नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP) 2020 : सरकार के विजन के मार्ग में आने वाली बाधायें
प्रश्न: नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP) 2020 की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। 2030 तक 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को प्राप्त करने के सरकार के विजन के सम्मुख प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए।
दृष्टिकोण
- नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP) 2020 की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- 2030 तक, शत-प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों के सरकार के विजन के मार्ग में आने वाली बाधाओं को रेखांकित कीजिए।
- उन प्रमुख कदमों का भी उल्लेख कीजिए जो मिशन की सफलता के लिए आवश्यक हैं।
उत्तर
जीवाश्म ईंधनों के तेजी से ह्रास, ऊर्जा लागतों में तीव्र वृद्धि और जलवायु परिवर्तन की चिंताओं के कारण विद्युत्-चलित वाहनों के लिए प्रयास करता अनिवार्य हो गया है। इस संदर्भ में, सरकार द्वारा वर्ष 2013 में, नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP) 2020 प्रारंभ किया गया। इसका लक्ष्य वर्ष 2020 तक इलेक्ट्रिक/हाइब्रिड वाहनों की संख्या को लगभग 60-70 लाख तक करना है। इसके साथ-साथ, इसका एक अन्य उद्देश्य एक निश्चित स्तर तक प्रौद्योगिकी का भारतीयकरण करके कुछ वाहन सेगमेंट में भारत को वैश्विक रूप से अग्रणी बनाना है।
मुख्य विशेषताएं
NEMMP 2020 एक समग्र योजना है जो माँग-पक्ष और आपूर्ति-पक्ष संबंधी विभिन्न नीति उपकरणों का प्रयोग करती है, जैसे:
- प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा
- वित्तीय और मौद्रिक प्रोत्साहन
- विश्वसनीय, वहनीय और कुशल xEVs (जिन्हें प्लग-इन वाहनों के नाम से भी जाना जाता है) का उत्पादन
- चार्जिंग (इलेक्ट्रिक वाहनों हेतु) अवसंरचना का निर्माण
- पहले से मौजूद वाहनों में हाइब्रिड-किट लगाए जाने को प्रोत्साहन
- विभिन्न एजेंसियों की सहक्रियाओं में वृद्धि और उनके प्रयासों के दोहराव से बचाव
- निरंतर समीक्षा, निगरानी और मध्यावधि सुधारों की व्यवस्था
यह योजना अपने उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु समर्पित संस्थाओं (चित्र देखें) के निर्माण की परिकल्पना करती है :
मिशन के अनुसरण में, सरकार द्वारा देश में हाइब्रिड व इलेक्ट्रिक दोनों प्रकार के वाहनों के लिए बाजार के विकास हेतु NEMMP 2020 के अंतर्गत फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ़ (हाइब्रिड &) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME इंडिया) प्रारंभ किया गया।
सरकार ने एक कार्य समूह की स्थापना की है, जो भारत के स्व-वित्तीयन मॉडल (अर्थात पेट्रोलियम पदार्थों की खपत घटने से हुई बचत के मौद्रिकीकरण) के माध्यम से 2030 तक शत-प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोगकर्ता बनने की संभावनाओं का मूल्यांकन करेगा। इस दृष्टिकोण को साकार करने में आने वाली चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
- निम्न स्तरीय इलेक्ट्रिक ग्रिड पारितंत्र व पर्याप्त चार्जिंग स्टेशनों के विकल्पों का अभाव।
- वर्तमान प्राइस-परफॉर्मेंस गैप और कम जागरूकता के कारण प्रयोगकर्ताओं के बीच स्वीकार्यता का अभाव।
- प्रौद्योगिकीय R&D का निम्न स्तर,जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों, लीथियम आयन बैटरियों आदि की लागत में वृद्धि हो जाती है।
- आपूर्ति पक्ष की बाधाएं: विनिर्माण निवेशों का निम्न स्तर और आपूर्ति श्रृंखला का न होना।
- अपर्याप्त वित्तपोषण: उदाहरण के लिए सार्वजनिक स्थलों पर चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण के लिए सरकार द्वारा करोड़ रुपए (2015-16) और 20 करोड़ रुपए (2016-17) की अत्यल्प राशि का आवंटन किया गया।
- कुशलता संबंधी मुद्दे: CSTEP के एक अध्ययन के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहन परम्परागत ऊर्जा स्रोतों से चलने वाले वाहनों की अपेक्षा कम माइलेज प्रदान करते हैं।
उपर्युक्त चुनौतियों के समाधान तथा सरकार के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए आपूर्ति व माँग पक्ष संबंधी उपायों (जैसे कर लाभ, xEV पुों की स्थानीय बाजारों से खरीद अनिवार्य बनाना, नवाचारी वित्तीय मॉडल्स आदि) को अपनाना आवश्यक होगा ताकि भारत में xEV पारितंत्र को सुदृढ़ किया जा सके।
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