भारत में सिविल सेवाओं के समक्ष चुनौतियां

प्रश्न: नेतृत्वकर्ता प्रतिभावान व्यक्तियों का नया समुच्चय प्रदान कर, पार्श्व प्रवेश भारत में सिविल सेवाओं द्वारा वर्तमान में सामना की जा रही सर्वाधिक महत्वपूर्ण चुनौतियों को दूर करने में सहायता करेगा। समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • सिविल सेवाओं में सुधार किए जाने की आवश्यकता पर संक्षिप्त चर्चा के साथ परिचय दीजिए।
  • सिविल सेवाओं में पार्श्व प्रवेश के प्रारंभ की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिए।
  • इस कदम के लाभों का उल्लेख कीजिये।
  • साथ ही, संबंधित चिंताओं और चुनौतियों पर भी चर्चा कीजिए।

उत्तरः

भारत में सिविल सेवाओं में सुधार किए जाने की आवश्यकता है। प्रचलित दृष्टिकोण यह है कि प्रशासनिक सेवा अत्यधिक आत्मसेवी बन गई है तथा विशेष रूप से उदारीकरण के पश्चात से यह भारत की आर्थिक और प्रशासनिक आवश्यकताओं को पूर्ण करने में विफल रही है। ध्यातव्य है कि सिविल सेवक सामान्यज्ञ के रूप में सेवाओं में प्रवेश करते हैं तथा क्षेत्र-विशेष (डोमेन) विशेषज्ञता करियर में काफी देर से प्राप्त करते हैं।

वर्तमान नौकरशाही प्रतिभाओं में वृद्धि करने के क्रम में भारत सरकार ने संयुक्त सचिव के कुछ पदों के लिए आवेदन करने हेतु सिविल सेवा के रैंक से बाहर के अधिकारियों के लिए खुले पार्श्व प्रवेश की प्रक्रिया आरंभ की है। नेतृत्वकर्ता प्रतिभावान व्यक्तियों के नए पूल को निर्मित करने के लिए इस समावेशी कदम की अनुशंसा द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा भी की गई है।

पार्श्व प्रवेश के सकारात्मक प्रभाव:

  • यह अभिशासन में नए विचार और नए दृष्टिकोण को समाविष्ट कर सकता है।
  • निजी क्षेत्र की प्रतिभा को अधिक लक्ष्य-उन्मुख माना जाता है।
  • क्षेत्र-विशेष विशेषज्ञता वाले बाह्य विशेषज्ञों की स्वाभाविक तुलना सिविल सेवकों के साथ किए जाने से प्रशासनिक प्रणाली के भीतर प्रतिस्पर्धा को प्रेरित करने की संभावना है। यह नौकरशाहों को करियर में विशेषज्ञता विकसित करने के लिए बाध्य करेगा, जिससे दक्षता में वृद्धि के परिणामस्वरूप सम्पूर्ण प्रशासनिक प्रणाली लाभान्वित होगी।
  • यह अधिकारियों की कमी की समस्या का समाधान कर सकता है। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में लगभग 1,500 IAS अधिकारियों की कमी है।

हालांकि, निजी क्षेत्र के व्यक्तियों को सिविल सेवाओं में शामिल करने के संबंध में कुछ आशंकाएं भी हैं। ये निम्नलिखित हैं:

  • सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के प्रति विश्वासपात्र व्यक्तियों को प्रवेश प्रदान करने से सिविल सेवाओं की तटस्थता और निष्पक्षता प्रभावित होगी।
  • वर्तमान सिविल सेवा के साथ यह लाभ है कि सरकार में उनके दीर्घकालिक हित निहित हैं। वहीं, पार्श्व प्रवेशकों के सन्दर्भ में उनके 3 से 5 वर्ष के अल्प कार्यकाल के आलोक में सेवा के दौरान उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करना कठिन होगा।
  • यह हित-संघर्ष उत्पन्न कर सकता है क्योंकि इस तरह के प्रवेशकर्ता को उसकी विशेषज्ञता के विशिष्ट क्षेत्र से संबद्ध मंत्रालय में नियुक्त किया जाएगा।
  • पार्श्व प्रवेश की प्रकिया आरक्षण की व्यवस्था की भी उपेक्षा कर सकती है।
  • इसके अतिरिक्त, पार्श्व प्रवेश की प्रकिया के माध्यम से चयनित व्यक्ति के सक्षम होने के बावजूद एक स्थापित संस्कृति में उनका अनुकूलन आसान नहीं है।

सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भर्ती संबंधी प्रणाली पारदर्शी हो तथा इन प्रतिभाओं का उन क्षेत्रों में उचित वितरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए जिन्हें विशेषज्ञता की सर्वाधिक आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाने चाहिए कि इसके माध्यम से नौकरशाही का राजनीतिकरण न हो। साथ यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि पार्श्व प्रवेश प्रकिया कितनी भी अच्छी और आवश्यक हो, परंतु यह IAS जैसी सुस्थापित संस्था में परिवर्तन लाने के लिए अपर्याप्त है। इस संदर्भ में विशेष रूप से प्रशासनिक प्रणाली के भीतर अधिक मूलभूत प्रशासनिक सुधार किए जाने की आवश्यकता है।

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