डेटा एक्सक्लूसिविटी (डेटा विशिष्टता) की अवधारणा

प्रश्न:  डेटा एक्सक्लूसिविटी (डेटा विशिष्टता) की अवधारणा की व्याख्या करते हुए, भारत की IPR व्यवस्था में डेटा एक्सक्लूसिविटी संबंधी मानदंडों को सम्मिलित करने के पक्ष और विपक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए।

दृष्टिकोण

  • डेटा एक्सक्लूसिविटी (डेटा विशिष्टता) की अवधारणा को समझाइए।
  • भारत में डेटा एक्सक्लूसिविटी के संदर्भ में वर्तमान परिदृश्य का एक संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  • भारत की IPR व्यवस्था में डेटा एक्सक्लूसिविटी संबंधी मानदंडों को सम्मिलित करने के पक्ष और विपक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए। •
  • आगे की राह प्रदान कीजिए।

उत्तर

डेटा एक्सक्लूसिविटी को नई औषधियों के बाजार अनुमोदन के लिए उनकी सुरक्षा और प्रभावकारिता को प्रमाणित करने हेतु नियामक प्राधिकारियों को प्रस्तुत किए गए नैदानिक परीक्षण डेटा की सुरक्षा के रूप में संदर्भित किया जाता है। डेटा एक्सक्लूसिविटी के संरक्षण के अंतर्गत इस प्रकार के डेटा को धारक के ऑथराइज़ेशन के बिना सीमित अवधि के लिए बाजार का अनुमोदन प्राप्त करने हेतु अन्य कंपनियों द्वारा प्रयोग नहीं किया जा सकता है, यद्यपि अन्य कंपनियों को बाजार अनुमोदन प्राप्त करने हेतु स्वयं का डेटा उत्पन्न करने से नहीं रोका गया है। यह अवधारणा मुख्यतः रासायनिक इकाईयों, औषधियों के रासायनिक संघटन और कृषि रासायनिक पंजीकरण डेटा या परीक्षण डेटा से संबंधित है।

वर्तमान में भारत द्वारा 4 वर्षों के लिए डेटा एक्सक्लूसिविटी प्रदान की जाती है। विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा अंतरराष्ट्रीय दायित्व के कारण, सरकार इस अवधि को 10 वर्ष तक बढ़ाने पर विचार कर रही है। इसमें यह तर्क दिया जा रहा है कि डेटा एक्सक्लूसिविटी को एक TRIPS प्लस उपाय होने के कारण भारत की IPR व्यवस्था में सम्मिलित किया जाना चाहिए।

भारत की IPR व्यवस्था में डेटा एक्सक्लूसिविटी संबंधी मानदंडों को सम्मिलित करने के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए गए है।

  • अनुचित प्रतिस्पर्धा पर नियंत्रण: डेटा एक्सक्लूसिविटी के अंतर्गत, दूसरे प्रवेशकर्ता को प्रवर्तक के डेटा से अनिवार्य ऑथराइज़ेशन प्राप्त करना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार जैव-समतुल्यता (bioequivalence) प्रमाणित करनी चाहिए। वर्तमान में, केवल प्रवर्तक के द्वारा प्रस्तुत डेटा का संदर्भ देने से अन्य अभिकर्ताओं (विशेष रूप से जेनेरिक दवाओं के निर्माता) को अनुचित लाभ प्राप्त होता है।
  • लागत पुनर्घाप्ति को सक्षम बनाना: यह कंपनियों को अनुसंधान में अंतर्निहित लागत को वसूलने, विपणन अनुमोदन प्राप्त करने आदि में सक्षम बनाता है।
  • अनुसंधान और विकास में निवेश को प्रोत्साहित करना: भारतीय रोगियों को नए चिकित्सा उपचारों तक त्वरित पहुंच और अधिक विश्व स्तरीय नैदानिक परीक्षणों के प्रबंधन का शुभारम्भ करने से लाभ प्राप्त होगा।
  • व्यापार प्रतिबंधों से बचाव: यदि इसे लागू किया जाता है, तो भारत को यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेन्टेटिव (USTR) की “प्राथमिकता निगरानी सूची (Priority Watch List)” से बाहर रखा जा सकता है।

भारत की IPR व्यवस्था में डेटा एक्सक्लूसिविटी संबंधी मानदंडों को सम्मिलित करने के विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए गए हैं:

  • यह तर्क दिया जाता है कि यह संरक्षण का एक अनावश्यक (superfluous) तरीका है क्योंकि डेटा एक्सक्लूसिविटी अवधि प्राप्त करने के लिए प्रवर्तक को यह प्रदर्शित नहीं करना पड़ता है कि उसने अपने उत्पाद में नवीनता या अविष्कारिता के मूल सिद्धांतों का ध्यान रखा है। इसलिए यह वास्तविक नवाचार को कमज़ोर करता है क्योंकि यह प्रवर्तक कंपनियों को नए, अभिनव और लाभकारी उत्पादों के विकास पर ध्यान केन्द्रित करने के बजाय मौजूदा उत्पादों में परिवर्तन करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • डेटा एक्सक्लूसिविटी के मानदंडों को सम्मिलित करने से पेटेंट अधिनियम की धारा 3(D) निष्प्रभावी हो जाएगी जो वर्तमान में पेटेंट्स की एवरग्रीनिंग की अनुमति नहीं प्रदान करता है।
  • 20 वर्ष की पेटेंट अवधि पूरी होने के बाद जेनेरिक औषधियों के प्रवेश में विलम्ब जिसके कारण सस्ती औषधियों तक पहुंच बाधित होती है।
  • उच्च मूल्य, दवा कंपनियों को अपनी दवाओं की सुरक्षा और प्रभावशीलता को गलत तरीके से प्रस्तुत करने के लिए (misrepresent) और अधिक प्रोत्साहित कर सकते हैं।

भारत सरकार इस बात पर सदैव दृढ़ रही है कि ट्रिप्स का अनुच्छेद 39 (3) सदस्य देशों को देश में डेटा एक्सक्लूसिविटी कानून लागू करने हेतु बाध्य नहीं करता है।

एक ऐसा सूत्र (formula) खोजने की आवश्यकता है जो यह सुनिश्चित करता हो कि सभी के हितों का विकासशील और तीसरे विश्व के राष्ट्रों में सामान्य लोगों के व्यापक हितों के साथ सामंजस्य स्थापित किया गया है।एक प्रतिपूरक दायित्व मॉडल (कॉम्पंसेटरी लायबिलिटी मॉडल:CLM) हेतु विधिक ढाँचे का निर्माण इसके संभावित समाधानों में से एक हो सकता है जिसमें जेनेरिक निर्माता इसके उपयोग के लिए डेटा के प्रवर्तक को उचित क्षतिपूर्ति प्रदान कर सकें।

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