भारतीय संविधान के निर्माण का संक्षिप्त विवरण : भारतीय संविधान पर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रभावों पर संक्षिप्त चर्चा

प्रश्न: भारतीय संविधान की भावना भारतीय मूल्यों, पश्चिम के लोकतांत्रिक व समाजवादी आंदोलनों एवं हमारे स्वतंत्रता आन्दोलन के संश्लेषण को निरुपित करती है। स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द)

दृष्टिकोण

  • भारतीय संविधान के निर्माण का संक्षिप्त विवरण देते हुए प्रस्तावना दीजिए।
  • पश्चिम में हुई क्रांतियों के भारतीय संविधान पर होने वाले प्रभावों को निरुपित करने वाले बिन्दुओं को स्पष्ट कीजिए।
  • भारतीय संविधान पर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रभावों पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  • उपर्युक्त बिन्दुओं के आधार पर निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

भारतीय संविधान जल्दबाजी में निर्मित किया गया दस्तावेज़ नहीं है, अपितु इसके विकास की प्रक्रिया 1947 में भारत की स्वतंत्रता से कई दशकों पूर्व ही आरम्भ हो गई थी। यह विभिन्न लोकतांत्रिक तथा समाजवादी आंदोलनों तथा साथ ही उन संविधानों से भी प्रभावित था जो इस प्रकार की क्रांति के परिणामस्वरूप निर्मित हुए थे।

  • फ्रांसीसी क्रांति का स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्व के आदर्श के साथ-साथ गणराज्य के आदर्श में प्रमुख योगदान था।
  • ब्रिटिश संविधान सरकार के संसदीय स्वरूप, एकल नागरिकता, विधि के शासन जैसे प्रावधानों का स्रोत था।
  • रूस की क्रांति ने सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक न्याय की अवधारणा तथा शोषण से स्वतंत्रता जैसे एक नए तत्वों का समावेश किया।
  • अमेरिकी संविधान ने मौलिक अधिकारों के साथ-साथ स्वतंत्र न्यायपालिका के रूप में संविधान का एक अत्यंत महत्वपूर्ण खंड उपलब्ध कराया था।

वस्तुतः, अन्य विभिन्न आदर्श जैसे व्यक्ति की गरिमा, तर्क एवं विधि की सर्वोच्चता तथा मौलिक कर्तव्यों आदि ने भी भारतीय संविधान को प्रभावित किया था। हालाँकि ये इन क्रांतियों के प्रभाव मात्र नहीं थे, बल्कि स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल भारतीय राष्ट्रवादियों ने अपनी प्रतिभा का प्रयोग कर इन विचारों को समाविष्ट किया था।

हमारे स्वतंत्रता आन्दोलन का प्रभाव:

  • आत्मनिर्णय का सिद्धांत अथवा अपने संविधान के निर्माण का भारतीयों का अधिकार। यह विचार 1916 में सामने आया तथा गाँधी जी की “स्वराज” की अवधारणा में अपनी पराकाष्ठा पर पहुंचा।
  • लोगों के अधिकार: यह अनुभव करते हुए कि सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने हेतु सामाजिक-आर्थिक उत्थान अनिवार्य है, कराची प्रस्ताव में नागरिक एवं राजनीतिक तथा सामाजिक एवं आर्थिक अधिकारों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया तथा राज्य द्वारा संरक्षण दिए जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। ये अधिकार अनुवर्ती विधानों में परिलक्षित हुए तथा अंततः इन्हें भारतीय संविधान में शामिल किया गया।
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मांग की थी कि 1919 के अधिनियम में ब्रिटिश नागरिकों को प्राप्त अधिकारों के समान भारत के लोगों के अधिकारों की घोषणा को भी अवश्य शामिल किया जाना चाहिए।
  • होम रूल बिल में भारत के लिए एक ऐसे संविधान की परिकल्पना की गई थी जो इसके प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, किसी के घर में अवैधानिक प्रवेश के विरुद्ध अधिकार, सार्वजनिक पद को धारण करने का अधिकार तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करेगा।
  • समानता का आदर्श: यह जाति एवं महिला सुधार आंदोलनों तथा किसान एवं जनजातीय संघर्षों में प्रतिबिंबित हुआ था। इस लोकतांत्रिक महत्वाकांक्षा तथा समानता एवं स्वतंत्रता की अभिप्रेरणा को भारतीय संविधान में अपनाया गया है।

वस्तुतः, यह अनुभव किया जा चुका था कि मौलिक मानवाधिकारों के प्रभावशाली उपभोग हेतु राष्ट्रीय स्वतंत्रता की प्राप्ति एक आवश्यक शर्त है। इसी परिप्रेक्ष्य में वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की गई थी। इस प्रकार यह स्पष्टतः परिलक्षित होता है कि भारतीय संविधान एक ऐसा दस्तावेज है जो स्वतंत्रता संघर्ष के दीर्घकालिक इतिहास, भारतीय मूल्यों की विस्तृत व्यवस्था तथा पश्चिमी लोकतान्त्रिक एवं समाजवादी आंदोलनों की भारतीय परिप्रेक्ष्य में की गयी व्याख्या को प्रतिबिंबित करता है।

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