भारत में शैलोत्कीर्ण संरचनाओं का सक्षिप्त परिचय : धर्मों और धार्मिक गतिविधियों से घनिष्ठता
प्रश्न: शैलोत्कीर्ण संरचनाएँ विभिन्न धर्मों और धार्मिक गतिविधियों से घनिष्ठता से संबंधित थीं। प्रासंगिक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए इस कथन की विवेचना कीजिए।
दृष्टिकोण
- भारत में शैलोत्कीर्ण संरचनाओं का सक्षिप्त परिचय दीजिए।
- संक्षेप में सोदाहरण चर्चा कीजिए कि शैलोत्कीर्ण संरचनाएँ किस प्रकार विभिन्न धर्मों और धार्मिक गतिविधियों से घनिष्ठता से संबंधित थीं।
- उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
शैलोत्कीर्ण संरचना, प्राकृतिक चट्टान को काटकर संरचना निर्माण करने की प्रक्रिया है। इसका भारतीय वास्तुकला के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। भिन्न-भिन्न अवधियों की अधिकांश शैलोत्कीर्ण संरचनाएँ बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिंदू धर्म जैसे विभिन्न धर्मों से घनिष्ठता से संबंधित थीं।
भारतीय शैलोत्कीर्ण वास्तुकला में पाई जाने वाली एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह विभिन्न धार्मिक गतिविधियों से घनिष्ठता से जुड़ी थी। बौद्ध और जैन दोनों शैलोत्कीर्ण संरचनाओं में मुख्य रूप से “चैत्य गुहाएँ” सम्मिलित थीं, जहां पूजा के लिए स्तूप और भिक्षु निवास “विहार गुहाओं” का निर्माण किया गया था।
धर्म और धार्मिक गतिविधियों के साथ शैलोत्कीर्ण संरचनाओं की संबंद्धता को निम्नलिखित उदाहरणों से समझा जा सकता है:
1. धर्म के केंद्र के रूप में: विभिन्न धर्मों के भिक्षु, पूजा स्थल के रूप में शैलोत्कीर्ण संरचनाओं का उपयोग करते थे। उदाहरण के लिए:
- मक्खलि गोशाल द्वारा स्थापित आजीवक संप्रदाय के तपस्वी बिहार स्थित बराबर गुफाओं का उपयोग करते थे।
- बौद्ध भिक्षुओं द्वारा महाराष्ट्र स्थित कार्ले चैत्य का उपयोग पूजा स्थल के रूप में किया जाता था।
- एलोरा की गुफाओं में राष्ट्रकूटों द्वारा निर्मित कैलाश मंदिर जो भगवान शिव को समर्पित था।
2. भिक्षुओं के निवास स्थान के रूप में: भिक्षु इन गुफाओं का निवास के रूप में भी उपयोग करते थे। उदाहरण के लिए:
- बौद्ध भिक्षुओं द्वारा विहार के रूप में कन्हेरी और अजंता की गुफाओं का उपयोग किया जाता था।
- उदयगिरि और खंडगिरि की गुफाओं को राजा खारवेल के शासनकाल में जैन भिक्षुओं हेतु निर्मित आवासीय खंडों के रूप में माना जाता है।
3. धार्मिक गतिविधियों जैसे धर्म और उसकी शिक्षाओं का प्रचार करने के लिए; उदाहरणस्वरूप :
- मौर्य सम्राट अशोक ने शिलालेखों और स्तंभ अभिलेखों द्वारा “धम्म” के रूप में ज्ञात कानून और सहिष्णुता का संदेश देने के लिए उद्घोषणा के माध्यम के रूप में प्रस्तरों का उपयोग किया था।
- अजंता की गुफाओं में जातक अर्थात बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाओं को चित्रित करने वाले चित्र निर्मित किए गए हैं।
- हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित गुहा मंदिर जैसे चालुक्यों द्वारा निर्मित बादामी गुहा मंदिर में दशावतार, रामायण और महाभारत से जुड़े विषयों को चित्रित किया गया है।
4. अन्य गतिविधियाँ: व्यापार मार्गों के साथ-साथ बौद्ध गुफाओं की संबद्धता से ज्ञात होता है कि शैलोत्कीर्ण गुफाएँ केवल ध्यान एवं चिंतन का स्थान नहीं थीं, बल्कि व्यापारियों द्वारा व्यापार केंद्र के रूप में भी प्रयुक्त की जाती थीं।। शैलोत्कीर्ण संरचनाएँ भारत में विभिन्न धर्मों के लिए धर्म और धार्मिक गतिविधियों का केंद्र रही हैं और ये आज भी हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक समृद्ध भाग हैं।
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