सूचना प्रौद्योगिकी और ई-गवर्नेस

प्रश्न: ई-गवर्नेस मूलतः शासन में सुधारों का सूत्रपात करने के लिए है, यह समझे बिना प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करने का अर्थ यह हुआ है कि ई-गवर्नेस की क्षमता का दोहन नहीं हो पाया है। इस कथन पर चर्चा करते हुए, सुझाव दीजिए कि इस स्थिति से निपटने हेतु क्या जाना चाहिए।

दृष्टिकोण:

  • भारत में ई-गवर्नेस का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  • भारत में ई-गवर्नेस के संबंध में धीमी प्रगति के कारणों पर चर्चा कीजिए।
  • भारत में ई-गवर्नेस पहलों को सफल बनाने के लिए लागू किए जा सकने वाले उपाय सुझाइए।

उत्तरः

सरल, नैतिक, जवाबदेह, उत्तरदायी और पारदर्शी शासन की स्थापना करने के लिए सरकारी कामकाज की प्रक्रियाओं में सूचना प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग किया जाना ‘ई-गवर्नेस‘ है। इस प्रकार ई-गवर्नेस का उद्देश्य शासन को लोक केंद्रित बनाना है तथा प्रौद्योगिकी इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु एक उपकरण है। वर्ष 2006 में राष्ट्रीय ई-गवर्नेस कार्यक्रम को अपनाने के बाद से भारत ने प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इसमें आधार व JAM जैसी पहलें तथा mygov.in और e-sampark जैसे पोर्टल सम्मिलित हैं।

अब तक की गई प्रगति के बावजूद ई-गवर्नेस की वास्तविक क्षमता बाधित ही रही है। इसका कारण यह है कि ई-गवर्नेस के लिए पारंपरिक दृष्टिकोण अंतर्निहित प्रक्रियाओं में अधिक परिवर्तन किए बिना केवल मौजूदा प्रक्रियाओं को आईटी सक्षम बनाना रहा है। इस प्रकार इन आईटी सक्षम पहलों में निम्नलिखित को सम्मिलित किया गया है: 

  • आईटी के उपयोग के माध्यम से मौजूदा प्रक्रियाओं का स्वचालन।
  • विभाग की सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध कराना (आवेदन जमा करने के लिए ई-फॉर्म प्रदान करना, फाइल प्रबंधन प्रणाली आदि)

इन सभी मामलों में प्रक्रिया पूर्व के समान ही रहती है किन्तु उसका संचालन अब इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाता है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित कारक भी प्रौद्योगिकी से परे ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल देते हैं:

  • लगभग 70% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है जहाँ निरक्षरता अधिक है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट प्लेटफॉर्म का स्थानीय भाषा में न होना भी एक बड़ी बाधा है।
  • ई-गवर्नेस पहलों को प्रोत्साहित करने के बावजूद अनेक सरकारी विभाग भौतिक फॉर्स और हस्ताक्षरों पर बल देते हैं।
  • सूचना की सुरक्षा और गोपनीयता ई-गवर्नेस कार्यान्वयन के लिए एक तकनीकी चुनौती है क्योंकि लोग सरकारी एजेंसियों के साथ अपनी जानकारी साझा करने के मामले में सशंकित रहते हैं।
  • भारत में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के मध्य एक बड़ा डिजिटल विभाजन विद्यमान है।
  • भारत में अभी भी इंटरनेट का प्रसार अत्यंत कम है। शहरी भारत में लगभग 160 मिलियन और ग्रामीण भारत में 732 मिलियन लोग इंटरनेट का उपयोग नहीं करते हैं।
  • देश के आंतरिक भागों में अभी भी इंटरनेट सेवा प्रदाताओं द्वारा सेवा प्रदान नहीं की जाती है और इंटरनेट शुल्क अधिक हैं, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए। इस प्रकार पहुँच और वहनीयता अभी भी एक अवरोध बने हुए हैं।

ई-शासन की पहल को सफल बनाने के लिए लागू किए जा सकने वाले उपायों में निम्नलिखित सम्मिलित हैं:

  •  सरकार को ICT के प्रसार के माध्यम से मौजूदा डिजिटल विभाजन को कम करने का लक्ष्य रखना चाहिए। ऐसा करने के लिए नागरिकों को विभिन्न चैनलों और प्रौद्योगिकी उपकरणों तथा इंटरफेस जैसे कि वेब पोर्टल्स और ऐप्स के उपयोग का प्रशिक्षण प्रदान किया जा सकता है।
  • प्रशासन और सेवा वितरण में परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए सरकारी प्रक्रिया में री-इंजीनियरिंग को प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिए।
  • एक सुरक्षित और सुदृढ़ ई-गवर्नेस तंत्र विकसित करने के लिए साइबर सुरक्षा उपकरणों तथा उनके संबंध में जागरुकता को सशक्त किया जाना चाहिए।
  •  ई-गवर्नेस परियोजनाओं को स्पष्ट उद्देश्यों, भूमिकाओं और जवाबदेही के साथ नियोजित किया जाना चाहिए। वित्तीय नियंत्रण, जोखिम मूल्यांकन और व्यवहार्यता मूल्यांकन जैसे पहलुओं को भी पर्याप्त प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिए।
  • सरकार द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से अपने कर्मचारियों के कौशल संवर्द्धन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। सरकारी सेवाएं स्थानीय भाषाओं में प्रदान की जानी चाहिए और सहभागी अभिशासन के लिए नागरिकों को मंच उपलब्ध कराया जाना चाहिए
  • सुचारु एकीकरण और सूचना के समुचित प्रवाह के लिए विभिन्न सरकारी विभागों जैसे आईटी, कानून, वित्त आदि में सहयोग स्थापित किया जाना चाहिए।

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