केस स्टडीज : नीतिशास्त्रीय मुद्दों का उल्लेख 

प्रश्न: आप एक ऐसे जिले में जिला मजिस्ट्रेट के रुप में पदस्थापित हैं, जहाँ कई बड़े-बड़े कारखाने और व्यावसायिक प्रतिष्ठान स्थित हैं। आपका एक घनिष्ठ मित्र ऐसे ही एक कारखाने का स्वामी है। आप प्राय: एक-दूसरे के घर आते-जाते हैं और अक्सर एक साथ सार्वजनिक रुप से भी देखे जाते हैं। हाल ही में, मीडिया में आपके मित्र के कारखाने में कार्य की खराब स्थितियों के संबंध में खबरें आई हैं। श्रम कार्यालय से पूछताछ करने पर, आपको पता चलता है कि इस कारखाने में अतीत में बार-बार श्रमिक अशांति देखी गई है। हालांकि, श्रम अधिकारी द्वारा आपको बताया जाता है कि कारखाना मालिक के साथ आपकी निकटता के कारण वह कोई कार्यवाही करने में संकोच कर रहा था। इस प्रकरण के तथ्यों के संदर्भ में, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(a) हितधारकों और सार्वजनिक हेतुक की पहचान करते हुए, इस प्रकरण में सम्मिलित नैतिक मुद्दों की विवेचना कीजिए।

(b) जिला मजिस्ट्रेट के रुप में, आप क्या उचित कार्यवाही करेंगे? उनका कारण बताइए।

दृष्टिकोण

  • इस प्रकरण में वर्णित मुद्दों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए। 
  • प्रकरण से संबंधित प्रमुख हितधारकों और सार्वजनिक चिंताओं पर प्रकाश डालते हुए, संलग्न नीतिशास्त्रीय मुद्दों का उल्लेख कीजिए।
  • जिला मजिस्ट्रेट द्वारा की जाने वाली आवश्यक कार्रवाई और इसके कारणों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

यह मीडिया द्वारा प्रकाश में लाये गए एक कारखाने में कार्य की खराब स्थितियों से संबंधित प्रकरण है। मजदूरों का संरक्षण और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा अनेक कानून और नियम अधिनियमित किये गए हैं। जिला मजिस्ट्रेट के रूप में यह सुनिश्चित करना आपका कर्तव्य है कि वृहत्तर सार्वजनिक कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए नियमों को अक्षरश: लागू किया जाए।

इस प्रकरण में सम्मिलित हितधारक 

  • मजदूर: इनसे असुरक्षित कार्य परिवेश वाले कारखाने में कार्य कराया जाता है। यह उनके स्वास्थ्य और जीवन के लिए गंभीर खतरे उत्पन्न कर देता है।
  • कारखाना स्वामी: उसका उत्तरदायित्व मजदूरों हेतु कार्य की सकुशल एवं सुरक्षित दशाएं सुनिश्चित करना है। उसकी जवाबदेही निर्धारित की जानी चाहिए।
  • श्रम कार्यालय और अधिकारी: अधिकारियों को अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कारखानों में अपने नियमित दौरों के दौरान कार्य की दशाओं से संबंधित मुद्दों की पहचान करनी चाहिए थी।
  • जिला मजिस्ट्रेट: उसे अपने व्यक्तिगत संबंधों को जिले के प्रशासनिक मुद्दों पर हावी नहीं होने देना चाहिए।
  • स्थानीय मीडिया: चूंकि मीडिया इस मुद्दे की रिपोर्टिंग कर रहा है, इसलिए वह इस सम्बन्ध में प्रशासन द्वारा की जाने वाली एवं न की जाने वाली कार्यवाही दोनों पर ध्यान रखेगा और उसकी रिपोर्टिंग करेगा।
  • आम जनता: जिला प्रशासन की ओर से शीघ्र कार्रवाई जनता में जिला प्रशासन की दक्षता और कार्य आचरण नीति के संबंध में सकारात्मक सन्देश प्रसारित करेगी।

नीतिशास्त्रीय मुद्दे

  • बार-बार होने वाली श्रमिक अशांति और मीडिया रिपोर्टों से ज्ञात होता है कि श्रम अधिकारी अपने कर्तव्य के निर्वहन में विफल रहे हैं उन्हें जिला प्रशासन को बहुत पहले ऐसे मुद्दों की सूचना दे देनी चाहिए थी। यह उनकी दक्षता और पेशेवर नैतिकता के अभाव को दर्शाता है। उन्हें DM के व्यक्तिगत संबंधों से प्रभावित हुए बिना मुद्दे की सूचना देते समय वस्तुनिष्ठ नीति अपनानी चाहिए थी।
  • यदि उचित सतर्कता नहीं अपनायी जाती है, तो एक उद्योगपति मित्र के साथ जिला मजिस्ट्रेट की उपस्थिति जनता में न केवल उसकी निजी और सार्वजनिक संबंधों में खराब आचार नीति को प्रतिबिंबित कर सकती है, बल्कि प्रशासन में सार्वजनिक विश्वास को भी कम कर सकती है।
  • मीडिया रिपोर्ट यह प्रदर्शित करती है कि उद्योगपति मित्र गलत आचरण में लिप्त रहते हुए अपने आपको सुरक्षित महसूस करता था। इससे DM की सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता और निष्पक्ष व्यवहार पर प्रश्न चिह्न लग जाता है।

आवश्यक कार्रवाई

  • DM दवारा तुरंत कारखाने का औचक निरीक्षण करने के लिए श्रम कार्यालय को निर्देश देना चाहिए। उन्हें मजदूरों के साथसाथ कारखाने के प्रबंधकों के साथ बैठक करनी चाहिए। हाल के दिनों में बार-बार उत्पन्न श्रमिक अशांति के संबंध में प्रबंधन से पूछताछ की जानी चाहिए।
  • यदि श्रम कार्यालय द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट मीडिया रिपोर्ट की पुष्टि करती है, तो DM को श्रम कानूनों की प्रासंगिक धाराओं के अंतर्गत कारखाना स्वामी और प्रबंधन के विरूद्ध उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
  • प्रबंधन को कारखाना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य, कार्यरत लोगों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, दक्षता और कल्याण से संबंधित विनियमों का पालन करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।
  • साथ ही, श्रम कार्यालय को जिले के अन्य औद्योगिक प्रतिष्ठानों का ऐसा ही दौरा करने और DM कार्यालय में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, श्रम अधिकारियों को अपराधी कारखाना स्वामियों के प्रति भविष्य की निष्क्रियता के विरूद्ध चेतावनी दी जानी चाहिए।
  • DM को जिले के उद्योगपतियों के साथ सामाजिक मेल-मिलाप में उचित दूरी अपनानी चाहिए। किसी भी परिस्थिति में इसके व्यक्तिगत संबंध के रूप में प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जिसका दूसरों द्वारा प्रभाव स्थापित करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

भारत के संविधान के अनुच्छेद 43 (DPSP) के अंतर्गत, राज्य को श्रमिकों के लिए कार्य की उचित दशाएं सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही श्रमिकों से अमानवीय स्थितियों में कार्य कराना उनके मूलभूत मानवाधिकारों के विरूद्ध है। जिला प्रशासन को श्रमिकों के इन अधिकारों और विशेषाधिकारों को संरक्षण प्रदान करना चाहिए।

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