प्राकृतिक कार्बन प्रच्छादन की प्रकिया : कृत्रिम कार्बन संग्रहण और प्रच्छादन (CCS) पर अधिक बल

प्रश्न: प्राकृतिक कार्बन प्रच्छादन की प्रकिया को उदाहरण प्रस्तुत करते हुए स्पष्ट कीजिए। कृत्रिम कार्बन संग्रहण और प्रच्छादन (CCS) पर अधिक बल क्यों दिया जाता रहा है? इससे संबद्ध जोखिमों पर चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • कार्बन प्रच्छादन (carbon sequestration) को परिभाषित कीजिए और ‘प्राकृतिक’ कार्बन प्रच्छादन (natural carbon sequestration) की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए।
  • ‘कृत्रिम’ कार्बन प्रच्छादन (artificial carbon sequestration) की अवधारणा की संक्षिप्त चर्चा कीजिए और इसकी बढ़ती लोकप्रियता के कारणों को सूचीबद्ध कीजिए।
  • ‘कृत्रिम’ कार्बन प्रच्छादन से संबंधित जोखिमों का उल्लेख कीजिए और तदनुसार निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

कार्बन प्रच्छादन (CS) पौधों, मृदाओं, महासागरों और अन्य भूवैज्ञानिक संरचनाओं में कार्बन (सामान्यत: वह कार्बन जिसमें शीघ्र ही CO2 गैस बनने की क्षमता विद्यमान है) का दीर्घकालिक भंडारण है। यह प्राकृतिक या कृत्रिम हो सकता  है।

प्राकृतिक कार्बन प्रच्छादन की प्रक्रिया

  • प्राकृतिक CS वायुमंडलीय CO2 के अवशोषण का एक ऐसा सतत चक्र है जो जीवन को बनाए रखने के लिए  वायुमंडल में CO2 का एक संतुलन बनाए रखता है।
  • पशु, पौधे (रात्रि में), दावानल, ज्वालामुखीय विस्फोट आदि CO2 मुक्त करते हैं जबकि वन, महासागर, तेल/गैस भंडार और बायोमास कार्बन सिंक होते हैं, जो इसे अवशोषित/संग्रहित करते हैं। प्रकाश संश्लेषण प्राकृतिक CS का सबसे महत्वपूर्ण क्रियाविधि है।

मानव गतिविधियों द्वारा वायुमंडल में उत्सर्जित कार्बन का मात्र 45% वातावरण में बना रहता है, लगभग 30% महासागरों द्वारा अधिग्रहित किया जाता है और शेष स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र में समाविष्ट हो जाता है।

कृत्रिम कार्बन संग्रहण और प्रच्छादन (CCS) में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को वृहत स्रोत बिंदुओं (जैसे- जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली संयंत्र) से संग्रहित करना, भंडारण स्थल पर ले जाना और इस CO2 को वायुमंडल से पृथक्कृत स्थानों पर भण्डारित करना शामिल है। यह स्थान सामान्यत: एक भूमिगत कुण्ड होता है जहाँ लंबे समय के लिए CO2 का भंडारण किया जाता है।

 

कृत्रिम CCS निम्नलिखित कारकों से कारणे प्रमुखता प्राप्त कर रहा है:

  • प्राकृतिक CS तौर-तरीकों का उपयोग करना एक धीमी प्रक्रिया है और ये तरीके अन्य भूमि उपयोग प्रयोजनों के साथ प्रतिस्पर्धा भी करते हैं।
  • यह ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि करने वाले जीवाश्म ईंधनों के उत्सर्जन को घटाने और महासागरीय अम्लीकरण को कम करने का एक संभावित साधन है।
  • इसने निजी अभिकर्ताओं का ध्यान भी आकर्षित किया है और वर्तमान में कुछ वेंचर कैपिटलिस्ट्स द्वारा इसे लाभप्रद व्यवसायिक उद्यम के रूप में देखा जा रहा है।
  • कृत्रिम CCS में कृषि उपज को बढ़ाने व तेल प्राप्ति में वृद्धि की अत्यधिक क्षमता है।
  • CCs हेतु बनाई जाने वाली आपूर्ति श्रृंखला बड़ी संख्या में रोजगार के अवसरों का सृजन करेगी। ये रोजगार कोर इंजीनियरिंग, विनिर्माण, डिजाइन, प्रबंधन और संचालन तथा CO2 भंडारण से जुड़े अन्य कौशल क्षेत्रों में सृजित होंगे।

हालांकि, कृत्रिम CCS के साथ निम्नलिखित जोखिम भी जुड़ें हैं:

  • IPCC द्वारा अनुमान लगाया गया है कि CCS के कारण ईंधन, तकनीक और स्थान के अनुसार विद्युत उत्पादन की लागत में लगभग 1 से 5 सेंट प्रति किलोवाट घंटे की वृद्धि हो जाएगी।
  • यह विधि अपेक्षाकृत रूप से परीक्षण से अछूती है और इसके दुष्प्रभाव अभी भी अज्ञात हैं। उदाहरण के लिए, न्यासा झील या मलावी झील (कैमरून, अफ्रीका) आपदा, जहाँ लिमनिक प्रस्फोटन (झील के गहरे जल से अचानक घुलित कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का प्रस्फुटन} के कारण भारी मात्रा में उत्पादित CO2 से सैकड़ों लोगों और पशुओं की मृत्यु हो गई थी।
  • चूंकि यह CO2 के संपीड़न और परिवहन से संबंधित है, इसलिए यह मंहगा और ऊर्जा गहन है।
  • महासागर प्रच्छादन की प्रक्रिया महासागरों को अम्लीय बना देगी, जिससे समुद्री जीवन पर प्रभाव पड़ेगा।

कुल मिलाकर, प्राकृतिक कार्बन प्रच्छादन के साथ प्रत्यक्ष वायु संग्रहण, अतिरिक्त वायुमंडलीय CO2 के प्रभावों के विरूद्ध संरक्षण के रूप में कार्य करेगा। इसके साथ ही, यह भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि CO2 उत्सर्जन को 400 ppm से स्तर से नीचे बनाए रखने के लिए विकेंद्रीकृत गतिविधियों जैसे- वृक्षारोपण, नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों और पर्यावरण अनुकूल व्यवहारों को अपनाया जाए।

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