आधुनिक चीन का उदय :’चीन में अपमान की सदी’

प्रश्न: आधुनिक चीन के उदय को पश्चिमी औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा इसको अपमानित करने के प्रसंगों में देखा जा सकता है। इस सन्दर्भ में, अफीम युद्धों के महत्व का परीक्षण कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • आधुनिक चीन के उदय के संबंध में संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  • चीन के ‘अपमान की सदी’ (China’s ‘century of humiliation’) और इसमें सम्मिलित घटनाओं का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  • चीन के अपमान में अफीम युद्ध क्यों महत्वपूर्ण थे, स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

आधुनिक चीन का उदय 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) की स्थापना के साथ हुआ। इसके पूर्व 1839 से 1949 तक चीन ने पश्चिमी शक्तियों एवं जापान द्वारा हस्तक्षेप और साम्राज्यवाद के युग का सामना किया, जिसे ‘चीन में अपमान की सदी’ कहा जाता है। 19वीं सदी के अफीम युद्ध, अपमान की सदी में चीनी लोगों की पीढ़ियों के संघर्ष की केन्द्रीय कथा है। इस अवधि में आधुनिक चीन के उदय को समझने हेतु निम्नलिखित घटनाएँ महत्वपूर्ण हैं:

प्रथम अफीम युद्ध (1839-42) में ब्रिटेन के हाथों पराजय के परिणाम

  • असमान तथा अधिरोपित संधियों की श्रृंखला; उदाहरणार्थ नानकिंग (ग्रेट ब्रिटेन के साथ), व्हाम्पोया (फ़्रांस के साथ), शिमोनोसेकि (जापान के साथ) तथा ऐगुन (रूस के साथ) की संधियाँ।
  • ब्रिटेन ने चीन में ‘राज्यक्षेत्रातीत अधिकार’ प्राप्त किए। चीन को युद्ध क्षतिपूर्ति के भुगतान तथा पश्चिमी औपनिवेशिक शक्तियों को व्यापार और पट्टे के लिए अधिक बंदरगाहों को खोलने या क्षेत्रों (जैसे हांगकांग) को सुपुर्द करने हेतु बाध्य किया गया।
  • चीन में संयुक्त राज्य अमेरिका की ‘खुली द्वार नीति’।
  • प्रथम अफीम युद्ध के पश्चात ताइपिंग विद्रोह (1850-64), जिसने किंग (Qing) राजवंश को लगभग समाप्त कर दिया था।

द्वितीय अफीम युद्ध (1856-60) के परिणाम

  • ब्रिटिश और फ्रांसीसी सैन्य बलों द्वारा ‘ओल्ड समर पैलेस’ की बर्खास्तगी। इसे राजनीतिक अपमान के रूप में देखा गया, क्योंकि यह सत्तारूढ़ किंग राजवंश का स्थान था।
  • चीन में ईसाई मिशनरियों के आवागमन की स्वतन्त्रता को चीनी धर्म और संस्कृति के खतरे के रूप में देखा गया।
  • पश्चिमी शक्तियों के लिए व्यापार हेतु अधिक संख्या में बंदरगाहों को खोलना।
  • चीन को युद्ध क्षतिपूर्ति का भुगतान करना पड़ा।

युद्ध क्षतिपूर्ति के भुगतान की अक्षमता के कारण चीन को ‘प्रभुत्व के क्षेत्रों’ (spheres of influence) में विभाजित कर दिया गया, जोकि चीन की संप्रभुता की समाप्ति तथा चीन के लोगों के अपमान का योतक था।

इसके साथ ही निम्नलिखित परिघटनाओं द्वारा अफीम युद्धों के प्रभाव में और अधिक वृद्धि हो गई:

  • चीन-फ्रांस युद्ध (1884-85) तथा प्रथम चीन-जापान युद्ध (1894-95)।
  • आठ राष्ट्रों के गठबंधन द्वारा बॉक्सर विद्रोह का दमने (1899-1901)।
  • ब्रिटेन का तिब्बत अभियान (1903-04)।
  • जापान की 21 माँगें (1915) तथा द्वितीय चीन-जापान युद्ध (1937-45)।

इस प्रकार, विभिन्न बाह्य एवं आंतरिक गतिविधियों के परिणामस्वरूप 1911-12 में चीन में किंग राजवंश की समाप्ति और भविष्य की राष्ट्रवादी क्रांति का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसके फलस्वरूप 1949 में एक दीर्घकालिक गृह युद्ध के उपरांत PRC का उदय हुआ।

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