पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व (Transparency & Accountability)

 ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ द्वारा जारी करप्शन परसेप्शन इंडेक्स, 2017 में भारत को 180 देशों में से 81वें स्थान पर रखा गया था। यह सरकार के कार्यों में उच्च अपारदर्शिता और गोपनीयता को दर्शाता है।

पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व का महत्व (T&A)

  • भ्रष्टाचार में कमी- पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व (T&A) संभावित रूप से सरकार के कार्य करने के तरीके को परिवर्तित करता है।तथा सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्यों के संबंध में नागरिकों को सूचनाएं प्रदान करता है; जिससे भ्रष्टाचार में कमी आती है।
  • नागरिकों का सशक्तिकरण- T&A संभावित रूप से लोगों और सरकारी अधिकारियों के मध्य संबंधों को परिवर्तित करता है। यह करदाताओं को स्पष्ट रूप से यह जानने की अनुमति प्रदान करता है कि सरकारी कर्मचारी कर से प्राप्त राशि का किन कार्यों में व्यय कर रहे हैं और नागरिकों को अपने निर्वाचित अधिकारियों को उत्तरदायी बनाए रखने की क्षमता प्रदान करता है।
  •  सहभागी शासन- T&A समूहों को सक्षम बनाता है, अन्यथा वे प्रक्रिया के एक भाग के रूप में शासन प्रणाली में भाग लेने में सक्षम नहीं होंगे। पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व सुशासन के मुख्य घटक हैं, जबकि सुशासन मानव विकास को प्राप्त करने की एक पूर्व शर्त
  • लोकतंत्र की समृद्धता- T&A लोक उत्तरदायित्व की प्रभावी प्रणाली विकसित करके लोकतांत्रिक स्थानीय शासन की पहल को प्रोत्साहन प्रदान करता है। जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सरकारी कर्मचारी, जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के प्रति उत्तरदायी हैं और शासन प्रक्रिया में जनता को शामिल करते हैं।

पारदर्शिता के प्रोत्साहन हेतु उठाए गए कदम

  • नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्यों में उत्तरदायित्व एवं पारदर्शिता को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए 2005 में संसद द्वारा सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम लागू किया गया था। पारदर्शी सरकार एक सुविज्ञ जनता के लिए महत्वपूर्ण है और सुविज्ञ जनता लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है।
  • उच्चतम न्यायालय ने निर्दिष्ट किया है कि सूचना का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त मूल अधिकार है। किसी लोकतंत्र में लोक अधिकारियों के कार्यप्रणाली में पारदर्शिता महत्वपूर्ण है।
  •  लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013
  •  यह अधिनियम भ्रष्टाचार विरोधी ओम्बड्समैन की स्थापना की अनुमति प्रदान करता है। जिसे केंद्र स्तर पर लोकपाल और राज्य-स्तर पर लोकायुक्त कहा जाएगा।
  •  यह अधिनियम अभियोजन के लंबित होने के बावजूद भ्रष्ट माध्यमों से प्राप्त संपत्ति के अधिग्रहण और जब्ती के प्रावधानों को शामिल करता है। इस अधिनियम के तहत, सरकारी कर्मचारियों के लिए अपनी परिसंपत्तियों और देनदारियों की घोषणा करना अनिवार्य कर दिया गया है। साथ-साथ उन्हें अपने पति/पत्नी और आश्रित बच्चों की परिसंपत्तियों एवं देनदारियों की जानकारी भी देनी होगी। यह अधिनियम व्हिसल ब्लोअर के रूप में आगे आने वाले लोकसेवकों को सुरक्षा प्रदान करना सुनिश्चित करता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक पृथक व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन बिल पारित किया गया था। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधनों को शामिल करते हुए)
  •  यह एक लोक सेवक द्वारा किए गए आपराधिक दुर्व्यवहार को परिभाषित करता है और दंड प्रावधानों को निर्दिष्ट करता है, जिसमें सात वर्ष का कारावास शामिल है। यद्यपि, भ्रष्टाचार को भारत जैसे विकासशील देश के लिए प्रगति की दिशा में सबसे बड़ी बाधा माना जाता है। हालांकि, भारत में भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए विभिन्न उपाय किए गये हैं, परन्तु अभी भी इसके लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

पारदर्शिता को प्रोत्साहन देने हेतु महत्वपूर्ण सरकारी निकाय

  • केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC): CVC प्रशासन में सत्यनिष्ठा को बनाए रखने से संबंधित सभी मामलों पर केंद्र सरकार को सलाह प्रदान करता है।
  • भारत सरकार में सतर्कता इकाइयां: केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों / विभागों में एक मुख्य सतर्कता अधिकारी (CvO) होते  हैं, जो संबंधित संगठन के सतर्कता प्रभाग का अध्यक्ष होता है। 
  • कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग का प्रशासनिक सतर्कता विभाग, सतर्कता और भ्रष्टाचार से निपटने के लिए नोडल एजेंसी है।
  • केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI): यह भ्रष्टाचार विरोधी मामलों में केंद्र सरकार की प्रमुख जांच एजेंसी है। यह दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 (DSPL Act) से अपनी शक्तियां प्राप्त करता है।

निवारक सतर्कता। (Preventive Vigilance)

सूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information Act)

सामाजिक लेखा परीक्षा कानून (Social Audit Law)

अभियोजन से पूर्व स्वीकृति (Prior Sanction To Prosecute)

 

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