भारत के कर-GDP अनुपात का एक संक्षिप्त विवरण

प्रश्न: राष्ट्र के लिए कई दशकों से कर-GDP अनुपात का लगभग स्थिर रहना, न केवल इसको बढ़ाने हेतु किए जाने के प्रयासों के फलीभूत न होने, अपितु कर व्यवस्था में अन्तर्निहित संरचनागत समस्याओं को भी प्रतिबिंबित करता है। टिप्प्णी कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भारत के कर-GDP अनुपात का एक संक्षिप्त विवरण दीजिए। 
  • उन कारकों का भी वर्णन कीजिए जिनके कारण भारत में कर-GDPअनुपात कम बना हुआ है।
  • अनुपात में सुधार हेतु उपायों का सुझाव दीजिए।

उत्तर

भारत का कर-GDP अनुपात लगभग 16.6% (केंद्र और राज्यों को मिलाकर) है, जो प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कम है। कराधान के केंद्र सरकार के राजस्व का प्रमुख स्रोत होने तथा 6.5% की औसत आर्थिक वृद्धि के बावजूद कर-GDP अनुपात 1980 के दशक की तुलना में अधिक नहीं है।

भारत के कर-GDP अनुपात कम होने के कारणों में सम्मिलित हैं:

  •  प्रत्यक्ष कर का निम्न आधार (Low direct tax base): भारत का वर्तमान प्रत्यक्ष कर-GDP अनुपात लगभग 5.6% है। दिसंबर, 2017 की आयकर विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, केवल 1.6% भारतीय ही आयकर का भुगतान करते हैं।
  • समानांतर अर्थव्यवस्था (Parallel Economy): विभिन्न रिपोर्टों का अनुमान है कि भारत में ब्लैक/समानांतर अर्थव्यवस्था भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 20-25% है।
  • अनौपचारिक क्षेत्र (Informal sector): भारत में 92% रोजगार प्रदान करने वाले अनौपचारिक क्षेत्र में कर अपवंचन की समस्या अधिक व्यापक है।
  • निम्न प्रति व्यक्ति आय ( Low per capita income): निम्न प्रति व्यक्ति आय और उच्च निर्धनता दर के परिणामस्वरूप कर दायरे के अंतर्गत श्रमिकों का एक बहुत छोटा भाग ही आता है।
  • कर छूट और सब्सिडी नीति (Tax exemption and subsidy policy): कर योग्य आय में छूट, सेवा कर का विलम्बित अधिरोपण और कृषि संबंधी गतिविधियों पर छूट के परिणामस्वरूप कर संग्रह निर्धारित सीमा से कम होता है। ऐसा अनुमान है कि 2015-16 में कर सब्सिडी और छूट के रूप में कर व्यय 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक था।
  • कर संबंधी विवादित मुद्दे (Contentious tax issues): कर संग्रहणकर्ता और करदाताओं के मध्य उत्पन्न होने वाले विवादों की संख्या भारत में अत्यधिक है, साथ ही यहां बकाया कर की वसूली का अनुपात भी न्यूनतम है। उदाहरण के लिए: IT विभाग से संबंधित मुकदमों के हालिया आंकड़े बकाया कर की बड़ी राशि की ओर संकेत करते हैं।
  • राउंड ट्रिपिंग (Round Tripping): अल्पकालिक पूंजीगत लाभ से कर छूट के प्रावधान का प्रायः कंपनियों द्वारा दुरुपयोग किया जाता है। ये कंपनियां अपने निवेश को ऐसे देशों से दूसरे मार्गों द्वारा पुन: अपने देश में निवेश करती हैं।
  • सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि टैक्स धोखाधड़ी और अपवंचन का पता लगाने के लिए साधन सीमित हैं। इसके अतिरिक्त अपराधियों के लिए जुर्माना और दंड का प्रवर्तन एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है। गैर-अनुपालन की लागत को अनुपालन की लागत से कम माना जाता है, यह कर अपवंचन की स्वभाविक प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करती है।

भारत का निम्न कर-GDP अनुपात, इसको बढ़ाने हेतु किए जाने के प्रयासों की विफलता को उजागर करता है। विमुद्रीकरण और बढ़ते डिजिटलीकरण के बावजूद, काले धन का अधिकांश हिस्सा अज्ञात रहा है। कर राजस्व की कम प्राप्ति भी भारत में कर संबंधी नियमों के अनुपालन बढ़ाने के प्रयासों पर प्रश्नचिन्ह आरोपित करती है।

कर संग्रह बढाने हेतु किए जाने के प्रयासों के फलीभूत न होने और कर व्यवस्था में अन्तर्निहित संरचनागत समस्याओं जैसे विभिन्न कारकों के कारण भारत को एक उदार कर व्यवस्था वाला राष्ट्र माना जाता है।

आगे की राह:

  • GST के परिणामस्वरूप व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या में 50% से अधिक वृद्धि हुई है, अतः प्रत्यक्ष कर आधार का विस्तार करने के लिए सक्रिय पहल की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, एक निश्चित सीमा से अधिक कृषि आय पर कर आरोपित किया जाना चाहिए। अनुपालन प्रक्रियाओं को सुदृढ़ बनाने हेतु एक स्पष्ट और सरल प्रत्यक्ष कर संहिता लागू करने की आवश्यकता है।
  • कर विवादों का समाधान उचित समय सीमा में किया जाना चाहिए और एक पूर्वानुमेय विवाद समाधान तंत्र की स्थापना की भी आवश्यकता है।
  • कर छूट और सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने और चरणबद्ध रूप से इसे समाप्त करने की आवश्यकता है।
  • अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने और समानांतर अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के प्रयासों में वृद्धि की जानी चाहिए।
  • अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  • जहां कर लाभ एक निश्चित सीमा से अधिक हो, वहाँ GAAR का उपयोग कर-अपवंचन की समस्या से निपटने में किया जा सकता है। कर-अपवंचन, दोहरा गैर-कराधान और हस्तांतरण मूल्य निर्धारण (ट्रांसफर प्राइसिंग) से संबंधित मुद्दों पर नियंत्रण स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • भूतलक्षी कराधान के बारंबार उपयोग से बचना चाहिए।

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