भारत में कट्टरता (De-Radicalization In India)

डी-रेडिकलाइजेशन को किसी व्यक्ति की मान्यताओं को परिवर्तित करने, चरमपंथी विचारधारा को अस्वीकृत करने एवं उदार मूल्यों को अपनाने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया गया है।

कट्टरता (De-Radicalization) का मुख्य कारण

  • समुदायों का निर्धनता, बीमारी, निरक्षरता तथा द्वेषपूर्ण निराशा से प्रभावित होना।
  •  सामाजिक असमानता, सीमांतीकरण (marginalization) और बहिष्करण।
  •  राजनीतिक उत्पीड़न और मौलिक अधिकारों का हनन।
  •  अन्याय, दुःख, भुखमरी, ड्रग्स, बहिष्करण, पूर्वाग्रह तथा संभावनाओं के अभाव में निराशा।। यद्यपि भारत ने दशकों से देश के कई हिस्सों में विभिन्न कट्टरपंथी क्षेत्रीय और धार्मिक संगठनों द्वारा विद्रोहों और आतंकवादी कार्यवाहियों का सामना किया है, किन्तु विचारधारात्मक और परिचालन संबंधी स्तरों पर ऐसी समस्याओं का मुकाबला करने हेतु एक व्यापक नीति विकसित नहीं की गई है।
  • इस्लामी आतंकवाद के उदय के साथ, कट्टरवाद का खतरा बढ़ गया है। इस सन्दर्भ में, भारत काउंसलिंग से संबंधित विभिन्न उपायों के माध्यम से कट्टरपंथ के प्रसार और कट्टर समूहों में भर्ती के प्रयासों का मुकाबला करने हेतु एक समेकित रणनीति तैयार कर रहा है;
  •  इस्लामिक स्टेट (IS) की विचारधारा का सामना करने के लिए सुभेद्य और कट्टरपंथी’ युवाओं के साथ-साथ उनके परिवारों की काउंसलिंग तथा इस्लाम की ‘उदार’ व्याख्याओं का प्रसार करना।
  • हाल ही में ऑस्ट्रिया द्वारा स्थापित ‘इक्स्ट्रीमिस्ट काउंसलिग़ हॉटलाइन’ जैसे विभिन्न उपायों ने भारतीय अधिकारियों का भी ध्यान आकर्षित किया है।
  • अमेरिका के कट्टरपंथी-विरोधी कार्यक्रमों की व्यवहार्यता समुदाय की पहुँच पर केंद्रित है और भारतीय संदर्भ में UK के प्रिवेंट | एंड चैनल कार्यक्रमों पर विचार किया जा रहा है।

राज्यों द्वारा उठाए गए विभिन्न कदम

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र ने फरवरी 2016 में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए एक डी-रेडिकलाइजेशन कार्यक्रम प्रारंभ किया है।

  •  इसके अंतर्गत विभिन्न विभागों द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अल्पसंख्यक तक पहुँच स्थापित करने की
    परिकल्पना की गयी है।
  •  पुलिस को बिना बल प्रयोग के सांप्रदायिकता की किसी भी भावना को पहचानने और इसमें कमी लाने का निर्देश दिया
    गया है।
  • एक समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग और पीड़ित देशों की सहायता, जैसे कि हाल ही में भारत ने ISIS के
    विरुद्ध युद्ध में इराक को सैन्य सहायता की पेशकश की है।

कर्नाटक

निम्नलिखित उपायों द्वारा मदरसों के आधुनिकीकरण का प्रस्ताव रखा गया है:

  •  अकादमिक ज्ञान के साथ-साथ कुरान की वास्तविक शिक्षाओं को समझना
  •  मस्जिदों और मदरसों का गहन सर्वेक्षण और विस्तृत डेटाबेस तैयार करना

आगे की राह

  •  समस्या की पहचान: सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को हल्के में लेकर या किसी एकजुट किन्तु विवादग्रस्त परिवार में होने वाली आम घटना के जैसा मानकर खारिज नहीं किया जाना चाहिए। भारत में पहले से ही बड़ी संख्या में संप्रदायिक और जातिवाद के आधार पर विभाजित कट्टरपंथी जनसंख्या उपस्थित है।
  • सिविल सोसायटी को शामिल करना: कट्टरता के बढ़ते खतरे से निपटने में सिविल सोसायटी की भूमिका महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है। यह संबद्ध एवं साझी पहचान की भावना को प्रोत्साहन दे सकते हैं और सुभेद्य समुदायों के सदस्यों के मध्य वास्तविक और कथित अलगाव को कम कर आंतरिक समुदाय के विभाजन को समाप्त करने का कार्य कर सकते हैं।
  •  सामुदायिक पहुंच: सामान्य जनसंख्या से कट्टरपंथियों को अलग करने के लिए घरेलू स्तर पर विकसित सशक्त सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से सभी समुदायों में उदार विचारधारा को सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
  • वित्तपोषण को रोकना: कुछ धार्मिक संगठनों के वित्त पोषण के माध्यम को भी ट्रैक करने की आवश्यकता है जो कट्टरवाद की समस्या को बढ़ा रहे हैं।
  • धर्म के राजनीतिकरण को रोकना: प्रशासनिक स्तर पर, मौजूदा कानूनों का कठोरता से क्रियान्वयन और चुनाव के दौरान आचार संहिता का कड़ाई से अनुपालन कर राजनीति के क्षेत्र में धर्म के बढ़ते राजनीतिकरण को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
  •  विश्वविद्यालयों में धर्मनिरपेक्ष अकादमिक अध्ययन के विषय के रूप में धार्मिक अध्ययन का आरंभ किया जाए, ताकि विदेशी चरमपंथी समूहों के द्वारा इंटरनेट के माध्यम से फैलाए जा रहे भ्रामक धार्मिक विचारों को रोका जा सके। धार्मिक नेताओं को भी कट्टरपंथ के विरुद्ध अपना विचार रखने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
  • साइबर स्पेस का उपयोग: वर्तमान साइबर विश्व में एक सशक्त काउंटर-रेडिकलाइजेशन तंत्र के विकास के महत्त्व को कम नहीं आँका जाना चाहिए। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किया जाना चाहिए जिनमें ISIS और अलकायदा धीरे-धीरे अपने विचारों का प्रसार कर रहे हैं।
    IB द्वारा संचालित ‘ऑपरेशन चक्रव्यूह’ की भांति अन्य अभियानों का संचालन किया जाना चाहिए। इसके अंतर्गत अधिकारियों का एक समर्पित समूह पूरे दिन वेब पर नजर रखता है और उन युवाओं की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करता है जो ISIS ऑपरेटरों के संपर्क में हैं या उनके द्वारा पोस्ट की गई सामग्री का अवलोकन करते हैं।
  • युवाओं के साथ अधिकतम संलग्नता: युवाओं की आत्मानुभूति के लिए उनकी शिक्षा एवं ज्ञान के साथ-साथ सहिष्णु चेतना | और व्यवहार को विकसित करने हेतु एक सकारात्मक परिवेश निर्मित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। युवाओं को सशक्त बनाना, उनकी कानूनी जागरूकता और सामाजिक जुड़ाव तथा रोजगार सृजन को प्रोत्साहन देना भी महत्वपूर्ण है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: कोई भी देश अकेले इस चुनौती का सामना नहीं कर सकता है। रेडिकलाइजेशन और आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय/सीमा-पारीय चुनौतियाँ हैं। इनका सामना करने के लिए पर्याप्त बहुपक्षीय प्रयासों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सुदृढ़ किया जाना आवश्यक है।

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