आर्थिक संरचना और जनसांख्यिकी

प्रश्न: तेजी से बदलती आर्थिक संरचना और जनसांख्यिकी को भविष्य में व्युत्पन्न हो सकने वाली अनेक चुनौतियों से निपटने के लिए एक व्यापक रोजगार नीति की आवश्यकता है। भारत के संदर्भ में चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • उत्तर का प्रारंभ भारत में बदलती आर्थिक एवं जनसांख्यिकीय परिस्थितियों का वर्णन करते हुए कीजिए।
  • भारत की विशाल जनसांख्यिकी के संदर्भ में विद्यमान चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
  • कुछ उपायों पर चर्चा कीजिये जिनके माध्यम से यह इन चुनौतियों का समाधान करेगा।

उत्तर

भारत का आर्थिक ढांचा तेजी से बदल रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था में पूर्व के वर्षों में कृषि की हिस्सेदारी में गिरावट आई है एवं उद्योग और सेवा क्षेत्रों में वृद्धि हुई है। कृषि से गैर-कृषि क्षेत्र में यह संरचनात्मक परिवर्तन और प्रौद्योगिकी में उन्नति से रोजगार हेतु नवीन संभावनाओं का पथ प्रदर्शित हुआ है।

भारत के लेबर ब्यूरो के रोजगार सृजन संबंधी आंकड़ों से यह ज्ञात हुआ कि रोजगार सृजन की वार्षिक दर दो मिलियन से कम है। यह भारत में एक गंभीर स्थिति को प्रदर्शित करती है जहां कार्यशील आयु वर्ग वाली जनसंख्या में प्रत्येक वर्ष 16 मिलियन की वृद्धि हो रही है। इसके अलावा, भारत की महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर (LFPR) 1994 में 35.8% से गिरकर 2012 में केवल 20.2% रह गई, जो कि चिंता का विषय है।

विश्व बैंक विकास रिपोर्ट, 2016 का अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में 69 प्रतिशत नौकरियों पर तकनीकी प्रगति के कारण खतरा है जिनके द्वारा भारत की सूचना प्रौद्योगिकी और व्यवसाय प्रक्रिया आउटसोर्सिंग क्षेत्रों को प्रभावित किए जाने की संभावना है। परिणामतः, इससे उद्योग द्वारा आवश्यक कौशल सेट और भारतीय श्रम शक्ति बल के मध्य लोगों के बीच असंतुलन हो सकता है।

भारत में कार्यरत लगभग 81% लोग अनौपचारिक क्षेत्र में संलग्न हैं, जिसका श्रमिकों, उद्यमों और समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त, भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। यह जनसांख्यिकीय लाभांश जनसांख्यिकीय आपदा में बदल सकता है यदि बेहतर भुगतान वाली नौकरियां तेज गति से उत्पन्न नहीं कि गईं।

इस प्रकार, भारत द्वारा युवाओं के लिए पर्याप्त प्रतिष्ठित रोजगार के अवसर पैदा करने और अनौपचारिक से औपचारिक रोजगार में संक्रमण की सुविधा संबंधी चुनौती का सामना किया हा रहा है। एक व्यापक और अभिसरण नीति इन आर्थिक और जनसांख्यिकीय बदलावों के माध्यम से आने वाली चुनौतियों को संबोधित कर सकती है जैसे कि हस्तक्षेप के माध्यम से: निम्नलिखित हस्तक्षेपों के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान करेगा:

  • कौशल अभाव, प्रशिक्षण आवश्यकताओं और उपलब्ध रोजगार अवसरों की पहचान करने हेतु एक प्रभावशाली श्रम बाजार सूचना प्रणाली (LMIS) पर बल देना।
  • विभिन्न क्षेत्रकों में नीतिगत पहलों एवं कार्यक्रमों में समन्वय और सम्बद्धता को सुनिश्चित करना।
  • यह सुनिश्चित करना कि शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास तंत्र श्रम बाजार की परिवर्तित आवश्यकताओं के अनुरूप है।
  • महिला मानव पूँजी और क्षमताओं का विकास करना तथा लैंगिक रूप से संवेदनशील श्रम बाजार विनियमों की स्थापना करना।
  • यह सुनिश्चित करना कि ग्रामीण बेरोजगार ऑनलाइन रोजगार अन्वेषन प्लेटफार्मों के माध्यम से अधिक स्थायी आधार पर पर्याप्त रोजगार प्राप्त कर सकें।
  • विभिन्न रोजगारोन्मुखी सरकारी योजनाओं को सम्बद्ध करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, कौशल भारत मिशन के साथ MGNREGA को जोड़ना संबंधित क्षेत्रों में स्थायी रोजगार उत्पन्न कर सकता है।

इस प्रकार, एक राष्ट्रीय रोजगार नीति (NEP) की आवश्यकता है जो एक तीव्रता से बदलती आर्थिक संरचना और जनसांख्यिकी द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के बहुआयामी प्रभावों को दूर करने के लिए बहुआयामी हस्तक्षेपों के एक समूह को शामिल करेगी।

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