भारत में गरीबी के विभिन्न कारण : गरीबी उन्मूलन

प्रश्न: जहाँ, कई लोग गरीबी रेखा से ऊपर आने में सफल रहे हैं, वहीं भारत में अभी भी सर्वाधिक संख्या में गरीब निवास करते हैं। भारत में गरीबी की व्यापकता के लिए उत्तरदायी अंतर्निहित कारकों पर संक्षेप में चर्चा कीजिए। गरीबी उन्मूलन की गति को संधारणीय तरीके से तीव्र करने के लिए किन क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित किए जाने की आवश्यकता है? (250 शब्द)

दृष्टिकोण

  • दिए गए कथन के संदर्भ पर प्रकाश डालिए। 
  • भारत में गरीबी के विभिन्न कारणों पर चर्चा कीजिए। 
  • यह भी बताइए कि गरीबी में कमी लाने के लिए किन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
  • उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर उत्तर समाप्त कीजिए।

उत्तर

गरीबी को ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें व्यक्ति जीवनयापन हेतु मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने में विफल रहता है।

विश्व की सर्वाधिक गरीब जनसँख्या का 26% भाग भारत में निवास करता है। इसके साथ ही, यदि प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति 1.90 डॉलर (2011 में क्रयशक्ति समता) पर निर्धारित गरीबी रेखा को माना जाए तो हाल के वर्षों में गरीबी से बाहर निकलने वाले सबसे अधिक लोगों वाला देश भी भारत ही है। उभरते मध्यम वर्ग के बावजूद, अब भी ऐसे काफी लोग हैं जो वापस गरीबी रेखा से नीचे जा सकते हैं।

भारत में गरीबी के विभिन्न आयाम हैं जैसे कि:

आर्थिक कारण:

  • आर्थिक विकास की मंद गति से बेरोजगारी और गरीबी में वृद्धि होती है।
  • मानसून के अप्रत्याशित प्रतिरूप के कारण कृषि उत्पादन में होने वाली कमी से मुद्रास्फीति संबंधी कुछ गंभीर समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  • कुछ क्षेत्रों में अपर्याप्त औद्योगीकरण के कारण रोजगार के अवसर सीमित हो हुए हैं।
  • देश में धन और संसाधनों का असमान संकेन्द्रण।
  • बेरोजगारी और अल्प-रोज़गार।
  • वृद्धि के पूँजी-गहन क्षेत्रों में संकेंद्रित होने के कारण रोजगारहीन संवृद्धि।

सामाजिक कारण:

  • अस्पृश्यता जैसी सामाजिक बुराइयाँ रोजगार जैसे लोकतांत्रिक अधिकारों को प्रभावित करती हैं। इससे कुछ निचली जातियों में गरीबी की व्यापकता को बढ़ावा मिलता है।
  • व्यापक अज्ञानता और निरक्षरता: अशिक्षित लोग अपनी पूरी क्षमता से अवगत नहीं हैं, जिससे आय के स्रोत सीमित हो जाते हैं।
  • शहरों में बड़े पैमाने पर होने वाले प्रवासन से, विशेषकर शहरों में रोजगार के क्षेत्र में, प्रतिस्पर्धा बढ़ती है। इससे शिक्षित आबादी के मध्य गरीबी पनपती है।
  • तलाक की उच्च दर और महिलाओं के लिए असमान रोजगार अवसर उपलब्ध होने से गरीबी का स्त्रीकरण होता है अर्थात गरीब जनसंख्या में महिलाओं के अनुपात में तेज़ी से वृद्धि होती है।
  • व्यापक भ्रष्टाचार और अक्षम प्रशासन।

भौगोलिक कारक:

भूमि की उर्वरता में विभिन्नता से देश में उर्वर द्वीप (fertile islands) बन गए हैं। ऐसे में अनुर्वर भूमि वाले क्षेत्रों में स्वाभाविक रूप से गरीबी अधिक है।

पर्यावरणीय और जलवायविक कारकों में बाढ़, सूखा आदि सम्मिलित हैं।

गरीबी में स्थायी रूप से कमी लाने के लिए निम्नलिखित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए:

  • ग्रामीण गरीबी को तेज़ी से कम करना : ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच, एवं कृषि, उद्योग तथा से क्षेत्रों के मध्य , बढ़ते संपर्क में पूँजी निवेश गरीबी कम करने में प्रभावी रहा है।
  • अधिक और बेहतर रोजगार सृजित करना: श्रम गहन क्षेत्रों में रोजगार सृजन मंद गति से हो रहा है। इसके समस्या के समाधान हेतु प्रयास किये जाने चाहिए।
  • श्रम बाजार में महिलाओं की कम भागीदारी और अनुसूचित जनजातियों की मंद प्रगति पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
  • स्मार्ट शहरों के साथ-साथ स्मार्ट गाँवों की भी आवश्यकता है (PURA मॉडल)
  • गरीबों के लिए मानव विकास परिणामों में सुधार किया जाए। यह गरीबों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए सर्वाधिक मत्वपूर्ण है।
  • गरीबों हेतु मनरेगा जैसी विशेष रोजगार योजनाएँ।
  • अधिकारियों के प्रशिक्षण के माध्यम से अभिशासन में सुधार, सार्वजनिक कार्यक्रमों की परिकल्पना, कार्यान्वयन और समीक्षा में जन-भागीदारी, सामाजिक लेखा परीक्षण और नागरिक चार्टर का कार्यान्वयन।
  • कार्यक्रमों के कार्यान्वयन और लोगों तक उनकी पहुँच में सुधार लाने के लिए ICT का उपयोग।

Read More

 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.