मुक्त आवागमन व्यवस्था (FMR) क्या है?
- जनजातीय समुदायों, विशेष रूप से नागा, सिंहपो, कुकी, मिजो इत्यादि का दावा है कि भारत और म्यांमार के बीच की सीमा उस क्षेत्र की पारंपरिक सीमाओं से असंगत है जिसमें वे निवास करते हैं तथा अभी भी उनके अपने रिश्तेदारों के साथ सीमा पार संबंध कायम हैं।
- इस प्रकार FMR भारत और म्यांमार सीमा के साथ रहने वाली जनजातियों की असुरक्षा को कम करने की व्यवस्था है।
- यह सीमा के निकट निवास करने वाली जनजातियों को वीज़ा प्रतिबंधों के बिना सीमा पार 16 किमी की यात्रा करने की अनुमति प्रदान करती है।
- जहाँ भारत म्यांमार के नागरिकों को वीजा के बिना 72 घंटे रहने की अनुमति देता है, वहीं म्यांमार केवल 24 घंटे रहने की अनुमति देता है। इसका समाधान करने हेतु दोनों सरकारों के मध्य समानांतर चर्चाएं जारी हैं।
FMR की समीक्षा की आवश्यकता
- FMR के नाम पर अवैध गतिविधियां: खुफिया एजेंसियों ने चिंता व्यक्त की है कि आतंकवादियों और अपराधियों द्वारा
घुसपैठ, नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी इत्यादि के लिए FMR का दुरुपयोग किया जा रहा है। - सीमावर्ती राज्यों के मध्य भिन्न-भिन्न प्रोटोकॉल: सीमावर्ती राज्यों द्वारा FMR के भिन्न-भिन्न प्रोटोकॉलों का पालन किया जाता था, जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता था। इस प्रकार दोनों देशों के मध्य सीमा सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ किए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। हाल ही में सरकार म्यांमार के सीमावर्ती सभी चार राज्यों के लिए FMR के संबंध में सामान्य मानक परिचालन प्रक्रियाओं (SOP) का निर्माण करने पर सहमत हुई है।
- NSCN-K, NSCN-IM, ULFA, PLA, (UNLF-M) जैसे विद्रोही समूहों के लिए सुरक्षित स्थल उपलब्ध हैं। कुछ हद तक अपने मोबाइल बेस और कुशल सूचना नेटवर्क के कारण इन समूहों को पश्चिमी बर्मी पहाड़ियों में ऐसे सुरक्षित स्थल उपलब्ध हुए हैं।
- क्षेत्र की जटिल प्रकृति: खड़े पर्वतीय ढाल, दुर्गम क्षेत्र, अत्यधिक प्रवाह वाली नदियां और सघन वनाच्छादन लोगों के आवागमन और क्षेत्र के विकास को कठिन बनाता है। इस प्रकार भारत की सुरक्षा चिंता को ध्यान में रखते हुए जनजातियों के हितों के विकास को समायोजित करने हेतु FMR की समीक्षा की जानी चाहिए।
- रोहिंग्या का पलायन: म्यांमार के रखाईन प्रांत में अशांति के कारण रोहिंग्या मुस्लिमों का भारत में पलायन हुआ है। इस संदर्भ में मुक्त आवागमन व्यवस्था और उभरते सुरक्षा मुद्दों के कार्यान्वयन के लिए सीमावर्ती राज्यों द्वारा अपनाए गए मौजूदा नियमों और विनियमों की जांच हेतु एक सरकारी पैनल भी गठित किया गया है।
CIBMS क्या है?
यह एक सुदृढ़ और एकीकृत प्रणाली है जो मानव संसाधनों, हथियारों और उच्च तकनीक निगरानी उपकरणों को निर्बाध
रूप से एकीकृत करके, सीमा सुरक्षा की वर्तमान प्रणाली में व्याप्त अंतराल का समाधान करने में सक्षम है।
इसमें तीन मुख्य घटक हैं:
- अंतर्राष्ट्रीय सीमा की दिन-रात निगरानी के लिए मौजूदा उपकरणों के साथ-साथ सेंसर, डिटेक्टर व कैमरे जैसे नए उच्च तकनीक निगरानी उपकरण।
- एकत्रित डेटा के प्रेषण के लिए फाइबर ऑप्टिक केबल्स और उपग्रह संचार सहित एक कुशल और समर्पित संचार नेटवर्क;
- एक कमांड और कंट्रोल सेंटर, जिसे अंतर्राष्ट्रीय सीमा का एक समग्र चित्र प्रदान करने के लिए एकत्रित डेटा प्रेषित किया जाएगा।