भारत में बाढ़ : भारत में बारम्बार बाढ़ की घटना के लिए उत्तरदायी कारक

प्रश्न: भारत में बारंबार बाढ़ की घटना के पीछे उत्तरदायी कारणों पर प्रकाश डालिए। साथ ही, बाढ़ प्रबंधन के लिए NDMA के दिशा-निर्देशों का भी उल्लेख कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • भारत में बाढ़ की घटना का संक्षिप्त विवरण देते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
  • भारत में बारम्बार बाढ़ की घटना के लिए उत्तरदायी कारकों पर चर्चा कीजिए।
  • बाढ़ प्रबंधन के लिए NDMA के दिशा-निर्देशों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  • आगे की राह सुझाते हुए निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तरः

बाढ़, नदी धाराओं के साथ अथवा तटों पर उच्च जल स्तर की अवस्था है, जिससे सामान्यतः जलमग्न न होने वाली भूमि जलप्लावित हो जाती है। यह प्राकृतिक या मानव निर्मित हो सकती है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के अनुसार, भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 12% से अधिक क्षेत्र बाढ़ प्रवण है।

भारत में बारम्बार बाढ़ की घटना के लिए उत्तरदायी कारण 

  • नदियों का अनियमित मार्ग (Erratic course): नदी के मार्ग में परिवर्तन (जैसे- ब्रह्मपुत्र) नदी के अपने नियत मार्ग से विचलन तथा चतुर्दिक क्षेत्र के जलमग्न होने का कारण होता है।
  • निम्नस्तरीय अपवाह प्रणाली और अत्यधिक वर्षा: असामान्य अत्यधिक वर्षा के जल की निकासी की अक्षमता के परिणामस्वरूप बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए अगस्त 2019 में उच्च वर्षा के कारण निरंतर आई बाढ़ से भारत के नौ राज्य (जैसे- असम, बिहार, आदि) गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे।
  • चरम मौसमी घटनाएं: चक्रवात (तटीय क्षेत्रों में) और मेघ प्रस्फोट (Cloudburst) (हिमालयी क्षेत्र में) जैसी घटनाएँ बाढ़ का कारण बनती हैं।
  • नदियों की वहन क्षमता में कमी: तलछट और बालू तथा मलबे (भूस्खलन के कारण) के निक्षेप नदियों के तल को ऊपर उठा देते हैं और इस कारण जल को समायोजित करने की इनकी क्षमता में कमी आती है, जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ की घटनाएं घटित होती हैं।
  • बांधों का निम्न स्तरीय प्रबंधन: पुराने बांधों की विफलता, बांधों से जल का अनियमित निर्गमन और बांध सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन आदि के परिणामस्वरूप भी बाढ़ की घटनाएं होती हैं, उदाहरणार्थ वर्ष 2015 में चेन्नई में आई बाढ़ आदि।
  • अनियोजित नगरीकरण: बाढ़कृत मैदानों में अनियोजित विकास गतिविधियाँ, अवसंरचनाओं का अनुरक्षण दोष आदि नगरीय बाढ़ के कारण हैं।
  • अन्य कारक: इसमें हिम का पिघलना, वनोन्मूलन, उच्च ज्वार के दौरान समुद्री जल से भूमि क्षेत्रों का जलमग्न होना आदि शामिल हैं।

बाढ़ प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा निम्नलिखित दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं यथा:

  • संस्थागत ढांचा: राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (NDMA की सहायता के लिए), नदी बेसिन संगठन (नदी बेसिन स्तर पर जल संसाधनों के प्रबंधन से संबद्ध), राष्ट्रीय बाढ़ प्रबंधन संस्थान (प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए) आदि संगठन स्थापित किए जाएंगे।
  • बाढ़ से बचाव, तैयारी और शमन: संरचनाओं को बाढ़-रोधी बनाने और बाढ़कृत मैदानों में गतिविधियों को विनियमित करने हेतु बाढ़ के पूर्वानुमान, प्रारंभिक चेतावनी और निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS) को स्थापित किए जाने की आवश्यकता है।
  • क्षमता विकास और बाढ़ प्रतिक्रिया: सरकार को बाढ़ के पूर्ववर्ती एवं बाद के चरणों के दौरान प्रभावी और स्थायी उपाय करने हेतु क्षमता विकास के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।
  • बाढ़ जोखिम और इससे होने वाली क्षति को कम करने के लिए गतिविधियाँ: इसे निम्नलिखित तीन चरणों में लागू किया जाएगा यथा:

चरण 1: इस चरण में बाढ़ प्रवण क्षेत्रों की पहचान करना, बाढ़ पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणाली के लिए योजना तैयार करना, परिचालन नियमावली की समीक्षा एवं संशोधन, नदी के क्षरण की समस्याओं पर विशेष अध्ययन करना आदि गतिविधियाँ शामिल हैं।

चरण 2: इस चरण में बाढ़ पूर्वानुमान एवं चेतावनी नेटवर्क का विस्तार और आधुनिकीकरण, बाढ़ से संरक्षण तथा जल निकासी सुधार योजनाओं का निष्पादन, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट का नियोजन व तैयारी आदि जैसी गतिविधियों के माध्यम से बाढ़ प्रबंधन योजनाओं (FMPs) को लागू करना शामिल है।

चरण 3: इस चरण में भारत के साथ-साथ पड़ोसी देशों में बांधों के निर्माण और जलग्रहण क्षेत्र उपचार कार्यों जैसी गतिविधियों का क्रियान्वयन शामिल है।

  • आवर्ती गतिविधियाँ (Recurring activities): बाढ़ के जोखिम को कम करने हेतु बांधों, तटबंधों और अन्य संरचनात्मक उपायों का निरीक्षण, बाढ़ पूर्वानुमान व चेतावनी प्रणालियों का आधुनिकीकरण आदि जैसी गतिविधियों की नियमित आधार पर निगरानी तथा समीक्षा की जानी चाहिए।

ये दिशा-निर्देश आधुनिक प्रौद्योगिकी के लाभों, संगठित प्रयासों और शमन हेतु सतत प्रयत्नों के महत्त्व का वर्णन करते हुए समेकित उपाए किए जाने पर बल देते हैं। भारत को बाढ़ से सुरक्षा प्रदान करने हेतु इन दिशा-निर्देशों की सफलता सरकार द्वारा निर्मित और लागू की गई FMPs की प्रभावकारिता पर निर्भर करेगी।

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