भारत की जनसँख्या वृद्धि : जनसंख्या स्थिरीकरण हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदम

प्रश्न: उन कारकों का वर्णन कीजिए, जिन्होंने भारत की जनसँख्या वृद्धि की प्रवृत्ति को प्रभावित किया है। साथ ही, जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कुछ कदमों को भी सूचीबद्ध कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भारत में जनसंख्या वृद्धि की दर पर संक्षिप्त चर्चा करते हुए उत्तर आरम्भ कीजिए।
  • भारतीय संदर्भ में विशिष्ट कुछ आंकड़ों एवं उदाहरणों का प्रयोग करते हुए उन कारकों की चर्चा कीजिए जो भारत की जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित करते हैं।
  • इस समस्या से निपटने हेतु सरकार द्वारा अपनाए गए उपायों का उल्लेख कीजिए।
  • आगे की राह पर एक संक्षिप्त चर्चा के साथ निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

भारत विश्व का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है तथा संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2028 में यह चीन को पीछे छोड़कर प्रथम स्थान पर आ जाएगा। हालांकि, भारत ने प्रजनन दर (FR) को कम करने की दिशा में प्रभावशाली प्रगति का प्रदर्शन किया है। वर्ष 2015 से 2020 के मध्य औसत प्रजनन दर 2.3 प्रति महिला दर्ज की गई है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक

  • सामाजिक कारक: कम आयु में विवाह, बड़े परिवारों की इच्छा, पुत्र को प्राथमिकता आदि जनसंख्या वृद्धि में योगदान करते  है।
  • शैक्षणिक निष्पादन: बेहतर साक्षरता दरें विशेषतया महिला साक्षरता दर जनसंख्या वृद्धि दरों के प्रति व्युत्क्रमानुपाती हैं। उदाहरणार्थ केरल की साक्षरता दर 93.9% है जबकि उत्तर प्रदेश की साक्षरता दर 69.7% है।
  • विकास का स्तर: उच्च प्रति व्यक्ति आय, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक बेहतर पहुंच आदि जैसे कारकों ने भी जनसंख्या वृद्धि दरों को प्रभावित किया है। केरल, तमिलनाडु इत्यादि जैसे दक्षिणी राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश जैसे उत्तरी एवं मध्यवर्ती राज्यों में कुल प्रजनन दर औसत से अधिक है।
  • श्रम बल की संरचना: भारत में, अधिकांश आबादी कृषि गतिविधियों में संलग्न हैं, जहाँ बच्चों को अभी भी संभावित आय अर्जक माना जाता है, इसलिए प्रमुख कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रजनन दर उच्च बनी हुई है।
  • गर्भनिरोधकों तक पहुंच का अभाव, औपचारिक सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों की अनुपस्थिति, जीवन प्रत्याशा जैसे अन्य कारकों ने भी जनसंख्या वृद्धि को प्रेरित किया है।

इस संदर्भ में सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए हैं:

  • सामाजिक उपाय: 
  • विवाह हेतु न्यूनतम आयु सीमा में वृद्धि: भारत में विधि द्वारा विवाह हेतु न्यूनतम आयु पुरुषों के लिए 21 वर्ष तथा महिलाओं हेतु 18 वर्ष निर्धारित है।
  • महिलाओं की स्थिति में सुधार: महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति के सुदृढ़ीकरण द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है जो अंततः बेहतर परिवार नियोजन प्रथाओं में परिवर्तित हो रहा है।
  • सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन: परिवार नियोजन एवं गर्भनिरोधक से संबंधित मिथकों और वर्जनाओं का जन जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से उन्मूलन किया जा रहा है।
  • नीतिगत उपाय: 
  • लोकसभा और राज्यसभा में राज्यवार सीटों के आबंटन पर रोक जनसंख्या स्थिरीकरण हेतु एक एजेंडा के भयरहित एवं प्रभावशाली तरीके से अनुसरण के लिए राज्य सरकारों को सक्षम बनाती है।
  • जनसंख्या स्थिरीकरण की प्राप्ति पर लक्षित गतिविधियों के संपादन हेतु जनसंख्या स्थिरता कोष (नेशनल पापुलेशन स्टेबिलाइजेशन फण्ड) की स्थापना।
  • कृषि को अधिक लाभप्रद बनाने तथा श्रम को कृषि से अन्य क्षेत्रकों में स्थानांतरित करने पर भी बल दिया जा रहा है।
  • परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत प्रत्यक्ष हस्तक्षेप: 
  • लाभार्थियों तक आशा कार्यकर्ताओं (ASHAS) द्वारा गर्भनिरोधकों की होम डिलीवरी हेतु योजना।
  • विवाह पश्चात् शिशु जन्म में 2 वर्षों का विलंब तथा प्रथम शिशु के जन्मोपरांत 3 वर्षों के अन्तराल को सुनिश्चित करने हेतु नवविवाहित दंपतियों को परामर्श प्रदान करने के लिए आशा कार्यकर्ताओं की सेवाओं का उपयोग किया जा रहा है।
  • आशा किट के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में गर्भावस्था परीक्षण किट का निर्माण किया गया है तथा गर्भावस्था के शीघ्र निदान हेतु इनका प्रयोग किया जा रहा है ताकि गर्भावस्था/सुरक्षित गर्भपात सेवाओं के पूर्व पंजीकरण को सुनिश्चित किया जा सके।
  • कार्यक्रम में एक नवीन परिवार नियोजन पद्धति अर्थात् प्रसव-पश्चात् अंतर्गर्भाशयी गर्भनिरोधक युक्ति//डिवाइस का समावेश किया गया है।

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति में निर्धारित लक्ष्य अर्थात् 2.1 की कुल प्रजनन दर (TFR) की प्राप्ति हेतु सरकार को नवीन उपायों को अपनाना चाहिए तथा मौजूदा उपायों को क्रियान्वित करना चाहिए।

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