भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश के सन्दर्भ में संक्षिप्त विवरण

प्रश्न: समुचित कौशल विकास के अभाव में जनसांख्यिकीय लाभांश, जनसांख्यिकीय दायित्व बन सकता है। इस संदर्भ में, राष्ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता नीति, 2015 के महत्व पर चर्चा कीजिए। (150 शब्द)

दृष्टिकोण

  • भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश के सन्दर्भ में संक्षिप्त विवरण दीजिए और यह भी बताइए कि भारत के विकास में यह कैसे सहायक हो सकता है।
  • संक्षिप्त में उन मुद्दों की पहचान कीजिए, जिनके कारण जनसांख्यिकीय लाभांश की क्षमता का लाभ नहीं प्राप्त हो पा रहा है।
  • चर्चा कीजिए कि राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमिता नीति, 2015 वर्तमान और आगामी जनसांख्यिकीय लाभांश की पूर्ण क्षमता का लाभ प्राप्त करने में कैसे सहायता कर सकती है।

उत्तर

श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, प्रत्येक माह 10 लाख नए श्रमिक श्रम बाजार में प्रवेश कर रहे हैं। हालाँकि, इस समूह का एक बड़ा भाग या तो पूर्णतः बेरोजगार रह जाता है या केवल आंशिक रूप से नियोजित हो पाता है। यह आंशिक नियोजन भी मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र में ही है।

यह पर्याप्त कौशल की कमी और उपयुक्त रोजगार की अनुपलब्धता के कारण है। इसलिए भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश, जिसके आगामी 25-30 वर्षों तक बने रहने की उम्मीद है, पर शीघ्रता से ध्यान दिया जाना चाहिए। अन्यथा, यह जनसांख्यिकीय दायित्व में बदल सकता है।

उपर्युक्त संदर्भ में, राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमिता नीति, 2015 की भूमिका निम्नलिखित है:

  • यह नीति आकांक्षा की कमी, औपचारिक शिक्षा प्रणाली के साथ समेकन का अभाव , परिणामों पर ध्यान नहीं देना, प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षकों की निम्न गुणवत्ता आदि सहित कौशल विकास से संबंधित प्रमुख बाधाओं को संबोधित करती है।
  • वर्तमान कौशल अंतराल को समाप्त करना, उद्योगों में नियुक्तियों को बढ़ावा देना, गुणवत्ता आश्वासन (assurance) ढांचे का संचालन, प्रौद्योगिकी का लाभ प्राप्त करना और प्रशिक्षुता प्रशिक्षण के लिए अधिक अवसरों को बढ़ावा देना आदि के माध्यम से कौशल से संबंधित आपूर्ति और मांग को संरेखित करती है।
  • समानता पर फोकस: यह नीति सामाजिक/भौगोलिक दृष्टि से हाशिए पर स्थित लोगों और वंचित वर्गों हेतु कौशल विकसित करने के अवसरों पर ध्यान केन्द्रित करती है।
  • महिलाओं की भागीदारी पर विशेष ध्यान।
  • औपचारिक शिक्षा प्रणाली के अंदर और बाहर संभावित उद्यमियों को शिक्षित करना और सक्षम बनाना।
  • उद्यमियों को सलाहकारों, इनक्यूबेटेर और ऋण बाज़ार के साथ जोड़ना। नवाचार और उद्यमशीलता की संस्कृति को प्रोत्साहित करना।
  • ईज ऑफ़ ड़ूइंग बिज़नेस में सुधार करना और सामाजिक उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करना।

यह आवश्यक है कि नीति निर्माताओं को रोजगार की “गुणवत्ता” और उभरती हुई तकनीकी चुनौतियों जैसे- स्वचालन (automation) पर भी ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, क्योंकि स्वचालन जैसी तकनीकी श्रम बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव डालती

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