सभा तथा राज्य विधानसभाओं के चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर प्रत्यक्ष ढंग से संपन्न होते हैं।
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16. सांसदों की अयोग्यता संबंधी विवाद पर कौन निर्णय देता है?
(a) राष्ट्रपति
(b) संबंधित संसद
(c) निर्वाचन आयोग
(d) निर्वाचन आयोग के परामर्श से राष्ट्रपति
[U.P.P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर- (d) निर्वाचन आयोग के परामर्श से राष्ट्रपति
- संविधान के अनुच्छेद 102 के खंड (1) के तहत संसद के सदनों का सदस्य चुने जाने और सदस्य होने के लिए निरर्हताओं का उल्लेख है।
- इनके संदर्भ में संविधान के अनु. 103 के तहत सांसदों की अयोग्यता/ निरर्हता संबंधी विवाद का विनिश्चय राष्ट्रपति, निर्वाचन आयोग के परामर्श के अनुसार करता है, जबकि दल-परिवर्तन के आधार पर निरर्हता संबंधी प्रश्नों का विनिश्चय संविधान की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत सदन के सभापति / अध्यक्ष द्वारा किया जाता है।
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17. यदि किसी राज्य विधानसभा के निर्वाचन में निर्वाचित घोषित होने वाला प्रत्याशी अपनी निक्षिप्त राशि (जमानत राशि) खो देता है, तो उसका अर्थ है कि –
(a) मतदान बहुत कम हुआ
(b) बहुसदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचन था
(c) निर्वाचित प्रत्याशी की अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पर विजय बहुत कम मतों से थी
(d) निर्वाचन लड़ने वाले प्रत्याशियों की संख्या बहुत अधिक थी
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर- (d) निर्वाचन लड़ने वाले प्रत्याशियों की संख्या बहुत अधिक थी
- प्रत्येक उम्मीदवार को निर्वाचन में निक्षिप्त (जमानत) राशि रखनी पड़ती है और यदि वह कुल पड़े वैध मतों का न्यूनतम 1/6 मत नहीं प्राप्त करता है, तो यह राशि खो बैठता है।
- दिए गए विकल्पों के अनुसार, यदि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की संख्या काफी अधिक हो तो ऐसा संभव हो सकता है।
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18. न्यायालय द्वारा अपराधी घोषित किए गए व्यक्ति को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार देने का निर्णय किया गया है-
(a) भारत सरकार द्वारा
(b) सर्वोच्च न्यायालय द्वारा
(c) निर्वाचन आयोग द्वारा
(d) संसद द्वारा
[I.A.S. (Pre) 2009]
उत्तर- (d) संसद द्वारा
- न्यायालय द्वारा अपराधी घोषित किए गए व्यक्ति को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार देने का निर्णय संसद द्वारा किया गया है।
- संसद द्वारा बनाए गए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (3) के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को न्यायालय द्वारा अपराधी करार देते हुए 2 वर्ष या अधिक की सजा सुनाई गई है, तो वह सजा के दौरान तथा उसके पश्चात अगले 6 वर्षों की अवधि के लिए सदन की सदस्यता तथा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाता है।
- इसके अतिरिक्त इसी अधिनियम की धारा 8(1) के तहत वर्णित विशिष्ट अपराधों के लिए दोषसिद्ध कोई व्यक्ति मात्र जुर्माना होने पर भी 6 वर्षों की अवधि हेतु तथा कोई भी सजा होने पर सजा के दौरान तथा उसके बाद 6 वर्षों की अवधि हेतु सदन की सदस्यता तथा चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाता है।
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19. नीचे दो वक्तव्य दिए गए हैं-
अभिकथन (A): चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक दलों को आदर्श आचार संहिता का पालन करना होता है।
कथन (R): आदर्श आचार संहिता को संसद ने अधिनियमित किया था।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सत्य हैं तथा (R) कथन (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सत्य हैं, पर (R) कथन (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सत्य, पर (R) असत्य है।
(d) (A) असत्य है, पर (R) सत्य है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (c) (A) सत्य, पर (R) असत्य है।
- आदर्श आचार संहिता राजनैतिक दलों तथा उम्मीदवारों के मार्गदर्शन हेतु उन मानदंडों का एक दस्तावेज है, जो उनके आचरण और व्यवहार को नियंत्रित करता है।
- यह राजनीतिक दलों की सहमति से विकसित किया जाता है तथा उन पर बाध्यकारी होता है।
- आदर्श आचार संहिता निर्वाचन आयोग द्वारा निर्मित की जाती है।
- यह निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की तिथियों की घोषणा संबंधी प्रेस विज्ञप्ति जारी होने के समय से लागू होती है तथा चुनाव पूरे होने तक प्रभावी रहती है (भारत संघ बनाम हरबंस सिंह जलाल व अन्य, SC)। उपर्युक्त से स्पष्ट है कि कथन (A) सत्य है, किंतु (R) गलत है। अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
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20. भारत में मताधिकार और निर्वाचित होने का अधिकार-
(a) मूल अधिकार है
(b) नैसर्गिक अधिकार है
(c) संवैधानिक अधिकार है
(d) विधिक अधिकार है
[I.A.S. (Pre) 2017, U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2013]
उत्तर- (d) विधिक अधिकार है
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 79 (d) में निर्वाचक अधिकार (Electoral Rights) को परिभाषित किया गया है, जिसमें किसी व्यक्ति के किसी ‘चुनाव में एक उम्मीदवार होने या न होने’ अथवा ‘उम्मीदवार होने से नाम वापस लेने या न लेने’ तथा ‘चुनाव में मतदान करने’ या ‘मतदान करने से विरत रहने के अधिकार को शामिल किया गया है।
- ज्योति बसु एवं अन्य बनाम देबी घोषाल एवं अन्य वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्वाचित होने के अधिकार को विधिक अधिकार के रूप में घोषित किया है।
- इसी प्रकार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62 में मताधिकार का वर्णन किया गया है।
- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी मताधिकार को विधिक/वैधानिक अधिकार घोषित किया गया है।
- अतः स्पष्ट है कि भारत में मताधिकार और निर्वाचित होने का अधिकार एक विधिक वैधानिक अधिकार है।
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21. भारत में मत देने का अधिकार निम्नलिखित अधिकारों में से कौन- सा है?
(a) मौलिक अधिकार
(b) संवैधानिक अधिकार
(c) प्राकृतिक अधिकार
(d) वैधानिक अधिकार
[U.P.P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015]
उत्तर- (d) वैधानिक अधिकार
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत भारत में मताधिकार और निर्वाचित होने का अधिकार मिलता है।
- चूंकि यह संसद द्वारा बनाए गए एक अधिनियम के तहत मिला हुआ है, अतः यह एक विधिक अधिकार है।
- हालांकि लोक सेवा आयोग, उ.प्र. ने पूर्व में दी गई अपनी उत्तर-कुंजी में मताधिकार को संवैधानिक अधिकार (Constitutional Right) माना था।
- इसका आधार संविधान के अनु. 326 के तहत वयस्क मताधिकार का उल्लेख होना हो सकता है।
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22. केंद्र और राज्य की व्यवस्थापिकाओं के लिए मतदान की न्यूनतम उम्र की सीमा 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की गई-
(a) 57 वें संशोधन (1987) से
(b) 60 वें संशोधन (1988) से
(c) 61 वें संशोधन (1989) से
(d) 65 वें संशोधन (1990) से
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004, 41 B.P.S.C. (Pre) 1996, 48th to 52nd B.P.S.C. (Pre) 2008, Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (c) 61 वें संशोधन (1989) से
- 61वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1988 द्वारा मताधिकार की आयु को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष किया गया था जो कि 28 मार्च, 1989 से प्रभावी हुआ।
- नवयुवकों द्वारा 18 वर्ष की आयु पर मताधिकार का पहली बार प्रयोग नवंबर, 1989 में संपन्न 9वीं लोक सभा के आम चुनाव में किया गया।
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23. संविधान में किस अनुच्छेद में वयस्क मताधिकार को मान्यता दी गई है?
(a) अनुच्छेद 324
(b) अनुच्छेद 325
(c) अनुच्छेद 326
(d) अनुच्छेद 327
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (c) अनुच्छेद 326
- भारतीय संविधान के भाग 15 के अंतर्गत अनु. 326 में वयस्क मताधिकार संबंधी प्रावधान किया गया है।
- इसमें कहा गया है कि लोक सभा और प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे अर्थात प्रत्येक व्यक्ति, जो भारत का नागरिक है और ऐसी तारीख को, जो समुचित विधानमंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस निमित्त नियत की जाए, कम-से-कम 18 वर्ष की आयु का है (61वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1988 द्वारा 28 मार्च, 1989 से यह आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की गई) और इस संविधान या समुचित विधानमंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन, अनिवास, चित्त विकृति, अपराध या भ्रष्ट या अवैध आचरण के आधार पर अन्यथा निरहित नहीं कर दिया जाता है, ऐसे किसी निर्वाचन में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का हकदार होगा।
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24. पार्लियामेंट द्वारा, वर्ष 1989 में निर्मित कानून के अनुसार, एक नागरिक के वयस्क होने की कानूनी आयु है-
(a) 23 वर्ष
(b) 22 वर्ष
(c) 20 वर्ष
(d) 18 वर्ष
[U.P.P.C.S. (Pre) 2000]
उत्तर- (d) 18 वर्ष
- 61वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1988 द्वारा संविधान के अनुच्छेद 326 में संशोधन कर वयस्क मताधिकार की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई। यह संशोधन 28 मार्च, 1989 से प्रभावी हुआ।
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25. राज्य विधानमंडलों के निर्वाचन हेतु सिद्धांतों में सम्मिलित हैं:
- यह वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे।
- प्रत्येक क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए केवल एक निर्वाचक सूची होगी।
- धर्म, प्रजाति, लिंग आदि के लिए निर्वाचक सूची बनाने में कोई स्थान नहीं होगा।
- राजनीतिक दलों को अपने स्वयं के मानक स्थापित करने की स्वतंत्रता होगी।
दिए गए कूट से अपना सही उत्तर चुनिए :
कूट :
(a) 1, 3 और 4
(b) 2, 3 और 4
(c) 1, 2 और 3
(d) सभी चारों
[U.P.P.C.S (Mains) 2011]
उत्तर- (d) सभी चारों
- संविधान के अनुच्छेद 326 में प्रावधानित है कि लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे।
- साथ ही अनुच्छेद 325 के अनुसार, प्रत्येक प्रादेशिक (क्षेत्रीय) निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक साधारण निर्वाचक सूची होगी और केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या इनमें से किसी आधार पर कोई व्यक्ति ऐसी किसी सूची में शामिल किए जाने के लिए अपात्र नहीं होगा।
- इसके अतिरिक्त भारत में राजनीतिक दल अपने मानक स्वयं निर्धारित कर सकते हैं।
- अतः अभीष्ट उत्तर विकल्प (d) है।
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26. ‘निर्गम मत सर्वेक्षण’ के विषय में कौन-सा कथन सही है?
(a) निर्गम मत सर्वेक्षण अभिव्यक्ति का प्रयोग मतदाताओं के उस निर्वाचनेत्तर सर्वेक्षण को व्यक्त करता है, जिससे यह पता चले कि मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किस प्रत्याशी के पक्ष में किया।
(b) निर्गम मत सर्वेक्षण और जनमत सर्वेक्षण एक ही बात है।
(c) निर्गम मत सर्वेक्षण वह युक्ति है, जिससे मतदान के परिणामों के विषय में अधिकतम सही पूर्वानुमान किया जा सकता है।
(d) निर्गम मत सर्वेक्षण हाल ही में मुख्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा निकाली गई प्रशासनिक युक्ति है, जिससे पररूपधारण करके मतदान रोका जा सकता है।
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर- (a) निर्गम मत सर्वेक्षण अभिव्यक्ति का प्रयोग मतदाताओं के उस निर्वाचनेत्तर सर्वेक्षण को व्यक्त करता है, जिससे यह पता चले कि मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किस प्रत्याशी के पक्ष में किया।
- निर्गम मत सर्वेक्षण (एक्जिट पोल) वह पद्धति है, जिससे मतदान के तुरंत बाद यह पता लगाया जाता है कि मतदाताओं ने किस प्रत्याशी या दल के पक्ष में अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।
- जबकि जनमत सर्वेक्षण मतदान के पहले चुनाव के संबंध में जनता की राय जानने के लिए विभिन्न सर्वे एजेंसियों द्वारा कराया जाता है।
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27. 2009 लोक सभा चुनाव में निर्वाचकों की संख्या मिलियन्स में (1 मिलियन = 10 लाख) लगभग कितनी है?
(a) 815
(b) 613
(c) 714
(d) 903
[U.P. Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2004]
उत्तर- (c) 714
- वर्ष 2009 के लोक सभा के आम चुनाव में निर्वाचकों (मतदान के योग्य व्यक्तियों) की कुल संख्या लगभग 714 मिलियन थी।
- वर्ष 2019 के लोक सभा के आम चुनाव में निर्वाचकों की कुल संख्या 908.72 मिलियन थी।
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28. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
- भारत में ऐसा कोई कानून नहीं लोक सभा चुनाव में तीन निर्वाचन क्षेत्रों से लड़ने से रोकता है।
- 1991 के लोक सभा चुनाव में श्री देवी लाल ने तीन लोक सभा निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ा था।
- वर्तमान नियमों के अनुसार, यदि कोई प्रत्याशी किसी एक लोक सभा चुनाव में कई निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ता है, तो उसकी पार्टी को उन निर्वाचन-क्षेत्रों के उप-चुनावों का खर्च उठाना चाहिए, जिन्हें उसने खाली किया है, बशर्ते वह सभी निर्वाचन क्षेत्रों से विजयी हुआ हो।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा कौन-से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (b) केवल 2
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में 1996 में हुए संशोधन के तहत धारा 33(7) में यह प्रावधानित किया गया कि कोई प्रत्याशी किसी आम चुनाव अथवा साथ-साथ कराए गए दो या अधिक सीटों के उपचुनाव में 2 से अधिक क्षेत्रों से चुनाव नहीं लड़ सकता है।
- इस प्रकार कथन 1 सही नहीं है।
- कथन 2 सही है, क्योंकि चौधरी देवी लाल ने 1991 के लोक सभा चुनाव में रोहतक, सीकर और फिरोजपुर के निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ा था, परंतु वे तीनों सीटों पर पराजित हुए थे।
- जहां तक कथन 3 का प्रश्न है, तो यह वर्ष 2004 में निर्वाचन आयोग द्वारा प्रस्तावित अवश्य किया गया था, परंतु इस संदर्भ में कोई नियम नहीं बनाया गया है।
नोट– यूपीएससी द्वारा इस प्रश्न को मूल्यांकन से बाहर किया गया है।
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29. लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन) अधिनियम 1996 द्वारा निर्वाचित विधि में हुए हाल के संशोधनों के विषय में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- भारतीय राष्ट्रीय ध्वज अथवा भारत के संविधान के अपमान के अपराध के लिए किसी दोषसिद्धि के होने पर दोषसिद्धि की तिथि से 6 वर्षों के लिए संसद और राज्य विधानमंडलों के चुनाव लड़ने की अयोग्यता हो जाएगी
- लोक सभा के लिए चुनाव लड़ने हेतु अभ्यर्थी द्वारा जमा किए जाने वाले प्रतिभूति निक्षेप में वृद्धि की गई है।
- कोई अभ्यर्थी अब एक से अधिक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन के लिए खड़ा नहीं हो सकता
- चुनाव लड़ने वाले किसी अभ्यर्थी की मृत्यु हो जाने पर अब किसी निर्वाचन को प्रत्यादिष्ट नहीं किया जा सकता।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) 2 और 3
(b) 1, 2 और 4
(c) 1 और 3
(d) 1,2,3 और 4
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (b) 1, 2 और 4
- प्रश्नगत कथन 1, 2 और 4 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में 1996 के संशोधन अधिनियम द्वारा किए गए संशोधनों के संदर्भ में सही हैं, जबकि कथन 3 सही नहीं है।
- 1996 का लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन) अधिनियम दिनेश गोस्वामी समिति की सिफारिशों पर आधारित था।
- अब कोई अभ्यर्थी किसी आम चुनाव अथवा साथ-साथ कराए गए दो या अधिक सीटों के उप-निर्वाचन में 2 से अधिक क्षेत्रों से चुनाव नहीं लड़ सकता है।
- यदि किसी प्रत्याशी की मृत्यु हो जाए तो चुनाव प्रत्यादिष्ट या रद्द नहीं होगा, बल्कि मान्यता प्राप्त दल के प्रत्याशी की मृत्यु की स्थिति में संबंधित दल को नया प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने का विकल्प दिया जाएगा।
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30. दिनेश गोस्वामी समिति ने सिफारिश की थी-
(a) राज्यस्तरीय निर्वाचन आयोग के गठन की।
(b) लोक सभा के चुनाव के लिए सूची पद्धति की।
(c) लोक सभा के चुनाव के सरकारी निधीयन की।
(d) लोक सभा के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की अभ्यर्थता पर प्रतिबंध की।
[I.A.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (c) लोक सभा के चुनाव के सरकारी निधीयन की।
- दिनेश गोस्वामी 1990 की संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान विधि मंत्री थे।
- इनकी अध्यक्षता में वर्ष 1990 में चुनाव सुधारों पर समिति का गठन किया गया।
- इस समिति ने लोक सभा चुनाव में प्रत्याशियों की गाड़ियों के लिए ईंधन की निर्धारित मात्रा, मतदाता सूचियों की अतिरिक्त प्रतियां उपलब्ध कराने, प्रत्याशियों के द्वारा प्रयुक्त माइक्रोफोनों की निर्धारित संख्या के किराए का भुगतान आदि के संदर्भ में सरकारी निधीयन की सिफारिश की थी।
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31. दिनेश गोस्वामी समिति का संबंध था-
(a) बैंकों के राष्ट्रीयकरण की समाप्ति से
(b) निर्वाचन सुधारों से
(c) पूर्वोत्तर में उपद्रव समाप्त करने के उपायों से
(d) चकमा समस्या से
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर- (b) निर्वाचन सुधारों से
- दिनेश गोस्वामी 1990 की संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान विधि मंत्री थे।
- इनकी अध्यक्षता में वर्ष 1990 में चुनाव सुधारों पर समिति का गठन किया गया।
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32. लोक सभा एवं विधानसभा में सीटों के आरक्षण से संबंधित निम्नलिखित कथनों को पढ़िए तथा सही विकल्प को चुनिए-
कथन I : लोक सभा की 543 निर्वाचित सीटों में से 84 सीटें अनुसूचित जातियों एवं 44 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं।
कथन II : किसी निर्वाचन क्षेत्र को आरक्षित करने का निर्णय परिसीमन आयोग द्वारा लिया जाता है।
कथन III: परिसीमन आयोग की नियुक्ति लोक सभा के स्पीकर द्वारा की जाती है।
(a) कथन I, II एवं III सभी सही हैं।
(b) कथन । सही है, लेकिन कथन II एवं III गलत हैं।
(c) कथन 1 एवं III गलत हैं, लेकिन कथन II सही है।
(d) कथन I, II एवं III सभी गलत हैं।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (c) कथन 1 एवं III गलत हैं, लेकिन कथन II सही है।
- वर्ष 2008 के परिसीमन के तहत वर्तमान में लोक सभा की कुल 543 निर्वाचित सीटों में से 84 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए तथा 47 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं।
- अतः कथन । सही नहीं है। परिसीमन आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 82 के तहत संसद द्वारा बनाई गई विधि के अधीन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
- किसी निर्वाचित क्षेत्र के सीमांकन एवं उसे आरक्षित करने का निर्णय परिसीमन आयोग द्वारा लिया जाता है।
- इस प्रकार कथन II सही है, जबकि कथन III गलत है।
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33. परिसीमन आयोग के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- परिसीमन आयोग के आदेशों को किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
- परिसीमन आयोग के आदेश जब लोक सभा अथवा राज्य विधानसभा के सम्मुख रखे जाते हैं, तब उन आदेशों में कोई संशोधन नहीं किया जा सकता।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो । और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (c) 1 और 2 दोनों
- परिसीमन अधिनियम के अंतर्गत परिसीमन आयोग की स्थापना भारत सरकार द्वारा की जाती है। इसका मुख्य कार्य विगत जनगणना के आधार पर चुनाव क्षेत्रों की सीमा निर्धारित करना होता है।
- यह आयोग एक शक्तिशाली संस्था है, जिसके आदेशों को किसी कानूनी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
- इसके आदेश लोक सभा एवं संबंधित राज्य विधानसभाओं के समक्ष रखे जाते हैं, किंतु इन्हें आयोग के आदेशों में सुधार की अनुमति नहीं दी जाती है।
- अब तक भारत में 5 बार (1952, 1963, 1973, 2002 एवं 2020 में) परिसीमन आयोग का गठन किया गया है।
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34. नीचे दो कथन दिए गए हैं, एक को कथन (A) तथा दूसरे को कारण (R) कहा गया है-
कथन (A): आनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व की समस्या का कुछ हद तक समाधान कर सकती है।
कारण (R): आनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली नृजातीयता, लिंग, हितों और विचारधाराओं पर आधारित सभी प्रकार के समूहों के यथोचित प्रतिनिधित्व को सुलभ बनाती है।
नीचे दिए कूटों से सही उत्तर का चयन कीजिए-
(a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं और (R) सही व्याख्या है (A) की।
(b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं, परंतु (R) सही व्याख्या नहीं है (A) की।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P. Lower Sub. (Mains) 2013]
उत्तर- (a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं और (R) सही व्याख्या है (A) की।
- आनुपातिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था, निर्वाचन क्रियाप्रणाली के रूप में अल्पसंख्यक समूहों का उनकी संख्या के अनुपात में यथोचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है।
- इस प्रणाली से सभी वर्गों का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होता है।
- अतः (A) तथा (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या है।
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35. उस देश में आनुपातिक प्रतिनिधित्व आवश्यक नहीं है, जहां-
(a) कोई आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र है।
(b) द्वि-दलीय प्रणाली विकसित हुई है।
(c) पहला आए सब ले जाए (फर्स्ट पास्ट द पोस्ट) पद्धति प्रचलित है।
(d) राष्ट्रपति और संसदीय शासन प्रणाली का सम्मिश्रण है।
[I.A.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (b) द्वि-दलीय प्रणाली विकसित हुई है।
- आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली का उद्देश्य समाज के प्रत्येक समूह को समुचित अनुपात में प्रतिनिधित्व उपलब्ध कराना है।
- अतः जहां देश में मात्र दो दल हैं या द्वि-दलीय प्रणाली विकसित हुई है, वहां यह महत्वहीन हो जाती है।
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36. भारत में मतदान के लिए प्रयोग की जाने वाली मशीन VVPAT का संस्करण क्या है?
(a) MI
(b) Z1
(c) M3
(d) Z3
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/ उपर्युक्त में से एक से अधिक
[65th B.P.S.C. (Pre) 2019]
उत्तर- (c) M3
- पारदर्शी व्यवस्था की आधिकारिक पुष्टि के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल VVPAT का प्रयोग हो रहा है।
- वर्तमान समय में मतदान के लिए VVPAT युक्त EVM का M2/ M3 संस्करण आयोग द्वारा प्रयोग में लाया जा रहा है।
- अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
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37. निर्वाचन आयोग को ‘तीन सदस्यीय आयोग’ किस वर्ष से बनाया गया?
(a) 1982
(b) 1988
(c) 1989
(d) 1990
[U.P. P.C.S. (Mains) 2006]
उत्तर- (c) 1989
- भारत के निर्वाचन आयोग में मूलतः एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त ही होता था।
- 16 अक्टूबर, 1989 को सर्वप्रथम निर्वाचन आयोग में दो अतिरिक्त निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की गई परंतु । जनवरी, 1990 तक ही ये पद पर रहे। 1 अक्टूबर, 1993 को पुनः दो अतिरिक्त निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की गई और तब से यह आयोग तीन सदस्यीय है।
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38. निम्नलिखित में से कौन भारत के चुनाव आयोग का सदस्य नहीं था?
(a) डॉ. एम.एस. गिल
(b) एन. बी. लोहानी
(c) टी. एस. कृष्णमूर्ति
(d) बी. लिंगदोह
[M.P.P.C.S. (Pre) 2000]
उत्तर- (b) एन. बी. लोहानी
- वर्ष 2000 में डॉ. एम. एस. गिल चुनाव आयोग के अध्यक्ष थे और कृष्णमूर्ति एवं लिंगदोह अन्य सदस्य थे।
- बाद में क्रमशः लिंगदोह और कृष्णमूर्ति भी मुख्य चुनाव आयुक्त बने।
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39. नीचे दिए गए तथ्यों पर ध्यान दीजिए :
- भारत के प्रथम मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुकुमार सेन थे।
- भारत की पहली महिला मुख्य निर्वाचन आयुक्त रमा देवी थीं।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए।
कूट :
(a) केवल 1 सही है।
(b) केवल 2 सही है।
(c) 1 और 2 दोनों सही हैं।
(d) 1 और 2 दोनों गलत हैं।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (c) 1 और 2 दोनों सही हैं।
- भारत के प्रथम मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुकुमार सेन थे।
- इनका कार्यकाल 21 मार्च, 1950 से 19 दिसंबर, 1958 तक था। भारत की प्रथम एवं अब तक की एकमात्र महिला मुख्य निर्वाचन आयुक्त वी.एस. रमादेवी (कार्यकाल 26 नवंबर, 1990 से 11 दिसंबर, 1990) थीं।
- भारत के वर्तमान (25वें) मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार (15 मई, 2022) से हैं।
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40. निम्नांकित में से कौन-सा नेशनल वोटर्स डे है?
(a) 5 जून
(b) 1 नवंबर
(c) 25 जनवरी
(d) 8 मार्च
[M.P.P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (c) 25 जनवरी
- राष्ट्रीय मतदाता दिवस (नेशनल वोटर्स डे) 25 जनवरी को मनाया जाता है।
- भारत के निर्वाचन आयोग की स्थापना के उपलक्ष्य में और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में मतदाताओं और युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए यह दिवस 25 जनवरी, 2011 से शुरू किया गया था।
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