प्रथम विश्व युद्ध : राष्ट्र संघ की सफलता और विफलता

प्रश्न: प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् शांति के मार्ग में प्रस्तुत प्रमुख बाधाओं को दूर करने में राष्ट्र संघ (लीग ऑफ नेशंस) की सफलताओं और विफलताओं की समालोचनात्मक चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • राष्ट्र संघ के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।
  • प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् शांति के मार्ग में प्रस्तुत प्रमुख बाधाओं को दूर करने में राष्ट्र संघ की सफलताओं और विफलताओं के विभिन्न पहलुओं का उल्लेख एवं विश्लेषण कीजिए।

उत्तर

राष्ट्र संघ (1920) एक अंतरराष्ट्रीय राजनयिक समूह था जिसका उद्देश्य युद्धों को रोकना, निरस्त्रीकरण को प्रोत्साहित करना, लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना और वर्साय की संधि को लागू करना था। संयुक्त राष्ट्र की पूर्ववर्ती संस्था के रूप में, इसके प्रयासों के परिणामस्वरूप अनेक सफलताएँ प्राप्त हुईं जैसे :

  • लघु अंतरराष्ट्रीय विवादों का समाधान: विभिन्न देशों जैसे पेरू एवं कोलंबिया, जर्मनी एवं पोलैंड (ऊपरी सिलेसिया के संदर्भ में), ब्रिटेन एवं तुर्की (मोसुल प्रांत के संदर्भ में) के मध्य क्षेत्रीय विवादों का समाधान किया गया।
  • आर्थिक और सामाजिक प्रगति: इसकी अनेक समितियों और आयोगों को कई बेहतर परिणाम प्राप्त हुए। उदाहरण के लिए
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित किए गए तथा राष्ट्रों को श्रमिकों के कल्याण हेतु प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • शरणार्थी संगठन द्वारा रूस में शरणार्थियों और युद्ध बंदियों की सहायता की गई। साथ ही इसने विभिन्न देशों में नाज़ियों के पुनर्वास में भी सहायता प्रदान की। 
  • स्वास्थ्य संगठन द्वारा रूस में टाइफस जैसी महामारी की सफलतापूर्वक रोकथाम की गयी।
  •  हालाँकि, यह अपने कुछ मुख्य दायित्वों और उद्देश्यों में विफल रहा:
  • यह प्रमुख शक्तियों के विरुद्ध अपने निर्णयों को लागू करने में विफल रहा। उदाहरण स्वरूप आक्रमणकारी देशों जैसे जापान और इटली द्वारा क्रमशः मंचूरिया और अबीसीनिया पर हमले के दौरान राष्ट्र संघ के युद्ध विराम के आदेश की उपेक्षा की गयी।
  • इसने विलना और को: घटना पर पोलैंड और लिथुआनिया के मध्य विवाद के दौरान अपने निर्णयों के विरुद्ध कॉन्फ्रेंस ऑफ़ एंबेसडर (वर्साय की संधि से उत्पन्न समस्याओं से निपटने के लिए स्थापित) द्वारा दिए गए निर्णय का प्रतिउत्तर नहीं दिया।
  • इसके अतिरिक्त, यह द्वितीय विश्व युद्ध को रोक पाने में भी असफल रहा क्योंकि यह चेकोस्लोवाकिया और पोलैंड के साथ जर्मनी के विवाद के दौरान कोई प्रभाव उत्पन्न नहीं कर सका था।
  • इस प्रकार, यह अपनी अंतर्निहित कमजोरियों जैसे गैर-प्रतिनिधि प्रकृति (संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ (USSR) इसमें सम्मिलित नहीं हुए थे) के कारण विश्व शांति को संरक्षित करने में विफल रहा, साथ ही यह स्वयं के सैन्य बल के अभाव के कारण निर्णायक कार्रवाई के सफलता पूर्वक संचालन में भी असफल रहा। साथ ही अनेक अवसरों पर इसे मित्र राष्ट्रों के एक संगठन की संज्ञा दी गयी।
  • लीग की सफलता का एक मिश्रित रिकॉर्ड रहा, कभी-कभी विवादों के समाधान से पूर्व स्वयं के हित में रखते हुए, साथ ही उन सरकारों का विरोध भी करती थी जो इसके अधिकार को मान्यता नहीं देते थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान राष्ट्र संघ ने प्रभावी ढंग से कार्य संचालन बंद कर दिया।

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