भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा निजी क्षेत्रक के भागीदारों की वर्तमान स्थिति का संक्षिप्त उल्लेख

प्रश्न: भारत में अंतरिक्ष क्षेत्रक में निजी प्रतिभागियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर टिप्पणी कीजिए। क्या यह तर्क दिया जा सकता है कि अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को आगे बढ़ाने के लिए एक व्यापक अंतरिक्ष कानून की आवश्यकता है?

दृष्टिकोण

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा निजी क्षेत्रक के भागीदारों की वर्तमान स्थिति का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  • कारण बताइए कि क्यों अंतरिक्ष क्षेत्रक में भागीदारी हेतु निजी क्षेत्रक को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • अंतरिक्ष क्षेत्रक में भारत की आगामी उपलब्धियों हेतु एक व्यापक अंतरिक्ष कानून की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।

उत्तर

इसरो के अंतरिक्ष कार्यक्रम में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक के भारतीय उद्योगों की सुदृढ़ औद्योगिक भागीदारी है। भारतीय उद्योगों की भागीदारी ने इसरो की न केवल उसके कार्यक्रम संबंधी लक्ष्यों को साकार करने में सहायता की है बल्कि सुगमता से जटिल एवं उन्नत अभियानों को सफलतापूर्वक आरम्भ करने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन भी प्रदान किया है। उदाहरण के लिए प्रमोचक यानों (लॉन्च व्हीकल) का लगभग 80% विकास कार्य आउटसोर्स किया गया था। इसमें इसरो ने केवल पर्यवेक्षक की भूमिका निभायी थी। इसके साथ ही इसरो की योजना वर्ष 2020 तक PSLV प्रमोचक यानों का निजीकरण करने की है।

हालांकि निम्नलिखित कारणों से निजी भागीदारी को और अधिक सुदृढ़ एवं प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है:

  • इससे इसरो द्वारा अनुभव की जाने वाली बजटीय एवं श्रमबल संबंधी बाधाओं के निवारण में सहायता प्राप्त होगी।
  • इसके द्वारा इसरो के प्रमोचक यानों, उपग्रहों तथा स्थलीय अनुप्रयोगों संबंधी प्रयासों में वृद्धि होगी।
  • क्षमता निर्माण, लागत को कम करने तथा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी प्राप्त करने हेतु निजी प्रतिभागियों के साथ सहयोग महत्वपूर्ण है।
  • इससे इसरो के समय और संसाधनों को अन्य अनुसंधान-संबंधी संभावित क्षेत्रों तथा वैश्विक संभावनाओं के अन्वेषण हेतु सहायता प्राप्त होगी।
  • निजी क्षेत्रक विशिष्ट समाधानों पर ध्यान केन्द्रित करके तथा एक समयबद्ध रीति में उनकी आपूर्ति के द्वारा गति और दक्षता संबंधी लाभ प्रदान करेगा।
  • निजी प्रतिभागियों को एक लाभप्रद प्रस्ताव प्रस्तुत कर अंतरिक्ष क्षेत्रक में निवेश प्राप्त करने की आवश्यकता है।
  • इससे प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण एवं स्वदेशीकरण के द्वारा प्रमुख प्रौद्योगिकी और अनुसंधान फर्मों को तथा साथ ही पुों के उत्पादन में शामिल MSMEs को बढ़ावा मिलेगा।
  • वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व में, अंतरिक्ष क्षेत्रक सरकार के नियंत्रणाधीन नहीं रह गया है।

भारत में एक व्यापक अंतरिक्ष कानून की आवश्यकता:

  • भारत के संप्रभु, सार्वजनिक और वाणिज्यिक अंतरिक्ष हितों के संरक्षण हेतु ऐसे कानून की आवश्यकता है। नीदरलैंड, दक्षिण – अफ्रीका जैसे देश जिन्होंने अभी तक इस क्षेत्र में अधिक प्रगति नहीं की है, वहां भी अंतरिक्ष कानून विद्यमान हैं।
  • अंतरिक्ष गतिविधियों में तीव्रता से शामिल हो रहे निजी अभिकर्ताओं की सुरक्षा हेतु।
  • भारत अपनी अंतरिक्ष गतिविधियों का तेजी से वाणिज्यीकरण कर रहा है।
  • अतः अंतरिक्ष संबंधी मुद्दों पर विचार करने हेतु अनुबंध, बीमा, बौद्धिक संपदा अधिकार आदि से सम्बंधित घरेलू कानूनों में संशोधन करने की आवश्यकता है।
  • अंतरिक्ष गतिविधियाँ केवल सुदूर संवेदी आंकड़ों संबंधी नीतियों तथा उपग्रह संचार नीतियों के माध्यम से विनियमित होती हैं। इस कारण एक व्यापक अंतरिक्ष कानून ही इन मुद्दों का शीघ्रता से समाधान कर सकता है।
  • बाह्य अंतरिक्ष में गतिविधियों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की पांच संधियों में से भारत ने चार संधियों का अनुसमर्थन तथा एक संधि पर हस्ताक्षर किया है। विधिक रूप से ‘अनुसमर्थन (Ratification)’ का आशय एक देश द्वारा संधियों के प्रावधानों को घरेलू स्तर पर लागू करने हेतु दी गई समय-सीमा के भीतर आवश्यक कानून को लागू करने से है। भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रवेश करने के चार दशकों के पश्चात् भी, ऐसे किसी कानून का प्रवर्तन किया जाना अभी शेष है।
  • उदाहरण के लिए, कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल लायबिलिटी फॉर डैमेज कॉज्ड बाइ स्पेस ऑब्जेक्ट्स,1972 के एक हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत का कुछ मामलों में क्षतिपूर्ति का भुगतान करने का पूर्ण दायित्व है। किन्तु, एक राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून न होने के कारण भारत के लिए देय (owed) क्षति की मात्रा का निर्धारण करना कठिन है।
  • अंतरिक्ष 21वीं शताब्दी के युद्ध का एक अभिन्न अंग बन गया है। अंतरिक्ष युद्ध रणनीति तथा सुरक्षा योजना के निर्माण करने हेतु एक भारतीय अंतरिक्ष कानून की आवश्यकता है।

इस प्रकार, अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की और अधिक प्रगति तथा अंतरिक्ष एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के सुरक्षित और शांतिपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करने हेतु एक व्यापक अंतरिक्ष कानून की आवश्यकता है। अतः सरकार ने भारत की अंतरिक्ष गतिवधियों को प्रोत्साहित एवं विनियमित करने हेतु अंतरिक्ष गतिविधि विधेयक, 2017 प्रस्तावित किया है। यह सरकारी दिशा-निर्देशों के तहत निजी क्षेत्रक की भागीदारी को बढ़ावा देगा तथा विनियामकीय प्रक्रियाओं को भी सुव्यवस्थित करेगा।

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