सिटीजन चार्टर की अवधारणा का संक्षिप्त वर्णन

प्रश्न: नागरिक घोषणापत्र (सिटीजन चार्टर) प्रशासन को जवाबदेह और नागरिक-अनुकूल दोनों बनाते हैं। हालाँकि, समय के साथ, ज्यादातर कार्यालयों में नागरिक घोषणापत्र अप्रचलित हो गए हैं। कुछ ऐसे उपाय सुझाइए जो इन घोषणापत्रों को, लोक सेवाओं में जवाबदेही लाने का प्रभावी उपकरण बना सकते हैं। (150 शब्द)

दृष्टिकोण

  • सिटीजन चार्टर की अवधारणा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  • इसके कार्यान्वयन की स्थिति और इसके अप्रचलन के कारणों की संक्षिप्त चर्चा कीजिए। 
  • सिटीजन चार्टर को अधिक प्रभावी बनाने के उपायों का वर्णन कीजिए।

उत्तर

सिटीजन चार्टर एक दस्तावेज होता है जिसमें शिकायत निवारण तंत्र के साथ-साथ सेवा वितरण के मानक, गुणवत्ता और समयसीमा के संबंध में सार्वजनिक निकायों की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया जाता है। यह सार्वजनिक संस्थाओं को पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाता है। इस प्रकार यह नागरिक समाज की भागीदारी बढ़ाने और भ्रष्टाचार को रोकने का एक प्रभावी उपाय हो सकता है।

हालांकि, चार्टरों में निम्नलिखित कमियों के कारण सिटीजन चोर्टर अप्रासंगिक हो गए हैं:

  • कमज़ोर डिज़ाइन एवं विषय वस्तु: उपयोगकर्ताओं के लिए अति महत्त्वपूर्ण सूचनाओं को चार्टर में स्थान नहीं दिया गया है, जिनके माध्यम से संस्थाओं को जवाबदेह बनाया जा सकता है।
  • विचार-विमर्श का अभाव: चार्टर का मसौदा तैयार करते समय उपयोगकर्ताओं और NGOs से विचार-विमर्श नहीं किया गया है।
  • ज़मीनी स्तर पर अपर्याप्त कार्य: चार्टर के दर्शन, लक्ष्यों और मुख्य विशेषताओं के संबंध में सेवा प्रदाताओं का पूर्ण रूप से परिचित न होना।
  • जन जागरूकता का अभाव: सेवा प्रदान करने संबंधी मानकों के बारे में लोगों को जानकारी उपलब्ध कराने एवं शिक्षित करने के प्रभावी प्रयास नहीं किए गए हैं।
  • परिवर्तन का प्रतिरोध: निहित स्वार्थों के कारण सिटीजन चार्टर पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पा रहा है या अप्रभावी बना हुआ है।
  • चार्टरों में पुनरीक्षण और समय-समय पर संशोधन की कमी।
  • चार्टर् को कोई कानूनी समर्थन प्राप्त नहीं है।

उपर्युक्त समस्यायों का समाधान करने के लिए और सार्वजनिक सेवाओं के लिए इन चार्टरों की जवाबदेहिता के प्रभावी उपकरण बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • चार्टरों का डिज़ाइन: चार्टरों का निर्माण करते समय प्रत्येक स्तर पर नागरिकों और कर्मचारियों के साथ विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है। चार्टरों के कार्यान्वयन को मापने और उनके डिज़ाइन की कमियों को दूर करने के लिए इनका समय-समय पर मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
  • कार्यवाही न करने के विरुद्ध उपाय: इसके कार्यान्वयन में चूक होने के मामले में उपलब्ध उपाय/जुर्माना/क्षतिपूर्ति के बारे में चार्टर में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए।
  • नागरिक जागरूकता और भागीदारी: चार्टर के बारे में प्रिंट और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार करने की आवश्यकता है। उपयोगकर्ताओं से नियमित फीडबैक प्राप्त करना चाहिए।
  • सार्वजनिक संस्थाओं की रेटिंग: आगंतुकों के फीडबैक को एक मानदण्ड के रूप में लिया जा सकता हैं। सेवोत्तम (Sevottam) मॉडल का उपयोग चार्टर की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए किया जा सकता है।
  • उपभोक्ता शिकायत एवं निवारण से संबंधित डेटाबेस तैयार करना।

सिटीजन चार्टर से यूनाइटेड किंगडम, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे विभिन्न देशों में वांछनीय परिणाम प्राप्त हुए हैं। इन देशों में सिटीजन चार्टरों के कार्यान्वयन का अध्ययन, भारत में चार्टरों के सफलतापूर्वक संचालन हेतु कर सकते हैं। संबंधित विभागों द्वारा गंभीरतापूर्वक लागू करने के लिए इन चार्टरों को कानूनी समर्थन प्रदान करने की आवश्यकता है।

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