केस स्टडीज : संबंधित लाभार्थियों तथा इसमें निहित वृहद् संदर्भ
प्रश्न: जिला मजिस्ट्रेट के रूप में आप एक ऐसे जिले में तैनात हैं जो बालिका-बाल विवाह के लिए बदनाम रहा था। सरकार ने दो दशक पहले एक अंशदायी योजना प्रारम्भ की थी, जिसके अंतर्गत 0 से 7 वर्ष की बालिका के लिए खोले गए खाते में, सरकार उनके माता-पिता जितनी राशि का योगदान देती थी। बालिका के 18 वर्ष की आयु के हो जाने और अविवाहित रहने पर ही कुल राशि निकाली जा सकती थी। इस योजना के कारण एक नया पैटर्न उभरा है। सभी बालिकाओं की 18 वर्ष के होते ही शादी कर दी जाती है और दहेजे की घटनाएँ काफी बढ़ गई हैं- क्योंकि समुदाय की प्रथाएं बालिका की आयु के अनुरूप राशि का भुगतान करने की मांग करती हैं। इसके अतिरिक्त, अब माता-पिता बालिका की शिक्षा में निवेश करने के स्थान पर योजना के लिए पैसा बचाने लगे हैं। चूँकि स्थानीय प्रशासन वर्तमान स्थिति से निपटने का प्रयास कर रहा है, अत: वह आपसे आपके विचारों और नेतृत्वशीलता की अपेक्षा कर रहा है:
(a) उन कारकों की पहचान कीजिए जिसके कारण ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं।
(b) इस स्थिति के बहु-आयामों को ध्यान में रखते हुए, एक रणनीति तैयार कीजिए।
दृष्टिकोण
- मामले के तथ्यों, संबंधित लाभार्थियों तथा इसमें निहित वृहद् संदर्भ का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- भाग (a) के लिए, विद्यमान परिस्थितियों हेतु उत्तरदायी कारणों को सूचीबद्ध कीजिए।
- भाग (b) के लिए, बहुआयामी पहलुओं को सूचीबद्ध कीजिए।
- इस स्थिति के समाधान की रणनीति की रूप रेखा को वर्णित कीजिए।
उत्तर
प्रदत्त केस स्टडी प्रदर्शित करती है कि कैसे एक सोद्देश्य-पूर्ण योजना अनायास परिणामों का कारण बन सकती है। इस मामले में, बिना किसी सामाजिक परिवर्तन के घटक के बालिका विवाह को नियंत्रित करने के प्रयोजन ने अनायास ही दहेज की मांगों की घटनाओं तथा बालिका शिक्षा के अभाव में वृद्धि कर दी है। इससे भौतिकवादी दृष्टिकोण से नवयुवतियों, उनके अभिभावकों तथा सरकार को हानि उठानी पड़ी है जबकि भावी पति तथा सुसराल पक्ष को लाभ प्राप्त हुआ है। परिच्छेद में निहित वृहद् संदर्भ के अवलोकन से यह ज्ञात होता है कि एक निम्नतर भौतिकवादी तथा उच्च नैतिक स्तर पर समाज एक हानि उठाने वाले पक्ष के रूप में उभरा है।
- यद्धपि योजना को सैद्धांतिक रूप से लागू कर दिया गया था पंरतु योजना के मूलभाव को समुदाय के लोगों में स्पष्ट रूप से प्रसारित नहीं किया गया था। मामले के दिए गए तथ्यों के आधार पर निर्धारित किया जा सकता है कि ऐसी परिस्थितियों के लिए उत्तरदायी सम्भाव्य कारक निम्नलिखित हैं:
- योजना में समुदाय की मानसिकता में परिवर्तन लाने वाले घटकों का अभाव था।
- इसमें लड़कियों के शिक्षात्मक, वित्तीय तथा सामाजिक सशक्तिकरण हेतु कोई विशेष प्रावधान नहीं था।
- योजना निर्माण के समय निर्दिष्ट समुदाय की लड़कियों की विवाह की आयु के प्रति संवेदनशीलता की उपेक्षा की गई थी।
- दहेज हतोत्साहन को योजना के भाग के रूप में शामिल नहीं किया गया था।
- इस योजना में मुख्य बल, केवल लड़कियों की विवाह आयु वृद्धि पर दिया गया तथा इसमें समग्र दृष्टिकोण का अभाव था।
- निर्दिष्ट समुदाय के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में किसी व्यक्ति को विभिन्न सरकारी विभागों के साथ-साथ गैर-सरकारी निकायों को भी शामिल करते हुए एक सर्व-समावेशी रणनीति अपनानी चाहिए। परिस्थितियों के विभिन्न आयाम तथा इनके निवारण हेतु आवश्यक रणनीति निम्नलिखित रूप से वर्णित की गयी हैं:
- दी गई योजना में सुधार: योजना में वित्तीय प्रोत्साहनों को दृष्टिकोण में परिवर्तन के एक साधन के रूप में, शामिल किया गया था। इन प्रोत्साहनों में विनियमों के माध्यम से सुधार किया जा सकता है। उदाहरणार्थ:
- बालिका के 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने यदि धन आहरण का उद्देश्य उच्च शिक्षा के अतिरिक्त कुछ और हो तो धनराशि का 50% से अधिक भाग जारी नहीं किया जाना चाहिए।
- यदि लड़की की आयु 21 वर्ष या उससे अधिक है अथवा उसने स्नातक तक शिक्षा पूर्ण कर ली हो तो कुल धनराशि का 20% अधिलाभ (बोनस) प्रदान किया जाएगा।
- लड़कियों के प्रति समुदाय की मानसिकता में परिवर्तन हेतु उपाय:
- महिला सशक्तिकरण हेतु जन अभियानों में महिलाओं की एक मां, पत्नी और पुत्री के रूप में भूमिका से अधिक एक निर्णय निर्माता के रूप में भूमिका को प्रोत्साहित किया जाये।
- जिले में स्कूल/कॉलेज के कार्यक्रमों, सामुदायिक कार्यक्रमों इत्यादि विभिन्न मंचों पर भाषण देने हेतु महिला नेताओं को आमंत्रित करना।
- जिले की विभिन्न क्षेत्रों में सफल महिलाओं को त्रैमासिक आधार पर पुरस्कार प्रदान करना।
- लड़कियों की शिक्षा एवं उनके कौशल विकास के महत्व पर बल देना: ।
- स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर लड़कियों के नामांकन और उपस्थिति पर बल देना।
- उच्च शिक्षा हेतु छात्रवृति प्रदान करना।
- बालिकाओं को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने हेतु सिलाई, गृह सज्जा, ब्यूटीशियन आदि से सम्बंधित लघु-अवधि के पाठ्यक्रमों के माध्यम से व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना।
- दहेज की मांगों का निषेध
- दहेज विरोधी कानूनों का कठोर प्रवर्तन।
- प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल शिक्षा में कुछ अध्यायों के समावेशन के माध्यम से दूल्हे के लिए दहेज को लज्जाजनक प्रथा के रूप में प्रदर्शित करना।
- दहेज के मामलों को उजागर करने वाले स्वयंसेवकों को प्रोत्साहन एवं पहचान संबंधी सुरक्षा प्रदान करना।
समस्या के निश्चित एवं स्थायी समाधान का वृहद् संदर्भ लैंगिक समानता के अंत:स्थापन तथा सभी को शिक्षित करने की व्यवस्था को सम्मिलित करता है। समस्या के समाधान की प्रगति को सतत बनाने हेतु दीर्घावधि रणनीति के साथ लघु-अवधि की कार्यवाहियां सहायक होंगी।
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