फ्लाई ऐश (Fly Ash)

भारत सरकार ने एक वेब आधारित निगरानी प्रणाली व ऐश ट्रैक नामक फ्लाई ऐश मोबाइल एप्लीकेशन का आरंभ किया है।

  • ये प्लेटफॉर्स फ्लाई ऐश (राख) उत्पादकों (तापीय विद्युत संयंत्रों) व भावी ऐश प्रयोगकर्ताओं (जैसे सड़क ठेकेदार, सीमेंट प्लांट आदि) के बीच इंटरफ़ेस उपलब्ध करवाकर, तापीय विद्युत संयंत्रों द्वारा उत्पादित ऐश के बेहतर प्रबंधन करने को सक्षम बनाएंगे।
  • ऐश ट्रैक ऐप किसी निर्धारित स्थान से 100 कि.मी. से 300 कि.मी. के दायरे के भीतर स्थित कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों, फ्लाई ऐश की उपलब्धता तथा साथ ही उसी परिधि में भावी प्रयोक्ताओं का पता लगाकर 200 मिलियन टन फ्लाई ऐश का प्रबंधन करेगा।
  • यह ऐप देश में संयंत्र, प्रतिष्ठान और राज्य वार उपयोग का स्तर प्रदर्शित करता है।
  • तापीय संयंत्रों के लिए फ्लाई ऐश उत्पादन, उपयोग एवं स्टॉक का ब्यौरा वेब पोर्टल व ऐप पर अपडेट करना आवश्यक होगा।

फ्लाई ऐश से संबंधित तथ्य

  • यह एक बारीक पाउडर है जो तापीय विद्युत संयंत्रों में कोयले के जलने से उप-उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।
  • संघटन (Composition): फ्लाई ऐश में सिलिका, एल्यूमीनियम और कैल्शियम के ऑक्साइड्स की पर्याप्त मात्रा मौजूद होती है। आर्सेनिक, बोरान, क्रोमियम तथा सीसा जैसे तत्व भी सूक्ष्म मात्रा में पाए जाते हैं। इस प्रकार इससे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए
    गंभीर संकट उत्पन्न होते हैं।

फ्लाई ऐश के उपयोग का व्यापक उद्देश्य

  • पर्यावरण की रक्षा, शीर्ष मृदा का संरक्षण करना, कोयले या लिग्नाइट आधारित तापीय विद्युत संयत्रों से निर्मुक्त फ्लाई ऐश की भूमि
    पर डंपिंग और निपटान को प्रतिबंधित करना।
  • ईंटों के निर्माण हेतु शीर्ष मृदा के उपयोग को सीमित करना।

फ्लाई ऐश के लाभ

  • यह निर्माण उद्योग के विभिन्न अनुप्रयोगों हेतु उपयुक्त संसाधन सामग्री है। वर्तमान में इसका प्रयोग पोर्टलैंड सीमेंट, ईंटो/ब्लॉक्स/टाइलों के निर्माण, सड़क किनारों के निर्माण और निम्न तल वाले क्षेत्रों के विकास इत्यादि के लिए किया जा रहा है।
  • इसे कृषि में लाभकारी ढंग से अम्लीय मृदाओं हेतु एक अभिकारक, मृदा कंडीशनर के रूप में प्रयोग किया जा सकता है- इससे मृदा की महत्वपूर्ण भौतिक-रसायन विशेषताओं (जैसे हाइड्रोलिक कंडक्टिविटी, बल्क डेंसिटी, पोरोसिटी, जल धारण क्षमता आदि) में सुधार होगा।
  • भारत अभी तक फ्लाई ऐश प्रयोग की अपनी संभावनाओं का पूर्ण प्रयोग कर पाने में सक्षम नहीं है। हाल ही के CSE के एक अध्ययन के अनुसार, उत्पादित की जाने वाली फ्लाई ऐश का मात्र 50- 60% ही प्रयोग हो पाता है।

इसकी संभावनाओं के पूर्ण प्रयोग हेतु निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:

  • MoEF की 2009 में जारी अधिसूचना ऐश उपयोग के दिशानिर्देश उपलब्ध कराती है तथा किसी तापीय विद्युत संयंत्र की 100 किमी. की परिधि में इसके उपयोग का समर्थन करती है।
  • इसके नए व नवाचारी उपयोग भी किए जा रहे हैं। जिनमें IIT-दिल्ली एवं IIT-कानपुर के साथ मिलकर NTPC जैसी विद्युत
    कंपनियों की पहल से किए जा रहे प्रयास महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के तौर पर प्री-स्ट्रेस्ड रेलवे कंक्रीट स्लीपर्स का निर्माण।

फ्लाई ऐश उपयोग नीति

फ्लाई ऐश उपयोग नीति अपनाने वाला महाराष्ट्र देश का प्रथम राज्य बन गया है और इसने सिंगापुर व दुबई जैसे स्थानों पर सृजित माँग के आलोक में फ्लाई ऐश के निर्यात की एक नीति भी बनाई है।

इस नीति की महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं:

  • सरकार ने सभी तापीय विद्युत संयत्रों के आस-पास सीमेंट जैसे ऐश-आधारित औद्योगिक संकुलों के विकास की घोषणा की है।
    सरकार के साथ संयुक्त उद्यम में उद्योगों को भूमि, ऐश और कर संबंधी प्रोत्साहन दिए जाएंगे।
  • फ्लाई ऐश का उपयोग सीमेंट, पूर्वनिर्मित भवन सामग्री, ईंटें, सड़कें, आवास एवं औद्योगिक भवनों, बांधों, फ्लाईओवर, निम्नस्थ क्षेत्रों का विकास, बंजर भूमि के सुधार, खानों के भराव और अन्य सभी निर्माण कार्यों के लिए किया जा सकता है। इन उपयोगों को उचित रूप से बढ़ावा दिया जाएगा।
  • कोल ऐश का उपयोग कृषि भूमि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जा सकता है और इसलिए किसानों के मध्य फ्लाई ऐश के
    उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग भी शामिल किया गया है।
  • सरकार ने सीनोस्फीयर (फ्लाई ऐश में निम्न आयतन में उपस्थित उच्च क्षमता वाला पदार्थ) के साथ उपचार के बाद फ्लाई ऐश
    को निर्यात करने का भी निर्णय लिया है, जिससे 1,500 करोड़ रुपये का राजस्व के सृजन की अपेक्षा है।

आगे की राह

फ्लाई ऐश के 100% उपयोग के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  • कोयले/लिग्नाइट आधारित तापीय विद्युत संयंत्रों के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण में शुष्क फ्लाई ऐश के विकास को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक तकनीकी उन्नति को शामिल किए जाने की आवश्यकता है।
  • नवीनीकरण और आधुनिकीकरण में फ्लाई-ऐश आधारित उद्योगों के विकास के लिए एक विपणन रणनीति भी शामिल की
    जानी चाहिए और आस-पास के बाजारों में फ्लाई ऐश और फ्लाई-ऐश आधारित भवन उत्पादों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
  • रेलवे लाइनों को बिछाने के लिए किनारों के निर्माण में फ्लाई ऐश के उपयोग के साथ बड़े पैमाने पर फ्लाई ऐश के उपयोग के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिए।
  • कृषि और बंजर भूमि के सुधार में फ्लाई ऐश के उपयोग के बारे में जागरूकता में वृद्धि की जानी चाहिए।

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