उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा लिए गए विभिन्न ई-प्रशासन पहलों पर चर्चा कीजिए। इनके समक्ष उपस्थित चुनौतियों से कैसे निपटा जा सकता है?

उत्तर की संरचनाः

भूमिका:

  • ई-गवर्नेस के अर्थ व महत्व को इंगित कीजिए।

मुख्य भाग:

  • उत्तर प्रदेश के विभिन्न ई-प्रशासन पहलों पर चर्चा कीजिए।
  • इस विषय में कुछ सीमाओं पर चर्चा कीजिए।

निष्कर्ष:

  • उत्तर प्रदेश में ई-प्रशासन को सुधारने के कुछ उपाय बताकर निष्कर्ष दीजिए।

भूमिकाः

ई-प्रशासन, सेवाएं प्रदान करने के लिए व अन्य प्रशासनिक क्रियाओं के लिए इन्टरनेट से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के प्रयोग को कहते हैं जिससे तीव्र, सटीक और विस्तृत प्रशासनिक प्रक्रिया सुनिश्चित होती है। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग केंद्रीय भूमिका में होती है।

मुख्य भागः

इस विषय में उत्तर प्रदेश सरकार ने कई ई-प्रशासन पहले की हैं, जो निम्नलिखित हैं

  • लगभग 1000 की शहरी जनसंख्या व प्रति दो पंचायतों पर एक सार्वजनिक सेवा केंद्र (सीएससी) की स्थापना की गयी है जिससे जाति, आय, खसरा, खतौनी जैसे प्रमाण पत्रों को दिया जा रहा है। अब तक कल 76000 से अधि क सीएससी स्थापित किए जा चुके हैं।
  • स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (यूपी-स्वान) कार्यक्रम जो नेटवर्क जुड़ाव के लिए कोर संरचना स्थापना करने पर लक्षित है, चलाया जा रहा है। इसमें सभी ब्लॉकों, तहसीलों व जिलों को राजधानी से जोड़ा जाना है। अभी तक 885 पी. ओ.पी. स्थापित किए जा चुके हैं।
  • राज्य आँकड़ा केन्द्र (यूपीएसडीसी) बनाया गया है जिससे उत्तर प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों के विश्वसनीय आँकड़ों को प्राप्त किया जा सकता है। यह एक सटीक नीति निर्माण व सही लाभार्थी को लक्षित करने में मदद करता
  • राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों के ई-प्रशासन में विशेष प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ताकि ई-सेवा प्रदान की जा सके।
  • अन्य पहलों में ई-ताल (ई-प्रशासन परियोजनाओं के विषय में ई-लेनदेन की जानकारी हेत) डिजी धन मेला आदि सम्मिलित हैं। फिर भा उत्तर प्रदेश मइ-प्रशासन क समक्ष निम्न चुनौतियों को देखा जा सकता है-
  • उत्तर प्रदेश की साक्षरता दर मात्र 67% है जो लोगों में डिजिटल विभाजन उत्पन्न करती है जिससे समावेशी किास बाधित होता है।
  • उत्तर प्रदेश के 44% ग्रामीण घर अभी भी बिजली कनेक्शन से वंचित हैं जिससे बैटरी चार्ज करने की अवसंरचना के अभाव में मोबाइल गवर्नेस बाधित होता है।
  • कभी-कभी अतिभारित सर्वर ई-प्रशासन सेवाओं को प्रदान करने को मुश्किल बना देते हैं।
  • कुछ वरिष्ठ कर्मचारियों की तकनीक के प्रति अक्षमता भी ई-प्रशासन में बाधा बनती है।

निष्कर्षः

इन चुनौतियों को एक वृहद् डिजिटल साक्षरता अभियान, प्रशिक्षण कार्यक्रमों व अवसंरचना विकास को तीव करके दूर करना चाहिए। यह तीव्र व समावेशी विकास हेतु प्राथमिकता स्तर पर किया जाना चाहिए।

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