भारत में वामपंथी उग्रवाद (LWE) : सुरक्षा और विकासात्मक उपाय
प्रश्न: भारत में वामपंथी उग्रवाद (LWE) के खतरे से निपटने हेतु सुरक्षा और विकासात्मक उपायों के मध्य एक उत्कृष्ट संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है। विश्लेषण कीजिए।
दृष्टिकोण
- भारत में वामपंथी उग्रवाद (LWE) के प्रसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- चर्चा कीजिए कि प्रारंभ में इसे किस प्रकार कानून और व्यवस्था के मुद्दे के रूप में देखा जाता था, इस प्रकार मुख्यतः सुरक्षा उपायों पर ध्यान केंद्रित कीजिए।
- तत्पश्चात अंतर्निहित कारणों के समाधान और स्थायी परिणामों की प्राप्ति हेतु विकासात्मक उपायों की आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
- इस संबंध में उठाये गए कुछ कदमों का उल्लेख कीजिए।
- समझाइए कि किस प्रकार सुरक्षा और विकासात्मक उपाय समस्या के दोनों पक्षों का समाधान करने में सहायक हैं।
- हालिया वर्षों में इस रणनीति के कारण प्राप्त कुछ सकारात्मक परिणामों को दर्शाते हुए संक्षिप्त रूप में उत्तर समाप्त कीजिए।
उत्तर
भारत में वामपंथी उग्रवाद 1960 के दशक के अंत में एक संगठित सशस्त्र आंदोलन के रूप में विकसित हुआ था तथा यह वर्तमान में भी भारत के लिए आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। हाल ही में गढ़चिरोली में हुए नक्सली हमले में 15 सुरक्षाकर्मी शहीद ही गए थे। ज्ञातव्य है कि इस प्रकार की घटनाएँ नक्सल खतरे से निपटने हेतु प्रभावी उपाय किए जाने की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।
प्रारंभ में, LWE को मुख्य रूप से कानून और व्यवस्था संबंधी समस्या के रूप में देखा जाता था। इसलिए, इस मुद्दे से संबंधी सुरक्षा पहलुओं से निपटने हेतु सरकार द्वारा विभिन्न उपाय किए गए हैं। इसमें प्रशिक्षण के माध्यम से राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के साथ-साथ इन क्षेत्रों में अधिक पुलिस स्टेशनों की स्थापना को स्वीकृति प्रदान करना, छत्तीसगढ़ हेतु ब्लैक पैंथर युद्धक बल, बस्तरिया बटालियन आदि जैसे विशिष्ट बलों की तैनाती शामिल हैं।
यद्यपि ये उपाय माओवादियों द्वारा किए गए हमले से संबंधित किसी भी आसन्न खतरे से निपटने में सहायक हैं, तथापि, इस धारणा को भी स्वीकृति प्राप्त हुई है कि LWE को असमान विकास के साथ-साथ अल्प विकास और अभिशासकीय अक्षमता के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
LWE के लिए अनेक कारक उत्तरदायी हैं जैसे:
- स्वतंत्रता पश्चात् भूमि सुधारों की विफलता।
- भ्रष्टाचार और अकुशल शासन के कारण लोगों के अधिकारों का हनन।
- वन क्षेत्रों आदि में विकासात्मक परियोजनाओं के कारण आजीविका के साधनों की क्षति।
दो दृष्टिकोणों यथा-सुरक्षा और विकासात्मक उपायों, के मध्य बेहतर संतुलन एक स्थायी परिणाम सुनिश्चित करने में सहायक होगा। एक ओर, सुरक्षा उपायों से निम्नलिखित में सहायता प्राप्त होगी:
- हथियारों और गोला-बारूद तक पहुंच को प्रतिबंधित करने की क्षमता में वृद्धि के माध्यम से वामपंथी उग्रवाद की हिंसक गतिविधियों से होने वाली मानवीय क्षति को कम करना।
- हमले के दौरान उचित जवाबी कार्रवाई करने के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के नक्सली नेताओं के आत्मसमर्पण को लक्षित करके LWE के तहत क्षेत्रों के विस्तार को कम करना।
दूसरी ओर, विकासात्मक उपाय निम्नलिखित को सुनिश्चित करेंगे:
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में निर्धनों और कमजोर वर्गों तक विकास के लाभों की पहुंच सुनिश्चित होगी।
- जल, जंगल और जमीन संबंधी मुद्दों का समाधान करना जो माओवादी संगठनों में शामिल होने के लिए मुख्य आकर्षण का विषय रहे हैं।
- लोगों की शिकायतों का निवारण और शासन प्रणाली के प्रति जन विश्वास में वृद्धि करना।
- सुरक्षा बलों और लोकतांत्रिक व्यवस्था के विरुद्ध नक्सलियों के झूठे एवं भ्रामक प्रचार के संबंध में स्थानीय समझ विकसित करना।
LWE के प्रति सरकार के परिवर्तित दृष्टिकोण से इस धारणा की स्वीकृति परिलक्षित हुई है, जिसमें अवसंरचना का निर्माण और विकास को गति प्रदान करने जैसी विभिन्न पहलें शामिल हैं जैसे:
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत LWE प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना का निर्माण करना।
- राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, सर्व शिक्षा अभियान जैसी पहलों द्वारा शिक्षा तक पहुँच को सुलभ बनाना।
- 35 LWE प्रभावित जिलों में आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम) को प्रारंभ करना।
- रोशनी आदि जैसी कौशल विकास पहले प्रारंभ करना।
- आत्मसमर्पित LWE माओवादियों का समाज में पुनर्वास और पुनः समावेश करना।
एक समग्र दृष्टिकोण उग्रवाद के दुष्चक्र को विकास के एक सुचक्र में परिवर्तित करने में सहायक सिद्ध होगा। इस दृष्टिकोण के प्रति कुछ उपायों ने LWE से प्रभावित जिलों की संख्या में कमी और अधिकारियों के समक्ष उग्रवादियों के आत्मसमर्पण करने की बढ़ती संख्या के रूप में बेहतर परिणाम प्रस्तुत किए हैं।
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