1. एक 100 वॉट का बिजली का बल्ब 10 घंटे जलता है, तो 5 रु. प्रति यूनिट की दर से विद्युत खर्च होगा-
(a) 5 रु.
(b) 10 रु.
(c) 25 रु.
(d) 50 रु.
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2012]
उत्तर – (a) 5 रु.
- 100 वॉट के बल्ब को 10 घंटे तक जलाने में व्यय ऊर्जा 100×10 =1000 वॉट घंटा =1 किलोवॉट घंटा =1 यूनिट
- प्रश्नानुसार-
1 यूनिट विद्युत का मूल्य = 5 रु.
|
2. एक किलोवॉट घंटा का मान होता है-
(a) 3.6×106 J
(b) 3.6×103 J
(c) 103 J
(d) 105 J
[U.P.P.C.S.(Pre) 2006]
उत्तर – (a) 3.6×106 J
- 1 किलोवॉट घंटा = (1 किलोवॉट) (1 घंटा) = (1000 Joule/Sec.) (3600 sec.) = 36×10 Joule = 3.6×10° Joule अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।
|
3. 100 वॉट के एक बल्ब को चार घंटे तक स्विच ऑन रखा जाता है। प्रयुक्त विद्युत ऊर्जा की इकाइयां होंगी-
(a) 400
(b) 25
(c) 4
(d) 0.4
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2009]
उत्तर – (d) 0.4
- खपत हुई विद्युत ऊर्जा = 100 वॉट × 4 घंटा = 400 वॉट घंटा = 0.4 किलोवॉट घंटा = 0.4 यूनिट
|
4. बिजली की खपत का बिल किसके मापन पर आधारित होता है?
- वाटेज
- ओम
- वोल्टेज
- एम्पियर
निम्नलिखित कूटों से अपना उत्तर चुनें
(a) केवल 1
(b) 1 एवं 2
(c) 2 एवं 3
(d) 1 एवं 4
[40th B.P.S.C. (Pre) 1995]
उत्तर – (a) केवल 1
- विद्युत का बिल किलोवॉट घंटे (kw/h) के मापन पर आधारित होता है।
- किलोवॉट घंटा एक घंटा में 1000 वॉट व्यय की गई विद्युत ऊर्जा है।
|
5. यदि 60 वॉट का बल्ब प्रतिदिन 5 घंटे प्रयोग किया जाए, तो 30 दिन में कितने यूनिट बिजली खर्च होगी?
(a) 12
(b) 9
(c) 6
(d) 3
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2003]
उत्तर – (b) 9
- हम जानते हैं कि यूनिट की संख्या = किलोवॉट घंटा = वॉट × घंटा /1000 = 60×30×5 ÷ 1000 = 9 यूनिट
|
6. एक सुरंग में 100 वॉट क्षमता वाले पांच बल्ब लगातार 20 घंटे तक जलाए जाते हैं। संपूर्ण विद्युत खर्च होगी-
(a) एक यूनिट
(b) दो यूनिट
(c) दस यूनिट
(d) बीस यूनिट
[U.P. P.C.S. (Pre) Exam. 2017]
उत्तर – (c) दस यूनिट
- 1 बल्ब के जलने पर हुई कुल विद्युत खपत किलोवॉट घंटा = 100×20/1000 = 2 यूनिट अतः 5 बल्बों के जलने पर हुई कुल विद्युत खपत = 5 × 2 = 10 यूनिट
|
7. एक मकान में दो बल्ब लगे हैं, उनमें से एक, दूसरे से अधिक प्रकाश देता है। निम्न में से कौन-सा कथन सही है?
(a) प्रकाश की दीप्ति, रजिस्टेन्स पर निर्भर नहीं है।
(b) दोनों बल्बों में रजिस्टेन्स समान है।
(c) अधिक प्रकाश वाले बल्ब में रजिस्टेन्स अधिक है।
(d) कम प्रकाश वाले बल्ब में रजिस्टेन्स अधिक है।
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2008, U.P.P.C.S.(Pre) 2009]
उत्तर – (d) कम प्रकाश वाले बल्ब में रजिस्टेन्स अधिक है।
- अधिक विद्युत ऊर्जा का क्षय करने वाला बल्ब अधिक प्रकाश उत्पन्न करेगा।
- अतएव अधिक प्रतिरोध वाला बल्ब कम विद्युत ऊर्जा का क्षय करेगा तथा कम प्रकाश उत्पन्न करेगा।
|
8. 220V जनरेटर से एक बल्ब जुड़ा है। धारा 0.5A है। बल्ब की शक्ति है-
(a) 110 w
(b) 110 v
(c) 440 w
(d) 220 w
(e) इनमें से कोई नहीं
[Chattishgarh P.C.S. (Pre) Exam. 2016]
उत्तर – (a) 110 w
- किसी वैद्युत परिपथ में ऊर्जा के क्षय होने की दर को ‘शक्ति’ कहते है तथा इसे P से प्रदर्शित करते हैं।
- शक्ति (Power) का मात्रक ‘वॉट’ (Watt) है।
- P= W× t =Vi = 220 × 0.5 =110 वॉट (W= Vit)
|
9. दो समानांतर प्रतिरोध वाले सर्किट का कुल प्रतिरोध 1.403 किलो- ओम है। यदि एक प्रतिरोधक का मान 2.0 किलो-ओम है, तो दूसरे प्रतिरोधक का मान होगा –
(a) 1.403 किलो-ओम
(b) 2.0 किलो-ओम
(c) 3.403 किलो-ओम
(d) 4.70 किलो-ओम
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं / उपर्युक्त में से एक से अधिक
[66th B.P.S.C. (Pre)2020]
उत्तर – (d) 4.70 किलो-ओम
- कुल प्रतिरोध (R) = 4.70 किलो-ओम
|
10. एक मकान में दो बल्बों में से एक-दूसरे से अधिक (रोशनी देता है) चमकदार है। इन दोनों में से किस बल्ब में उच्चतर अवरोधक है?
(a) मंद रोशनी वाले बल्ब में।
(b) अधिक रोशनी वाले बल्ब में।
(c) दोनों बल्बों में अवरोधक समतुल्य है।
(d) रोशनी की तीव्रता अवरोधक पर निर्भर नहीं होती है।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर – (a) मंद रोशनी वाले बल्ब में।
- अधिक विद्युत ऊर्जा का क्षय करने वाला बल्ब अधिक प्रकाश उत्पन्न करेगा।
- अतएव अधिक प्रतिरोध वाला बल्ब कम विद्युत ऊर्जा का क्षय करेगा तथा कम प्रकाश उत्पन्न करेगा।
|
11. दो एक जैसे बल्ब को किस प्रकार जोड़ने पर अधिक रोशनी मिलेगी?
- दोनों श्रेणी क्रम में जुड़े हों
- दोनों समांतर क्रम में जुड़े हों
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट –
(a) (1) में अधिक
(b) (2) में अधिक
(c) (1) और (2) दोनों में समान
(d) कुछ कहा नहीं जा सकता
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2021]
उत्तर – (b) (2) में अधिक
- समांतर (Parallel) क्रम में जुड़े बल्ब, श्रेणी (Series) क्रम में जुड़े बल्बों की तुलना में अधिक प्रकाश देंगे।
- यदि किसी बल्ब का वोल्टेज V तथा विद्युत प्रतिरोध R हो, तो श्रेणी क्रम में जुड़े विद्युत बल्बों की विद्युत शक्ति, P V 2R श्रेणी 2R जबकि समांतर क्रम में जुड़े बल्बों की विद्युत शक्ति, P समांतर 2V R उपर्युक्त समीकरणों से स्पष्ट है, कि समांतर सर्किट में बल्ब अधिक रोशनी देंगे।
|
12. डायनेमो, जिसे बिजली उत्पादन हेतु कथित रूप से प्रयोग में लाते हैं, वह वास्तव में-
(a) आयन्स के स्रोत के रूप में कार्य करता है।
(b) इलेक्ट्रिक चार्ज का स्रोत होता है।
(c) ऊर्जा का परिवर्तक होता है।
(d) इलेक्ट्रॉन का स्रोत होता है।
[U.P.P.C.S.(Mains) 2009]
उत्तर – (c) ऊर्जा का परिवर्तक होता है।
- डायनेमो मूलरूप से विद्युत जनरेटर का दूसरा नाम है।
- आमतौर पर इसका तात्पर्य एक जनित्र या जनरेटर से होता है, जो दिष्ट धारा उत्पन्न करता है।
- डायनेमो में घूर्णन करती हुए तारों की कुंडली और चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करके यांत्रिक घूर्णन की ऊर्जा को फैराडे के नियम के अनुसार दिष्ट विद्युत धारा में रूपांतरित किया जाता है।
|
13. विद्युत चुंबकीय प्रेरण पर आधारित युक्ति है
(a) धारामापी
(b) विभवमापी
(c) डायनेमो
(d) विद्युत मोटर
[R.O./A.R.O. (Pre) Exam. 2017]
उत्तर – (c & d) डायनेमो & विद्युत मोटर
- डायनेमो और विद्युत मोटर विद्युत चुंबकीय प्रेरण पर आधारित युक्तियाँ हैं।
- डायनेमो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है, जबकि विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करती है।
|
14. डायनेमो परिवर्तित करता है-
(a) उच्च वोल्टेज को निम्न वोल्टेज में
(b) विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में
(c) यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
(d) निम्न वोल्टेज को उच्च वोल्टेज में
[U.P. P.C.S. (Mains) 2012, R.A.S./R.T.S. (Pre) 2012]
उत्तर – (c) यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
- डायनेमो विद्युत चुंबकीय प्रेरण द्वारा यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने वाला उपकरण है।
|
15. जब वैद्युतिक ऊर्जा गति में परिवर्तित होती है, तब-
(a) ऊष्मा की कोई हानि नहीं होती।
(b) 50% ऊष्मा की हानि होती है।
(c) 30% ऊष्मा की हानि होती है।
(d) 80% ऊष्मा की हानि होती है।
[47th B.P.S.C. (Pre) 2005]
उत्तर – (a) ऊष्मा की कोई हानि नहीं होती।
- जब वैद्युतिक ऊर्जा गति में परिवर्तित होती है, तो ऊष्मा की कोई हानि नहीं होती है।
|
16. विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलने वाली युक्ति है-
(a) डायनेमो
(b) ट्रान्सफॉर्मर
(c) विद्युत मोटर
(d) इन्डक्टर
[Uttaranchal P.C.S. (Pre) 2005, U.P.P.C.S.(Mains) 2007]
उत्तर – (c) विद्युत मोटर
- विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है।
- इसका कार्य डायनेमो के विपरीत होता है।
- इसमें आर्मेचर कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र में रखकर विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यह चुंबकीय क्षेत्र में घूमती है, जिससे विभिन्न मशीनें चलाई जाती है।
|
17. ऐसा उपकरण जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर दे, वह कहलाता है-
(a) बैटरी
(b) मोटर
(c) जेनरेटर
(d) गतिमान कॉइल मीटर
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (a) बैटरी
- बैटरी द्वारा रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
- बैटरी कई प्रकार की होती हैं किंतु सभी में तीन मूल घटक उपस्थित रहते हैं, वे हैं – धनात्मक इलेक्ट्रोड, ऋणात्मक इलेक्ट्रोड तथा इलेक्ट्रोलाइट।
- विद्युत कोष (बैटरिया) रासायनिक ऊर्जा भंडारित कर इसे विद्युत ऊर्जा के रूप में उपलब्ध कराती है।
|
18. कम वोल्टेज पर कार्य करने पर विद्युत मोटर प्रायः जल जाते हैं, क्योंकि-
(a) वे अधिक विद्युत धारा खींचते हैं, जो वोल्टेज के प्रतिलोमानुपाती होती है।
(b) वे अधिक विद्युत धारा खींचते हैं, जो वोल्टेज के वर्गमूल के प्रतिलोमानुपाती होती है।
(c) वे V के समानुपाती ऊष्मा खींचते हैं।
(d) कम वोल्टेज विद्युतीय विसर्जन प्रारंभ कर देता है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर – (a) वे अधिक विद्युत धारा खींचते हैं, जो वोल्टेज के प्रतिलोमानुपाती होती है।
- कम वोल्टेज पर कार्य करने पर विद्युत मोटर प्रायः जल जाते हैं, क्योंकि वे अधिक विद्युत धारा खींचते हैं, जो वोल्टेज के प्रतिलोमानुपाती होती है।
|
19. फैराडे स्थिरांक
(a) इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा पर निर्भर करता है
(b) इलेक्ट्रोलाइट में पारित विद्युत धारा पर निर्भर करता है
(c) विलायक के आयतन पर निर्भर करता है, जिसमें इलेक्ट्रोलाइट घोला गया है
(d) सार्वभौमिक स्थिरांक है
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
[66th B.P.S.C. (Pre)2020]
उत्तर – (d) सार्वभौमिक स्थिरांक है
- फैराडे स्थिरांक एक सार्वभौमिक स्थिरांक (Universal Constant) होता है।
- भौतिकी और रसायन विज्ञान में, एक मोल इलेक्ट्रॉनों पर स्थित कुल आवेश की मात्रा को फैराडे स्थिरांक कहते हैं।
- इसका प्रतीक F है।
- सन्निकट गणना के लिए 1 फैराडे का मान 96500 C mot’ लिया जाता है।
|
20. मोटरकार बैटरी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- वोल्टता सामान्यतया 12 वोल्ट होती है।
- प्रयुक्त विद्युत अपघट्य हाइड्रोक्लोरिक अम्ल होता है।
- इलेक्ट्रोड सीसा और ताम्र होते हैं।
- धारिता को एम्पियर घंटा में व्यक्त करते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 3 और 4
(d) 1 और 4
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (d) 1 और 4
- मोटरकार बैटरी के संबंध में वोल्टता सामान्यतया 12 वोल्ट होती है तथा धारिता को एम्पियर घंटा में मापते हैं।
- प्रयुक्त विद्युत अपघट्य में 35% सल्फ्यूरिक अम्ल, जबकि 65% जल होता है।
- कार बैटरी का कैथोड लेड डाइऑक्साइड (PbO₂) का तथा ऐनोड लेड का होता है।
|
21. निकेल-कैडमियम (Ni-Cd) बैटरी का प्रयोग होता है-
(a) कैलकुलेटर
(b) कॉर्डलेस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण
(c) ट्रांजिस्टर
(d) उपर्युक्त सभी में
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) Exam. 2016]
उत्तर – (d) उपर्युक्त सभी में
- निकेल कैडमियम (Ni-Cd) बैटरी एक प्रकार की रिचार्जेबल बैटरी है, जिसमें निकेल हाइड्रॉक्साइड तथा कैडमियम इलेक्ट्रोड के रूप में प्रयुक्त होता है, जबकि पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (क्षारीय), विद्युत अपघट्य (Electrolyte) होता है।
- इसका उपयोग कैलकुलेटर, कॉर्डलेस, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, ट्रांजिस्टर सभी में होता है।
|
22. निम्न में से कौन-सी धातु रोशनी के बल्बों में फिलामेंट के रूप में प्रयोग होती है?
(a) लौह
(b) मोलीबडेनम
(c) चांदी
(d) टंगस्टन
[44th B.P.S.C. (Pre) 2000]
उत्तर – (d) टंगस्टन
- टंगस्टन नामक धातु का प्रयोग विद्युत बल्बों में रोशनी उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
- इसकी खोज टॉरबर्न बर्गमेन ने 1781 ई. में की थी।
- इसका गलनांक 3422°C तथा क्वथनांक 5555℃ होता है।
- विद्युत बल्ब उदीप्ति के द्वारा प्रकाश उत्पन्न करता है।
- गर्म होने के कारण प्रकाश का उत्सर्जन उदीप्ति कहलाता है।
- विद्युत बल्ब में टंगस्टन का बना हुआ एक पतला तन्तु होता है, जिससे होकर जब विद्युत धारा बहती है, तो यह गर्म होकर प्रकाश देने लगता है।
|
23. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-एक साधारण बिजली के बल्ब का अपेक्षाकृत अल्प जीवन होता है, क्योंकि-
- फिलामेंट का तार एक समान नहीं होता।
- बल्ब पूर्ण रूप से निर्वातित नहीं किया जा सकता।
- फिलामेंट के सहायक तार उच्च ताप पर पिघल जाते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-कौन से कथन सही हैं?
(a) 1 और 3
(b) 2 और 3
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (d) 1, 2 और 3
- एक साधारण बिजली के बल्ब का अपेक्षाकृत अल्प जीवन होता है, क्योंकि (1) फिलामेंट का तार एक समान नहीं होता, (2) बल्ब पूर्णरूप से निर्वातित नहीं किया जा सकता तथा (3) फिलामेंट के सहायक तार उच्च ताप पर पिघल जाते हैं।
|
24. जलते हुए विद्युत बल्य के तन्तु का ताप सामान्यतः होता है-
(a) 100°C से 500°C
(b) 1000°C से 1500°C
(c) 2000°C से 2500°C
(d) 3000°C से 3500°C
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2007]
उत्तर – (c) 2000°C से 2500°C
- विद्युत बल्ब में टंगस्टन धातु का तन्तु (फिलामेंट) लगा होता है।
- इसमें विद्युत धारा प्रवाहित किए जाने पर तन्तु का ताप 1500°C से 2500°C तक हो जाता है।
- साधारणतया बल्ब में दी गई विद्युत ऊर्जा का 5% से 10% भाग ही प्रकाश में परिवर्तित होता है।
|
25. नीचे कथन (A) तथा कारण (R) दिए हैं। अध्ययन करके सही उत्तर नीचे दिए कूटों से चुनिए-
कथन (A): तड़ित चालक इमारतों को नष्ट होने से बचाते हैं।
कारण (R): ये आवेश को पृथ्वी तक भेज देते हैं।
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 1999, Uttarakhand P.C.S. (Mains) 2002]
उत्तर – (a) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
- तड़ित चालक एक धातु की चालक छड़ होती है, जिसे ऊंचे भवनों की आकाशीय विद्युत से रक्षा के लिए लगाया जाता है।
- तड़ित चालक का ऊपरी सिरा नुकीला होता है और इसे भवनों के सबसे ऊपरी हिस्से में जड़ दिया जाता है।
- इन्हें किसी चालक तार आदि से जोड़कर उस तार को नीचे लाकर धरती में गाड़ दिया जाता है।
- ये आकाशीय विद्युत से प्राप्त आवेश को सीधे पृथ्वी में भेज देते हैं और इस प्रकार इमारतों को नष्ट होने से बचाते हैं।
|
26. तीन पिन बिजली के प्लग में सबसे लंबी पिन को जोड़ना चाहिए-
(a) आधार सिरे से
(b) सजीव सिरे से
(c) उदासीन सिरे से
(d) किसी भी सिरे से
[U.P.P.C.S. (Pre) 2007]
उत्तर – (a) आधार सिरे से
- तीन पिन प्लग में सजीव या फेज (Live or Phase), उदासीन (Neutral) एवं आधार (Earth or Ground) सिरे होते हैं।
- दोनों एक साथ रहने वाले सिरों में फेज एवं उदासीन तारों को जोड़ते हैं।
- तीसरी एवं लंबी पिन में अर्थ को जोड़ते हैं।
|
27. विद्युत उपकरणों में ‘अर्थ’ का उपयोग होता है-
(a) खर्च को कम करने के लिए
(b) क्योंकि उपकरण 3-फेज में काम करते हैं
(c) सुरक्षा के लिए
(d) फ्यूज के रूप में
[U.P. P.C.S. (Pre) 2002]
उत्तर – (c) सुरक्षा के लिए
- विद्युत उपकरणों में तीन पिनें होती हैं।
- ऊपर वाली पिन कुछ मोटी तथा निचली दो पिनें एक जैसी होती हैं।
- मोटी वाली पिन का संबंध पृथ्वी (अर्थ) से होता है, जबकि शेष दो पिनों में सामान्यतः दाएं वाले का संबंध जीवित कनेक्शन से तथा बाएं वाले का संबंध उदासीन कनेक्शन से होता है।
- अर्थ का कनेक्शन इसलिए किया जाता है ताकि उपकरण ‘जीवित परिपथ’ (live circuit) से संबंध होने से पहले पृथ्वी से जुड़ सके, जिससे अतिरिक्त वोल्टेज का नियंत्रण हो सके।
|
28. आपस में जुड़ी दो आवेशित वस्तुओं के बीच विद्युत धारा नहीं प्रवाहित होती है, यदि वे हों-
(a) समान आवेग पर
(b) समान धारिता पर
(c) समान प्रतिरोधिता पर
(d) समान विभव पर
[U.P.P.S.C. (R.I.) 2014]
उत्तर – (d) समान विभव पर
- आपस में जुड़ी दो आवेशित वस्तुओं के बीच विद्युत धारा नहीं प्रवाहित होती है, यदि वे समान विभव पर हों, क्योंकि ओम के नियम के अनुसार विभव (V) धारा (1) के समानुपाती होता है।
- अतः यदि विभव समान होगा, तो धारा भी समान होगी और धारा प्रवाहित नहीं होगी।
|
29. सर्वाधिक विद्युत चालकता वाला तत्य क्या है?
(a) चांदी
(b) कॉपर
(c) एल्युमीनियम
(d) लोहा
[M.P.P.C.S. (Pre) 1990, Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर – (a) चांदी
- जिन पदार्थों की विद्युत प्रतिरोधकता अति निम्न होती है, उन्हें सुचालक के रूप में जाना जाता है।
- चांदी विद्युत की सर्वोत्तम सुचालक है।
- सर्वाधिक विद्युत चालकता चांदी की होती है इसके बाद तांबा, एल्युमीनियम, लोहा की विद्युत चालकता होती है।
|
30. मेन्ज विद्युत प्रदाय में फ्यूज का प्रयोग एक सुरक्षा युक्ति के रूप में होता है। फ्यूज के विषय में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही है?
(a) मेन स्विच से यह समानांतर जुड़ा होता है।
(b) यह मुख्य रूप से रजत मिश्रधातु से बना होता है।
(c) इसका गलनांक निम्न होना आवश्यक है।
(d) इसमें बहुत उच्च प्रतिरोध होना आवश्यक है।
[I.A.S. (Pre) 1998]
उत्तर – (c) इसका गलनांक निम्न होना आवश्यक है।
- फ्यूज तार निम्न गलनांक वाले धातु का बना होता है, जिसके कारण अधिक विद्युत धारा के प्रवाहित होते ही यह गर्म होकर पिघल जाता है।
- इलेक्ट्रिक सामानों की सुरक्षा की दृष्टि से यह विशेष उपयोगी है।
- यह विद्युत का ऊष्मीय प्रभाव है।
|
31. फ्यूज में प्रयुक्त होने वाले तार की विशेषता होती है-
(a) निम्न प्रतिरोधक शक्ति/ उच्च गलनांक
(b) निम्न प्रतिरोधक शक्ति/ निम्न गलनांक
(c) उच्च प्रतिरोधक शक्ति/ निम्न गलनांक
(d) उच्च प्रतिरोधक शक्ति / उच्च गलनांक
[U.P. P.C.S. (Pre) 1993]
उत्तर – (c) उच्च प्रतिरोधक शक्ति/ निम्न गलनांक
- फ्यूज में प्रयुक्त होने वाले तार का गलनांक निम्न एवं प्रतिरोध उच्च होता है ताकि वोल्टेज बढ़ने पर यह फ्यूज तार तुरंत गल जाए, जिससे विद्युत उपकरण नष्ट होने से बच जाएं।
|
32. हैलोजन लैंप का तन्तु निम्न की मिश्रधातु का होता है-
(a) टंगस्टन एवं आयोडीन
(b) टंगस्टन एवं ब्रोमीन
(c) टंगस्टन एवं सोडियम
(d) मॉलिब्डेनम एवं सोडियम
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (c) टंगस्टन एवं सोडियम
- हैलोजन लैंप का तन्तु टंगस्टन एवं सोडियम की मिश्रधातु का बना होता है।
- लैप के तन्तु में सोडियम मिला होने के कारण यह पीले रंग के प्रकाश को उत्पन्न करता है।
|
33. कथन (A): एक धातु तार का तापक्रम बढ़ जाता है, जब उसके बीच से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है।
कारण (R): धातु अणुओं के पारस्परिक संघटन से ऊष्मा ऊर्जा का मोचन होता है।
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[I.A.S. (Pre) 1998]
उत्तर – (c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
- जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो उसमें गतिशील इलेक्ट्रॉन निरंतर चालक के परमाणुओं से टकराते रहते हैं।
- इस प्रक्रिया में ये अपनी ऊर्जा चालक के परमाणुओं को स्थानांतरित करते हैं।
- इससे चालक का ताप बढ़ जाता है।
- इस प्रकार कथन (A) सही है, जबकि कारण (R) गलत है।
|
34. घरेलू विद्युत तार स्थापन मूलतः –
(a) श्रेणी संबंधन है।
(b) समांतर संबंधन है।
(c) श्रेणी और समांतर संबंधनों का संयोग है।
(d) प्रत्येक कमरे के अंदर श्रेणी संबंधन और अन्यत्र समांतर संबंधन है।
[I.A.S. (Pre) 1996]
उत्तर – (b) समांतर संबंधन है।
- यदि प्रतिरोधों को इस प्रकार जोड़ा जाए कि हर प्रतिरोध पर विभवांतर समान रहे, तो यह प्रतिरोधों का समांतर क्रम संबंधन होता है।
- न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त करने हेतु घरेलू विद्युत तार स्थापन में मूलतः इस समायोजन का प्रयोग करते हैं।
|
35. घरेलू विद्युत सप्लाई के दौरान काले रंग का आवरण युक्त तार है-
(a) विद्युत्मय तार
(c) उदासीन तार
(b) भू, तार
(d) फ्यूज तार
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर – (c) उदासीन तार
- घरेलू विद्युत सप्लाई हेतु उपयोग में आने वाले तारों को भ्रम की स्थिति से बचने के लिए तीन रंगों में विभक्त किया गया है।
- लाल रंग का तार सजीव या फेज (Live or Phase) होता है, काले रंग का तार उदासीन होता है तथा हरे रंग का तार आधार (Earth) को प्रदर्शित करता है।
|
36. मानव शरीर (शुष्क) के विद्युत प्रतिरोध के परिमाण की कोटि क्या है?
(a) 102 ओम
(b) 104 ओम
(c) 106 ओम
(d) 108 ओम
[I.A.S. (Pre) 2005]
उत्तर – (b) 104 ओम
- मानव शरीर (शुष्क) के विद्युत प्रतिरोध के परिमाण की कोटि सामान्यतः 10* ओम होती है, हालांकि विशेष परिस्थितियों में यह 10 ओम या उससे अधिक भी हो सकती है।
|
37. सामान्य ट्यूबलाइट में कौन-सी गैस होती है?
(a) आर्गन के साथ सोडियम वेपर
(b) नियॉन के साथ सोडियम वेपर
(c) आर्गन के साथ मरकरी वेपर
(d) नियॉन के साथ मरकरी वेपर
[M.P. P.C.S. (Pre) 1993]
उत्तर – (c) आर्गन के साथ मरकरी वेपर
- ट्यूबलाइट में कांच की एक लंबी ट्यूब होती है, जिसके अंदर की दीवारों पर फॉस्फर का लेप चढ़ा होता है।
- ट्यूब के अंदर अक्रिय गैस जैसे आर्गन को कुछ पारे (मरकरी) की वाष्प के साथ भर देते हैं।
|
38. C.F.L. का पूर्ण रूप है –
(a) कॉम्पैक्ट फ्लोरिसेंट लैंप
(b) सेंट्रली फिक्स्ड लैंप
(c) केमिकल फ्लोरिसेंट लैंप
(d) कंडेंस्ड फ्लोरिसेंट लैप
[U.P.P.C.S. (Mains) 2015]
उत्तर – (a) कॉम्पैक्ट फ्लोरिसेंट लैंप
- C.F.L. का पूर्ण रूप है कॉम्पैक्ट फ्लोरिसेंट लैंप।
|
39. कथन (A): लाइट ऐमिटिंग डायोड (एल. ई. डी.) लैम्प, कॉम्पेक्ट फ्लोरीसेंट लैम्प (सी.एफ. एल) की तुलना में अधिक लंबी सेवा अवधि प्रदान करते हैं।
कथन (R): लाइट ऐमिटिंग डायोड (एल. ई. डी.) लैम्प, कॉम्पेक्ट फ्लोरीसेंट लैम्प (सी.एफ. एल) की तुलना में अधिक ऊर्जा दक्ष होते हैं।
नीचे दिए गए कूटों की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सत्य हैं तथा कारण (R) कथन (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सत्य हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) कथन (A) सत्य है तथा कारण (R) असत्य है।
(d) कथन (A) असत्य है तथा कारण (R) सत्य है।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (a) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सत्य हैं तथा कारण (R) कथन (A) का सही स्पष्टीकरण है।
- एल.ई.डी. अर्थात प्रकाश उत्सर्जक डायोड लैंप में मुख्य प्रकाशोत्पादन घटक गैलियम आर्सेनाइड होता है।
- यही विद्युत ऊर्जा को प्रकाश में बदलता है।
- इसका जीवनकाल सी. एफ. एल. की तुलना में अधिक होता है क्योंकि एल.ई.डी. लैंपों में सी. एफ.एल. की तुलना में ऊर्जा की कम खपत होती है।
|
40. कार्बनिक प्रकाश उत्सर्जी डायोड (ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड/ OLED) का उपयोग बहुत से साधनों में अंकीय प्रदर्श (डिजिटल डिस्प्ले) सर्जित करने के लिए किया जाता है। द्रव क्रिस्टल प्रदर्शों की तुलना में OLED प्रदर्श किस प्रकार लाभकारी हैं?
- OLED प्रदर्श नम्य प्लास्टिक अवस्तरों पर संविरचित किए जा सकते हैं।
- OLED के प्रयोग से, वस्त्र में अंतःस्थापित उपरिवेल्लनीय प्रदर्श (रोल्ड-अप डिस्प्ले) बनाए जा सकते हैं।
- OLED के प्रयोग से, पारदर्शी प्रदर्श संभव है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) उपर्युक्त कथनों में से कोई भी सही नहीं है।
[I.A.S. (Pre), 2017]
उत्तर – (c) 1, 2 और 3
- कार्बनिक प्रकाश उत्सर्जक डायोड (OLED) एक प्रकार का प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) ही होता है, जिसमें कार्बनिक यौगिक की विद्युत प्रतिदीप्त (Electroluminescent) उत्सर्जक परत होती है, जो विद्युत प्रवाह के समय प्रकाश का उत्सर्जन करती है।
- ओएलईडी डिस्प्ले लचीले प्लास्टिक अवस्तरों पर संविरचित किए जा सकते हैं, अतः कथन (1) सत्य है।
- OLED के प्रयोग से वस्त्र में अंतःस्थापित रोल्ड-अप डिस्प्ले बनाए जा सकते हैं।
- साथ ही OLED के प्रयोग से पारदर्शी डिस्प्ले का निर्माण संभव है।
|
41. फ्लोरेसेंट ट्यूब (प्रतिदीप्ति बल्ब) में कौन-सी गैस भरी जाती है?
(a) नियॉन
(b) सोडियम
(c) मरकरी
(d) मरकरी और नियॉन
[U.P. P.C.S. (Pre) 1990]
उत्तर – (d) मरकरी और नियॉन
- फ्लोरेसेंट ट्यूब में निर्वात में बहुत कम दाब पर पारे की वाष्प के साथ आर्गन, जीनान या नियॉन गैस भरी जाती है।
|
42. एक बिजली के बल्ब की अपेक्षा एक ‘फ्लोरेसेंट ट्यूब’ को अधिमान (Preferred) दिया जाता है, क्योंकि-
(a) इसमें प्रकाश प्रसारित/विकीर्ण करने हेतु अधिक बाह्य सतह होती है।
(b) वोल्टेज के उतार-चढ़ाव का प्रभाव इस पर नहीं पड़ता।
(c) ट्यूब में इलेक्ट्रिकल ऊर्जा लगभग पूर्ण रूप से प्रकाश में परिवर्तित हो जाती है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
[U.P.P.C.S.(Pre) 2009]
उत्तर – (d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
- फ्लोरेसेंट ट्यूब, बिजली के बल्ब की अपेक्षा वैद्युत ऊर्जा का प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तन अधिक मात्रा में करती है।
- एक 100 वॉट का बिजली का बल्ब केवल 5 प्रतिशत वैद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित करता है परंतु फ्लोरेसेंट ट्यूब लगभग 22 प्रतिशत वैद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित करती है।
- इस प्रकार दिए गए कथनों में से कोई भी सही नहीं है।
|
43. श्वेत प्रकाश को नली में कैसे पैदा करते हैं?
(a) तांबे के तार को गर्म करके
(b) तन्तु को गर्म करके
(c) परमाणु को उत्तेजित करके
(d) अणुओं को दोलित कर
[47th B.P.S.C. (Pre) 2005]
उत्तर – (d) अणुओं को दोलित कर
- ट्यूबलाइट में विद्युत का प्रवाह होने पर इसके दोनों सिरों (Poles) के मध्य इलेक्ट्रॉन तीव्र गति से गमन करते हैं।
- यह इलेक्ट्रॉन मरकरी गैस के अणुओं से टकराते हैं, जिनमें दोलन के परिणामस्वरूप पराबैंगनी प्रकाश उत्पन्न होता है।
- चूंकि मनुष्य की आंख इस विकिरण को देखने में समर्थ नहीं है, इसलिए शीशे की ट्यूब को एक प्रतिदीप्त पदार्थ से लेपित किया जाता है, जो श्वेत प्रकाश उत्पन्न करता है।
|
44. विद्युत बल्ब के अंदर कौन-सी गैस होती है-
(a) ऑक्सीजन
(b) वायु
(c) कार्बन डाइऑक्साइड
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[M.P.P.C.S. (Pre) 2000]
उत्तर – (d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- विद्युत बल्ब का आविष्कार सर्वप्रथम एडीसन ने किया था।
- इसमें ‘टंगस्टन धातु’ का एक पतला कुण्डलीनुमा तंतु लगा होता है।
- इस धातु का ऑक्सीकरण रोकने के लिए बल्ब के अंदर निर्वात करने के बजाए, उसमें नाइट्रोजन, ऑर्गन गैस भर देते हैं।
|
45. प्रतिदीप्ति नलिकाओं के साथ चोक आसंजित होता है। चोक कुण्डली-
(a) लाइन वोल्टता बढ़ाती है।
(b) लाइन वोल्टता घटाती है।
(c) परिपथ में विद्युत धारा कम करती है।
(d) निम्न आवृत्ति विद्युत धारा को अवरुद्ध करती है।
[I.A.S. (Pre) 2000]
उत्तर – (a) लाइन वोल्टता बढ़ाती है।
- प्रतिदीप्ति नलिकाओं (ट्यूबलाइट) में स्टार्टर का प्रयोग किया जाता है, जो धारा को बढ़ाकर चोक को प्रेषित करता है, चोक कुण्डली प्रेषित धारा की वोल्टता को बढ़ाकर ट्यूबलाइट को प्रेषित करता है, जिससे ट्यूबलाइट जल जाती है।
- इसके पश्चात स्टार्टर का कार्य समाप्त हो जाता है तथा चोक उच्च वोल्टता को कम करने तथा कम वोल्टता को उच्च करने का कार्य करता है तथा ट्यूबलाइट को खराब होने से रोकता है।
|
46. सीएफएल (CFL) तथा एलइडी (LED) लैंप में क्या अंतर है?
- प्रकाश उत्पन्न करने के लिए सीएफएल पार-वाष्प और संदीपक का प्रयोग करता है, जबकि एलईडी लैंप अर्द्धचालक पदार्थों का प्रयोग करता है।
- सीएफएल की औसत जीवन अवधि एलईडी लैंप से बहुत अधिक होती है।
- एलईडी लैंप की तुलना में सीएफएल कम ऊर्जा-सक्षम है।
उपर्युक्त में से कौन-सा कौन-से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल । और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर – (c) केवल । और 3
- सीएफएल (Compact Fluorescent Lamp) में पारा-वाष्प से विद्युत गुजारकर पराबैंगनी प्रकाश उत्पन्न किया जाता है, जिसे लैंप के अंदर फॉस्फर कोटिंग से अवशोषित कराकर रोशनी उत्पन्न की जाती है।
- सीएफएल का औसत कार्यकाल 6000 से 15000 घंटे तक का होता है, जबकि एलईडी लैंप सामान्यतः 25-30 वर्षों तक चल सकता है।
- एलईडी लैंपों में पारंपरिक अर्द्धचालक प्रकाश उत्सर्जक डायोडों, ऑर्गेनिक एलईडी, या पॉलीमर एलईडी तकनीक का प्रयोग होता है।
- सीएफएल की तुलना में एलईडी लैंप अधिक ऊर्जा सक्षम है।
- पारंपरिक प्रकाश बल्बों की तुलना में एलईडी 82 प्रतिशत कम ऊर्जा की खपत करते हैं, जबकि प्रकाश बल्बों की तुलना में सीएफएल 75 प्रतिशत कम ऊर्जा की खपत करता है।
|
47. सड़क प्रकाश व्यवस्था के संदर्भ में, सोडियम बत्तियां, एल.ई.डी. बत्तियों से किस तरह भिन्न हैं?
- सोडियम बत्तियां प्रकाश को 360 डिग्री में उत्पन्न करती हैं; किंतु एल.ई.डी. बत्तियों में ऐसा नहीं होता है।
- सड़क की बत्तियों के रूप में, एल.ई.डी. बत्तियों की तुलना में सोडियम बत्तियों की उपयोगिता अवधि अधिक होती है।
- सोडियम बत्ती के दृश्य प्रकाश का स्पेक्ट्रम लगभग एकवर्णी होता है, जबकि एल.ई.डी. बत्तियां सड़क प्रकाश व्यवस्था में सार्थक वर्ण सुविधाएं (कलर अडवेंटेज) प्रदान करती हैं।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 3
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर – (c) केवल 1 और 3
- सोडियम बत्तियां सर्वदिशात्मक (Omnidirectional) होती हैं; अर्थात 360° में प्रकाश उत्पादित करती हैं।
- इससे प्रकाश का अपव्यय होता है, जो उन्हें कम कुशल (Less efficient) बनाता है।
- इसके विपरीत LEDs दिशात्मक (Directional) प्रकाश स्रोत हैं, जो एक विशिष्ट दिशा (Specific direction) में प्रकाश उत्सर्जित करते हैं।
- स्पष्ट है, कि कथन (1) सत्य है।
- किसी भी अन्य प्रकाश तकनीक (Lighting technology) की तुलना में LEDs का जीवनकाल (Lifespan) बहुत लंबा होता है।
- अतः कथन (2) असत्य है।
- सोडियम लैंपों द्वारा उत्सर्जित प्रकाश एकवर्णीय (Monochromatic) होता है; अर्थात उसमें केवल एक रंग का प्रकाश होता है।
- इसके विपरीत LEDs विभिन्न रंगों का प्रकाश उत्पन्न करते हैं।
- अतः कथन (3) सत्य है।
|
48. एक तार में बहती विद्युत धारा एवं विभवांतर प्रत्येक को दो गुना बढ़ा दिया जाए, तो विद्युत शक्ति
(a) प्रभावित नहीं होगी
(b) चार गुना बढ़ जाएगी
(c) दो गुना बढ़ जाएगी
(d) घटकर आधी हो जाएगी
(e) इनमें से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर – (b) चार गुना बढ़ जाएगी
- विद्युत शक्ति (P) = विभवांतर (V) विद्युत धारा (1) यदि विद्युत धारा एवं विभवांतर प्रत्येक को दो गुना बढ़ाया जाए, तो P=2V x 21 = 4 (VI) 4P स्पष्ट है कि विद्युत शक्ति चार गुना बढ़ जाएगी।
|
49. दो तारों की लंबाइयां, व्यास और प्रतिरोधकताएं सभी 1:2 के अनुपात में हैं। अगर पतले तार का प्रतिरोध 10 ओम है, तो मोटे तार का प्रतिरोध होगा-
(a) 5 ओम
(b) 10 ओम
(c) 20 ओम
(d) 40 ओम
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (b) 10 ओम
- जहाँ R = प्रतिरोध, p = प्रतिरोधकता, l, लंबाई, a, क्षेत्रफल
|
50. नीचे दो वक्तव्य दिए गए हैं, जिनमें से एक को कथन और दूसरे को कारण कहा गया है:
कथन (A): परिणामित्र का प्रयोग वोल्टता के उच्चयन अथवा अपचयन के लिए किया जाता है।
कारण (R): परिणामित्र ऐसी युक्ति है, जिसका प्रयोग निर्दिष्ट धारा (दि.धा.) परिपथ में किया जाता है।
ऊपर के दोनों वक्तव्यों के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[I.A.S. (Pre) 1996]
उत्तर – (c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
- ट्रांसफॉर्मर या परिणामित्र किसी एक विद्युत परिपथ से अन्य परिपथ में विद्युत प्रेरण द्वारा परस्पर जुड़े हुए चालकों के माध्यम से विद्युत ऊर्जा स्थानांतरित करता है।
- इसके द्वारा कम वोल्टता की विद्युत शक्ति को अधिक या अधिक वोल्टता की विद्युत शक्ति को कम वोल्टता पर परिवर्तित कर दूर-दूर तक पारेषित किया जाता है।
- ट्रांसफॉर्मर केवल प्रत्यावर्ती धारा या विभवांतर के साथ कार्य कर सकता है, ‘दिष्ट’ या एकदिश’ (Direct) के साथ नहीं।
|
51. समान प्रकार की छोटी बूंदें V वोल्ट तक आवेशित की गई हैं। यदि ॥ बूंदें मिलकर एक बड़ी बूंद बनाती हैं, तो इस बूंद का विभव होगा-
(a) n2/3 V
(b) n1/3 V
(c) n V
(d) n-1 V
[U.P. Lower Sub. (Mains) 2015]
उत्तर – (a) n2/3 V
- माना प्रत्येक छोटी बूंद का आवेश = q प्रत्येक छोटी बूंद की त्रिज्या = r n बूंदों से मिलकर बनी बड़ी बूंद का कुल आवेश (Q’)=nq बड़ी बूंद की त्रिज्या = R
- चूंकि n बूंदों का कुल आयतन बड़ी बूंद का आयतन 4 3 →R = n³ xr
|
52. ट्रांसफॉर्मर प्रयुक्त होते हैं?
(a) AC को DC में बदलने के लिए
(b) DC को AC में बदलने के लिए
(c) DC वोल्टेज का उपचयन करने के लिए
(d) AC वोल्टेज का उपचयन या अपचयन करने के लिए
[U.P.P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर – (d) AC वोल्टेज का उपचयन या अपचयन करने के लिए
- ट्रांसफॉर्मर (Transformer) का उपयोग प्रत्यावर्ती धारा (AC) विभव को उच्चायी तथा अपचायी करने के लिए करते हैं।
- एक ट्रांसफार्मर में दो कुण्डली होती हैं- (1) प्राथमिक कुण्डली (Primary Coil), (2) द्वितीयक कुण्डली (Secondary Coil)|
- प्रत्यावर्ती धारा प्राथमिक कुण्डली से प्रवाहित होती है, जिससे द्वितीयक कुण्डली में विभव (Voltage) प्रवृत्त होता है।
|
53. किसी AC जनित्र तथा DC जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि
(a) AC जनित्र में विद्युत चुंबक होता है, जबकि DC जनित्र में स्थायी चुंबक होता है।
(b) AC जनित्र में सर्पी वलय होते हैं, जबकि DC जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
(c) DC जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) AC जनित्र उच्च बोल्टता का जनन करता है।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर – (b) AC जनित्र में सर्पी वलय होते हैं, जबकि DC जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
- ए.सी. वोल्टेज को डी. सी. वोल्टेज में बदलने के लिए डी.सी. जेनरेटर में कम्यूटेटर लगाते हैं।
- जबकि ए.सी. जेनरेटर में सर्पी वलय होते हैं।
|
54. मोबाइल चार्जर होता है-
(a) एक इन्वर्टर
(b) एक यू.पी.एस.
(c) एक उच्चायी ट्रांसफार्मर
(d) एक अपचायी ट्रांसफॉर्मर
[U.P. P.C.S. (Pre) Exam. 2017]
उत्तर – (d) एक अपचायी ट्रांसफॉर्मर
- मोबाइल फोन चार्जर में अपचायी (step down) ट्रांसफॉर्मर का प्रयोग किया जाता है।
- अपचायी ट्रांसफॉर्मर वोल्टेज को घटाने का काम करता है।
|
67. कुछ युक्तियां एवं संबंधित ऊर्जा रूपांतरण नीचे दिए गए हैं-
- इलेक्ट्रिकल जेनेरेटर-यांत्रिक से विद्युत
- इलेक्ट्रिकल मोटर-विद्युत से यांत्रिक
- डीज़ल इंजन-प्रकाश से विद्युत
- सोलर सेल-रासायनिक से यांत्रिक
उपरोक्त युग्मों में से कौन-सा / से युग्म सुमेलित है/हैं?
(a) (i) व (ii)
(b) (i) व (iii)
(c) (ii) व (iv)
(d) (iii) व (iv)
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (a) (i) व (ii)
- विद्युत जनित्र यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
- विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है।
- सोलर सेल फोटोवोल्टाइक प्रभाव के माध्यम से प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलती है।
- डीज़ल इंजन ईधन में विद्यमान रासायनिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है।
|
56. प्रत्यावर्ती धारा किसके लिए उपयुक्त नहीं है-
(a) स्टोरेज बैटरी को चार्ज करने हेतु
(b) इलेक्ट्रिक मोटर चलाने हेतु
(c) विद्युत शक्ति संचारण हेतु
(d) इलेक्ट्रिक टोस्टर को गर्म करने हेतु
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (a) स्टोरेज बैटरी को चार्ज करने हेतु
- बैटरी को चार्ज करने के लिए D.C. धारा का प्रयोग किया जाता है, इसके लिए प्रयुक्त चार्जर में Rectifier, A.C. को D.C. में बदल देता है।
|
57. प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में परिवर्तित करने वाली युक्ति को कहते हैं-
(a) इनवर्टर
(b) रेक्टीफायर
(c) ट्रांसफॉर्मर
(d) ट्रांसमीटर
[U.P.P.C.S. (Pre) 2006, Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर – (b) रेक्टीफायर
- रेक्टीफायर (Rectifier) एक वैद्युत युक्ति (Electrical device) है, जो प्रत्यावर्ती धारा या ऑल्टरनेटिंग करेंट (AC) को दिष्ट धारा या डायरेक्ट करेंट (DC) में परिवर्तित करती है।
- इनवर्टर एक वैद्युत सर्किट होता है, जो दिष्ट धारा या डायरेक्ट करेंट (DC) को प्रत्यावर्ती धारा या ऑल्टरनेटिंग करेंट (AC) में परिवर्तित करता है।
- ट्रांसफॉर्मर प्रत्यावर्ती धारा या ऑल्टरनेटिंग करेंट पावर ग्रिड से ऊर्जा की आपूर्ति उन उपकरणों को करता है, जो अलग-अलग वोल्टेज का उपयोग करते हैं।
- ट्रांसमीटर एक वैद्युत युक्ति होती है, जिसके द्वारा एंटीना की सहायता से विद्युत चुंबकीय संकेतों को प्रसारित किया जाता है।
- यह मुख्यतः रेडियो, टेलीविजन एवं अन्य संचार साधनों के लिए प्रयोग किया जाता है।
|
58. अभिकथन (A): भारत में विद्युत वितरण कंपनियां विद्युत खपत की गणना kWh (किलोवॉट घंटे) में करती हैं।
कारण (R): भारत में विद्युत प्रणाली 60 Hz आवृत्ति पर काम करती है।
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[M.P.P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर – (c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
- पावर ग्रिड के सामान्य संचालन के लिए हमारे देश में 50 हर्ट्ज आवृत्ति पर विद्युत ट्रांसमिशन निर्धारित है।
- इसमें 0.5 हर्ट्ज तक की कमी या वृद्धि मान्य है।
- इससे कम या ज्यादा होने पर ग्रिड फेल हो जाता है।
|
59. निम्न में कौन विद्युत खपत को बढ़ते क्रम में प्रदर्शित कर रहा है-
(a) टेलीविजन, पंखा, विद्युत प्रेस, इलेक्ट्रिक केटली
(b) टेलीविजन, पंखा, इलेक्ट्रिक केटली, विद्युत प्रेस
(c) पंखा, टेलीविजन, विद्युत प्रेस, इलेक्ट्रिक केटली
(d) विद्युत प्रेस, इलेक्ट्रिक केटली, पंखा, टेलीविजन
[U.P. P.C.S. (Pre) 1992]
उत्तर – (c) पंखा, टेलीविजन, विद्युत प्रेस, इलेक्ट्रिक केटली
- विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माताओं द्वारा प्रत्येक उपल् करण की एक पॉवर रेटिंग निर्धारित की जाती है, जो उस उपकरण द्वारा खपत की जा सकने वाली अधिकतम ऊर्जा को निर्दिष्ट करती है।
- प्रश्नगत विकल्पों में विद्युत उपकरणों की पॉवर रेटिंग के अनुसार, विद्युत ऊर्जा के खपत के बढ़ते क्रम को प्रदर्शित कर रहा है- पंखा, टेलीविजन, विद्युत प्रेस, इलेक्ट्रिक केटली।
|
60. पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का कारण है-
(a) भूक्रोड के अंदर की चक्रक धाराएं
(b) इसके केंद्र में मौजूद विशाल चुम्बक
(c) पृथ्वी के बाहर अंतरिक्ष में गतिमान आवेश
(d) उपर्युक्त में कोई भी नहीं
[U.P.P.C.S. (Mains) 2011]
उत्तर – (a) भूक्रोड के अंदर की चक्रक धाराएं
- भूक्रोड के अंदर की चक्रक धाराओं के कारण ही पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण होता है।
- इसी को भू-चुंबकीय क्षेत्र भी कहते हैं।
|