भारत में आसूचना एजेंसियों का संक्षिप्त परिचय

प्रश्न: आसूचना एजेंसियों में भर्ती, उनकी क़ानूनी स्थिति और जवाबदेही तथा उनके बीच समन्वय से सम्बंधित चुनौतियों का एक विवरण दीजिए, जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के सम्मुख खतरों से निपटने के लिए दूर किए जाने की आवश्यकता है।

दृष्टिकोण

  • भारत में आसूचना एजेंसियों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • इन एजेंसियों से सम्बंधित चुनौतियों की विविधता का विवरण दीजिए।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा के सम्मुख खतरों के प्रकाश में कुछ उपायों को सूचीबद्ध कीजिए जिससे आसूचना एजेंसियों की परिचालन दक्षता में सुधार किया जा सके।

उत्तर

आसूचना, राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित सूचना के संग्रहण, एकत्रण, विश्लेषण और आकलन को संदर्भित करती है या राष्ट्रीय रणनीतियों के निर्माण पर प्रभाव डालती है। आसूचना में आंतरिक और बाह्य, दोनों पहलू सम्मिलित होते हैं। इस प्रकार,वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे पकिस्तान जैसे परमाणु-शस्त्र रखने वाले प्रतिद्वंदियों, माओवादियों, उग्रवाद (militancy), आतंकवाद आदि के कारण अत्यधिक विविध और जटिल हो गये हैं। इनके लिए एक सुचारू रूप से कार्यरत आसूचना तंत्र (intelligence ecosystem) की आवश्यकता है। हालांकि, निम्नलिखित क्षेत्रों में आसूचना एजेंसियों द्वारा कुछ चुनौतियों का सामना किया जा रहा है

भर्ती :

  •  निम्न कैडर प्रबंधन और योग्य भाषा विशेषज्ञों एवं तकनीक कुशल कर्मियों की भर्ती में अक्षमता के परिणामस्वरूप  कर्मियों की कमी हुयी है।
  • बौद्धिक क्षमता और शिक्षा प्रणाली में निवेश के अभाव के कारण भर्ती में तीव्र गिरावट आ रही है।

कानूनी दर्जा और जवाबदेही :

  • भारतीय आसूचना एजेंसियां व्यापक कानूनी सीमा में कार्य नहीं करती हैं। उदाहरण के लिए, कारगिल रिव्यू कमेटी (KRC) ने IB (Intelligence Bureau) और R&AW (Research and Analysis Wing), दोनों के मध्य संचालित विधिक शून्यता को रेखांकित किया है।
  • विसरित जवाबदेहिता (diffused accountability) के कारण कभी-कभी लक्षित देश में स्थानीय कानूनों का उल्लंघन, पद या गुप्त निधियों आदि का दुरुपयोग होता है।
  • समन्वय (Coordination)
  • विभिन्न आसूचना एजेंसियों तथा राज्य एवं केंद्रीय एजेंसियों के मध्य समन्वय और कार्यों का एक कमजोर लिंक बना हुआ है।
  • वर्तमान में आसूचना संग्रह, आसूचना के उपभोक्ताओं के द्वारा आवश्यकताएँ स्पष्ट न किये जाने के कारण तदर्थ बना हुआ है।

इसने राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन के कार्य को और अधिक जटिल बना दिया है। अब इसके लिए जिस प्रकार के ज्ञान, विशेषज्ञता और आधारभूत संगठनात्मक संरचना की आवश्यकता है वह अभी तक उपलब्ध इनके प्रकारों से गुणात्मक रूप से भिन्न है। अतः,भारत में आसूचना तंत्र में सुधार के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने की आवश्यकता है:

  • भर्ती और प्रतिनियुक्ति
  • विभिन्न आसूचना एजेंसियों के लिए प्रत्यक्ष भर्ती तंत्र शुरू करना और उसे अलग रखना- UPSC के मौजूदा तंत्र का उपयोग करके इन एजेंसियों के लिए भाषाई क्षमताओं सहित आवश्यक योग्यता निर्दिष्ट करना।
  • सैन्य बलों, अर्द्ध-सैनिक बलों तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के विशेषज्ञों को सम्मिलित करने हेतु प्रतिनियुक्ति समय के स्लॉट्स (slots) का उपयोग करना।

कानूनी दर्जा

  • आसूचना एजेंसियों के संचालन की भूमिका, कार्य और क्षेत्र को कानून द्वारा स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए।
  • UK इंटेलिजेंस सर्विसेज एक्ट, 1994 के मॉडल के अनुरूप R&AW आदि को क़ानूनी दर्जा प्रदान किया जाना चाहिए।
  • आसूचनाओं के मध्य समन्वय
  • अंतः-एजेंसी समन्वय को बेहतर बनाने,अतिव्यापन और दोहरीकरण को हटाने, ‘टर्फ-वार’ को समाप्त करने तथा राष्ट्रीय संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय आसूचना समन्वयक की नियुक्त की जानी चाहिए।
  • विश्लेषण एवं परिचालन
  • आसूचना एजेंसियों की परिचालन शाखाओं में पर्यवेक्षण की गुणवत्ता में सुधार करना, परिचालन कार्य में व्युत्क्रम प्रवाह (reverse drift) तथा अनुपयोगी एवं गैर- क़ानूनी स्रोतों को अस्वीकृत करना।
  • तकनीक का उन्नयन
  • विशेष रूप से सिग्नल डिक्रिप्शन कार्य और क्रिप्टोग्राफी क्षमताओं के संबंध में घरेलू तकनीकी अनुसंधान और विकास क्षमताओं में वृद्धि करना।
  • उपयुक्त उच्च स्तर पर वित्तीय विशेषज्ञों के नवाचारी संगठनों की सहायता से उपकरणों की खरीद प्रक्रियाओं में तीव्रता लाना।

समग्र रूप में, आसूचना एजेंसियों के मध्य समन्वय में सुधार कर और बेहतर जवाबदेहिता एवं निरीक्षण सुनिश्चित कर प्रणाली के भीतर की कमियों को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

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