प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (PHC) : भारत में इसके सुदृढ़ीकरण हेतु सरकार द्वारा उठाए गए क़दम

प्रश्न: भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के महत्व की व्याख्या कीजिए। इस संबंध में सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं?

दृष्टिकोण

  • व्याख्या कीजिए कि आप प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (PHC) से क्या समझते हैं और PHC प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के महत्व को रेखांकित कीजिए।
  • भारत में इसके सुदृढ़ीकरण हेतु सरकार द्वारा उठाए गए क़दमों को सूचीबद्ध कीजिए।

उत्तर

प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (PHC) प्रणाली स्वास्थ्य सेवा की आवश्यकता रखने वालों के लिए संपर्क का पहला बिंदु होती है। ये समुदाय में ही स्थित होती है, सभी के लिए सुलभ होती है तथा इसमें निवारक, प्रोत्साहक एवं उपचारात्मक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं शामिल होती हैं। निम्नलिखित बिंदु इसके सुदृढ़ीकरण को रेखांकित करते हैं:

  • PHC में निवेश लोगों एवं समुदायों हेतु उच्च-गुणवत्ता तथा लागत प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को सुनिश्चित करता है। यह नागरिकों में सरकारी सुविधाओं के प्रति विश्वास में वृद्धि करता है और इससे उनके अतिरिक्त व्यय में कटौती होती है
  • यह भविष्य में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करता है।
  • PHC तक व्यापक पहुँच स्वास्थ्य के अधिक न्यायोचित वितरण को बढ़ावा देती है क्योंकि इससे रोगियों को उनके निवास के निकटतम स्थान पर ही गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रदान की जा सकती है।
  • PHC व्यवस्था एक पूर्व चेतावनी प्रणाली के रूप में भी कार्य करती है। इसके माध्यम से रोग के प्रकोप का महामारी में परिवर्तित होने से पूर्व ही पता लगाकर उसकी रोकथाम की जा सकती है। उदाहरणार्थ, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को निपाह वायरस जैसे उभरते खतरों के लक्षण एवं संचरण की पहचान करने हेतु प्रशिक्षित किया जा सकता है, जैसा कि महाराष्ट्र में किया जा रहा है।
  • PHC में लक्षित निवेश से व्यक्तियों के जन्म से लेकर उनकी वृद्धावस्था तक अर्थात उनके संपूर्ण जीवनकाल के दौरान उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के प्रयासों को बल मिलता है।
  • बेहतर PHC व्यक्तियों, परिवारों एवं समुदायों को उनके स्वास्थ्य के संदर्भ में बेहतर निर्णय-निर्माण में सक्षम बनाती है
  • स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करते हुए यह स्वास्थ्य देखभाल व्यय को नियंत्रित करने हेतु एक प्रभावी तंत्र के रूप में भी कार्य कर सकती है क्योंकि प्राथमिक देखभाल से संबंधित डॉक्टर रेफरल सेवाओं के संबंध में निर्णय ले सकते हैं। साथ ही वे साक्ष्य-आधारित दिशानिर्देशों के अनुरूप अधिकांश रोगियों की इस स्तर पर ही देखभाल कर सकते हैं।

भारत में PHCs के सुदृढ़ीकरण हेतु सरकार द्वारा उठाए गए क़दम निम्नलिखित हैं:

  • निम्नतम स्तर पर स्थित स्वास्थ्य सुविधाएं (स्वास्थ्य उप-केंद्र) वर्तमान में केवल कुछ मूलभूत सेवाएं ही प्रदान कर रही हैं। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत इन केंद्रों को व्यापक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने हेतु HWCs (स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र) में परिवर्तित किया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 में वित्तीयन का अधिकांश भाग (दो-तिहाई या इससे अधिक) प्राथमिक सेवा को आवंटित करने का प्रावधान किया गया है। इसके बाद माध्यमिक एवं तृतीयक सेवा का स्थान आता है।
  • ASHA कर्मियों, ऑक्सीलिरी नर्स मिडवाइफ्स (ANMs), रोगी कल्याण समितियों की भागीदारी सहित सामुदायिक सहभागिता, आयुष को मुख्यधारा में लाना तथा दवाओं एवं उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करना इत्यादि।
  • प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल एवं किशोर स्वास्थ्य (RMNCH+A) के तहत स्वास्थ्य देखभाल को जीवन चक्र दृष्टिकोण (लाइफ साइकिल एप्रोच) प्रदान करना।
  • गैर संचारी रोगों (NCDs) के संदर्भ में जिला-स्तर एवं उससे निचले स्तरों पर स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के लिए एक NCD फ्लेक्सी-पूल का गठन किया गया है।

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