उत्तर-औपनिवेशक अफ्रीकी राष्ट्रों में राजनीतिक विकास

प्रश्न: उन मुद्दों का परीक्षण कीजिए जिन्होंने उत्तर-औपनिवेशक अफ्रीकी राष्ट्रों में राजनीतिक विकास को अवरुद्ध किया।

दृष्टिकोणः

  • अफ्रीकी देशों के विऔपनिवेशीकरण के सन्दर्भ में संक्षिप्त वर्णन कीजिए। 
  • राजनीतिक विकास को अवरुद्ध करने के लिए उत्तरदायी सामान्य मुद्दों को बताइए।
  • निष्कर्ष देते हुए उत्तर का समापन कीजिए।

उत्तरः

ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन सहित यूरोपीय देशों ने 1945 के पश्चात् राष्ट्रवाद के प्रसार व अन्य कारकों के कारण अफ्रीका को छोड़ना शुरू कर किया। शिक्षित अफ्रीकियों ने उपनिवेशवाद को श्वेतों द्वारा अश्वेतों के अपमान और शोषण के रूप में माना था, जो अफ्रीकी प्रायद्वीप में निर्धनता, बेरोजगारी और नस्लीय भेदभाव का कारण था।

द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात्, अफ्रीकी प्रायद्वीप में विऔपनिवेशीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। किंतु ये देश विभिन्न मुद्दों के कारण सफलतापूर्वक लोकतांत्रिक देशों के रूप में परिवर्तित होने में विफल रहे। ये मुद्दे हैं:

  • नृजातीय निष्ठा: स्वतंत्रता से पूर्व, लोग औपनिवेशिक शासकों से स्वतंत्रता के संघर्ष में विदेशी लोगों के विरुद्ध एकजुट और संयुक्त थे। बाद में, उनकी निष्ठा अपने नए राष्ट्र में अपनी जनजाति की ओर स्थानांतरित हो गई। यह जनजातीय असमानता अनेक देशों जैसे नाइजीरिया, कांगो, बुरुंडी, और रवांडा में गृह युद्ध का कारण बनी।
  • राजनीतिक अनुभव की कमी- कई देशों को यूरोपीय देशों द्वारा छोड़ी गई संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत कार्य करने में समस्या का सामना करना पड़ा। वे कार्य करने में विफल रहे और भ्रष्ट हो गए। इसके कारण केन्या तथा तंजानिया समेत कई देशों में एक दलीय सरकार का अभ्युदय हुआ। ऐसी सरकारों के विरोध और अलोकप्रिय शासकों को अपदस्थ करने के लिए, लोगों ने हिंसक साधनों और तख्तापलट का प्रयोग किया।
  • विदेशी हस्तक्षेप: विदेशी बाजार और निवेश पर निर्भरता ने पश्चिमी देशों को शक्ति का प्रसार करने और सैन्य हस्तक्षेप करने के लिए स्थान प्रदान किया।
  • जनता के मध्य शिक्षा की कमी- भारत जैसे अन्य उपनिवेशों में राष्ट्रीय आंदोलन के नेताओं के रूप में मध्यम वर्गीय बुद्धिजीवियों को उदय हुआ, इसके विपरीत, अफ्रीकी देशों में इस प्रक्रिया के प्रारंभ होने में विलंब हो गया। इसने जनता के मध्य राजनीतिक विचारों के प्रसार को प्रतिबंधित किया।

राजनीतिक विकास, आर्थिक विकास से घनिष्ठता से सम्बंधित है। इस संदर्भ में, अफ्रीकी देशों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ा:

  • आर्थिक मंदी: कई अफ्रीकी देशों के लिए तेल निर्यात, आय का एक प्रमुख स्रोत है। तेल, तांबा और कोबाल्ट के निर्यात पर अत्यधिक निर्भरता के कारण अफ्रीकी देशों को वैश्विक मंदी का सामना करना पड़ा। तीव्र जनसंख्या वृद्धि, पूंजी की कमी और कौशल विहीन औद्योगिक और आर्थिक संवृद्धि के साथ-साथ वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट ने स्थिति को और गंभीर बना दिया।
  • प्राकृतिक आपदाएँ: 1982-85 में गंभीर सूखा पड़ा, जिसके परिणामस्वरुप मवेशियों की मृत्यु, अकाल और भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हुई। साथ ही अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण अपनाये गए कठोर उपायों ने स्थिति को और खराब कर दिया।

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