आयुष्मान भारत योजना का विवरण : इसके कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं पर चर्चा
प्रश्न: आयुष्मान भारत जैसी अति व्यापक और लाभकारी योजना के कार्यान्वयन में कई बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। समालोचनात्मक चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
दृष्टिकोण
- आयुष्मान भारत योजना का विस्तृत विवरण दीजिए।
- इसकी व्यापकता और लाभों का उल्लेख कीजिए।
- इसके कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं पर चर्चा कीजिए।
- इस सम्बन्ध में अपने सुझाव देते हुए निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
बजट 2018-19 में आयुष्मान भारत योजना की घोषणा की गई। इसका उद्देश्य प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं में समग्र रूप से स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का समाधान करने हेतु उपाय करना है। इसके अंतर्गत निवारण और स्वास्थ्य संवर्द्धन संबंधी उपाय शामिल हैं। इसके दो घटक हैं:
- स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्र (HWC): इसके अंतर्गत 1.5 लाख स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से गैर-संचारी रोगों और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं सहित समग्र स्वास्थ्य देखभाल प्रदान की जाएगी। इन केन्द्रों द्वारा निःशुल्क रूप से आवश्यक दवाएं और नैदानिक सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी। इस प्रमुख कार्यक्रम के लिए बजट में 1200 करोड़ की राशि का आवंटन किया गया है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना (NHPS): इस योजना के अंतर्गत 10 करोड़ से अधिक निर्धन और कमजोर परिवार शामिल किए जाएंगे और इस प्रकार लगभग 50 करोड़ लाभार्थियों को द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल के लिए हॉस्पिटल में भर्ती होने पर प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपए तक का चिकित्सा कवरेज उपलब्ध कराया जाएगा। सम्पूर्ण विश्व में यह किसी भी देश की सरकार द्वारा वित्त पोषित सबसे बड़ा स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम होगा।
इस महत्वाकांक्षी योजना के प्रभावी कार्यान्वयन से सम्बंधित चुनौतियों का समाधान किया जाना आवश्यक है जैसे :
- कुछ आकलन यह दर्शाते हैं कि HWCs के कार्यान्वयन के लिए लगभग 30,000 करोड़ रूपये की धन राशि की आवश्यकता है और सरकार द्वारा इस धनराशि के लिए किसी भी प्रकार की प्रतिबद्धता व्यक्त नहीं की गई है।
- HWCs के लिए मानव संसाधनों की अत्यधिक कमी।
- यह एक चिंता का विषय है कि बीमा के व्यवसायीकरण से केवल बीमा कंपनियों को ही लाभ होगा और निर्धनों की स्वास्थ्य सेवा संबंधी आवश्यकताओं पर कम ध्यान दिया जाएगा।
- अस्पतालों की भी इस संबंध में अपनी चिंताएं हैं, जैसे कि उनके अनुसार, सरकार द्वारा निर्धारित पैकेज की दरें संभवतः उनके घाटे में वृद्धि करेगी।
- बीमाकर्ताओं को इस बात की चिंता है कि उनकी भूमिका को समाप्त कर दिया जाएगा क्योंकि राज्यों के पास न्यास (ट्रस्ट) मॉडल को चयन करने का विकल्प उपलब्ध है जिसमें बीमाकर्ताओं की भागीदारी की आवश्यकता नहीं होती। न्यास व्यवस्था के अंतर्गत दावों (claim) के भुगतान पर सख्ती कम होती है। इसके अतिरिक्त, प्रायः राज्यों द्वारा भुगतान करने में अत्यधिक विलंब किया जाता हैं और अस्पताल इस भुगतान चक्र के विषय में चिंतित हैं।
- अस्पतालों और बीमा कंपनियों की शिकायतों का समाधान करने वाली संगठनात्मक समितियों में मुख्य रूप से सरकारी प्रतिनिधि होते हैं। इसके कारण उनका मुख्य ध्यान मरीजों के दावों (claims) के भुगतान पर केन्द्रित होगा तथा उनके पास अस्पतालों अथवा बीमा कंपनियों की समस्याओं का समाधान करने के लिए कम प्रोत्साहन होगा।
सरकार इस योजना के तहत पात्र लाभार्थियों की पहचान करने के लिए 2011 की जनगणना का उपयोग कर रही है। ये आंकड़े अत्यधिक पुराने हैं।-
- लाभ का दावा करने हेतु अस्पतालों के साथ मिलीभगत से फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर धोखाधड़ी संबंधी गतिविधियों के बढ़ने की संभावना है।
- इस प्रकार की अति व्यापक योजनाओं के कार्यान्वयन की आवधिक निगरानी और मूल्यांकन करना भी एक चुनौती का विषय है। कुछ राज्य राजनीतिक नुकसान के भय से इस योजना में शामिल होने के लिए अनिच्छुक हैं।
- इस योजना की सफलता इन चुनौतियों को शीघ्रता और व्यापक रूप से स्वीकार करने तथा इनका समाधान किए जाने पर निर्भर करेगी।
- योजना को प्रभावी बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक सर्वसम्मति का निर्माण किया जाना चाहिए। NHPS एक अभिनव और अग्रणी योजना है जिसके प्रभावी और समन्वित तरीके से कार्यान्वित किए जाने पर यह एक परिवर्तनकारी प्रभाव उत्पन्न कर सकती है।
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