पेरिस एवं वर्साय की संधि : द्वितीय विश्व युद्ध में योगदान देने वाले अन्य कारक
प्रश्न: यह तर्क दिया जाता है द्वितीय विश्व युद्ध के बीज औपचारिक रूप से प्रथम विश्व युद्ध को समाप्त करने वाली शांति संधियों द्वारा बोये गए थे। व्याख्या कीजिए। साथ ही, द्वितीय विश्व युद्ध का मार्ग प्रशस्त करने वाले अन्य कारकों पर भी प्रकाश डालिए।
दृष्टिकोण
- पेरिस एवं वर्साय की संधि के अनुचित प्रावधानों को सूचीबद्ध कीजिए।
- द्वितीय विश्व युद्ध में योगदान देने वाले अन्य कारकों की चर्चा कीजिए।
उत्तर
प्रथम विश्व युद्ध को सभी युद्धों को समाप्त करने वाला युद्ध कहा गया था, लेकिन इस युद्ध के पश्चात की शांति संधियों के कई अनुचित प्रावधानों ने यूरोप में वैमनस्य और घृणा की भावना को उत्पन्न किया। इसने द्वितीय विश्व युद्ध की नींव रखी जोकि निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
जर्मनी का अपमान और वर्साय की संधि:
- जर्मनी को प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात की वार्ताओं का प्रतिभागी नहीं बनाया गया।
- इसे पूर्ण रूप से उत्तरदायी ठहराया गया तथा युद्ध के हर्जाने का भुगतान करने के लिए बाध्य किया गया।
- फ्रांस के सीमावर्ती राइनलैंड में जर्मनी के सैन्यीकरण पर प्रतिबंध लगाया गया।
- कोयला और लौह अयस्क समृद्ध अल्सेस-लॉरेन क्षेत्र फ्रांस को तथा पूर्वी जिले पोलैंड को प्रदान किये गये।
पेरिस शांति सम्मेलन और राष्ट्र संघ की स्थापना:
- राष्ट्र संघ या लीग ऑफ़ नेशंस (जिसका उद्देश्य शान्ति व्यवस्था बनाए रखना था) के प्रति कई देशों में के विश्वास में कमी आई और यह धारणा उत्पन्न हुई कि वह केवल विश्व युद्ध में विजय प्राप्त करने वाली शक्तियों (मुख्यत: ब्रिटेन और फ्रांस) को स्थायित्व प्रदान करने वाली संस्था है।
- यहाँ तक कि 1926 तक जर्मनी को इसका सदस्य बनने की भी अनुमति प्राप्त नहीं थी।
लेकिन इनके अतिरिक्त कुछ अन्य कारक भी थे जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध का मार्ग प्रशस्त करने में योगदान किया:
नाज़ी और फासीवादी विचारधाराओं का उदय
- हिटलर द्वारा वर्साय संधि के दोषियों से प्रतिशोध, औपनिवेशिक विस्तार और जर्मनी को एक विश्व शक्ति के रूप में पुनर्स्थापित करने के वादे किये गये।
- फासीवादियों द्वारा इटली में सशस्त्र संगठनों का गठन किया गया।
सोवियत रूस का मुकाबला करने के लिए अमेरिका, यूके और फ्रांस की फासीवादी शक्तियों के प्रति तुष्टिकरण की नीति
- इन्होंने जर्मनी द्वारा वर्साय संधि का उल्लंघन करने और अपनी सेना को बढ़ा लेने को नज़रअंदाज़ किया। ध्यातव्य है कि संधि के द्वारा जर्मनी की सेना को 1,00,000 की संख्या तक सीमित किया गया था लेकिन इसने अपने सैनिकों की संख्या 8,00,000 तक बढ़ा ली थी।
- स्पेन में गणतांत्रिक सत्ता की समाप्ति के लिए नाज़ी और फासीवादी हस्तक्षेपों और जर्मनी द्वारा ऑस्ट्रिया पर अधिकार कर लेने के प्रति ये उदासीन रहे।
जापानी साम्राज्यवाद का उदय
- जापान की सरकार पर शोगन या सैन्य अभिजात वर्ग का अधिकार हो गया।
गठबंधनों का निर्माण
- जर्मनी, इटली और जापान द्वारा धुरी शक्तियों (Axis power) का गठन तथा मित्र शक्तियों (Allied Forces) के रूप में – ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत संघ, अमेरिका और चीन की भागीदारी।
- शांति सुनिश्चित करने में राष्ट्र संघ की विफलता।
द्वितीय विश्व युद्ध के अनेक कारण थे, लेकिन यह मुख्य रूप से यूरोपीय शक्तियों के मध्य साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं और प्रतिद्वंद्विता का परिणाम था।
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