केस स्टडीज : छात्रों के बीच सही आदतों को विकसित करने में शिक्षण संस्थानों की भूमिका

प्रश्न: आपको एक ऐसे विद्यालय के प्रधानाचार्य के रूप में नियुक्त किया है, जो एक पिछड़े जिले में अवस्थित है। एक सहकर्मी इस ओर आपका ध्यान आकर्षित करता है कि लड़कों का एक समूह विद्यालय के लिए नियत समयावधि में विद्यालय के समीप धूम्रपान में लिप्त रहता है। उसी समूह को कई बार विद्यालय परिसर में शराब पीते हुए भी पकड़ा गया है। इस विशेष समूह से निपटने में किसी प्रकार का दंड प्रभावी होता दिखाई नहीं देता है। जांच करने पर आपको पता चलता है कि ये लड़के कम आय वाले परिवारों से सम्बन्धित है और इन्होंने अपने घर के बुजुर्गों और पड़ोसियों से ये आदतें सीख ली हैं। शिक्षक इससे अन्य छात्रों पर पड़ने वाले प्रभाव के विषय में चिंतित हैं। आपको अहसास होता है कि इस समस्या का समाधान यथासंभव शीघ्रता से किये जाने की आवश्यकता है। इस सन्दर्भ में, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

(a) उन कारकों की पहचान कीजिये जो युवा लोगों को इस प्रकार की हानिकारक आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं? छात्रों के बीच सही आदतों को विकसित करने में शिक्षण संस्थानों की भूमिका क्या है?

(b) आप इस तात्कालिक समस्या का समाधान कैसे करेंगे? इस सम्बन्ध में आप अपने पास उपलब्ध विकल्पों का विश्लेषण कीजिये।

(c) इस मामले में आप छात्रों के मध्य एक व्यवहारगत परिवर्तन कैसे लायेंगे?

दृष्टिकोण:

  • उन कारकों की व्याख्या कीजिए जो युवाओं को इन हानिकारक आदतों को अपनाने के लिए मजबूर करते हैं।
  • छात्रों के मध्य सही आदतों को अपनाने में शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि आप प्रधानाचार्य के रूप में तत्काल इस मुद्दे को कैसे संबोधित करेंगे और किस प्रकार इन विकल्पों का आंकलन करेंगे।
  • इस मामले में छात्रों के मध्य एक व्यवहारगत परिवर्तन लाने के तरीकों पर चर्चा कीजिए।

उत्तर:

(a) वैसे कारक जिनके कारण युवा लोग हानिकारक आदतों को अपनाते हैं, वे हैं: 

  • तम्बाकू विज्ञापनों और ऐसे उत्पादों के विक्रय स्थल के प्रति सहज आकर्षण, तम्बाकू उत्पादों की आसान उपलब्धता।
  • अनुकरण- वे किसी ऐसे व्यक्ति जिनका वे सम्मान करते हैं या ख्याति प्राप्त लोगों आदि को देख कर उनका अनुसरण करते हैं।
  • जागरूकता और समझ के अभाव वे धूम्रपान के परिणामों (विशेष रूप से व्यक्तिगत स्वास्थ्य के संबंध में) से अवगत नहीं होते हैं।
  • मित्र समूहों का दबाव और परिपक्व, स्वतंत्र, अक्खड़ आदि दिखने की इच्छा।
  • घर पर गरीबी और पारिवारिक समस्याओं के कारण उत्पन्न कठिनाइयां।

छात्रों के मध्य सही आदतों को विकसित करने में शैक्षिक संस्थानों की भूमिका:

  • शैक्षिक संस्थानों में एक बच्चे द्वारा किये गए व्यय का उसके व्यक्तित्व को विकसित करने, उसे सामाजिक बनाने और मूल्य एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी शिक्षा प्रदान करने के लिए रचनात्मक रूप से उपयोग किया जा सकता है।
  • उन बच्चों की पहचान करना जो अवांछित और हानिकारक गतिविधियों के प्रति आकर्षित होते हैं और उन्हें अपने दीर्घकालिक हित में निर्णय लेने के लिए परामर्श देना।
  • बुरी आदतों के त्याग और रोकथाम के लिए नीतियां विकसित की जा सकती हैं।
  • सीखने के संसाधन या कार्यक्रमों के लिए समर्थन प्रदान करना।

(b) तत्कालिक समस्या का समाधान करना:

तत्कालिक समस्यायों के समाधान में सम्मिलित हैं:

  • छात्रों के व्यवहार में सुधार करना और उनमें सही आदतों का विकास करना।
  • विद्यालय के माहौल के बारे में अन्य छात्रों, कर्मचारियों और बच्चों के अभिभावकों के विश्वास को बनाए रखना।
  • यह सुनिश्चित करना कि छात्रों के खिलाफ कोई भी ऐसी कार्यवाही उन्हें विद्यालय छोड़ने पर विवश न करे।
  • विद्यालय की प्रतिष्ठा को संरक्षित करना।

मेरे पास निम्नलिखित विकल्प हैं:

  • समस्या की अनदेखी करना: इससे संबंधित छात्रों में नियम तोड़ने की आदत को प्रोत्साहन मिलेगा, उनमें तम्बाकू/अल्कोहल के उपभोग की आदत को बढ़ावा मिलेगा। यदि इन छात्रों को प्रभावी रूप से रोका नहीं गया, तो अन्य छात्र भी नशे की लत के शिकार हो सकते हैं। विद्यालय की प्रतिष्ठा पर भी बुरा असर पड़ेगा। इसके अलावा, संबंधित परिवारों और समाज के लिए दीर्घकालिक नकारात्मक सामाजिक-आर्थिक परिणाम होंगे।
  • दोषी छात्रों को दंडित करना/उन्हें विद्यालय से निकाल देना: इन छात्रों की सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं पर विचार करते हुए यह एक बहुत कठोर दंड होगा। जो उन्हें अपनी पढाई को बीच में ही छोड़ने के लिए मजबूर कर सकता है।

उन्हें दंडित करना और उन्हें सुधारने के सभी प्रयासों को भी संचालित करना

  • धूम्रपान के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई और पेशेवर स्वास्थ्य परामर्श।
  • संबंधित अभिभावकों को सूचित करना और इस मुद्दे की गंभीरता के बारे में उन्हें शिक्षित करना।

मैं तीसरे विकल्प का चयन करूंगा। इसके अलावा, मैं प्रस्तुतिकरण, नाटक इत्यादि के माध्यम से विद्यालय में ऐसी आदतों के हानिकारक प्रभावों के बारे में जानकारी प्रसारित करने के लिए कदम उठाऊंगा और यह सुनिश्चित करूँगा कि “व्यसनकारी वस्तुओं” से सम्बन्धित नीति का विद्यालय परिसर एवं उसके आसपास सख्ती से पालन किया जाए। विद्यालय के पाठ्यक्रम में वांछित सामाजिक व्यवहार पर एक पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए भी कदम उठाए जा सकते हैं।

(c) व्यवहार परिवर्तन के लिए, निम्नलिखित उपायों को अपनाया जाना चाहिए:

  • NGOs और स्थानीय मीडिया की मदद से विद्यालय में तंबाकू प्रयोग संबंधी रोकथाम कार्यक्रमों का आयोजन।
  • शिक्षकों और अभिभावकों के लिए निवारक कार्यक्रम का प्रशिक्षण।
  • छात्र निकाय और शिक्षण कर्मचारियों के बीच उन्मूलन प्रयासों को प्रोत्साहित करना और समर्थन करना जो अधिक विशिष्ट प्राप्य लक्ष्यों को केंद्रित करते हैं।
  • छात्रों में रचनात्मक रुचियों को विकसित एवं अंतर्निविष्ट करना।

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