नौकरशाही की व्याख्या : आत्म-उन्नयन, रोजगार में स्थायित्व और राजनीतिक कार्यकारिणी

प्रश्न: तकनीकी रूप से नौकरशाही संगठन का एक कुशल रूप रही है, लेकिन आत्म-उन्नयन, रोजगार में स्थायित्व और राजनीतिक कार्यकारी से निकटता की प्रवृत्ति के कारण यह अपनी प्रशासनिक शक्तियों का अतिक्रमण करता है। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • नौकरशाही की व्याख्या कीजिए और उन कारकों की चर्चा कीजिए जिनके कारण यह संगठन का एक कुशल रूप बनी हुई
  • चर्चा कीजिए कि यह कैसे आत्म-उन्नयन, रोजगार में स्थायित्व और राजनीतिक कार्यकारिणी से निकटता की प्रवृत्ति के कारणे अपनी प्रशासनिक शक्तियों का अतिक्रमण करती है।
  • संक्षेप में निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

नौकरशाही गैर-निर्वाचित सरकारी अधिकारियों का एक निकाय होती है। तकनीकी रूप से, नौकरशाही को इसकी पूर्वानुमेयता और यथार्थता के कारण संगठन का एक कुशल रूप माना गया है। इस पूर्वानुमेयता और यथार्थता के कारण हैं:

  • स्पष्ट पदानुक्रम और नियंत्रित तंत्र के साथ प्रत्येक स्तर पर उत्तरदायित्व को परिभाषित किया गया है।
  • अवैयक्तिक कानून (Impersonal laws) और लिखित अभिलेख निर्णय-निर्माण में तार्किकता प्रदान करते हैं।
  • योग्यता आधारित भर्ती, पदोन्नति, स्थानान्तरण इत्यादि।
  • तटस्थ भावना क्योंकि नियम-आधारित नौकरशाही सार्वजनिक और निजी लक्ष्यों को पृथक करने की मांग करती है।
  • करियर आधारित व्यवस्था, संगठन के साथ दीर्घकालिक संबद्धता को बढ़ावा देती है।

हालांकि,उपर्युक्त वर्णित तार्किकता और कुशलता वास्तविक जीवन के नौकरशाही संगठन में शायद ही कभी देखने को मिलते हैं। इसके कारण निम्नलिखित हैं

  • आत्म-उन्नयन: नौकरशाही अपने महत्व पर ध्यान आकर्षित करने के लिए अपनी शक्ति और प्रभाव को बढ़ाने का प्रयास करती है। स्व-हित को अधिकतम संतुष्ट करने की यह प्रवृत्ति सार्वजनिक हितों के प्रति उदासीनता का कारण बन जाती है। यह धारणा इतनी विकसित हो गयी है कि नौकरशाह स्वयं को कानून के समान मानते हैं। यह प्राय: ‘विस्तृत (bloated)’ होती है और इसके आकार को इसके योगदान के लिए असंगत माना जाता है। नौकरशाही कागजी प्रक्रियों में संलग्न रहते हुए लोक व्यवहार के मामलों में अपनी गोपनीयता को बनाए रखती है ताकि उनके गलत कार्य कभी उजागर न सके और यदि वे उजागर हो भी जाते हैं तो वे समितियों और आयोगों का सहारा लेते हैं। इस प्रकार लोक सेवा की उपेक्षा करते हुए स्वयं के लिए कार्य और स्थिति का निर्माण करते हैं।
  • रोजगार में स्थायित्व: एक बार भर्ती होने के बाद नौकरशाह को स्थायित्व प्राप्त हो जाता है जिससे भ्रष्ट नौकरशाहों को पदच्युत करना बहुत कठिन हो जाता है। अन्य विकसित देशों के विपरीत भारत में सिविल सेवकों को अनुच्छेद 311 के तहत संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है। इस प्रकार, अत्यधिक रोजगार सुरक्षा के साथ करियर आधारित सिविल सेवाएं सिविल सेवकों के मध्य आत्मतुष्टि की भावना और उत्तरदायित्व में कमी का कारण बनती है। यह रूढ़िवाद को जन्म देती है और परिवर्तन का विरोधी करती है।
  • राजनीतिक कार्यपालिका से निकटता: राजनीतिक कार्यपालिका और सिविल सेवकों के बीच विश्वास ने क्रमिक रूप से सिविल सेवकों के वर्गीकरण और कई मामलों में उनके राजनीतिकरण के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। जो सिविल सेवक, सत्यनिष्ठा के स्तर और ईमानदार व्यवहार को बनाए रखने का प्रयास करते हैं, उनके साथ कार्य, स्थानांतरण या उनके अन्य सेवा संबंधी मामलों के संदर्भ में राजनीतिक वर्ग द्वारा उचित व्यवहार नहीं किया जाता है। दूसरी ओर, राजनीतिक कार्यपालिका से निकटता रखने वाले सिविल सेवकों को अनौपचारिक और औपचारिक विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं। यह प्रवृति तटस्थता और निष्पक्षता की भावना के विरुद्ध हैं।

नौकरशाही भारतीय प्रशासनिक प्रणाली का मूलाधार है। इसे सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक परिदृश्य में परिवर्तन करने हेतु स्वयं को पुनर्परिभाषित करना चाहिए। कल्याणकारी राज्य की बढ़ती भूमिका, सरकार के प्रकार्यों का विस्तार और सार्वजनिक संबंधों की मांग है कि नौकरशाही को कुशल बनने के लिए इन विशेषताओं को त्याग देना चाहिए। राजनीतिक कार्यपालिका और सिविल सेवा दोनों को ही संकीर्ण व्यक्तिगत हितों के स्थान पर लोक सेवा मूल्यों द्वारा निर्देशित होना चाहिए।

Read More 

 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.