भारत में नौकरशाही : राजनीतिक हस्तक्षेप तक कई गंभीर चुनौतियां

प्रश्न: भारत में नौकरशाही, ह्रासमान मानव पूंजी से लेकर राजनीतिक हस्तक्षेप तक कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है, जिन्हें यदि अनसुलझा छोड़ दिया गया तो आगे और अधिक संस्थागत पतन होगा। चर्चा कीजिए। इन चुनौतियों से कैसे निपटा जा सकता है? (250 शब्द)

दृष्टिकोण

  • भारत में नौकरशाही के समक्ष व्याप्त चुनौतियों का विवरण दीजिए।
  • यदि इन चुनौतियों को हल न किया जाए तो क्या परिणाम हो सकते हैं, उल्लेख कीजिए।
  • इन चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक सुधारों पर चर्चा कीजिए।

उत्तर

भारतीय नौकरशाही कई समस्याओं से ग्रसित है, जिनका समाधान न करने पर नौकरशाही का संस्थागत पतन हो सकता है और इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

नौकरशाही के समक्ष चुनौतियों और इनके परिणामों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • कर्मियों की संख्या में कमी: जैसा कि बासवान समिति की वर्ष 2016 की रिपोर्ट में भी दर्शाया गया है कि मध्यम और उच्च स्तरीय सेवाओं में कर्मियों की कुल संख्या में कमी व्याप्त है। इससे सेवाओं में विलंब होता है एवं वर्तमान कर्मचारियों पर बोझ भी बढ़ता है।
  • अनुचित राजनीतिक हस्तक्षेप: राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण प्राय: राजनीतिक कार्यपालिका को चुनौती देने वाले लोगों का बार-बार स्थानान्तरण कर दिया जाता है। यह अन्य लोगों को हतोत्साहित करता है और इस प्रकार नौकरशाही में जनता का विश्वास भी कमजोर होता है।
  • नौकरशाहों के बीच विशेषज्ञतापूर्ण कौशलों का अभाव: पदोन्नति और भर्ती हेतु लिए जाने वाले निर्णयों में, सामान्य योग्यता को महत्व दिया जाता है। हालांकि, विशेषज्ञतापूर्ण कौशल की कमी उन्हें तेजी से बदल रहे वैश्विक परिदृश्य में अप्रासंगिक बना सकती है।
  • जनता से अलगाव: यदि नौकरशाह जमीनी वास्तविकता से अवगत न हों तो नीति निर्माण और उसके कार्यान्वयन में, विशेष रूप से कल्याणकारी गतिविधियों के संबंध में, एक अंतराल उत्पन्न हो जाता है।
  • भ्रष्टाचार में वृद्धि: नौकरशाही में भ्रष्टाचार का उच्च स्तर, निवेश और विकास के निम्न स्तर से सम्बंधित है।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव: इसके परिणामस्वरुप संभव है कि अधिकारी अपने निजी लाभ के लिए स्वेच्छापूर्ण निर्णय ले लें।
  • परिवर्तन का प्रतिरोध: प्रौद्योगिकी को अपनाने और गवर्नेस में विकेन्द्रीकरण के प्रति अपनी अनिच्छा हेतु नौकरशाही की प्रायः आलोचना की पात्र बनती है।

चुनौतियों के समाधान हेतु आवश्यक सुधार:

  • नौकरशाहों के लिए निश्चित कार्यकाल का प्रावधान करना।
  • भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने हेतु नौकरशाहों को उचित वेतन,भत्ते और विशेषाधिकार प्रदान किये जाने चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त, एक दृढ सतर्कता तंत्र होना चाहिए और भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों का ठीक से कार्यान्वयन होना चाहिए।
  • प्रशासकीय प्रक्रिया का डिजिटलीकरण और नौकरशाही के निर्णय को जनता तक पहुँचाना, जिससे संसाधनों का उचित ढंग से उपयोग सुनिश्चित हो सके।
  • अनुभवी अधिकारियों का पार्श्व प्रवेश (lateral entr)।
  • करियर के मध्यवर्ती चरण में गहन समीक्षा द्वारा जवाबदेही तंत्र को सुदृढ़ बनाया जाना चाहिए तथा कार्यात्मक कौशल, कार्यक्षेत्र विशेषज्ञता, व्यवहार संबंधी दक्षता व सत्यनिष्ठा की कसौटी पर अधिकारियों की श्रेणी निर्धारित करने के लिए व्यापक मूल्यांकन तंत्र होना चाहिए।
  • विशिष्ट कार्यक्षेत्र में विशेषज्ञता विकसित करने के लिए अधिकारियों को उनके करियर के प्रारंभ में ही अलग-अलग विभाग आवंटित किए जाने चाहिए। जमीनी वास्तविकता का आकलन करने के लिए उन्हें क्षेत्र के नियमित दौरे पर भी जाना चाहिए।

नौकरशाही के कामकाज के मार्ग में आने वाली बाधाओं से उचित रूप से निपटा जाना चाहिए जिससे नौकरशाही देश की अखंडता को बनाए रखने वाला इस्पात का ढांचा बनी रहे।

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