ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट-राईट का संक्षिप्त वर्णन
प्रश्न: ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट-राईट (HGP-write) (मानव जीनोम परियोजना-राईट) क्या है और यह पूर्ववर्ती ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट (HGP) से किस प्रकार भिन्न है? इस संदर्भ में, भारत में स्वास्थ्य देखभाल गतिविधियों के लिए HGP के संभावित लाभों की आलोचनात्मक व्याख्या भी कीजिए।
दृष्टिकोण
- परिचय में, ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट-राईट का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- आगामी परिच्छेद में पूर्ववर्ती ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट तथा ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट-राईट के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए।
- तत्पश्चात, संचारी, गैर-संचारी तथा चिकित्सा क्षेत्र की सामान्य सुरक्षा एवं प्रभावोत्पादकता में विभाजित कर भारतीय स्वास्थ्य देखभाल पर इसके संभावित लाभों का उल्लेख कीजिए।
- भारत द्वारा भविष्य में उठाए जाने योग्य क़दमों का उल्लेख करते हुए निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर
ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट-राईट (मानव जीनोम परियोजना-राईट), शून्य(scratch)से मानव जीनोम का संश्लेषण करने की परियोजना है। इसका आशय है कि मानव शरीर में विद्यमान जीन या आनुवंशिक पदार्थों के पूर्ण समुच्चय का परिष्कृत जैवअभियांत्रिकी उपकरणों द्वारा अंकन किया जाएगा। परियोजना का लक्ष्य संश्लेषित मानव जीनोम की अधिक कुशल और सस्ती अंकन प्रौद्योगिकियों का विकास करना है।
पूर्ववर्ती ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट-रीड (HGP-read) के अंतर्गत मानव जीनोम का अध्ययन करने एवं उसे समझने हेतु कुछ रसायनों और उपकरणों का प्रयोग किया जाता था। इसके विपरीत प्रोजेक्ट-राईट में सेल लाइन्स (कोशिका श्रंखलाओं) के निर्माण सहित मानव जीनोम का निर्माण किया गया है। वस्तुतः जहाँ प्रोजेक्ट-रीड ने वैज्ञानिकों एवं चिकित्सकों की मौलिक स्तर पर मानव जीनोम को समझने में सहायता की है वहीं प्रोजेक्ट-राईट ने मानव को जीन स्तर पर कार्यवाही करने हेतु समर्थ बनाया है।
प्रोजेक्ट-राईट के द्वारा चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो सकते हैं। इस संदर्भ में, भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली निम्नलिखित तरीकों से नवाचार के माध्यम से बड़े पैमाने पर लाभ उठा सकती है:
संचारी रोग: प्रोजेक्ट-राईट के माध्यम से विकसित उपकरण, तकनीक और प्रौद्योगिकियां एकल जीन एवं जीनोम के निर्माण हेतु सार्वभौमिक रूप से सभी जीवों पर लागू होंगी। यह टीकों और औषधियों के विकास गति को तीव्र कर मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसे रोगों के लिए कम लागत वाले समाधान प्रदान करेगा।
गैर-संचारी रोग: यह परियोजना मानव रोगों के अधिक समग्र प्रतिरूपण हेतु विशिष्ट गुणसूत्रों या जटिल कैंसर जीनोटाइप का निर्माण कर कैंसर जैसे गैर-संचारी रोगों का निदान करने में सहायता प्रदान करेगी।
अंगों का विकास और प्रत्यारोपण: प्रोजेक्ट-राईट से मानव अंगों को विकसित किया जा सकता है और इस प्रकार अंगदाताओं की कमी की समस्या के हल होने की सम्भावना है। इससे सुरक्षित अंग प्रत्यारोपण में भी सहायता मिलेगी।
सुरक्षा और प्रभावोत्पादकता: यह उपचार से संबंधित जोखिम को कम करेगी। इसके साथ ही इसके द्वारा एक ‘अल्ट्रा सेफ’ ह्यूमन सेल लाइन के सृजन हेतु इंड्यूस्ड प्लूरीपोटेंट स्टेम सेल्स (iPSCs) का प्रयोग कर स्टेम कोशिकाओं के प्रयोग में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जायेगा।
हालांकि, इससे संबंधित निम्नलिखित नैतिक एवं वैज्ञानिक चिंताएँ भी व्यक्त की जा रही हैं:
- मानव नए जीनोम के संश्लेषण (जो नए जीवों की रचना कर सकते हैं) के द्वारा प्राकृतिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करने में समर्थ हो जाएगा।
- डिजायनर बच्चों और बिना माता-पिता के बच्चों से संबंधित चिंताओं के साथ-साथ मानव जीवन को अभियांत्रिकी द्वारा प्रभावित करने की सीमाओं के सम्बन्ध में भी चिंताएँ व्यक्त की गयी हैं।
- बौद्धिक संपदा अधिकार के क्षेत्र में संश्लेषित जीन और जीनोम से संबंधित जटिल चिंताएँ।
उपर्युक्त चिंताओं को ध्यान में रखते हुए भारत को इस वैज्ञानिक प्रयास से दूर हटने के स्थान पर एक पारदर्शी विनियामक फ्रेमवर्क को अपनाते हुए इसके संभावित लाभों को प्राप्त करना चाहिए। इसके साथ ही विज्ञान द्वारा प्रदत्त अवसरों को शीघ्रता से अपनाया जाना चाहिए।
Read More
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन : गैर-संचारी रोगों से संबंधित चिंता
- सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम : उद्देश्य और चुनौतियां
- वैज्ञानिक ज्ञान और तकनीकी विकास के अन्वेषण के मुद्दे : विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नीतिशास्त्र (नैतिकता) को अपनाने की आवश्यकता
- ब्लॉकचेन : बिटकॉइन के लिए एक डिस्ट्रीब्युटेड लेजर टेक्नॉलॉजी के रूप में प्रकल्पित (इज़ाद),
- डिजिटल थेराप्यूटिक्स (चिकित्सा शास्त्र) की अवधारणा की व्याख्या : भारत में जीवनशैली से संबंधित रोगों की रोकथाम के संदर्भ में डिजिटल थेराप्यूटिक्स के अवसर एवं चुनौतियां