FPTP(फर्स्ट पास्ट द पोस्ट) प्रणाली को प्रतिस्थापित करने की मांगों के कारणों पर चर्चा

प्रश्न: FPTP (फर्स्ट पास्ट द पोस्ट) प्रणाली को अन्य विकल्पों से प्रतिस्थापित किए जाने की मांगों के प्रकाश में, वर्तमान प्रणाली के लाभों से तुलना करते हुए इसे प्रतिस्थापित करने से संबंधित चुनौतियों को सूचीबद्ध कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भूमिका में FPTP प्रणाली को प्रतिस्थापित करने की मांगों के कारणों पर चर्चा कीजिए।
  • तत्पश्चात् FPTP और PR प्रणाली के गुणों पर चर्चा कीजिए।
  • भारत में FPTP को अपनाने के कारणों के साथ-साथ इसके प्रतिस्थापन की चुनौतियों के संबंध में लिखिए।
  • उत्तर के निष्कर्ष में आदर्श रूप से एक मध्य-मार्ग अर्थात् मिश्रित प्रारूप या यथास्थिति अर्थात् FPTP प्रणाली का समर्थन होना चाहिए।

उत्तर

FPTP एक ऐसी प्रणाली है जहाँ उस प्रत्याशी को विजयी घोषित किया जाता है जो अपने निर्वाचन क्षेत्र में अधिकतम मत प्राप्त करता है। हाल ही में, कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय सम्बन्धी संसद की स्थायी समिति ने चुनाव प्रणाली पर विभिन्न हितधारकों से अनुक्रिया मांगी थी। FPTP प्रणाली के प्रतिस्थापन की मांग भी इसी तथ्य को देखते हुए उठाई गयी है कि 2014 के आम चुनाव में सबसे ज्यादा वोट प्राप्त करने के क्रम में जो दल तीसरे स्थान पर था उसने किसी भी सीट पर जीत प्राप्त नहीं की।

FPTP प्रणाली को अपनाने के निम्नलिखित कारण थे:

  • सहजता और स्थिरता: FPTP प्रणाली सहज, निर्णायक और मतदाताओं में प्रचलित होने के कारण आम चुनावों में बहुमत की सरकार बनाने का लाभ प्रस्तुत करती है।
  • सहभागिता और प्रतिनिधित्व: FPTP प्रणाली राजनीतिक दलों को अधिक व्यापक भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करती है।
  • उत्तरदायित्व: यह मतदाताओं को केवल दलों ही नहीं बल्कि लोगों के बीच से चयन की अनुमति देता है। मतदाता एक दल द्वारा प्रस्तुत प्रत्याशियों की सूची को स्वीकार करने के स्थान पर व्यक्तिगत प्रत्याशियों के प्रदर्शन का आकलन कर सकते हैं।

FPTP प्रणाली की आलोचनाएँ:

  • यह एक दल को प्राप्त होने वाले मतों और सीटों के मध्य अनुपातहीन सम्बन्ध को मान्यता देता है। उदाहरण के लिए, केंद्र का सत्ताधारी दल एक तिहाई मतों के बावजूद पूर्ण बहुमत प्राप्त कर लेता है।
  • अधिकांश मामलों में, विजयी प्रत्याशी मतदाता क्षेत्र में वास्तविक बहुमत का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, परिणामस्वरूप, विधायिका वास्तविक प्रतिनिधि नहीं है।
  • यह चुनाव में भ्रष्टाचार को जन्म देती है, जैसे साम्प्रदायिक राजनीति, राजनीति का अपराधीकरण, चुनाव में जाति और धर्म का आह्वान।
  • संसद और विधानसभाएं सामाजिक समूहों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं।
  • कुछ मामलों में, हाशिए पर स्थित सामाजिक समूह अपनी अपर्याप्त संख्या के कारण प्रतिनिधित्व पाने में सक्षम नहीं होते

इन कमियों को ध्यान में रखते हुए, निर्वाचन संबंधी प्रक्रिया में सुधार पर चर्चा चल रही है और आनुपातिक प्रतिनिधित्व (PR) या एक मिश्रित प्रणाली को विकल्प के रूप में सुझाया जा रहा है।

PR प्रणाली के लाभ:

  • यह प्राप्त मत और जीती गयी सीटों के अनुपात को तार्किक बनाए रखता है। 
  • राजनीतिक दलों के गठन को आवश्यक बनाता है।
  • यह समाज के सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करता है, जो एक बहुलतावादी समाज के लिए ज़्यादा अनुकूल है।
  • भारतीय सन्दर्भ में कई लोगों का मानना है कि इससे संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ जायेगा।
  • यह दलों को निर्वाचन क्षेत्र से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे क्षेत्रीय जागीरों’ की वृद्धि पर प्रतिबंध लगता है।

मिश्रित (हाईब्रिड) प्रणाली के गुण:

भारतीय सन्दर्भ में मिश्रित प्रणाली को विधि आयोग की 170वीं और 250वीं रिपोर्ट में सुझाया गया है।

  • इस प्रणाली में, कुछ सीटों को FPTP प्रणाली के आधार पर और शेष को उन चुनावों में दलों द्वारा प्राप्त किये गये मतों के आधार पर निर्वाचित किया जाता है।
  • अन्य देशों ने विभिन्न रूपों में सफलतापूर्वक मिश्रित प्रणाली को अपनाया है, जैसे जापान और दक्षिण कोरिया ने समानांतर मतदान को अपनाया है, वहीं जर्मनी और न्यूजीलैंड ने मिश्रित सदस्य आनुपातिक प्रतिनिधित्व (mixed member proportional representation) अपनाया है।
  • मिश्रित प्रणाली, सरकार की स्थिरता और सभी सामाजिक समूहों के प्रतिनिधित्व के मध्य एक संतुलन बनाने का प्रयास करती है।

हालाँकि, हमारे संविधान निर्माताओं ने निम्नलिखित कारणों से अन्य प्रणालियों की तुलना में FPTP को अपनाया था:

  • देश में साक्षरता के निम्न स्तर के कारण, जटिलताओं को समझने में मतदाताओं को होने वाली कठिनाई।
  • संसदीय सरकारों की प्रणाली में राजनीतिक दलों की संख्या में होने वाली वृद्धि से उत्पन्न अस्थिरता के कारण इनकी अनुपयुक्तता।
  • PR प्रणाली के मामले में उप-चुनाव आयोजित करना कठिन है।
  • जनसंख्या और भूगोल के सन्दर्भ में बड़े पैमाने पर PR आधारित चुनावों के आयोजन के लिए लॉजिस्टिक्स और वित्तीय संसाधनों की समस्याएं।
  • यह दलगत प्रणाली के महत्त्व को बढ़ाता है और मतदाता के महत्त्व को घटा देता है।

FPTP प्रणाली की कमियों के तेजी से उजागर होने से वैकल्पिक मॉडल पर विचार करने का समय आ गया है। अब संसदीय समिति ने इस गम्भीर चर्चा को गति प्रदान कर दी है तो यह आशा की जा सकती है कि निर्वाचन प्रणाली को एक प्रमुख सुधार के रूप में लिया जायेगा। हालाँकि, एक समाधान के रूप में अन्य सफल लोकतंत्रों के अनुरूप एक मिश्रित प्रणाली को अपनाया जा सकता है।

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