1. निम्नलिखित में से किसने न्यूटन से पूर्व ही बता दिया था कि सभी वस्तुएं पृथ्वी की ओर गुरुत्वाकर्षित होती हैं?
(a) आर्यभट्ट
(b) वराहमिहिर
(c) बुद्धगुप्त
(d) ब्रह्मगुप्त
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर – (d) ब्रह्मगुप्त
- ब्रह्मगुप्त गुप्तोत्तर कालीन गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे।
- इन्होंने ‘ब्रह्म सिद्धांत’ की रचना की तथा सर्वप्रथम यह बताया कि पृथ्वी सभी वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है।
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2. गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत किसने दिया ?
(a) चार्ल्स न्यूटन
(b) चार्ल्स बैबेज
(c) आइजैक न्यूटन
(d) जॉन एडम्स
[M.P.P.C.S.(Pre.) 2010]
उत्तर – (c) आइजैक न्यूटन
- गुरुत्वाकर्षण पदार्थों द्वारा एक-दूसरे की ओर आकृष्ट होने की प्रवृत्ति है।
- सर आइजैक न्यूटन ने गति के तीन नियमों एवं गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
- न्यूटन ने अपनी मौलिक खोजों के आधार पर बताया कि केवल पृथ्वी ही नहीं, अपितु विश्व का प्रत्येक कण दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है।
- कणों के बीच कार्य करने वाले पारस्परिक आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण तथा उससे उत्पन्न बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहा जाता है।
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3. गुरुत्वाकर्षण के सार्वभौमिक नियम का प्रतिपादन किसने किया-
(a) न्यूटन
(b) गैलीलियो
(c) कॉपरनिकस
(d) आइन्सटाइन
[M.P. P.C.S. (Pre) 2000, Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007]
उत्तर – (a) न्यूटन
- गुरुत्वाकर्षण के सार्वभौमिक नियम का प्रतिपादन न्यूटन ने किया था।
- इस नियम के अनुसार, दो पिण्डों के बीच लगने वाले आकर्षण बल का परिणाम उन पिण्डों के द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती तथा है।
- (F = Gmm जहाँ, उनके बीच की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
- FG F = बल, m₁ = पहले पिण्ड का द्रव्यमान, m₂ दूसरे पिण्ड का द्रव्यमान, = दोनों पिण्डों के बीच दूरी, G गुरुत्वाकर्षण स्थिरांका।
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4. अंतरिक्ष यात्री निर्वात में सीधे खड़े नहीं रह सकते, क्योंकि-
(a) गुरुत्व नहीं होता है।
(b) वायुमंडल में श्यानता बल बहुत तीव्र होता है।
(c) सौर वायु ऊपर की ओर बल लगाती है।
(d) वायुमंडलीय दबाव बहुत कम होता है
[U.P.P.C.S.(Mains) 2007]
उत्तर – (a) गुरुत्व नहीं होता है।
- अंतरिक्ष में कम गुरुत्व के चलते अंतरिक्ष यात्री सीधे खड़े नहीं रह पाते।
- कम गुरुत्व में लंबे अंतरिक्ष अभियानों में अंतरिक्ष यात्रियों को पेशीय क्षय और अस्थियों के घनत्व में कमी का सामना करना पड़ता है।
- अस्थि घनत्व कम होने से अस्थियां कमजोर हो जाती हैं।
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5. अंतरिक्ष यान, जो चक्कर लगा रहा है, से एक सेब छोड़ा जाता है, तो वह-
(a) पृथ्वी की ओर गिरेगा।
(b) कम गति से गतिवान होगा।
(c) अंतरिक्ष यान के साथ-साथ उसी गति से गतिवान होगा।
(d) अधिक गति से गतिवान होगा।
[U.P.P.C.S.(Pre) 2010]
उत्तर – (c) अंतरिक्ष यान के साथ-साथ उसी गति से गतिवान होगा।
- अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण के अभाव में सेब अंतरिक्ष यान के साथ-साथ उसी गति से गतिवान होगा।
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6. ‘पीसा’ (Pisa) की झुकी हुई मीनार गिर नहीं जाती है, क्योंकि-
(a) वह शीर्ष भाग में पतली (Tapper) हो गई है।
(b) वह बड़े तल क्षेत्रफल को आच्छादित करती है।
(c) इसका गुरुत्वाकर्षण केंद्र निम्नतम स्थिति में रहता है।
(d) गुरुत्व केंद्र से जाने वाली ऊर्ध्वाधर लाइन (रेखा) तल के अंदर रहती है।
[U.P.P.C.S.(Pre) 2009]
उत्तर – (d) गुरुत्व केंद्र से जाने वाली ऊर्ध्वाधर लाइन (रेखा) तल के अंदर रहती है।
- गुरुत्व केंद्र वह बिंदु है, जहाँ वस्तु का संपूर्ण द्रव्यमान संकेंद्रित होता है।
- कोई भी वस्तु तब तक स्थिर रहती है, जब तक गुरुत्व केंद्र से जाने वाली ऊर्ध्वाधर रेखा उसके तल से होकर गुजरती है।
- अभी तक पीसा की मीनार के गुरुत्व केंद्र से होकर जाने वाली ऊर्ध्वाधर रेखा मीनार के तल के अंदर रहती है, इसलिए झुकी हुई मीनार अभी तक नहीं गिरी है।
- ऐसा माना जाता है कि मीनार के और अधिक झुकने पर गुरुत्व केंद्र से होकर जाने वाली रेखा मीनार के तल से बाहर हो जाएगी, तब वह गिर पड़ेगी।
- अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, वर्ष 2030 से 2050 तक यह मीनार पूर्ण रूप से गिर जाएगी।
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7. यदि पृथ्वी और सूर्य की दूरी जो है उसके स्थान पर दोगुनी होती, तो सूर्य द्वारा पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल जो पड़ता, वह होता-
(a) अब जितना है उसका दोगुना ।
(b) अब जितना है उसका चार गुना।
(c) अब जितना है उसका चौथा भाग।
(d) अब जितना है उसका आधा भाग।
[U.P.P.C.S.(Mains) 2009]
उत्तर – (c) अब जितना है उसका चौथा भाग।
- माना वर्तमान में पृथ्वी एवं सूर्य के बीच की दूरी ” है, तो न्यूटन के सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार सूर्य द्वारा पृथ्वी पर लगाया गया गुरुत्वाकर्षण बल FGMM
F = गुरुत्वाकर्षण बल
M = सूर्य का द्रव्यमान
M = पृथ्वी का द्रव्यमान
G = गुरुत्वाकर्षण नियतांक
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8. जब कोई वस्तु ऊपर से गिराई जाती है, तो उसका भार होता है-
(a) शून्य
(b) अपरिवर्तित
(c) परिवर्तनशील
(d) सभी गलत हैं
[M.P. P.C.S. (Pre) 1992]
उत्तर – (b) अपरिवर्तित
- आदर्श परिस्थितियों में (वायु प्रतिरोध को नगण्य मानते हुए) किसी वस्तु को ऊपर से गिराने पर उसके भार में कोई परिवर्तन नहीं होता है, क्योंकि उसका द्रव्यमान और उस पर लगने वाला गुरुत्वीय त्वरण अपरिवर्तित रहता है।
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9. लकड़ी, लोहे व मोम के समान आकार के टुकड़ों को समान ऊंचाई से पृथ्वी पर गिराया जाता है। कौन-सा टुकड़ा सर्वप्रथम पृथ्वी की सतह पर पहुंचेगा?
(a) लकड़ी
(b) मोम
(c) लोहा
(d) सभी साथ-साथ पहुंचेंगे
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1992]
उत्तर – (d) सभी साथ-साथ पहुंचेंगे
- आदर्श परिस्थितियों में (वायु प्रतिरोध को नगण्य मानते हुए) समान ऊंचाई से गिराए जाने पर लकड़ी, लोहे एवं मोम के समान आकार के टुकड़े एक साथ पृथ्वी की सतह पर पहुंचेंगे, क्योंकि सब पर समान गुरुत्वीय त्वरण कार्य करेगा।
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10. हवा में लोहे और लकड़ी की समान भार की गेंद को समान ऊंचाई से गिराने पर-
(a) पृथ्वी पर दोनों एक समय गिरेगी।
(b) एक पहले गिरेगी, एक बाद में गिरेगी।
(c) लकड़ी की गेंद बाद में गिरेगी।
(d) कुछ अंतराल में गिरेंगी।
[U.P. P.C.S. (Pre) 1992]
उत्तर – (c) लकड़ी की गेंद बाद में गिरेगी।
- हवा की अनुपस्थिति में लोहे तथा लकड़ी के समान भार को समान ऊंचाई से गिराने पर वे एक साथ पृथ्वी पर पहुंचेंगे, परंतु हवा की उपस्थिति में लोहे तथा लकड़ी की समान भार की गेंद को समान ऊंचाई से गिराने पर लोहे की गेंद पहले पहुंचेगी तथा लकड़ी की गेंद बाद में गिरेगी।
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11. दो गेंदें A तथा B क्रमशः 10 किग्रा, तथा 1 किग्रा. की हैं। उन्हें 20 मीटर की ऊंचाई से एक साथ गिराया जाता है।
निम्नलिखित में से कौन-सा सही है?
(a) भूमि पर A पहले पहुंचेगी
(b) भूमि पर B पहले पहुंचेगी
(c) भूमि पर दोनों A और B एक साथ पहुंचेंगी
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2015]
उत्तर – (c) भूमि पर दोनों A और B एक साथ पहुंचेंगी
- दोनों गेंदें A तथा B भूमि पर एक साथ पहुंचेंगी।
- ऐसा इसलिए संभव है, क्योंकि दोनों गेंदों को समान ऊंचाई 20 मीटर से गिराया गया है, अतः h 20 m प्रारंभिक वेग u =0 गति
- समीकरण (गुरुत्वाधीन गति के लिए) V² = u²+2gh यहाँ V² = 2gh (u=0)
[V→ अंतिम वेग]
या V= √2gh
- चूंकि दोनों गेंदों के लिए ऊंचाई (h = 20) समान है तथा अंतिम वेग का सूत्र (r = √2gh) गेंदों के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं है।
- अतः दोनों गेंदें समान वेग से एक साथ भूमि पर गिरेंगी।
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12. कथन : चन्द्रमा पर मानव का वजन पृथ्वी की तुलना में 1/6 रहता है।
कारण : चन्द्रमा पर पृथ्वी की तरह गुरुत्वाकर्षण नहीं है।
निम्नलिखित कूटों में से उत्तर का चयन कीजिए-
(a) कथन और कारण दोनों सही हैं तथा कारण कथन को सही स्पष्ट करता है।
(b) कथन और कारण दोनों सही हैं, परंतु कारण कथन को सही स्पष्ट नहीं करता।
(c) कथन सही है, परंतु कारण गलत है।
(d) कथन गलत है, परंतु कारण सही है।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर – (c) कथन सही है, परंतु कारण गलत है।
- चन्द्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है।
- चन्द्रमा के गुरुत्वीय त्वरण का मान पृथ्वी पर g के मान का 1/6 वीं भाग है।
- इसलिए चन्द्रमा पर व्यक्ति का भार पृथ्वी पर उसके भार का 1/6 वां भाग होगा।
- इस प्रकार कथन सही है, जबकि कारण सही नहीं है।
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13. किसी पिण्ड का भार –
(a) पृथ्वी तल पर सब जगह समान होता है।
(b) ध्रुवों पर सर्वाधिक होता है।
(c) विषुवत रेखा पर अधिक होता है।
(d) मैदानों की अपेक्षा पहाड़ों पर अधिक होता है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2006, U.P.P.C.S.(Mains) 2009]
उत्तर – (b) ध्रुवों पर सर्वाधिक होता है।
- गुरुत्वीय त्वरण का मान भूमध्य रेखा पर सबसे कम एवं ध्रुवों पर सबसे अधिक होने के कारण पिण्ड का भार (जो कि द्रव्यमान और गुरुत्वीय त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है) भूमध्य रेखा पर न्यूनतम और ध्रुवों पर सर्वाधिक होगा।
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14. एक पिण्ड का अधिकतम भार निम्नलिखित में से किसमें होता है?
(a) वायु
(b) जल
(c) हाइड्रोजन
(d) नाइट्रोजन
[U.P.P.C.S. (Mains) 2017]
उत्तर – (c) हाइड्रोजन
- किसी पिण्ड का द्रव्यमान सदैव नियत रहता है और उसका भार दो चीजों पर निर्भर करता है- 1. गुरुत्व बल 2. पिण्ड पर लगने वाला उत्क्षेप बल।
- दिए गए विकल्प में हाइड्रोजन सबसे हल्का और विरल माध्यम है, अतः उसके द्वारा लगाया गया उत्क्षेप बल सबसे कम होगा।
- अतः पिण्ड का भार हाइड्रोजन में सर्वाधिक होगा।
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15. एक ऊंची इमारत से एक गेंद 9.8 मी./से. के समान त्वरण के साथ गिराई जाती है। 3 सेकंड बाद उसका वेग क्या होगा?
(a) 9.8 मी./से.
(b) 19.6 मी./से.
(c) 29.4 मी./से.
(d) 39.2 मी./से.
[I.A.S. (Pre) 1998]
उत्तर – (c) 29.4 मी./से.
- दिया है a = 9.8 मी./से., 1= 3 से., u = 0 हम जानते हैं कि- Vu+at=0+9.8 × 3 = 29.4 मी./से.
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16. यदि पृथ्वी का द्रव्यमान वही रहे और त्रिज्या 1% से कम हो जाए, तब पृथ्वी के तल पर g का मान-
(a) 0.5% बढ़ जाएगा
(b) 2% बढ़ जाएगा
(c) 0.5% कम हो जाएगा
(d) 2% कम हो जाएगा
[I.A.S. (Pre) 2003]
उत्तर – (b) 2% बढ़ जाएगा
- गुरुत्वीय त्वरण के मान में प्रतिशत परिवर्तन = 2 (R x 100 % जब m 1 =dg×100=2 g = (2×1)% = 2% वृद्धि dR 1% जब m नियत रहता है।
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17. विनाशकारी भूकंप के गुरुत्व के कारण त्वरण होगा-
(a) > 550 सेमी./से.2
(b) > 750 सेमी./से.2
(c) > 950 सेमी./से.2
(d) > 980 सेमी./से.2
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (d) > 980 सेमी./से.2
- विनाशकारी भूकंप के गुरुत्व के कारण त्वरण का मान 980 सेमी. से.2 या 9.8 मी. से.2 से अधिक होगा।
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18. एक वस्तु का पृथ्वी पर द्रव्यमान 100 किग्रा. है (गुरुत्व जनित त्वरण, ge = 10 मी./से.2)। अगर चन्द्रमा पर गुरुत्व जनित त्वरण (ge/6) है, तो चन्द्रमा पर वस्तु का द्रव्यमान होगा-
(a) 100/6 किग्रा.
(b) 60 किग्रा.
(c) 100 किग्रा.
(d) 600 किग्रा.
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (c) 100 किग्रा.
- किसी वस्तु के द्रव्यमान पर गुरुत्वीय त्वरण में परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता तथा वह स्थिर रहता है।
- गुरुत्वीय त्वरण में परिवर्तन से वस्तु के भार में परिवर्तन होता है।
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19. भारहीनता होती है-
(a) गुरुत्वाकर्षण की शून्य स्थिति
(b) जब गुरुत्वाकर्षण घटता है
(c) निर्वात की स्थिति में
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[M.P. P.C.S. (Pre)1991]
उत्तर – (a) गुरुत्वाकर्षण की शून्य स्थिति
- भारहीनता, वह अवस्था है जब पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल ऊपर की ओर लगने वाले बल से संतुलित हो जाए।
- हम जानते हैं कि पिण्ड का भार W = m.g होता है (जहां m वस्तु का द्रव्यमान तथा गुरुत्वीय त्वरण है)।
- यदि ऊपर की तरफ प्रक्षेपित वस्तु का त्वरण गुरुत्वाकर्षण को संतुलित कर दे, तो
W = m (g1+g2) = m.[g1+(-g1)] = m.(o) = 0
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20. निम्न में कौन सुमेलित क्रम में है-
A. रेडियम |
1. अलेक्जेंडर फ्लेमिंग |
B. पेनसिलीन |
2. मैडम क्यूरी |
C. एक्स-रे |
3. एडवर्ड जेनर |
D. चेचक |
4. डब्ल्यू. के. रोएंटजेन |
कूट :
A B C D
(a) 2, 1, 4, 3
(b) 2, 3, 4, 1
(c) 3, 4, 1, 2
(d) 4, 1, 2, 3
[U.P. P.C.S. (Pre) 1992]
उत्तर – (a) 2, 1, 4, 3
- रेडियम तत्व की खोज पियरे क्यूरी और मैडम क्यूरी ने 1898 ई. में की।
- पेनसिलीन की खोज अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने वर्ष 1928 में की।
- एक्स-किरणों की खोज 1895 ई. में विलहेल्म के रोएंटजेन ने की थी।
- एडवर्ड जेनर ने 1796 ई. में चेचक के टीके की खोज की।
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21. पृथ्वी अपने कक्ष में लगभग 4400 किमी. प्रति घंटा की गति से घूमती है। इस तेज गति को हम अनुभव क्यों नहीं करते हैं?
(a) पृथ्वी के आकार की अपेक्षा में हम बहुत छोटे हैं।
(b) अपने कक्ष में पृथ्वी की गति की अपेक्षा में हमारी गति शून्य है।
(c) संपूर्ण सूर्य मंडल भी चलायमान है।
(d) पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण निरंतर हमें पृथ्वी के केंद्र की ओर खींचता है।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर – (b) अपने कक्ष में पृथ्वी की गति की अपेक्षा में हमारी गति शून्य है।
- हम पृथ्वी की घूर्णन गति का अनुभव नहीं करते, क्योंकि अपने कक्ष में पृथ्वी की गति की अपेक्षा में हमारी गति शून्य है।
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22. यदि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल अचानक लुप्त हो जाता है, तो निम्न में से कौन-सा परिणाम सही होगा?
(a) वस्तु का भार शून्य हो जाएगा, परंतु द्रव्यमान वही रहेगा
(b) वस्तु का द्रव्यमान शून्य हो जाएगा, परंतु भार वही रहेगा
(c) वस्तु का भार तथा द्रव्यमान दोनों शून्य हो जाएंगे
(d) वस्तु का द्रव्यमान बढ़ जाएगा
[U.P. P.C.S. (Mains) 2012]
उत्तर – (a)वस्तु का भार शून्य हो जाएगा, परंतु द्रव्यमान वही रहेगा
- पृथ्वी की सतह के निकट किसी पिंड पर लगने वाला पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल यदि अचानक लुप्त हो जाए, तो वस्तु का भार शून्य हो जाएगा परंतु द्रव्यमान वही रहेगा।
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23. पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा कर रहा कृत्रिम उपग्रह इसलिए पृथ्वी पर नीचे नहीं गिरता, क्योंकि पृथ्वी का आकर्षण-
(a) उतनी दूरी पर अस्तित्वहीन होता है।
(b) चन्द्रमा के आकर्षण से निष्क्रिय हो जाता है।
(c) उसकी नियमित चाल के लिए आवश्यक गति प्रदान करता है।
(d) उसकी गति के लिए आवश्यक त्वरण प्रदान करता है।
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर – (d) उसकी गति के लिए आवश्यक त्वरण प्रदान करता है।
- पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करते हुए कृत्रिम उपग्रह पर दो प्रकार के बल कार्य करते हैं।
- एक है- केंद्रीय बल और दूसरा-प्रक्षोभ बल।
- केंद्रीय बल गोलाकार पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल है, जिसके कारण उपग्रह अपनी गति के लिए आवश्यक अपकेंद्री त्वरण प्राप्त कर पृथ्वी की वृत्तीय अथवा दीर्घवृत्तीय कक्षा में परिक्रमा करता है और पृथ्वी पर नीचे नहीं गिरता।
- प्रक्षोभ बल के अंतर्गत वायुमंडलीय कर्षण, पृथ्वी की गोलाई में त्रुटि, चंद्र एवं सौर के गुरुत्वाकर्षण, खिंचाव, सौर विकिरण, दाब आदि से उत्पन्न बल आते हैं।
- इन बलों का योग यद्यपि कम है किंतु इनके कारण उपग्रह के पथ में विचलन आ जाता है।
- अधिक ऊंचाई वाली कक्षा (भूस्थिर कक्षा; 36,000 किमी. या अधिक) में स्थापित उपग्रह तो वायुमंडलीय कर्षण से अप्रभावित रहते हैं, परंतु निम्न कक्षा वाले उपग्रहों की कक्षीय त्रिज्या वायुमंडलीय कर्षण से प्रभावित होकर धीरे-धीरे कम होती जाती है और अंततः ऐसे उपग्रह पृथ्वी के सघन वायुमंडल में पहुंचकर भस्म हो जाते हैं।
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24. कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी से सुस्पष्टता से ट्रैक किया जा सकता है-
(a) डॉप्लर प्रभाव द्वारा
(b) राडार द्वारा
(c) सोनार द्वारा
(d) पल्सर द्वारा
[U.P. P.C.S. (Pre) Exam. 2017]
उत्तर – (a) डॉप्लर प्रभाव द्वारा
- कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी से डॉप्लर ट्रैकिंग द्वारा सुस्पष्टता से ट्रैक किया जा सकता है।
- यह ट्रैकिंग ट्रांसमीटर व रिसीवर की सहायता से की जाती है।
- डॉप्लर प्रभाव की मदद से सुस्पष्टता से यह ट्रैकिंग संभव होती है।
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25. अपने कक्ष में एक उपग्रह पृथ्वी के चक्कर लगाता रहता है। यह ऐसा निम्न में से किस कारण से करता है?
(a) अपकेंद्रीय बल
(b) केंद्राभिमुखी बल
(c) गुरुत्वाकर्षण बल या इसकी कमी
(d) कोई अन्य बल
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर – (b) केंद्राभिमुखी बल
- उपग्रह अपने कक्ष में अभिकेंद्र बल के कारण पृथ्वी का चक्कर लगाता रहता है।
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26. प्रकृति के ज्ञात बलों को चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे कि गुरुत्व, विद्युत चुंबकत्व, दुर्बल नाभिकीय बल और प्रबल नाभिकीय बल। उनके संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही नहीं है?
(a) गुरुत्व, चारों में सबसे प्रबल है।
(b) विद्युत-चुंबकत्व सिर्फ विद्युत आवेश वाले कणों पर क्रिया करता है।
(c) दुर्बल नाभिकीय बल विघटनाभिकता का कारण है।
(d) प्रबल नाभिकीय बल परमाणु के केंद्रक में प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों को धारित किए रखता है।
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (a) गुरुत्व, चारों में सबसे प्रबल है।
- चार आधारभूत बलों में गुरुत्वीय बल सबसे क्षीण बल है, जबकि प्रबल नाभिकीय बल समस्त मूलभूत बलों में प्रबलतम है।
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27. किसी लिफ्ट में बैठे हुए व्यक्ति को अपना भार कब अधिक मालूम पड़ेगा-
(a) जब लिफ्ट त्वरित गति में ऊपर जा रही हो।
(b) जब लिफ्ट त्वरित गति में नीचे आ रही हो।
(c) समान वेग में ऊपर जा रही हो।
(d) समान वेग से नीचे आ रही हो।
[U.P. P.C.S. (Pre) 1990]
उत्तर – (a) जब लिफ्ट त्वरित गति में ऊपर जा रही हो।
- माना व्यक्ति का द्रव्यमान ‘m’ तथा भार ‘W’ है तथा लिफ्ट त्वरण ‘a’ से ऊपर की ओर जा रही है।
- व्यक्ति पर लगने वाला बल-
1. गुरुत्व के कारण लगने वाला बल: mg
2. लिफ्ट द्वारा ऊपर की दिशा में प्रतिक्रिया : ma
न्यूटन के द्वितीय नियम के द्वारा-
W-mg = ma
.. W m(g+a)
- स्पष्ट है कि लिफ्ट द्वारा त्वरित गति से ऊपर की ओर जाने पर व्यक्ति को अपने भार W के बढ़ने का आभास होगा।
- इसके विपरीत लिफ्ट द्वारा नीचे की ओर गति करने से व्यक्ति को अपने भार में कमी का आभास होगा, क्योंकि उस दशा में त्वरण (a) ऋणात्मक हो जाएगा।
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28. लोलक की कालावधि (Time-period)
(a) द्रव्यमान के ऊपर निर्भर करती है।
(b) लंबाई के ऊपर निर्भर करती है।
(c) समय के ऊपर निर्भर करती है।
(d) तापक्रम के ऊपर निर्भर करती है।
[47th B.P.S.C. (Pre) 2005]
उत्तर – (b) लंबाई के ऊपर निर्भर करती है।
- लोलक की कालावधि उसकी लंबाई के ऊपर निर्भर करती है।
- हम जानते हैं कि T 2 Vg अतः लोलक की लंबाई होगी, उसकी कालावधि भी उतनी ही अधिक होगी।
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29. लोलक घड़ियां गर्मियों में सुस्त हो जाती हैं, क्योंकि
(a) गर्मियों में दिन लंबे होते हैं।
(b) कुंडली में घर्षण होता है।
(c) लोलक की लंबाई बढ़ जाती है।
(d) लोलक के भार में परिवर्तन हो जाता है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012, U.P. P.C.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (c) लोलक की लंबाई बढ़ जाती है।
- सरल लोलक का आवर्तकाल T 2 Vg
- गर्मियों में लोलक की लंबाई बढ़ने के कारण उसका आवर्तकाल भी बढ़ जाता है, परिणामतः लोलक घड़ियाँ गर्मियों में सुस्त हो जाती हैं।
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30. एक लड़की झूले पर बैठी स्थिति में झूला झूल रही है। उस लड़की के खड़े हो जाने पर प्रदोल आवर्तकाल
(a) कम हो जाएगा।
(b) अधिक हो जाएगा।
(c) लड़की की ऊँचाई पर निर्भर करेगा।
(d) अपरिवर्तित रहेगा।
[I.A.S. (Pre) 1997]
उत्तर – (a) कम हो जाएगा।
- लड़की झूले पर बैठी स्थिति में झूला झूल रही है।
- उस लड़की के खड़े हो जाने पर लोलक की प्रभावी लंबाई कम हो जाएगी और फलस्वरूप उसका प्रदोल आवर्तकाल कम हो जाएगा।
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31. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
एक सामान्य दोलक का दोलन चल रहा है। ऐसे में-
1. जब गोला माध्य स्थान से गुजरता है, त्वरण शून्य होता है।
2. हर आवर्तन में गोलक दो बार किसी एक निर्दिष्ट वेग को प्राप्त करता है।
3. दोलन के दौरान जब गोला चरम स्थिति पर पहुंचता है, उसके गति और त्वरण दोनों शून्य होते हैं।
4. सामान्य दोलक का दोलन आयाम समय के साथ-साथ कम होता जाता है।
इन कथनों में से कौन-कौन से सही हैं?
(a) 1 और 2
(b) 3 और 4
(c) 1, 2 और 4
(d) 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (c) 1, 2 और 4
- सरल आवर्त गति करने वाला पिण्ड जब अपनी मध्यमान स्थिति से गुजरता है, तो-
(i) उस पर कोई बल कार्य नहीं करता है।
(ii) उसका त्वरण शून्य होता है।
(iii) वेग अधिकतम होता है।
(iv) गतिज ऊर्जा अधिकतम होती है।
(v) स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है।
- जब पिण्ड गति के अंतः बिंदुओं (चरम स्थिति) पर पहुंचता है, तो-
(i) उसका त्वरण अधिकतम होता है।
(ii) उस पर कार्य करने वाला प्रत्यानयन बल अधिकतम होता है।
(iii) गतिज ऊर्जा शून्य होती है।
(iv) स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है।
(v) वेग शून्य होता है।
- साथ ही हर आवर्तन में गोलक दो बार किसी एक निर्दिष्ट वेग को प्राप्त करता है।
- इसके अतिरिक्त सामान्य परिस्थितियों में सामान्य दोलक का दोलन-आयाम (वायु प्रतिरोध आदि कारणों से) समय के साथ-साथ कम होता जाता है।
- इस प्रकार कथन 1, 2 और 4 सही है, जबकि कथन 3 सही नहीं है।
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32. पेंडुलम घड़ी तीव्र गति से चल सकती है-
(a) ग्रीष्म ऋतु में
(b) शीतकाल में
(c) बसंत ऋतु में
(d) वर्षा ऋतु में
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1997]
उत्तर – (b) शीतकाल में
- पेंडुलम घड़ी शीतकाल में तेजी से चलती है, क्योंकि इसका आवर्त पथ तथा आवर्तकाल घट जाता है, जबकि ग्रीष्मकाल में इसका आवर्त पथ तथा आवर्तकाल बढ़ जाता है, जिसके फलस्वरूप पेंडुलम घड़ी ग्रीष्मकाल में धीरे चलती है और वह सुस्त हो जाती है।
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33. पृथ्वी का पलायन वेग है-
(a) 15.0 किमी./सेकंड
(b) 21.1 किमी. / सेकंड
(c) 7.0 किमी./सेकंड
(d) 11.2 किमी. सेकंड
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1993]
उत्तर – (d) 11.2 किमी. सेकंड
- पलायन वेग, वह न्यूनतम वेग है, जिससे किसी पिण्ड को ऊपर की ओर फेंके जाने पर वह पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र को पार कर जाता है तथा पृथ्वी पर वापस नहीं आता।
- पृथ्वी का पलायन वेग 11.2 किमी / सेकंड है।
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34. अगर किसी वस्तु को 8 किमी. प्रति सेकंड के वेग से अंतरिक्ष में फेंका जाए, तो क्या होगा?
(a) वह वस्तु अंतरिक्ष में चली जाएगी
(b) वह वापस पृथ्वी पर आ गिरेगी
(c) वह पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में परिक्रमा करने लगेगी
(d) वह फट जाएगी
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1992]
उत्तर – (b) वह वापस पृथ्वी पर आ गिरेगी
- किसी वस्तु को 8 किमी. से. के वेग से अंतरिक्ष में फेंके जाने पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण वह वस्तु वापस पृथ्वी पर आ गिरेगी, क्योंकि पृथ्वी का पलायन वेग 11.2 किमी. / सेकंड है।
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35. चन्द्रमा पर वायुमंडल नहीं होने का क्या कारण है?
(a) यह पृथ्वी के निकट है।
(b) यह सूर्य से प्रकाश प्राप्त करता है।
(c) यह पृथ्वी की परिक्रमा करता है।
(d) इस पर गैस अणुओं का पलायन वेग उनके वर्ग माध्य मूल वेग से कम होता है।
[U.P. P.C.S. (Mains) 2012]
उत्तर – (d) इस पर गैस अणुओं का पलायन वेग उनके वर्ग माध्य मूल वेग से कम होता है।
- चन्द्रमा पर वायुमंडल नहीं पाया जाता। वायुमंडल अनेक गैसों का मिश्रण है।
- चन्द्रमा पर पलायन वेग का मान लगभग 2.4 किमी. से. है तथा धरती पर पलायन वेग 11.2 किमी. से. है।
- चन्द्रमा पर पलायन वेग से गैस के अणुओं का वेग ज्यादा होने के कारण वे वहां से पलायन कर जाते हैं, इसी कारण चन्द्रमा पर वायुमंडल संभव नहीं है।
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