केस स्टडीज : प्रतिष्ठा (साख) व रोजगार सृजन के संदर्भ में त्वरित बदलाव

प्रश्न: आपको हाल ही में भारत में ऐतिहासिक महत्व के कई स्थलों वाले एक राज्य के पर्यटन विभाग का प्रमुख नियुक्त किया गया है। विगत कुछ वर्षों में, राज्य में पर्यटकों के आगमन में कमी देखी गई है। पूछताछ करने पर, आपको पता चलता है कि इस कमी का कारण मुख्य रूप से दलालों का प्रभाव और पर्यटकों का उत्पीड़न है, जिसमें अवांछित अग्रिम एवं विभिन्न सेवाओं के लिए उनसे अत्यधिक शुल्क वसूलना सम्मिलित है। आप प्रमुख यात्रा सलाहकार वेबसाइटों पर अपने राज्य के संबंध में त्वरित खोज भी करते हैं और पाते हैं कि इस राज्य की छवि ने महिला पर्यटकों के लिए विशेष रूप से असुरक्षित होने की छवि बन गई है। इस स्थिति को देखते हुए, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(a) क्या आप मानते हैं कि इस प्रकार की स्थिति के लिए समाज में व्याप्त असंवेदनशीलता को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है? समुदाय को पर्यटकों के प्रति और अधिक संवेदनशील कैसे बनाया जा सकता है?

(b) प्रतिष्ठा (साख) व रोजगार सृजन के संदर्भ में त्वरित बदलाव लाने और पर्यटकों के लिए एक सुरक्षित स्थल के रूप में राज्य की प्रतिष्ठा को पुनर्बहाल करने हेतु कुछ उपायों का सुझाव दीजिए।

दृष्टिकोण

  •  भारत में पर्यटकों, विशेष रूप से विदेशी पर्यटकों के समक्ष आने वाली समस्याओं पर एक संक्षिप्त नोट के साथ उत्तर आरंभ कीजिए। इसमें सम्मिलित प्रमुख हितधारकों की पहचान कीजिए।
  • पर्यटकों के प्रति असंवेदनशीलता और पर्यटकों द्वारा सहन किये जाने वाले उत्पीड़न के पीछे के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  • पर्यटकों के संदर्भ में राज्य की प्रतिष्ठा की पुनर्बहाली सुनिश्चित करने हेतु एक विस्तृत योजना की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

निर्दिष्ट प्रकरण पर्यटन अनुभव की स्थिति पर प्रकाश डालता है, जो बहुत से लोगों के प्रति विशेष रूप से विदेशी पर्यटकों के प्रति शिष्टता की कमी को दर्शाता है। पर्यटकों के उत्पीड़न की घटनाएं भारत की एक पर्यटन स्थल के रूप में भव्यता को प्राय: निष्प्रभ कर देती हैं और इस मामले में इसने एक विशेष राज्य को प्रभावित किया है। नतीजतन, राज्य को होने वाली हानि केवल मूर्त हानि ही नहीं है अपितु इसकी प्रतिष्ठा के संदर्भ में भी है।

इसमें सम्मिलित हितधारक:

  • राज्य प्रशासन, जिसमें पर्यटन विभाग, नौकरशाह और लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि सम्मिलित हैं।
  • क़ानून एवं व्यवस्था प्रशासन अर्थात् पुलिस और अर्द्धसैनिक बल।
  • पंजीकृत व गैर-पंजीकृत पर्यटक गाइड।
  • स्थानीय व विदेशी, दोनों प्रकार के पर्यटक।
  • स्थानीय निवासी।

(a) पर्यटकों के पास आमतौर पर अपने गंतव्य और वहाँ के लोगों व संस्कृति के संबंध में या तो बहत कम जानकारी होती है या कोई जानकारी नहीं होती। इस कारण से वे अपनी सुरक्षा और सकारात्मक अनुभव को सुनिश्चित करने हेतु स्थानीय निवासियों और राज्य प्रशासन पर भरोसा करते हैं। पर्यटकों से अग्रिम लेने और विशेषकर महिलाओं से अवांछित रूप से निकटता बढ़ाने के प्रयासों सहित पर्यटकों का उत्पीड़न एक बहुपक्षीय मुद्दा है। इसके पीछे कई कारण हैं:

  • सांस्कृतिक सापेक्षवाद: मेजबान राज्य के लोगों को प्राय: उन रवैयों, व्यवहारों, कानूनों का ज्ञान नहीं होता जिन्हें अन्य देशों में नैतिक आचरण के मानकों के रूप में देखा जाता है। इस कारण से जो कार्य भारत में सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य हो, यह आवश्यक नहीं कि वह अन्य देशों में भी स्वीकार्य हो। हालाँकि किसी भी संस्कृति की आचार नीति किसी दूसरी संस्कृति से उच्चतर नहीं होती है।
  • असंवेदनशीलता: कुछ लोग अपनी इस गलत धारणा के कारण कि समृद्ध देशों से आने वाले पर्यटकों को अधिक चार्ज वसूलने से कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता, विशेषकर अपने आर्थिक लेन-देन में की गयी बेईमानी को तर्कसंगत मानते हैं।
  • केवल लाभ-उद्देश्य: लोग अक्सर पर्यटन को एक आर्थिक उपक्रम के रूप में देखते हैं और कभी-कभी अपने कर्तव्यों एवं उत्तरदायित्वों के प्रति अनादर प्रकट करते हैं, उदाहरण के तौर पर पर्यटकों की सुरक्षा तथा साथ ही साथ अपने राष्ट्र की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के संदर्भ में।
  • पितृसत्ता: भारतीय समाज में शक्ति-संतुलन मौलिक रूप से पुरुषों की ओर झुका हुआ है, जो महिलाओं के प्रति असम्मान दर्शाने को कभी-कभी स्वीकार्य मान लेता है। विदेशी पर्यटकों की बात आने पर यह रवैया और भी अधिक जटिल हो जाता
  • नीति एवं कार्यान्वयन की अक्षमता: भारत में राज्य प्रशासन अक्सर किसी निश्चित वर्ग के लोगों को खुश करने के लिए पर्यटन स्थलों पर दलालों के मुद्दों को नज़रअंदाज़ कर देता है।

वर्तमान परिस्थितियों के लिए लोगों की असंवेदनशीलता कुछ हद तक जिम्मेदार है और इसका निम्नलिखित तरीकों से समाधान किया जा सकता है:

  •  लोगों को वैश्विक संस्कृतियों के बारे में जागरुक किया जाना चाहिए ताकि वे पहचान कर सकें कि विदेशों में स्वीकार्य आचरण के क्या मायने हैं।
  • विशिष्ट रूप से महिला पर्यटकों के अधिकारों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • पर्यटन उद्योग से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों को संवेदनशीलता प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
  • भारत की प्रतिष्ठा के प्रसारक होने के नाते स्थानीय निवासियों को उनकी जिम्मेदारियों के विषय में जागरुक करने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए।

हालाँकि, पर्यटकों के उत्पीड़न की समस्या के लिए केवल लोगों की असंवेदनशीलता को ही जिम्मेदार ठहराना स्थिति का उचित आकलन नहीं होगा।

(b) पर्यटकों के आगमन में वृद्धि करने के लिए, अधिकारियों को एक ऐसी योजना की रूपरेखा प्रस्तुत करनी होगी जो लोगों के आर्थिक हितों को भी ध्यान में रखती हो और एक सुरक्षित गंतव्य के रूप में राज्य की प्रतिष्ठा को भी कायम रखती हो।

इस योजना में निम्नलिखित रणनीतियाँ सम्मिलित हो सकती हैं:

 

सभी हितधारकों के लिए उच्च गुणवत्ता सेवा

a) भारत की सकारात्मक, गुणवत्तापूर्ण छवि को बढ़ावा देने के लिए हितधारकों को प्रेरित करना।

b) ग्राहक देखभाल व स्वागत के उच्च मानकों को प्रोत्साहन देना।

c)  हितधारकों को सामंजस्यपूर्ण गुणवत्ता मानक मानदंड अपनाने के लिए प्रोत्साहित

मानव संसाधन का विकास a) स्थानीय मुद्दों को हल करने के लिए पर्यटन के प्रमुख संस्थानों के छात्रों को नियुक्त करना।

b) मौजूदा पेशेवरों के प्रशिक्षण एवं कौशल उन्नयन के लिए विशेष कार्यक्रम प्रारंभ करना।

c)  औपचारिक रूप से पर्यटक गाइड के रूप में पंजीकृत करने और प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए अधिकाधिक स्थानीय निवासियों, विशेष रूप से युवाओं को आमंत्रित करना।

सामुदायिक भागीदारी a) महत्वपूर्ण पर्यटन मुद्दों पर स्थानीय समुदायों से परामर्श करना।

b) आसूचना प्रदान करने के लिए और भावी रणनीतियों के विषय में बताने के लिए एक सलाहकार मंच की स्थापना करना।

महिला पर्यटकों के लिए विशेष उपाय a) सतर्कता बढ़ाना, यात्रा स्थल, हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना।

b) महिला पर्यटकों से संबंधित शिकायतों को संबोधित करने के लिए और उनके त्वरित समाधान के लिए महिला पुलिस अधिकारियों एवं रक्षक दल की समर्पित इकाइयाँ स्थापित करना।

c) दर्शन-स्थलों पर भीड़ प्रबंधन को बेहतर बनाना ताकि उत्पीड़न की घटनाओं को कम किया जा सके।

पर्यटकों की सुरक्षा के बारे में मिथकों को दूर विभाग में एक जन-संपर्क टीम का गठन करना जो पर्यटकों से जानकारी तथा फीडबैक करने के लिए उनकी ऑनलाइन उपस्थिति मजबूत करना विभाग में एक जन-संपर्क टीम का गठन करना जो पर्यटकों से जानकारी तथा फीडबैक एकत्र करना,जिनमें विशेष से विदेश आंगतुकों द्वारा किए जाने वाले तथा
न किए जाने वाले कार्यों की एक सूची सम्मिलित हो
विदेशी पर्यटकों के आगमन पर उन्हें यात्रा- संबंधी सूचनाएँ संबंधी सूचनाएँ जारी करना रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों और बस अड्डों पर सूचना सहायता केंद्र यात्रा-संबंधी सूचनाएँ संबंधी सूचनाएँ जारी करना जारी करना, जिनमें विशेष रूप से विदेशी आगंतुकों द्वारा किए जाने वाले तथा न किए जाने वाले कार्यों की एक सूची सम्मिलित हो।
सेवाओं के लिए नीतिगत उपाय कुछ सेवाओं, जैसे- लंबी दूरी के लिए ली गई टैक्सी सेवाएं जिनका व्यावसायिक समूहन हो चुका है और वे ग्राहकों के हितों एवं उनकी पसंद को नज़रअंदाज़ करती हैं, को बाजार | के नियमों का पालन करने के लिए बाध्य करना।

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