हिमनदीय झील प्रस्फोट जनित बाढ़ :इनके प्रभावों को न्यून करने हेतु कुछ आवश्यक उपाय

प्रश्न: उन विभिन्न कारकों की पहचान कीजिए जो हिमनदीय झील प्रस्फोट जनित बाढ़ (ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड) को प्रेरित करते हैं। साथ ही, इनके प्रभावों को न्यून करने हेतु किये जाने वाले कुछ आवश्यक उपायों का भी सुझाव दीजिए।

दृष्टिकोण:

  • हिमनदीय झील प्रस्फोट जनित बाढ़ (ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड: GLOFs) को परिभाषित कीजिए।
  • इसको प्रेरित करने वाले कारकों को सूचीबद्ध कीजिए।
  • इन बाड़ों के प्रभाव को कम करने हेतु किए जाने वाले उपायों का भी उल्लेख कीजिए।

उत्तर:

GLOFs वस्तुतः बांध के टूटने के कारण पिघले हुए जल, हिमोढ़ तथा हिमनदीय झील के संपूर्ण पदार्थों के निर्गमन को संदर्भित करती है। GLOFs के परिणामस्वरुप भू-आकृतिक एवं सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक प्रभाव डालने वाली विनाशकारी बाढ़ उत्पन्न होती है।

GLOFs को प्रेरित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं:

  • ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमनद निवर्तन के फलस्वरूप हिमनदीय झीलों की संख्या और मौजूदा झीलों के आकार में भी बढ़ोत्तरी होती है। झील में तीव्र ढ़ाल गतिशीलता और हिम का पिघलना हिमनदों के निवर्तन से संबंधित हैं। इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न विशाल आकार एवं पदार्थ को समाहित करना अत्यधिक कठिन हो जाता है।
  • मानवजनित कारक जो व्यापक स्तर पर विकिरण संतुलन (रेडिएटिव बैलेंस) में परिवर्तन कर देते हैं- उदाहरणार्थ: हिमालयी क्षेत्र में मानवजनित गतिविधियों, यथा- व्यापक पर्यटन; सड़कों एवं जलविद्युत परियोजनाओं जैसे विकास संबंधी हस्तक्षेपों के परिणामस्वरूप हिमनद तीव्रता से पिघल रहे हैं, जिसके कारण GLOFs उत्पन्न होती हैं।
  • अन्य कारक: ब्लैक कार्बन का सतही ताप प्रभाव, भूकंप, उपसतही बहिर्वाह सुरंगों का अवरुद्ध होना और दीर्घकालिक बांध क्षरण इत्यादि GLOFs हेतु अन्य प्रेरक कारक हैं।

उपाय 

  • प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली एवं यथासमय सूचना तक पहुंच इसके प्रभाव को कम करने के प्रमुख उपाय हैं। इसके अतिरिक्त रिमोट सेंसिंग का उपयोग करके निरंतर निगरानी की जा सकती है।
  • विभिन्न बांध सुधार संबंधी उपायों, जैसे- कृत्रिम बांधों, सुरंगों, खुली दरारों, कंक्रीट का बहिर्वाह, बाढ़ सुरक्षा दीवारों का निर्माण आदि द्वारा बाढ़ की भयावहता की रोकथाम या शमन किया जा सकता है।
  • अन्य उपायों में GLOFs का जोखिम मानचित्रीकरण, GLOF सुरक्षित निकासी स्थलों की पहचान, सुभेद्य समुदायों की पहचान करना, समुदाय आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली सहित सामुदायिक तत्परता आदि शामिल हैं।

ISRO अन्य संगठनों के साथ मिलकर पूर्व से ही हिमनदीय झीलों तथा भारतीय नदी बेसिन के हिमालयी क्षेत्र में अन्य जलीय निकायों की निगरानी में संलग्न हैं।

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